‘कोई भी बड़ा व्यवसाय छोटे से शुरू होता है।’
- सर रिचर्ड ब्रैनसन
करिअर फंडा में स्वागत!
क्या कहा इस अरबपति ने
विभिन्न क्षेत्रों की करीब 400 कंपनियों को नियंत्रित करने वाले वर्जिन ग्रुप के संस्थापक ब्रिटिश उद्योगपति सर रिचर्ड ब्रैंसन का ये कहना बिलकुल सही है।
मैक्डोनाल्ड, लिज्जत पापड़, निरमा, ओरपेट इलेक्ट्रॉनिक्स, पार्ले, नटराज, सेलो पेन्स … अपने आस-पास के बड़े-बड़े ब्रांड्स पर नजर डालिए तो आप पाएंगे कि इनमें से कई की शुरुआत बहुत छोटे पैमाने पर हुई थी। सबवे सैंडविच के फाउंडर ने कम उम्र में एक छोटा स्टाल लगा के सैंडविच बेचना शुरू किया था!
क्या आप भी अपना कोई व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं
क्या आप जानते हैं कि भारत में सबसे ज़्यादा कंपनियां (फर्म्स) या एंटरप्राइज सबसे छोटी स्केल की ही हैं? करोड़ों लोग ऐसे कामों में लगे हुए हैं, और उनमें से अनेक अच्छा कमा लेते हैं। आप एकदम छोटे से शुरू करें, और फिर ठीक काम जमा तो बैंक लोन संभव है स्केल बढ़ाने हेतु।
आइए जानते हैं एक लाख रुपए तक के निवेश से शुरू किए जा सकने वाले व्यवसायों के बारे में
1) फूड बिजनेस
A) कम इन्वेस्टमेंट में यदि फूड बिजनेस स्टार्ट करना हो तो सैटेलाइट/क्लाउड किचन (जहां से बने-बनाए खाने के फूड पार्सल सप्लाई किए जाते है), टिफिन सर्विस, फ़ूड कैटरिंग, होम मेड चीजों जैसे - आइस्क्रीम कोन्स, चॉकलेट, बिस्किट्स/कुकीज, ब्रेड्स, केक्स, नूडल्स, अचार, पापड़, खाखरा, नमकीन इत्यादि बनाए जा सकते हैं।
B) आप स्वीट्स एंड नमकीन शॉप, चाट/फ़ूड कार्नर या फ़ूड लॉरी /वेन (जैसे चाइनीज, पावभाजी, मिसल पाव, सैंडविच, एग/ऑमलेट स्टोर, टी/कॉफी शॉप, पान शॉप का काम शुरू कर सकते हैं।
C) सबसे बड़ी शर्त है आपके प्रोडक्ट की कंसिस्टेंट क्वालिटी जो आपकी ब्रांड दो से तीन साल में बना देगी।
D) इसके अलावा जो इन्वेस्टमेंट होता है वह रॉ मटेरियल, पैकिंग तथा ऑपरेटिंग एक्सपेंसेस का होता है।
2) कपड़ों से सम्बंधित व्यवसाय
A) कम पैसो में कपड़ों से सम्बंधित व्यवसाय में टेलरिंग, एम्ब्रोडरी और क्रोशिए वर्क, चिल्ड्रन एंड लेडीज गारमेंट शॉप, ऑनलाइन क्लॉथ सेलिंग, लांड्री एंड ड्राइक्लीनिंग इत्यादि कार्य आते हैं।
B) शुरुआत में व्यवसाय को घर से ही शुरू किया जा सकता हैं या छोटी शॉप किराए पर ली जा सकती है।
C) इसमें रॉ मटेरियल, शॉप रेंट तथा ऑपरेटिंग कॉस्ट के खर्च रहते हैं। लेकिन फूड बिजनेस की तुलना में यह ऐसे कार्य है जिसमें रॉ मटेरियल के खराब होने की सम्भावना नहीं होती है।
D) खुद इस बिजनेस में कूदने से पहले एक या दो साल इस फील्ड में कस के काम करें और समझें।
3) उपयोगी वस्तुओं का घर से निर्माण
A) इसमें रोजाना उपयोग में आने वाली वस्तुओं जैसे मोमबत्ती, साबुन/डिटर्जेंट, मोस्क्विटो कॉइल्स, अगरबत्ती, लेस और बटन, डिस्पोजेबल प्लेट्स एंड कप्स, आर्ट पीसेस (पेंटिंग इत्यादि), पेपर, क्लॉथ एंड जूट बैग इत्यादि का घर से निर्माण, उत्पादन और बेचना शामिल है।
B) घर से किए जाने के कारण इन व्यवसायों में भी निवेश केवल रॉ मटेरियल, पैकेजिंग और ऑपरेटिंग कॉस्ट का आता है। ऑर्डर्स आपको पर्सनली मार्केट जाकर लाने होंगे।
