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एक जेन छात्र (Zen student) एक मंदिर में गया और पूछा कि यदि वह मंदिर से जुड़ता है तो उसे ज्ञान प्राप्त करने में कितना समय लगेगा। ‘दस साल’, जेन मास्टर ने कहा। ‘ठीक है’, अगर मैं वास्तव में कड़ी मेहनत करूं और अपने प्रयास को दोगुना कर दूं तो कितना समय लगेगा? ‘बीस साल, जेन मास्टर ने कहा।’
बोरियत भी ठीक इसी तरह है: आप जितने ताकत और प्रयास से इसे दूर करने की कोशिश करेंगे यह उतनी ही बढ़ती जाती है।
बोर हो गया यार
क्या आप भी रोज-रोज एक जैसे कार्यों, पढ़ाई, खाने, रूटीन, स्कूल, कॉलेज, कोचिंग जाने और यहां तक की लोगों से भी बोरियत महसूस करते हैं?
इस आदत को हावी न होने दें, और इसका तोड़ समझें।
बोरियत क्या है
बोरियत एक प्रकार की मनोवैज्ञानिक, इमोशनल दशा है, जिसमें किसी इंसान के पास करने के लिए ऐसा नहीं होता जो उसे मानसिक रूप से संतुष्ट कर सके, या उसकी किसी भी कार्य को करने की इच्छा नहीं होती या कोई भी कार्य करने में उसे मजा नहीं आता।
बोरियत की अपनी एक अर्थव्यवस्था है और 'प्लेइंग कार्ड' से लेकर 'कैरम' और 'बिलियर्ड्स' से लेकर 'स्नूकर' तक सभी खेल कहीं न कहीं बोरियत की वजह से उपजे हैं। पूरा का पूरा 'एंटरटेंमेंट मार्केट', हॉरर फिल्मों से लेकर कॉमेडी तक, तथा कार्टून कॉमिक्स बुक्स से लेकर बड़े-बड़े मॉल्स तक मनुष्य की बोरियत की फीलिंग पर ही टिका है।
बोरियत की अपनी राजनीति भी है, और रिसर्च बताती है बोरियत में हम अपनी-अपनी राजनीतिक विचारधारा को अर्थ की भावना के साथ स्थापित करने की कोशिश करते हैं, अधिक चैरिटी करते हैं।
बोरियत से नुकसान
कुछ लोग बोर होने पर बहुत अधिक खाना पसंद करते हैं तो कुछ दौड़ना या एक्सरसाइज करना। सभी अपने अपने तरीके से इससे निपटने की कोशिश करते हैं, कुछ तरीके गलत हैं तो कुछ सही।
बोरियत मनुष्य को किसी नशे का आदि बना सकती है और रिसर्च के अनुसार एक बोरियत महसूस करने वाले व्यक्ति की बोरियत न महसूस न करने वाले व्यक्ति की तुलना में 'हार्ट डिजीज' से मरने की सम्भावना अधिक होती है। छात्रों में बोरियत का परिणाम कक्षा से अलगाव और खराब प्रदर्शन होता है।
बोरियत से फायदे
मनुष्यों की दूसरी भावनाओं जैसे हंसने, रोने, गुस्सा होने इत्यादि की तरह बोरियत भी एक जरूरी इमोशन है और यदि इसे सही तरीके से डील किया जाए तो हम इसे अपने लाभ के लिए उपयोग कर सकते हैं।
बोरियत हमारे मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करती है। 'इन्फॉर्मेशन की बाढ़' के इस समय में, हमारा दिमाग सूचनाओं के बोझ तले दब चुका है। जिससे कॉन्सेंट्रेशन और फोकस में कमी होती है। इसलिए बोरियत की फीलिंग होने पर ब्रेक लेना हमारे मस्तिष्क को आराम देने और तनाव कम करने में मदद करने का एक मूल्यवान अवसर होता है।
