करिअर फंडाचाणक्य से लें जीवन के 3 सबक:शिक्षा सबसे अच्छी मित्र, एडमिनिस्ट्रेटिव और पॉलिटिकल पदों पर योग्य उम्मीदवार हों

6 महीने पहले
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‘शिक्षा सबसे अच्छी मित्र है। शिक्षित व्यक्ति का हर जगह सम्मान होता है। शिक्षा, सुंदरता और यौवन को पीछे छोड़ देती है।’

- कौटिल्य

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नन्द दरबार में अपमान

‘मेरा धन ज्ञान है धनानंद और मेरे ज्ञान में शक्ति रही तो मैं अपना पोषण कर सकने वाले सम्राटों का निर्माण कर लूंगा.... शिक्षक साधारण नहीं होता धनानंद, प्रलय और निर्माण दोनों उसकी गोदी में खेलते हैं, सोचा था पाटलिपुत्र में ज्ञान के प्रकाश को देखूंगा, पर देख रहा हूं कि ज्ञान के सूर्य को राहु ग्रस रहा है ... जो हाथों में तलवार थमाना जानते हैं वे अपनी रक्षा करना भी जानते हैं…’

उपरोक्त शब्द कहे थे धनानंद के दरबार में अपमान होने पर आचार्य चाणक्य ने (चन्द्रप्रकाश द्विवेदी द्वारा रचित 'चाणक्य' से)।

कौन थे चाणक्य

A) भारत में नीति शिक्षा के लिए प्रसिद्ध आचार्य चाणक्य के परिचय की कोई आवश्यकता नहीं। विष्णुगुप्त और कौटिल्य के नाम से लोकप्रिय आचार्य चाणक्य दार्शनिक, न्यायविद, शिक्षक (तक्षशिला विश्वविद्यालय में पढ़ाते थे), एक असाधारण राजनेता और अर्थशास्त्री थे।

B) चाणक्य ने जीवन और राजनीति पर कई सबक दिए जिनका पीढ़ी दर पीढ़ी पालन किया गया हैं और आज भी प्रासंगिक है।

C) राजनीति में आचार्य चाणक्य 'किंग-मेकर' थे। उनके मार्गदर्शन में ही 'चन्द्रगुप्त मौर्य' नन्द वंश के घमंडी और भ्रष्ट राजा धनानंद को हटा, मौर्य वंश की स्थापना कर पाए, जो भारत का पहला साम्राज्य था जो लगभग पुरे भारतवर्ष पर था। वे चन्द्रगुप्त के पुत्र 'बिन्दुसार' के भी सलाहकार थे।

D) यहां ये बताना जरूरी है कि कई एक्सपर्ट मानते हैं कि चाणक्य एक काल्पनिक कृति हैं, और ऐसा कोई जीवित व्यक्ति कभी नहीं रहा, केवल किवंदतियां रहीं हैं। ध्यान रहे यहां बात 2200 साल पहले की हो रही है, और 1900 साल इतिहास में लुप्त रहने वाले चाणक्य अचानक से उन्नीसवीं सदी में दस्तावेजों में प्रकट हुए थे।

E) आचार्य चाणक्य ने प्राचीन भारतीय राजनीतिक ग्रंथ 'अर्थशास्त्र' लिखा, जो आज भी माना जाता है। चाणक्य नीति करियर, लक्ष्य प्राप्ति, दोस्ती, परिवार, व्यापार सभी जगह उपयोगी है, हालांकि आधुनिक जीवन में उसके अनेक तत्व क्रूर लग सकते हैं।

आर शमाशास्त्री के 1915 में अर्थशास्त्र के अनुवाद के कवर पर चाणक्य को इस तरह दर्शाया गया था।
आर शमाशास्त्री के 1915 में अर्थशास्त्र के अनुवाद के कवर पर चाणक्य को इस तरह दर्शाया गया था।

आज हम देखते हैं उनके जीवन से तीन सबसे महत्वपूर्ण सबक!

