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ग्राउंड रिपोर्टगुजरात में चुनाव के 8 दिन पहले एक्टिव हुआ RSS:PM के गांव से गांधीनगर तक सूना चुनाव, कांग्रेस AAP के लिए रास्ता बनाते दिखी

6 महीने पहलेलेखक: अक्षय बाजपेयी
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मैं 10 नवंबर को गुजरात चुनाव की रिपोर्टिंग के लिए अहमदाबाद पहुंचा तो लगा ही नहीं कि यहां 20 दिन बाद चुनाव होने जा रहे हैं। न कहीं झंडे, न बैनर, न कोई नेता सड़क पर नजर आ रहे थे। चाय की गुमटियों पर भी चुनाव की चर्चा नहीं थी। अहमदाबाद से शुरू हुए इस सफर के 7 पड़ाव थे। इनमें वडनगर, मानसा, पिपलिया, द्वारका, जामनगर, गोधरा और मोरबी शामिल रहे।

पहला पड़ाव: वडनगर

वडनगर PM नरेंद्र मोदी का गांव है और यहां की रिपोर्टिंग हमारी प्लानिंग का हिस्सा थी। मैं अहमदाबाद से वडनगर के रास्ते में था, तो लगा कि अंदर के इलाकों में चुनावी माहौल होगा, पर वडनगर में भी कुछ ऐसा नजर नहीं आया जो बताता हो कि यहां चुनाव हैं। हालांकि वडनगर का सिस्टमैटिक डेवलपमेंट यह जरूर बता रहा था कि इस गांव को अलग तरह से एक विजन के साथ डेवलप किया जा रहा है।
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दूसरा पड़ाव: मानसा

अमित शाह हर बार नवरात्रि में इष्ट देवी के दर्शन करने अपने गांव मानसा आते हैं। ये पारिवारिक कार्यक्रम होता है, लेकिन वे गांव वालों से जरूर मिलते हैं।
अमित शाह हर बार नवरात्रि में इष्ट देवी के दर्शन करने अपने गांव मानसा आते हैं। ये पारिवारिक कार्यक्रम होता है, लेकिन वे गांव वालों से जरूर मिलते हैं।

मानसा गृहमंत्री अमित शाह का गांव है। मैं सबसे पहले उनकी पुरानी हवेली पर पहुंचा। यहां BJP कार्यकर्ता पप्पू व्यास से मुलाकात हुई। उनसे पूछा कि माहौल इतना ठंडा क्यों है। चुनाव का कोई शोर नजर क्यों नहीं आ रहा। पप्पू व्यास बोले- सब दिल्ली से ही तय हो रहा है। वहां से जो डायरेक्शन मिल रहे हैं, हम लोग उसी हिसाब से काम कर रहे हैं। अभी कैंडिडेट का नाम तय नहीं हुआ है। जैसे ही होगा, प्रचार शुरू हो जाएगा। (बाद में BJP ने यहां से जयंती पटेल को उम्मीदवार बनाया)।
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तीसरा पड़ाव: पिपलिया

सफेद रंग से पुती ये नई बिल्डिंग पिपलिया गांव में खेत के बीचोंबीच बनी है। यही AAP के CM फेस इसुदान गढ़वी का घर है।
सफेद रंग से पुती ये नई बिल्डिंग पिपलिया गांव में खेत के बीचोंबीच बनी है। यही AAP के CM फेस इसुदान गढ़वी का घर है।

फिर मैं आम आदमी पार्टी के CM फेस इसुदान गढ़वी के गांव पिपलिया पहुंचा। इसुदान तो घर में मिले नहीं, क्योंकि वे प्रचार के लिए बाहर गए थे। उनकी पत्नी और घरवालों से बात हुई। पता चला कि गांव में डेवलपमेंट से ज्यादा बातें जाति की हो रही हैं।
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चौथा पड़ाव: द्वारका

