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PM मोदी-शाह के गांव में कमल खिला:दोनों जगह पिछली बार कांग्रेस जीती, इस बार RSS और शाह ने बनाई थी अलग रणनीति

6 महीने पहलेलेखक: अक्षय बाजपेयी
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गांव वडनगर और गृहमंत्री अमित शाह के गांव मानसा में एक बार फिर कमल खिल गया है। दोनों जगह पिछली बार कांग्रेस जीती थी, लेकिन इस बार वडनगर और मानसा के लिए BJP ने अलग रणनीति बनाई थी। उंझा में BJP कैंडिडेट किरीट पटेल और मानसा में पार्टी के उम्मीदवार जयंती भाई पटेल जीते हैं।

वडनगर में RSS कार्यकर्ता को दिया टिकट
उंझा विधानसभा में आने वाले वडनगर में इस बार BJP ने किरीट कुमार केशवलाल पटेल को टिकट दिया था। पटेल RSS प्रमुख मोहन भागवत के करीबी बताए जाते हैं। BJP कार्यकर्ताओं के मुताबिक किरीट पटेल का नाम तय होने से पहले टिकट को लेकर गुटबाजी हो रही थी, जो नाम सामने आ रहे थे उनमें एक-दूसरे को लेकर मतभेद था। किरीट पटेल का नाम आते ही गुटबाजी थम गई। RSS प्रमुख का करीबी होने से संघ के स्वयंसेवकों ने उनका प्रचार करने में कमी नहीं छोड़ी।

अब तक के रुझानों में BJP 154 सीटों पर आगे चल रही है। बहुमत से सरकार बनने के आसार से गांधीनगर के पार्टी कार्यालय में जश्न शुरू हो गया है।
अब तक के रुझानों में BJP 154 सीटों पर आगे चल रही है। बहुमत से सरकार बनने के आसार से गांधीनगर के पार्टी कार्यालय में जश्न शुरू हो गया है।

1995 से लगातार BJP जीत रही थी, 2017 में हारी
उंझा BJP का गढ़ माना जाता है। यहां 1995 से लगातार पार्टी जीत रही थी, लेकिन 2017 में कांग्रेस की डॉ. आशा पटेल ने BJP के नारायण भाई लल्लूदास को हरा दिया। इसकी दो वजहें सामने आईं थीं। पहली, पाटीदारों का आंदोलन और दूसरी चार बार से BJP विधायक रहे नारायणभाई लल्लूदास पटेल के खिलाफ एंटी इनकम्बेंसी। इसलिए इस बार उंझा में पूरी कमान RSS ने अपने हाथों में ले ली थी। प्रचार-प्रसार भी पहले से किया और प्रत्याशी भी अपनी पसंद का उतारा।

50 साल से कांग्रेस की विरोधी पार्टी ही जीत रही
उंझा में कांग्रेस के सीनियर लीडर पटेल बाबूलाल नाथालाल के मुताबिक बीते 50 साल से यहां कांग्रेस के खिलाफ जो पार्टी है, उसी का कैंडिडेट जीत रहा है। पहले जनता दल के प्रत्याशी जीतते थे, फिर BJP जीतने लगी।

इसकी एक बड़ी वजह यहां पाटीदारों की आबादी ज्यादा होना है। वे कभी कांग्रेस को वोट नहीं देते। ब्राह्मण, बनिया, मोदी और प्रजापति 20 साल पहले कांग्रेस के वोटर थे, लेकिन अब ये BJP में जा चुके हैं।

गुजरात में बड़ी जीत के बाद PM मोदी शाम 6 बजे दिल्ली में पार्टी के हेडक्वार्टर जाएंगे। वे कार्यकर्ताओं को संबोधित भी करेंगे।
गुजरात में बड़ी जीत के बाद PM मोदी शाम 6 बजे दिल्ली में पार्टी के हेडक्वार्टर जाएंगे। वे कार्यकर्ताओं को संबोधित भी करेंगे।

