सत्तर के दशक में एक किताब ने साहित्य के बाजार में उठापटक मचा दी। 'फैसिनेटिंग वुमनहुड' नाम की इस पुस्तक में अच्छी बीवी बनने के गुर थे। साथ ही ये दावा भी था कि इसके टोटके आजमाकर सख्तदिल मर्द भी मोम जैसा बन जाता है। कुल मिलाकर किताब, बंगाली बाबा के वशीकरण मंत्र का अमेरिकी संस्करण थी, जो बिकी और धड़ल्ले से बिकी। कुछ बीवियों ने खरीदी, तो ज्यादातर प्रेमियों ने रेशमी धागे से बांधकर तोहफे में दी। हीरे की अंगूठी बाद में- पहले अच्छी बीवी बनना सीखो!
लेखिका हेलेन एंडेलिन ने शादीशुदा लड़कियों को क्लासेज देनी भी शुरू कीं, जहां केवल 35 डॉलर (लगभग 2700 रुपए) में पति को वश में रखने के तरीके बताए जाने लगे। एक तरीका था- अगर आपको मियां जी की कोई बात पसंद न आए, तो बहस कतई न करें।
बहस वो आग है, जो रिश्ते को फूंककर रख देगी। बजाय तर्क-तर्क खेलने के, आप बच्चों जैसा नखरा करने लगें। जी हां! पांव पटककर जिद करने या होंठ निकालकर आंखों में आंसू भर लाने से शौहर एकदम पिघल जाएगा और आपकी मर्जी चटपट पूरी हो जाएगी।
कुछ खास सवाल, जो हरदम शादीशुदा औरतों को मथते रहते हैं, उनके जवाब भी यहां मिल सकते हैं। मसलन...
किताब की सबसे मारक लाइन थी- कैसे एक आदर्श औरत अपने पुरुष के भीतर गहरा प्यार और दया जगा सकती है...! शादी के लिए युवतियों को भरपूर औरत बनाने का दावा करने वाली ये अकेली किताब नहीं, बल्कि दुनिया में कई ट्रेनिंग सेंटर चलते हैं, जो हम जैसियों के उजड्डपन को तराशकर हीरे की कनी बना देते हैं ताकि शादी जैसी पाक संस्था जगर-मगर करती रहे।
‘वाइफ स्कूल’ नाम की किताब में लेखिका जूली एन गॉर्डन थोड़ी मॉर्डन बातें करती हैं, लेकिन आखिरकार यहां भी पतियों को खुश रखने के सीक्रेट तरीके सिखाए जाते हैं। ये एक तरह की सेल्फ-हेल्प किताब है, जिसे पढ़कर आप नेक पत्नी बनना सीखेंगी। ठीक वैसे ही, जैसे किताब पढ़कर मैंने सूप बनाना सीखा और ये सीखा कि कम तेल के साथ भी कैसे अपना चटोरापन शांत किया जा सकता है।
वे लड़कियां, जो शादी का इंतजार कर रही हों, वे व्रत-उपवास छोड़ें, और ‘द वाइफ यूनिवर्सिटी’ में दाखिला ले लें। ये एक खास वेबसाइट है, जो इंतजार में ‘बासी’ होती औरतों के लिए है। इसमें विवाह से पहले के वक्त का सही इस्तेमाल बताया गया है ताकि फेरे पड़ते ही लड़की फटाफट रसोई संभाल ले, बच्चे भी कर ले और पति को खुश-बेहद खुश रखते हुए इस दुनिया में आने का अपना मकसद पूरा कर सके।
खैर! ये तो हुई पश्चिम की बात, लेकिन पूरब, और खासकर हम जैसे देहाती मुल्क में शादी का इंतजार करती लड़कियों के लिए किसी किस्म की ट्रेनिंग का कोई बंदोबस्त नहीं। नतीजा ये होता है कि वे कच्ची-पक्की उम्र में ही रिश्ते में आ जाती हैं। हवा में इत-उत फिरती पतंग एकदम से कटकर गिरे, यही हाल लड़कियों का भी होता है। इस मुश्किल को रोकने का सही तरीका ये है कि लड़कियों को किसी काम में लगा दिया जाए ताकि उनका दिमाग वक्त से पहले शादी की तरफ न भागे।
कुछ इसी तरह की बात बीते दिनों राज्यसभा में भी सुनाई पड़ी, जब लड़कियों की शादी की उम्र पर चर्चा चली। बता दें कि सेंट्रल कैबिनेट में लड़कियों की शादी की उम्र 18 से बढ़ाकर 21 करने को मंजूरी मिल चुकी है। यही उम्र लड़कों के लिए भी है।
अब NCP सांसद फौजिया खान ने कहा कि चूंकि लड़कियों के पास करने को खास काम नहीं होता, इसलिए अघाकर वे शादी कर डालती हैं। जैसे इतना कहना ही काफी न हो, सांसद ने आगे जोड़ा कि अगर उन्हें किसी ‘उत्पादक’ काम में व्यस्त रखा जाए तो कम उम्र में वे शादी का फितूर नहीं पालेंगी।
सांसद महोदया की नजर से देखें तो 18 पार की लड़कियां गुंथे हुए आटे की वो लोई हैं, जिसे ढंककर न रखा जाए तो हवा के छूने पर जो काली पड़कर सख्त हो जाती है और गाय-गोरु को खिलाने के काम ही आती है।
तो लड़कियों! ढंकी रहो, ताकि नम और मुलायम बनी रह सको। उस वक्त का इंतजार करो, जब सफेद घोड़े पर कोई राजकुमार आएगा और ढकना हटाकर तुम्हें आजाद कर देगा- उस दुनिया में ले जाने के लिए, जहां तुम नए सिरे से गुलामी के गुर सीख सको। जहां सीख सको कि तर्क करती पत्नी पति को बराबरी की लगती है। तो तार्किक होना भूलकर बच्चों की तरह पैर पटको या आंखों में मोटे-मोटे आंसू भर लाओ। तुम्हारी भी मर्जी रह जाएगी- और भोले पति का भी इगो रह जाएगा।
दुनिया बचे, न बचे- शादी बचाना जरूरी है। ये तभी होगा, जब लड़कियां चाहेंगी। जब वे खुद को आदर्श पत्नी बना सकेंगी। शादी बचाने को लेकर दुनिया में लगातार कोशिशें हुईं। रिश्ते न दरकें, इस होड़ में ऑस्ट्रेलियाई मंत्री केविन एंड्र्यूज बहुत आगे चले गए। उन्होंने कपल्स को 200 डॉलर का रिलेशनशिप काउंसलिंग वाउचर बंटवाना शुरू कर दिया।
साल 2014 में आई इस योजना के लिए 20 मिलियन की फंडिंग की गई। मंत्री जी को यकीन था कि इससे देश में तलाक खत्म हो जाएगा और रिश्ते बचाने के लिए उनका नाम अमर हो जाएगा। हालांकि, बेहद धूर्त हो चुकी लड़कियों ने ऐसी किसी काउंसलिंग से इनकार कर दिया और पटापट रिश्तों से निकलती रहीं।
‘सेव द टाइगर’ की तर्ज पर हिंदुस्तान में भी ‘सेव मैरिज’ की मुहिम समय-समय पर चलती है। बस ये लड़कियां हैं कि समझती ही नहीं!
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