द्वारका में ज्यादा चर्चा बेट द्वारका में अतिक्रमण तोड़ने की है। द्वारका से यहां की दूरी करीब 35 किमी है। यहां तक नाव से ही जाया जा सकता है। एक नाव में 100 से 150 लोग जा सकते हैं।
द्वारका में ज्यादा चर्चा बेट द्वारका में अतिक्रमण तोड़ने की है। द्वारका से यहां की दूरी करीब 35 किमी है। यहां तक नाव से ही जाया जा सकता है। एक नाव में 100 से 150 लोग जा सकते हैं।

फिर मैं द्वारका आ गया। यहां जरूर झंडे-बैनर नजर आए। BJP कैंडिडेट प्रभुबा मानेक चुनाव के प्रचार-प्रसार में व्यस्त थे। द्वारका में लोगों से बात की तो उनके बीच चुनाव से ज्यादा बातें बेट द्वारका में अतिक्रमण ढहाने पर हो रही थीं।

लोगों की बातें सुनकर मैं बेट द्वारका पहुंच गया। बेट द्वारका में ही भगवान कृष्ण का महल है। माना जाता है कि वे शासन द्वारका से करते थे, लेकिन रहते बेट द्वारका में थे। यहां 80% से ज्यादा आबादी मुसलमानों की है।

खोजबीन की तो पता चला कि समुद्र किनारे बनी उन मस्जिद-मजारों को गिरा दिया गया है, जो अवैध थीं। हालांकि उसी दिन RSS के एक नेता मिले तो उन्होंने बताया कि मस्जिद-मजारें अवैध गतिविधियों का अड्‌डा बन गई थीं। कराची से इनकी कनेक्टिविटी है। इसलिए तोड़ा गया है और चुनाव के बाद फिर तोड़ेंगे।
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पांचवां पड़ाव: जामनगर

जामनगर सीट से BJP ने टीम इंडिया के ऑलराउंडर रविंद्र जडेजा की पत्नी रिवाबा को उम्मीदवार बनाया है। खास बात ये है कि रविंद्र जडेजा की बहन कांग्रेस में हैं।
जामनगर सीट से BJP ने टीम इंडिया के ऑलराउंडर रविंद्र जडेजा की पत्नी रिवाबा को उम्मीदवार बनाया है। खास बात ये है कि रविंद्र जडेजा की बहन कांग्रेस में हैं।

खैर, हम यहां घूमकर जामनगर पहुंच गए। यहां से रवींद्र जडेजा की पत्नी रिवाबा BJP की कैंडिडेट हैं। रिवाबा डोर टु डोर कैंपेन में बिजी नजर आईं। शहर में ही BJP कार्यालय में भी कार्यकर्ताओं की भीड़ मिली। जैसी भीड़ BJP के दफ्तर में थी, वैसा ही नजारा कांग्रेस कार्यालय का भी था। यहां घूमने पर थोड़ा चुनावी माहौल महसूस हुआ। फिर मैं गोधरा के लिए रवाना हो गया।
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छठा पड़ाव: गोधरा

गोधरा के लोगों के लिए दंगे पुरानी बात हो चुकी है। भीड़ ने 2002 में साबरमती एक्सप्रेस की जिस बोगी में आग लगाई थी, वह 20 साल बाद भी रेलवे यार्ड में जस की तस खड़ी है।
गोधरा के लोगों के लिए दंगे पुरानी बात हो चुकी है। भीड़ ने 2002 में साबरमती एक्सप्रेस की जिस बोगी में आग लगाई थी, वह 20 साल बाद भी रेलवे यार्ड में जस की तस खड़ी है।

गोधरा में एक बुजुर्ग मोहम्मद मिले। मैंने पूछा, इस बार चुनाव में क्या होगा…तो बोले कौन सा चुनाव। यहां तो 5 तारीख को वोटिंग है, यह बात भी सबको नहीं मालूम होगी। मैंने कहा, ऐसा क्यों तो बोले- क्या बदलता है। सब वही है। जैसा चल रहा है, वैसा चलता रहेगा। समस्याएं तो बनी हुई हैं।

BJP कैंडिडेट सीके राउलजी के घर गया तो वे कार्यकर्ताओं से मीटिंग करते मिले। वे ग्रामीण अंचल के कार्यकर्ताओं के साथ चुनाव की रणनीति बना रहे थे। कांग्रेस कार्यालय गया तो वहां पार्टी के जिला अध्यक्ष अजीत सिंह भाटी अकेले बैठे थे।

