अर्थशास्त्री प्रो. राम सिंह बता रहे हैं बजट का नफा-नुकसान:खेती से स्टार्ट-अप्स तक युवाओं का ध्यान…मगर एजुकेशन बजट में कसर बाकी

2 महीने पहले
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केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को 2023-24 का बजट पेश किया। मोदी 2.0 सरकार का ये पांचवां बजट ऐसे समय में पेश किया गया जब इस साल 9 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं और अगले साल मोदी सरकार खुद जनता के दरबार में वोट मांगने के लिए उतरेगी।

अपने बजट भाषण में वित्त मंत्री ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था सही रास्ते पर है और एक उज्ज्वल भविष्य की ओर बढ़ रही है। इकोनॉमी और टैक्सपेयर्स को एक बड़े बूस्ट के तौर पर सीतारमण ने नए टैक्स सिस्टम के टैक्स स्लैब में बड़े परिवर्तन किए हैं। साथ ही रेलवे और कैपिटल एक्सपेंडिचर के मद में ‌आवंटन भी बढ़ाया है। हालांकि, एजुकेशन सेक्टर के लिए बजट में काफी कसर बाकी रह गई है।

आइए, समझते हैं इस बजट के लिए मुख्य बिंदु और उनके टेक-अवे…

1. टैक्सपेयर्स…नए सिस्टम में सबको कुछ न कुछ देने की कोशिश

वित्त मंत्री ने नए टैक्स सिस्टम के तहत स्लैब में बदलाव किए हैं। दो बदलाव सबसे महत्वपूर्ण हैं। पहला- बेसिक छूट की लिमिट 2.5 लाख से बढ़ाकर 3 लाख कर दी गई है। दूसरा- सेक्शन 87A के तहत मिलने वाली रिबेट के लिए आय सीमा 5 लाख से बढ़ाकर 7 लाख कर दी गई है।

सिंपल भाषा में कहें तो नया टैक्स सिस्टम चुनने पर 7 लाख तक की आय टैक्स फ्री हो जाएगी। इससे ज्यादा आय वालों के लिए भी टैक्स स्लैब बदला गया है।

इसके साथ ही नए टैक्स सिस्टम में 15 लाख तक के सालाना वेतन वालों के लिए 50 हजार रुपए का स्टैंडर्ड डिडक्शन और फैमिली पेंशन से 15 हजार रुपए तक के डिडक्शन की सुविधा होगी।

सिंपल प्रोसेस और आसान कम्प्लाएंस की वजह से ये कहा जा सकता है कि बजट में मध्यम वर्गीय टैक्स पेयर्स के लिए काफी कुछ दिया गया है। नया टैक्स सिस्टम अपनाने वालों के लिए पहले से ज्यादा आकर्षक सुविधाएं दी गई हैं।

सबसे ज्यादा सरचार्ज रेट जो अब तक 37% था, उसे नए टैक्स सिस्टम में घटाकर 25% कर दिया गया है। रेजिडेंशियल हाउस पर कैपिटल गेन टैक्स में छूट की सीमा अब 10 करोड़ कर दी गई है।

टेक अवे: हर टैक्सपेयर के लिए कुछ न कुछ है…मगर कैपिटल इनकम के मामले में विसंगति बरकरार है

बजट में हर टैक्सपेयर के लिए कुछ न कुछ देने की कोशिश की गई है। नए टैक्स सिस्टम में छूट की सीमा बढ़ाने से मिडिल क्लास को राहत मिल सकती है। जबकि 50 हजार का स्टैंडर्ड डिडक्शन लोगों के हाथ में ज्यादा कैश देगा।

हालांकि कैपिटल इनकम यानी बॉन्ड्स, इक्विटी या म्यूचुअल फंड्स आदि से होने वाली इनकम पर लगने वाले टैक्स में विसंगतियां अभी भी दूर नहीं हुई हैं। बजट में इन पर ध्यान दिया जा सकता था।

