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  • Dwarkadheesh Temple Flag Changed 5 Times A Day, Devotees Sponsor; Advance Booking Done Till 2023

द्वारकाधीश मंदिर के ध्वज की कहानी, जहां गिरी बिजली:दिन में 5 बार बदला जाता है 52 गज का ध्वज, श्रद्धालु करते हैं स्पॉन्सर; 2023 तक की एडवांस बुकिंग हो चुकी है

अहमदाबाद2 वर्ष पहलेलेखक: आदित्य द्विवेदी/हिरेन हीरपरा
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  • 2020 और 1998 में भी क्षतिग्रस्त हो चुका है मंदिर का ध्वज दंड

गुजरात के जिस द्वारकाधीश मंदिर में बिजली गिरी वहां दिन में पांच बार ध्वज फहराया जाता है। मंदिर के शिखर पर 52 गज का ध्वज फहराने की पुरानी प्रथा है। इसे श्रद्धालु स्पॉन्सर करते हैं। ध्वज फहराने के लिए 2023 तक एडवांस बुकिंग हो चुकी है। नई बुकिंग फिलहाल बंद है।

हम बता रहे हैं द्वारकाधीश मंदिर और ध्वज से जुड़ी रोचक बातें, दिन में पांच बार ध्वज फहराने की टाइमिंग, 52 गज के झंडे के पीछे की कहानी, चंद्रमा और सूर्य के प्रतीक का महत्व, ध्वज फहराने की जिम्मेदारी किसकी है और इसकी बुकिंग का तरीका।

मंगलवार को दोपहर 2.30 बजे द्वारकाधीश मंदिर की ध्वजा पर बिजली गिरी। इससे ध्वज दंड को नुकसान पहुंचा और मंदिर की बाहरी दीवारें काली पड़ गईं।
मंगलवार को दोपहर 2.30 बजे द्वारकाधीश मंदिर की ध्वजा पर बिजली गिरी। इससे ध्वज दंड को नुकसान पहुंचा और मंदिर की बाहरी दीवारें काली पड़ गईं।

अबोटी ब्राह्मणों का ध्वजारोहण पर एकाधिकार
द्वारकाधीश की मंगला आरती सुबह 7.30 बजे, श्रृंगार सुबह 10.30 बजे, इसके बाद सुबह 11.30 बजे, फिर संध्या आरती 7.45 बजे और शयन आरती 8.30 बजे होती है। इसी दौरान ध्वज चढ़ाया जाता है। मंदिर की पूजा आरती गुगली ब्राह्मण करवाते हैं। पूजा के बाद ध्वज द्वारका के अबोटी ब्राह्मण चढ़ाते हैं।

ध्वज बदलने के लिए एक बड़ी सेरेमनी होती है। जो परिवार ध्वज को स्पॉन्सर कर रहा है वो नाचते गाते हुए आते हैं। उनके हाथ में ध्वज होता है। इसे भगवान को समर्पित किया जाता है। वहां से अबोटी ब्राह्मण इसे लेकर ऊपर जाते हैं और ध्वज बदल देते हैं। नया ध्वज चढ़ाने के बाद पुराने ध्वज पर अबोटी ब्राह्मणों का हक होता है। इसके कपड़े से भगवान के वस्त्र वगैरह बनाए जाते हैं।

द्वारकाधीश मंदिर पर 52 गज का ध्वज क्यों?
द्वारकाधीश मंदिर में फहराता ध्वज कई किलोमीटर दूर से साफ देखा जा सकता है, क्योंकि यह झंडा पूरे 52 गज का है। 52 गज के इस झंडे के पीछे के कई मिथक हैं। कुछ लोगों का मानना है कि द्वारकानगरी पर 56 प्रकार के यादवों का शासन था। उस समय सभी के अपने महल थे और सभी पर अपने-अपने ध्वज लगे थे। मुख्य भगवान कृष्ण, बलराम, अनिरुद्ध और प्रद्युम्न ये चार भगवानों के मंदिर अभी भी बने हुए हैं। जबकि बाकी के 52 प्रकार के यादवों के प्रतीक के रूप में भगवान द्वारकाधीश के मंदिर पर 52 गज का ध्वज फहराया जाता है।

एक और कहानी है कि 12 राशि, 27 नक्षत्र, 10 दिशाएं, सूर्य, चंद्र और श्री द्वारकाधीश मिलकर 52 होते हैं। एक और मान्यता है कि द्वारका में एक वक्त 52 द्वार थे। ये उसी का प्रतीक है। मंदिर के इस ध्वज के एक खास दर्जी ही सिलता है। जब ध्वज बदलने की प्रक्रिया होती है उस तरफ देखने की मनाही होती है।

ध्वज पर चंद्रमा और सूर्य के प्रतीक
द्वारकाधीश मंदिर के ऊपर फहराए गए झंडे में सूर्य और चंद्रमा के प्रतीक हैं। मान्यता है कि जब तक सूर्य और चंद्रमा रहेंगे तब तक द्वारकाधीश का नाम रहेगा। साथ ही सूर्य और चंद्रमा को भी भगवान कृष्ण का प्रतीक माना जाता है।

गुजरात का द्वारकाधीश मंदिर हिंदुओं के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। द्वारका हिंदू धर्म में चारधाम की तीर्थ यात्रा में एक है। द्वारका में द्वारकाधीश कृष्ण का मंदिर उसी जगह है, जहां हजारों साल पहले द्वापर युग में भगवान कृष्ण की राजधानी थे। इस मंदिर में ध्वज पूजा का विशेष महत्व है। इस झंडे की खासियत यह है कि हवा की दिशा जो भी हो, यह झंडा हमेशा पश्चिम से पूर्व की ओर लहराता है।

ध्वज चढ़ाने के लिए 2023 तक की एडवांस बुकिंग
भक्त भगवान द्वारकाधीश के मंदिर में ध्वज अर्पण करते हैं और मानते हैं कि भगवान उन पर आशीर्वाद बरसाएंगे। यही कारण है कि कई श्रद्धालु ध्वज अर्पित करते हैं। ध्वज अर्पित करने के लिए एडवांस बुकिंग की जाती है। द्वारका मंदिर में सेवा और पूजा के प्रभारी गुगली समाज के ट्रस्टी वत्सलभाई पुरोहित बताते हैं कि ध्वज चढ़ाने की बुकिंग अगले दो साल यानी 2023 तक की हो चुकी है। फिलहाल बुकिंग छह महीनों के लिए बंद है। बुकिंग शुरू होने पर फोन के जरिए भी कराई जा सकती है।

बिजली गिरने से मंदिर को नुकसान नहीं
बिजली गिरने की घटना पर वत्सलभाई बताते हैं कि, 'मंगलवार को गरज के साथ बारिश हुई और बिजली मंदिर से शिखर पर गिरी। जिससे मंदिर को कोई नुकसान नहीं हुआ। झंडे पर बिजली गिरी थी, जिससे ध्वज दंड को नुकसान पहुंचा है। ध्वज बदल दिया गया है। ध्वज दंड की रिपेयरिंग के लिए पुरातत्व विभाग को अवगत करा दिया गया है।'

द्वारका के SDM निहार भेटारिया ने बताया कि मंगलवार दोपहर को बिजली गिरने की घटना के बाद प्रशासन ने मंदिर परिसर की जांच की है। बिजली से मंदिर को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है। केवल झंडे को ही नुकसान हुआ है। जांच के बाद मंदिर की गतिविधियां सामान्य रूप से चल रही हैं।