चाणक्य से 3 बड़े सबक

1) प्रशासनिक और राजनितिक पदों पर योग्य उम्मीदवार होना चाहिए: आज भारत में लोकतंत्र है, अर्थात लोग अपना राजनीतिक नेतृत्व चुनते हैं।

A) हम आधुनिक भारतीय चाणक्य के जीवन से सीख ले सकते हैं कि विभिन्न पदों पर योग्य व्यक्ति ही बैठना चाहिए।

B) जब उन्होंने मगध में धनानंद का भ्रष्ट शासन देखा तो उसे उखाड़ फेंका। ऐसा उन्होंने अपने किसी निजी स्वार्थ के कारण नहीं किया बल्कि समाज के लिए किया। यह इस बात से साबित होता है कि उन्होंने सत्ता में अपने आपको सलाहकार के पद तक ही सीमित रखा।

C) कहते हैं मगध जीत लेने पर धनानंद के सम्पूर्ण मंत्रिमंडल को मृत्युदंड की सजा दी गई, केवल एक मंत्री 'महामात्य राक्षस' को छोड़ कर क्योंकि वे ईमानदार और सामर्थ्यवान थे। अर्थात आचार्य चाणक्य सही लोगो का सही पदों पर सम्मान करते थे, और इसका उल्टा बिलकुल नहीं।

2) शिक्षा सबसे अच्छी मित्र है: चाणक्य शिक्षक थे और वे शिक्षा के महत्व को अच्छी तरह समझते थे।

A) चाणक्य के अनुसार शिक्षा जीवन भर आपके साथ रहती है। आपका सौंदर्य फीका पड़ जाएगा, यौवन धीरे-धीरे खो जाएगा, दोस्त बिछड़ जाएंगे लेकिन शिक्षा हमेशा आपके साथ रहेगी और आवश्यकता पड़ने पर आपकी मदद करेगी।

B) यह शिक्षा है जो आपको जीवन में अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करेगी। जिसे शिक्षा प्राप्त नहीं होती वह समाज से सम्मान प्राप्त करने में विफल रहता है।

C) एक साधारण किशोर 'चन्द्रगुप्त' को चाणक्य ने उसकी माता से मांग लिया (उस समय यह नया नहीं था क्योंकि बालक गुरु के आश्रम में ही जाकर शिक्षा प्राप्त करते थे), उसे तक्षशिला ले गया और उसे विभिन्न प्रकार की शिक्षाओं में पारंगत बना, सम्राट पद के योग्य बनाकर उन्होंने यह साबित कर दिया कि शिक्षा महत्वपूर्ण है ना कि कुल, जाति या गोत्र। (इसका उल्टा वर्जन ये है कि चन्द्रगुप्त के जीवन में कोई चाणक्य था ही नहीं)

3) तीन-प्रश्न नियम: चाणक्य कहते हैं प्रत्येक व्यक्ति को कोई भी कार्य करने से पहले अपने आप से तीन प्रश्न पूछना चाहिए: पहला, मैं ऐसा क्यों कर रहा हूं? दूसरा, इस कार्रवाई के क्या परिणाम निकलेंगे? और तीसरा, क्या मैं इस कार्य में सफल होऊंगा?

A) इन तीन प्रश्नों के माध्यम से चाणक्य चाहते हैं कि हम दूरदर्शी बने और बुद्धिमानी से अपने कार्यों का चयन करें। यदि आपके पास कोई कार्य करने का कोई कारण नहीं है, तो अव्वल तो आपको इसे नहीं करना चाहिए। सिर्फ इसलिए कि किसी और ने ऐसा किया है, आपको उसी गड्ढे में गिरने की जरूरत नहीं है।

B) अपने प्रत्येक कार्य को अपने जीवन का एक कदम समझें, वह कदम आगे या पीछे हो सकता है और यह सब इस बात पर निर्भर करेगा कि आप क्या करते हैं और आप क्या करने का निर्णय लेते हैं।

C) हर घटना का जीवन में एक परिणाम होता है इसलिए यह कार्य करने से पहले सोचे की इस कार्य का क्या परिणाम निकलने वाला है।

D) तीसरे प्रश्न के द्वारा चाणक्य आपसे, अपने अपने सामर्थ्य को तौलने के लिए कहते हैं। ऐसा तो नहीं होगा कि आप कार्य को बीच में छोड़ने पर मजबूर हो जाएंगे। यदि ऐसा होता है तो आपका उस कार्य में लगा आपका समय और ऊर्जा दोनों व्यर्थ चले जाएंगे।

उम्मीद करता हूं, मेरे द्वारा चयनित तीन सबक आपके जीवन में उपयोगी साबित होंगे।

आज का संडे मोटिवेशनल करिअर फंडा है कि शिक्षा का महत्व उसे अपनाने, लागू करने, और सही ढंग से पोषित करने से साबित होता है।

कर के दिखाएंगे!

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