2. खेती-किसान…फिशरीज, डेयरी ही नहीं एग्रो स्टार्ट-अप्स पर खास फोकस

इस बजट में केंद्र सरकार ने एग्रीकल्चर वैल्यू चेन में सप्लाई से जुड़ी कई घोषणाएं की हैं। बेहतर कृषि ऋण, क्लीन प्लांट प्रोग्राम और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश जैसे कदमों के जरिये खेती में प्रोडक्टिविटी बढ़ाने की कोशिश की गई है।

कृषि ऋणों का लक्ष्य 18 ट्रिलियन से बढ़ाकर अब 20 ट्रिलियन कर दिया गया है। इसमें पशुपालन और मछली पालन जैसे सेक्टर्स पर खास ध्यान दिया गया है। सरकार 2% ब्याज सब्सिडी दे रही है। इसका मतलब है कि किसानों को 3 लाख तक के शार्ट टर्म कृषि लोन 7% की प्रभावी एनुअल ब्याज दर पर मिल सकेंगे।

एग्रो स्टार्ट-अप्स को प्रमोट करने के लिए एक एग्रीकल्चर एक्सलेरेटर फंड भी लॉन्च किया जाएगा। ये फंड कृषि उत्पादन बढ़ाने में तकनीक का इस्तेमाल बढ़ाने में काम आएगा।

साथ ही सरकार वैकल्पिक फसलों को भी बढ़ावा देगी। 1 करोड़ किसानों को नैचुरल फार्मिंग अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। PM PRANAM योजना के जरिये राज्यों में फर्टिलाइजर्स के विकल्पों के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जाएगा।

सरकार मिलेट यानी मोटे अनाज की खेती, घरेलू बिक्री और निर्यात पर फोकस करेगी। साथ ही मछली पालन और नैचुरल फार्मिंग को भी बढ़ावा दिया जाएगा। इससे क्रॉप डायवर्सिफिकेशन में मदद मिलेगी। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के नाम से एक नई स्कीम लॉन्च की जाएगी जो मछुआरों, मछली बेचने वालों और माइक्रो इंटरप्राइजेज के लिए काम करेगी।

इसके साथ ही, खेती के लिए डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर भी बनाया जा रहा है। इसका उद्देश्य किसानों की समस्याओं पर खास फोकस करते हुए डिजिटल सॉल्युशन तैयार करना होगा।

इसमें खेती के बेहतर इनपुट्स (मशीनरी, बीज) से लेकर बाजार की बेहतर समझ तैयार की जाएगी ताकि एग्रीकल्चर इंडस्ट्री और स्टार्ट-अप्स को एक सपोर्ट मिल सके। इससे किसानों को बाजारों से जोड़कर फसल का बेहतर मूल्य भी मिल पाएगा। कृषि उत्पादों के स्टोरेज को भी डिसेंट्रलाइज करने की ओर कदम बढ़ाया जाएगा ताकि वेस्टेज कम हो और कृषि उत्पादों की शेल्फ लाइफ बढ़े।

टेक अवे: खेती को तकनीक से जोड़ने की कोशिश…स्टार्ट-अप्स के जरिये युवाओं को एग्रीकल्चर इंडस्ट्री में लाएंगे

बजट में सरकार ने किसानों को बेहतर सुविधाएं देने के साथ ही एग्रीकल्चर इंडस्ट्री को युवाओं के लिए भी ज्यादा आकर्षक बनाने की कोशिश की है।

एक तरफ नैचुरल फार्मिंग और मिलेट्स का उत्पादन करने वाले किसानों को इंसेटिव मिलेंगे। वहीं दूसरी तरफ कृषि ऋण की सीमा बढ़ाकर और स्टार्ट-अप्स को प्रमोट कर सरकार कृषि प्रबंधन और स्टोरेज पर भी फोकस बढ़ा रही है। मछली पालन और डेयरी इंडस्ट्री जैसे खेती से जुड़े सेक्टर्स को भी बूस्ट मिलेगा।