मानसा के लिए इस बार शाह ने ही बनाई थी स्ट्रैटजी…
अमित शाह के गांव मानसा में पिछली दो बार से कांग्रेस जीत रही थी। इसलिए इस बार यहां चुनाव की पूरी स्ट्रैटजी खुद अमित शाह की देखरेख में तैयार हुई थी। BJP ने मानसा में कैंडिडेट का अनाउसमेंट भी काफी लेट किया। कई जगह से फीडबैक लेने के बाद जयंती पटेल को टिकट दिया गया। वहीं, कांग्रेस ने मोहन सिंह ठाकोर (बाबूजी) को मैदान में उतारा था।

पाटीदारों के वोट पाने में BJP कामयाब
मानसा में सबसे ज्यादा पॉपुलेशन पाटीदार कम्युनिटी की है। इनके करीब 45 हजार वोट हैं। ठाकोर करीब 42 हजार, राजपूत 30 हजार और चौधरी करीब 23 हजार हैं। ब्राह्मण और बनिया पॉपुलेशन काफी कम है।

BJP की बढ़त से पता चलता है कि पार्टी इस बार पाटीदारों के वोट लेने में कामयाब रही है। यहां हर पार्टी की कोशिश होती है कि पाटीदार और ठाकोर वोट एक तरफ गिर जाएं। ये दो कम्युनिटी किसी भी कैंडिडेट को जिता सकती हैं।

चुनाव में BJP, AAP और कांग्रेस के बड़े नेताओं की स्थिति...

मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल घाटलोडिया से जीते

घाटलोडिया सीट से भूपेंद्र पटेल 1.92 लाख वोटों से जीते हैं। 2017 में भी उन्हें 1.75 लाख वोट से जीत मिली थी। 2012 में भी BJP ने यह सीट बड़े अंतर से जीती थी। यह सीट इसलिए भी खास है कि यहां से गुजरात को दो मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल और भूपेश पटेल यहीं से आए हैं। भूपेश पटेल के सामने कांग्रेस से अमी याग्निक और AAP से विजय पटेल मैदान में थे।

हार्दिक पटेल विरमगाम सीट से जीते

पटेल आंदोलन का सबसे बड़ा चेहरा रहे हार्दिक पटेल विरमगाम सीट से जीत गए हैं। उन्होंने AAP ने अमरसिंह ठाकोर को 44,341 वोटों से हराया। यहां पिछले दो चुनाव से कांग्रेस जीत रही थी। इस सीट पर करीब 38 हजार पाटीदार वोटर हैं, जिसका फायदा हार्दिक को मिला। कांग्रेस ने यहां से लाखाभाई भरवाड को उतारा था। वे तीसरे नंबर पर रहे।

रिवाबा जडेजा जामनगर उत्तर से जीतीं

जामनगर नॉर्थ से BJP के टिकट पर उतरीं क्रिकेटर रविंद्र जडेजा की पत्नी रिवाबा चुनाव जीत गई हैं। उन्हें ये जीत 50,456 वोट से मिली। 2017 में भी यहां से BJP कैंडिडेट धर्मेंद्र सिंह जडेजा जीते थे, लेकिन इस बार उनका टिकट काट दिया गया। यहां से कांग्रेस के बिपेन्द्र सिंह जडेजा और AAP से करशनभाई करमुर मैदान में थे।

जीतू वाघाणी भावनगर वेस्ट से जीते

भावनगर वेस्ट से BJP के जीतू वाघाणी जीत गए हैं। जीतू प्रदेश के शिक्षा मंत्री हैं। वे 2012 और 2017 में भी यहां से चुनाव जीत चुके हैं। कांग्रेस ने यहां किशोर सिंह गोहिल को उतारा था। गोहिल दूसरे और AAP के टिकट पर उतरे सोशल वर्कर राजू सोलंकी तीसरे नंबर पर रहे।

