करिअर फंडाEXAM TIME में पेरेंट्स के लिए 7 जरूरी टिप्स:बच्चे पर परीक्षा का प्रेशर न बनाएं...बात करें, समझें उसकी दिक्कतें

7 महीने पहले

कस के जूता कस के बेल्ट, खोंस के अन्दर अपनी शर्ट, मंजिल को चली सवारी, कंधो पर जिम्मेदारी हाथ में फाइल, मन में दम, मीलों मील चलेंगे हम, हर मुश्किल से टकराएंगे, टस से मस ना होंगे हम दुनिया का नारा जमे रहो, मंजिल का इशारा जमे रहो, दुनिया का नारा जमे रहो, मंजिल का इशारा जमे रहो…

माता-पिता कुछ इसी तरह अपने बच्चों की जिम्मेदारी निभाते हैं।

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कॉम्पिटिटिव एग्जाम्स (प्रतियोगी परीक्षा) हो या स्कूल की परीक्षाएं, तैयारी करते समय बच्‍चों पर बहुत प्रेशर होता है, लेकिन पेरेंट्स के एटीट्यूड से बहुत कुछ हासिल हो सकता है।

पेरेंट्स के लिए 7 पावरफुल टिप्स

यदि आपका बच्चा/बच्ची स्कूल में परीक्षा देने वाला है या किसी कॉम्पिटिटिव एग्जाम की तैयारी कर रहा है, तो ये जरूर पढ़िए।

1) बच्‍चे को समय दें, उससे बात करें: गपशप करना इंसानों के लिए अच्छा स्ट्रेस-बस्टर होता है। बच्चों से हमेशा पढ़ाई की ही बातें ना करते रहें। थोड़ी इधर-उधर की हल्की-फुल्की बातें करना बहुत अच्छे रिजल्ट दे सकता है। इससे बच्चे खुलकर आपको समस्या बता पाएंगे, जो वो अपने स्तर पर सुलझा नहीं पाते। ज्यादातर बच्चे पेरेंट्स से डरते हैं और उन्हें अपनी समस्या नहीं बताते, पर वो बताते हैं अपने दोस्तों को, जो उन समस्याओं का गलत सॉल्यूशन भी दे सकते हैं। आपको बस यह पता लगाना है कि आपके बच्चे की शिक्षा में क्या बाधा आ रही है और इसे कैसे हल करना है। अपने बच्चे की पसंद की किसी चीज को पूरी तरह से हटाने के बजाय उसे रेगुलेट करें।

2) सही फैसिलिटीज अवेलेबल करवाना: मैंने कई घरों में देखा है, जहां पढ़ने वाले बच्चों के लिए स्टडी टेबल तक ढंग की नहीं होती है। ये समझिए, सफलता केवल बच्चों के प्रति आपके इमोशंस से ही नहीं मिलने वाली है। सफलता के लिए तन और मन के साथ थोड़े बहुत धन की भी आवश्यकता है (बहुत ज्यादा नहीं), अर्थात आज के घोर कॉम्पिटिटिव वर्ल्ड में यदि पेरेंट्स बच्चों को सही रिसोर्सेस, सही फैसिलिटीज अवेलेबल नहीं करवा पा रहे हैं तो उन्हें बच्चों से उम्मीदें भी वैसी ही रखनी चाहिए। बच्‍चे को अलग कमरा दें, ताक‍ि पढ़ते समय बच्‍चा डिस्टर्ब न हो। ज‍िस जगह बच्‍चे पढ़ रहे हों, वहां आप प्‍लांट लगा सकते हैं इससे पॉज‍िट‍िव महसूस होता है।

3) डाइट, हेल्थ और हाईजीन: परीक्षा की तैयारी की धुन में बच्चे, खाने-पीने, कपड़ों और कभी-कभी हाईजीन (साफ-सफाई) पर भी ध्यान नहीं दे पाते। पेरेंट्स को ध्यान रखना चाहिए कि बच्चा तीन से चार वक्त पौष्टिक डाइट ले, रोज नहाए और धुले हुए कपड़े पहने। इन चीजों पर ध्यान रखने से बच्चे की हेल्थ ठीक रहेगी। सभी को द‍िन में कम से कम आठ ग‍िलास पानी पीना चाहिए, सात घंटे की नींद और पूर्ण भोजन लेना चाहिए। फिजिकल और मेन्टल हेल्थ के ल‍िए आप बच्‍चे को फ‍िज‍िकली एक्‍ट‍िव करने के लिए जिम, योग केंद्र भेज सकते हैं या साथ में कोई स्पोर्ट्स खेल सकते हैं या हलकी एक्‍सरसाइज करवा सकते हैं।