3. एजुकेशन…टीचर्स की ट्रेनिंग में आमूल-चूल बदलाव की तैयारी

2023-24 के लिए शिक्षा मंत्रालय का बजट 1.12 लाख करोड़ कर दिया गया है। 2022-23 में ये 1.04 लाख करोड़ था।

सरकार का लक्ष्य टीचर्स ट्रेनिंग में आमूल-चूल बदलाव करना है। इसके लिए इनोवेटिव तरीकों, करिकुलम ट्रांजैक्शन्स, प्रोफेशनल डेवलपेमेंट, सर्वे और साथ ही नई संचार व सूचना तकनीकों को लागू किया जाएगा।

मेडिकल एजुकेशन को बूस्ट देने के लिए 157 नए नर्सिंग कॉलेज स्थापित किए जाएंगे। साथ ही मेडिकल उपकरणों की ट्रेनिंग के लिए नए प्रोग्राम्स भी शुरू किए जाएंगे।

देश के 3.5 लाख आदिवासी छात्रों की शिक्षा पर फोकस करने वाले 740 एकलव्य मॉडल स्कूलों में अगले 3 सालों में केंद्र सरकार 38800 टीचर्स और सपोर्ट स्टाफ की नियुक्ति करेगी।

इसके अलावा, 3 सेंटर्स ऑफ एक्सीलेंस फॉर आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस भी स्थापित किए जाएंगे। ये सेंटर्स एग्रीकल्चर, हेल्थ और सस्टेनेबल डेवलपमेंट जैसे सेक्टर्स की समस्याओं का सही समाधान निकालने के लिए इंटर-डिसिप्लनरी रिसर्च को बढ़ावा देंगे।

टेक अवे: एजुकेशन के लिए बजट सिर्फ 8% बढ़ा…सर्व शिक्षा अभियान का बजट नहीं बढ़ा

शिक्षा मंत्रालय का बजट सिर्फ 8% ही बढ़ाया गया है। यही नहीं, स्कूली शिक्षा से जुड़ी सबसे बड़ी स्कीम, सर्व शिक्षा अभियान का बजट लगभग उतना ही है। 2022-23 में इस योजना के मद में 37383 करोड़ रुपए दिए गए थे। 2023-24 में योजना के लिए 37453 करोड़ रुपए दिए गए हैं।

जब पूरे देश में टीचर्स और छात्र दोनों ही पैनडेमिक के दौरान हुए नुकसान से उबरने की कोशिश में जुटे हों, तो यह बजट वाकई में बहुत कम लगता है।

4. स्टार्ट-अप्स…इनकम टैक्स के फायदे अब एक साल और मिलेंगे

सरकार ने बजट में स्टार्ट-अप्स के लिए बिजनेस को थोड़ा और आसान बनाने की कोशिश की है। इसके तहत स्टार्ट-अप्स को मिलने वाले इनकम टैक्स इनसेंटिव्स की सीमा अब एक साल बढ़ा दी गई है।

यानी 801AC के तहत स्टार्ट-अप्स को इनकम टैक्स पर इनसेंटिव्स 31 मार्च, 2023 के बजाय 31 मार्च, 2024 तक मिलेंगे।

साथ ही इनकम टैक्स से जुड़े छोटी अपील्स को हैंडल करने के लिए अब 100 जॉइंट कमिशनर्स होंगे। यही नहीं, स्टार्ट-अप्स अपने बेनिफिट्स को 7 के बजाय 10 साल तक कैरी फॉरवर्ड कर पाएंगे।

टेक अवे: स्टार्ट-अप्स पर फोकस भारत के लिए फायदेमंद रहा…इन्हें और बढ़ावा दिया जाएगा

सरकार ने इस बजट में स्टार्ट अप्स के लिए कई कदम उठाए हैं। इसके पहले भी सरकार के फैसलों से स्टार्ट-अप्स को फायदा हुआ है।

इन्हीं का नतीजा है कि आज भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्ट-अप इकोसिस्टम है। साथ ही मिडिल इनकम देशों में स्टार्ट-अप इनोवेशन क्वालिटी में दूसरा स्थान रखता है।