अल्पेश ठाकोर गांधीनगर साउथ से जीते

गांधीनगर साउथ से अल्पेश ठाकोर को जीत मिली है। कभी कांग्रेस में रहे अल्पेश ठाकोर 2017 में BJP के खिलाफ हुए आंदोलन का हिस्सा थे। 2017 में कांग्रेस के टिकट पर राधनपुर सीट से जीते थे, लेकिन 2019 में BJP में शामिल हो गए। 2017 में गांधीनगर साउथ सीट से BJP के शंभूजी ठाकोर जीते थे। इस सीट पर करीब एक लाख ठाकोर वोटर्स हैं। कांग्रेस ने यहां से हिमांशु पटेल को मैदान में उतारा था। वे दूसरे नंबर पर रहे।

किशोर कनाणी वराछा रोड सीट से जीते

ये सीट पाटीदार आंदोलन का गढ़ कही जाती है। यहां से BJP के पूर्व मंत्री और मौजूदा विधायक किशोर कनाणी लगातार तीसरी बार जीत गए हैं। AAP ने पाटीदार आंदोलन का प्रमुख चेहरा रहे अल्पेश कथीरिया को टिकट दिया था। वे दूसरे नंबर पर रहे। अल्पेश पाटीदार आंदोलन के टॉप-5 नेताओं में शामिल थे। कांग्रेस के प्रफुल्लभाई छगनभाई तोगड़िया बुरी तरह हार गए।

कुंवरजी बावलिया जसदण सीट से जीते

राजकोट की जसदण सीट कुंवरजी बावलिया ने जीत ली है। इस सीट पर 1995 से 2017 तक लगातार कांग्रेस जीतती रही है। 2009 और 2019 में हुए उपचुनाव में यह सीट BJP ने जीती। कुंवरजी मोहनभाई बावलिया 2017 में कांग्रेस के टिकट पर यहां से जीते थे, लेकिन बाद में BJP में शामिल हो गए और 2019 में हुए उपचुनाव में BJP से चुनाव जीते। वे रूपाणी कैबिनेट में 3 साल तक मंत्री रहे हैं। इस बार कांग्रेस से भोलाभाई गोहेल और AAP ने तेजसभाई गाजीपरा को मैदान में उतारा था।

आम आदमी पार्टी के CM फेस इसुदान गढ़वी हारे

आम आदमी पार्टी के CM फेस इसुदान गढ़वी खंभालिया सीट से 18,745 वोटों से हार गए। उन्हें BJP के मुलुभाई बेरा ने हराया। खंभालिया सीट की खासियत है कि यहां ज्यादातर अहीर कम्युनिटी का कैंडिडेट जीतता आया है। पत्रकार रहे इसुदान गढ़वी कम्युनिटी से आते हैं। कांग्रेस के विक्रमभाई माडम तीसरे नंबर पर रहे। 2017 में यह सीट विक्रमभाई माडम ने ही जीती थी।

AAP के प्रदेश अध्यक्ष गोपाल इटालिया हारे

कतारगाम सीट से चुनाव लड़े आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष गोपाल इटालिया हार गए हैं। इस सीट पर BJP के वीनू मोरडिया को जीत मिली है। वीनू मोरडिया की कतारगाम में अच्छी पकड़ बताई जाती है। कांग्रेस के कल्पेश वारिया तीसरे नंबर पर हैं। गोपाल पाटीदार कम्युनिटी से आते हैं और राजनीति में आने से पहले पुलिस और क्लर्क की नौकरी कर चुके हैं।

अल्पेश कथीरिया वराछा सीट से हारे

सूरत लोकसभा में आने वाली वराछा सीट से आम आदमी पार्टी ने अल्पेश कथीरिया को मैदान में उतारा था। वे चुनाव हार गए हैं। अल्पेश पाटीदार आंदोलन के बड़े चेहरों में से एक थे। उनका मुकाबला मौजूदा विधायक किशोर कनाणी से था। किशोर कनाणी ने यहां से जीत हासिल है।