C) चीजों को सीधे घर से बेचने के लिए वेबसाइट इत्यादि बनवाई जा सकती है और मोबाईल ऐप्स तथा व्हाट्सऐप इत्यादि पर ऑर्डर लिए जा सकते हैं।
4) इंटीरियर डेकोरेशन एंड फर्नीचर मेकिंग सर्विसेस
A) आजकल शहरों में अधिक-से-अधिक लोग अपने घर का फर्नीचर 'इंटीरियर डेकोरेटर' की मदद से डिजाइन और बनवाना पसंद करते हैं।
B) इस क्षेत्र में नॉलेज के लिए कई तरह के डिग्री और डिप्लोमा कोर्स उपलब्ध हैं। यह व्यवसाय भी कम पैसों में शुरू किया जा सकता है।
C) इसके लिए उपयोग में आने वाला रॉ मटेरियल बहुत महंगा होता है लेकिन उसे आप प्रोजेक्ट बेसिस पर 'एडवांस' लेकर ला सकते हैं।
5) क्लीनिंग एंड मेंटेनेंस सर्विसेस
A) इसके अंतर्गत हाउस क्लीनिंग, कॉर्पोरेट क्लीनिंग सर्विसेस, होम एंड कॉर्पोरेट मेंटेनेंस एंड रिपेयर सर्विसेस, व्हाइटवॉश एंड कलरिंग सर्विसेस इत्यादि शामिल है।
B) यह स्किल-बेस्ड व्यवसाय हैं इसलिए इनमें निवेश कम लगता है। 'अर्बन कम्पनी' जैसे बड़े ग्रुप भी अब इस क्षेत्र में एक्टिव हैं, लेकिन इंडिविजुअल स्माल प्लेयर्स के लिए मौकों की कमी नहीं।
6) ब्यूटी सैलून
A) यदि आप हेयर कटिंग, शेविंग, फेस पैक, फेशियल, मेनिक्योर, पेडिक्योर इत्यादि कार्यों में प्रशिक्षित हैं तो किराये की जगह पर लगभग एक लाख रुपयों में छोटा ब्यूटी सैलून खोला जा सकता है।
B) यह भी एक स्किल बेस्ड कार्य है, और यदि आप खुद भी सैलून पर कार्य करते हैं तो ऑपरेटिंग कॉस्ट कम रहता है।
7) कंसल्टिंग, कोचिंग और ट्रेनिंग क्लासेस
A) यदि आप किसी स्किल, नॉलेज या आर्ट के एक्सपर्ट हैं तो यह काम आपके लिए है।
B) कंसल्टिंग, कोचिंग और ट्रेनिंग बहुत सारे फ़ील्ड्स के लिए हो सकती है।
C) कॉम्पिटिटिव एग्जाम्स और स्कूल्स के लिए मैथ्स, इंग्लिश पढ़ाने से लेकर कोई म्यूजिक इंस्ट्रूमेंट बजाने, अच्छी हैंडराइटिंग, चेस, बैडमिंटन, इन्वेस्टमेंट, हेल्थ और फिटनेस तथा ह्यूमन रिसोर्सेज अवेलेबल करने और रिक्रूटिंग सर्विसेस तक जाती है।
D) डिजिटल रिवोल्यूशन के बाद अब इन कंसल्टिंग, कोचिंग और ट्रेनिंग सर्विस को ऑनलाइन भी दिया जा सकता है, हालांकि वो इतना सरल नहीं है।
E) यहां रॉ मटेरियल और पैकेजिंग के लिए भी निवेश की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन यह व्यवसाय अत्यधिक मेहनत और नियमितता की मांग करते हैं।
इन व्यवसायों में प्रतियोगिता भी बहुत अधिक है, इसलिए सुप्रीम क्वालिटी ही मार्केट में टिक पाती है।
इसके अलावा भी कई कार्य कर सकते हैं जैसे कंटेंट राइटिंग/ डेवलपमेंट, डिजिटल इन्फॉर्मेशन प्रोडक्ट, वेब एंड सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट, पिकअप एंड ड्रॉप बिजनेस, पैकेजिंग एंड शिफ्टिंग एंड कूरियर सर्विसेज, ग्राफ़िक डिजाइनिंग और सोशल मीडिया मार्केटिंग, इवेंट मैनेजमेंट सर्विसेज, विडिओग्राफी, एडिटिंग एंड मिक्सिंग, बुककीपिंग सर्विसेज, गाइड और एजेंट्स इत्यादि जिन्हें हम इस आर्टिकल के अगले भाग में कवर करेंगे।
तो आज का करिअर फंडा यह है कि बड़ी नौकरी न मिल पाने से निराश न हों, खुद का बिजनेस सोचें, बेहतरीन क्वालिटी की सर्विस और प्रोडक्ट्स बना कर पांच सालों में अपने पैर जमा लीजिए।
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