बोरियत नवीनता की खोज को प्रेरित करती है। बोरियत के बिना, इंसानों को साहस और नवीनता की तलाश की इच्छा नहीं होगी इससे ही हम जिज्ञासु और लगातार अगली नई चीज की तलाश में होते हैं। बोरियत एक भावनात्मक संकेत है कि हम वह नहीं कर रहे हैं जो हम करना चाहते हैं। अर्थात बोरियत नए लक्ष्यों का पीछा करने के लिए प्रेरित करती है।
कम उम्र में बोरियत सहना सीखना सेल्फ-कंट्रोल स्किल्स (विचारों, भावनाओं और कार्यों को नियंत्रित करना) विकसित करने के लिए बहुत अच्छा है।
बोरियत से लाभ प्राप्त करने की 'एडजस्टमेंट टेक्नीक' : FATF
बोरियत से लड़ने के बजाय उसके, साथ चलें, उसमें से कुछ क्रिएटिव प्राप्त करें। बोरियत के खिलाफ लगातार लड़ाई लड़ने के बजाय, इसे अपनाना आसान और अधिक प्रोडक्टिव काम है। इसलिए कई 'ईस्टर्न ट्रेडिशन' बोरियत को प्रोत्साहित करती हैं, इसे एक उच्च चेतना के मार्ग के रूप में देखती हैं। अर्थात बोरियत के साथ 'एडजस्टमेंट' करें।
FATF : Find reason, Adjust, Think new way, Find meaning
1) कारण ढूंढें (Find reason): सबसे पहले पता लगाएं लगाए बोरियत किस कारण हो रही है।
क्या वह, रोज-रोज किए जाने वाले कार्य, जिसमें कुछ भी नया नहीं है, के कारण हो रही है या इस कारण कि जो चीज आप कर रहे हैं वो आप को समझ नहीं आती इसलिए? (कई स्टूडेंट्स को गणित के सवाल समझ नहीं आने पर होने वाली बोरियत से बढ़िया नींद आ जाती है)।
आपकी मानसिक क्षमता अधिक मुश्किल काम करने की है और आप वहीं घिसा-पिटा, पुराना काम कर रहे हैं जो आपको पहले से ही आता है। या फिर आपकी मानसिक क्षमता कम है और दिया गया काम आपको समझ में ही नहीं आ रहा।
2) 'एडजस्टमेंट टेक्नीक' (Adjust): यहां आपको एडजस्टमेंट करना होगा अपनी मानसिक क्षमता और किए जाने वाले काम के बीच।
उदाहरण: यदि आप एक बहुत ही कठिन जिगसॉ पहेली (Jigsaw puzzle) हल करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन आप मानसिक रूप से इतने थके हुए हैं कि अभी आप इसे नहीं कर सकते, तो कोई आसान कार्य करें। इसका बिल्कुल उल्टा हो सकता है की पजल आपके लिए एकदम आसान हो। तब आप इसमें 'एडजस्टमेंट' करते हुए कम समय में सोल्व करने का चेलेंज अपने सामने रख सकते हैं।
3) नया तरीका सोचें (Think new ways): मोनोटोनस कामों की बोरियत से बचने का एक कारगर तरीका उन्हें कम समय करने की कोशिश करना, बिलकुल नए तरीके से करना इत्यादि हो सकता है। उदहारण के लिए मेरा एक मित्र जिसे रोज कई घंटो तक हाथ से लिखना पड़ता था, ने लिखने के लिए हाथ बदलकर अपने दूसरे हाथ का इस्तेमाल शुरू कर दिया।
4) मीनिंग ढूंढें (Find meaning): इसी प्रकार 'मीनिंगलेस' काम को करने से उपजी बोरियत को उस काम को नया 'मीनिंग' देकर 'एडजस्ट' करें। सोचें कि क्यों वह काम आपके लिए महत्वपूर्ण हो सकता है।
आप समझ गए होंगें कि पैटर्न को तोडना इसकी कुंजी है। उम्मीद करता हूं, मेरे सुझाव आपके लिए उपयोगी साबित होंगे।
आज का करिअर फंडा यह है कि बोरियत एक उपयोगी इमोशन है, अगर आप 'एडजस्टमेंट टेक्नीक' का उपयोग कर इसका लाभ उठाएं तो’
कर के दिखाएंगे!
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