कांग्रेस के जिग्नेश मेवाणी वडगाम सीट से जीते

वडगाम सीट पर जिग्नेश मेवाणी जीत गए हैं। एक समय वे 10 हजार वोट से पीछे चल रहे थे। जिग्नेश 2017 में इस सीट से इंडिपेंडेंट कैंडिडेट के तौर पर जीते थे। 2012 में कांग्रेस के टिकट पर वडगाम में जीतने वाले मनिलाल वाघेला इस बार BJP की तरफ से मैदान में थे। AAP ने दलपत भाटिया को उम्मीदवार बनाया, जो एक वक्त जिग्नेश मेवाणी के सहयोगी हुआ करते थे।

राज्यसभा सांसद अमीबेन याग्निक घाटलोडिया सीट पर हारीं

कांग्रेस की राज्यसभा सांसद अमीबेन याग्निक घाटलोडिया में CM भूपेंद्र पटेल के सामने हार गईं। AAP ने यहां से विजयभाई पटेल को टिकट दिया था।

महेंद्र सिंह वाघेला बायड से हारे

गुजरात के पूर्व CM शंकर सिंह वाघेला के बेटे महेंद्र सिंह वाघेला बायड सीट से हार गए। बेटे को जिताने के लिए शंकर सिंह वाघेला भी कई दिनों तक बायड में डेरा डाले रहे। BJP ने यहां भीखीबेन परमार को टिकट दिया। शुरुआत में वे आगे चल रही थीं, लेकिन आखिर में बाजी निर्दलीय धवलसिंह झाला के हाथ लगी।

वे सीटें, जिनके नतीजे मायने रखेंगे
1. मोरबी: यहां से BJP कैंडिडेट अमृतिया कांतिलाल 61,580 वोटों से जीते हैं। ये सीट BJP का गढ़ रही है। यहां कांग्रेस सिर्फ 1980 और 2017 में ही जीत पाई। हालांकि, 2020 में हुए उपचुनाव में BJP ने फिर ये सीट कांग्रेस से छीन ली। मोरबी में हुए ब्रिज हादसे यह सीट देशभर में चर्चा में है। कांग्रेस के जयंतीलाल पटेल दूसरे नंबर पर रहे।

2. राजकोट वेस्ट : राजकोट वेस्ट वही सीट है, जहां से नरेंद्र मोदी ने गुजरात का CM बनने के बाद पहला उपचुनाव लड़ा था। 2017 में यहां से BJP के पूर्व CM विजय रूपाणी कैंडिडेट थे। उन्होंने कांग्रेस के सीनियर लीडर इंद्रनील राजगुरु को 53 हजार वोटों से हराया था। इस बार BJP ने उनका टिकट काटकर डिप्टी मेयर डॉ. दर्शिता शाह को टिकट दिया था। उन्होंने 105,975 वोट के बड़े अंतर से जीत हासिल की। कांग्रेस के मनसुखभाई कालरिया दूसरे नंबर पर रहे।

3. मेहसाणा: पाटीदार बहुल यह सीट 1990 से BJP का गढ़ रही है। पूर्व डिप्टी CM नितिन पटेल यहां से 2012 और 2017 का चुनाव जीते। 2017 में पाटीदार आंदोलन के वक्त मेहसाणा में कई जगह हिंसक प्रदर्शन हुए थे। इसलिए नितिन पटेल की जीत का अंतर करीब 7 हजार ही रहा। BJP ने इस बार जिला अध्यक्ष मुकेश पटेल को टिकट दिया है। अभी वे आगे चल रहे हैं। कांग्रेस के उम्मीदवार पीके पटेल हैं।

4. जमालपुर खड़िया: जमालपुर खड़िया अहमदाबाद की मुस्लिम बहुल सीट है। 2017 में यहां कांग्रेस जीती थी। इस बार भी कांग्रेस के इमरान खेड़ावाला 13,658 वोटों से जीते हैं। BJP ने गुजरात के पूर्व गृह मंत्री अशोक भट्ट के बेटे भूषण भट्ट को टिकट दिया था। वे दूसरे नंबर पर रहे।

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