4) कंसंट्रेशन का माहौल देना: भारत एक धर्म और समाज (सोसायटी) प्रधान देश है। लगभग हर चौथे या पांचवे दिन कोई ना कोई धार्मिक या सोशल कार्यक्रम होता है। यदि बच्चे इन सब में पार्टिसिपेट करते हैं तो सोशल इंटरेक्शन के लिए तो अच्छा है, लेकिन इसका पढ़ाई पर बुरा असर पड़ता है। एकाग्रता का माहौल चाहिए। इसकी तुलना आप एकांत वनवास से कर सकते हैं। ये तपस्या, सफलता के लिए जरूरी है। हर सोशल गैदरिंग में बच्चों के होने की उम्मीद न करें। वहीं, पूर्ण सामाजिक अलगाव बच्चों के लिए हानिकारक हो सकता है, तो बैलेंस बनाए रखें।

5) रिक्रिएशन: रोज-रोज एक जैसा रूटीन, जिसमें अधिकतर समय टेबल कुर्सी पर बैठ कर जाता है, स्टूडेंट्स को फिजिकली थका और मेन्टली पका देता है। होमो सेपियंस (इंसानों का वैज्ञानिक नाम) का शरीर टेबल-कुर्सी पर बैठने के लिए नहीं बना है, बजाय इसके हमारे पूर्वज, मैदानों में दौड़ते/चलते थे, काफी अधिक फिजिकल एक्सरसाइज करते थे, लम्बी-लम्बी दूरी पैदल तय करते थे। उसके भी पहले हम पेड़ों पर कूदा-फांदी किया करते थे। इसलिए पेरेंट्स को पढ़ने वाले बच्चों को हर थोड़े दिनों में यात्रा, सैर, पिकनिक इत्यादि पर ले जाना चाहिए। रिक्रिएशन के लिए जो भी तरीका चुनें इस बात का ध्यान रखें कि फिजिकल एक्सरसाइस हो।

6) बच्चों को पॉजिटिवली इंस्पायर करें: अपने बच्चे को मोटिवेट करें और उसे सफल हो चुके लोगों के स्ट्रगल की कहानियां सुनाएं, लेकिन ऐसा उसे यह लगे बिना होना चाहिए कि आप उस पर प्रेशर डाल रहे हैं। बच्चों को महसूस करवाएं कि आपको उनकी सफलता पर पूरा यकीन है। इससे उनमें सकारात्मक मानसिकता विकसित होगी। कुल मिलाकर बात यह है कि बच्चे को उसकी कमजोरियों का एहसास कराने के बजाय उसकी क्षमताओं का अहसास कराएं।

7) बच्चों पर भरोसा करें और दूसरे बच्चों से कम्पेरिजन ना करें: कुछ पेरेंट्स हमेशा अपने बच्चों को किसी न किसी बात को लेकर टोकते रहते हैं। उन्हें लगता है कि बच्चे पढ़ाई और परीक्षा को लेकर सजग नहीं हैं। पर हर बच्चा अपनी कैलिबर और अंडरस्टैंडिंग के हिसाब से बढ़िया करने की कोशिश करता है। जरूरत है उन पर भरोसा करने की और उनका मनोबल बढ़ाने की। कुछ पेरेंट्स की आदत अक्सर दूसरों के बच्चों से अपने बच्चों के कम्पेरिजन करने की होती है, जिसका कोई ठोस आधार भी नहीं होता। बच्चों पर इसका बहुत नेगेटिव असर पड़ता है और उनका सेल्फ-कॉन्फिडेंस गड़बड़ा जाता है।

तो आज का करिअर फंडा यह है कॉम्पिटिटिव एग्जाम की तैयारी पेरेंट्स का भी एक एग्जाम होता है, जिसमें पास होना कंपल्सरी है!

कर के दिखाएंगे!

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