मैंने कहा, कांग्रेस चुनाव लड़ते क्यों नजर नहीं आ रही तो बोले ऐसा नहीं है। अंदर ही अंदर सब चल रहा है। इस बार हम डोर टु डोर कैंपेन कर रहे हैं और उन्हीं इलाकों में फोकस कर रहे हैं, जहां जीत सकते हैं। गोधरा के बाद मेरा आखिरी ठिकाना मोरबी था।
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सातवां पड़ाव: मोरबी

मोरबी में 30 अक्टूबर 2022 को 143 साल पुराना हैंगिंग ब्रिज टूट गया था। इसमें 135 लोगों की जान चली गई थी।
मोरबी में 30 अक्टूबर 2022 को 143 साल पुराना हैंगिंग ब्रिज टूट गया था। इसमें 135 लोगों की जान चली गई थी।

मोरबी तो जाना ही था, क्योंकि वहां इतना बड़ा हादसा हुआ था। मोरबी में रात में BJP और कांग्रेस के दफ्तरों में पहुंचा तो कार्यकर्ताओं का मेला सा लगा था। चाय-पानी, नाश्ता चल रहा था। चुनावी गपशप हो रही थी। बस एक ही बात का जिक्र दोनों जगह नहीं सुनाई दिया, वह था मोरबी हादसा। खैर, मैंने उस टूटे हुए ब्रिज को भी देखा, अधिकारियों से भी मिला, पीड़ितों से भी बात की और जो बातें निकलकर आईं वो जस की तस आपके सामने रख दीं।
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ऐसा चुनाव पहली बार
पूरी ग्राउंड रिपोर्टिंग के बाद गुजरात के सीनियर जर्नलिस्ट आरके मिश्रा से मेरी बात हुई। उन्होंने बताया, 'गुजरात में ऐसा चुनाव हमने भी पहली बार देखा। इसकी एक वजह तो एंटी इनकम्बेंसी थी। दूसरी, लोगों का चुनाव में इंटरेस्ट न लेना है। BJP ने कांग्रेसियों को टिकट बांट दिए, इसलिए उसके कार्यकर्ता ही जमीन पर नहीं निकल रहे थे।

वोटिंग के 8 दिन पहले संघ को मनाया गया, तब कार्यकर्ता फील्ड पर नजर आए। कांग्रेस के पास इतने रिसोर्स ही नहीं हैं कि BJP जैसा प्रचार कर सके। इसलिए उसने कैंपेन की स्ट्रैटजी बदल ली। आम आदमी पार्टी का संगठन तो है नहीं। वे एक एरिया तक ही सीमित रहे। अब AAP ने किसी को कितना नुकसान पहुंचाया है, यह रिजल्ट आने पर ही पता चलेगा, बाकी सब तो अनुमान हैं।'

हालांकि कांग्रेस पूरी ताकत से चुनाव में उतरी भी नहीं। गांधी परिवार प्रचार से दूर ही रहा। इसका सीधा फायदा AAP को मिल सकता है।

गुजरात और हिमाचल के एग्जिट पोल आ गए हैं, जानिए दोनों राज्यों में किसकी सरकार बन सकती है...

1. एग्जिट पोल में दावा- गुजरात में 7वीं बार BJP सरकार, AAP की झाड़ू नहीं दिखा पाई कमाल

गुजरात विधानसभा के दूसरे फेज की वोटिंग सोमवार को खत्म हो गई। 8 दिसंबर को गुजरात के साथ हिमाचल प्रदेश के भी चुनावी नतीजे आएंगे। सोमवार को आए एग्जिट पोल में गुजरात में 27 साल से सत्ता पर काबिज BJP रिकॉर्ड 7वीं बार सरकार बनाती दिख रही है। हिमाचल प्रदेश में BJP और कांग्रेस के बीच कांटे का मुकाबला है। आप दावों के मुताबिक कमाल करती नहीं दिखी।
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2. गुजरात में इस बार 5% कम वोटिंग, 5 विधानसभा चुनावों में 3 बार वोट प्रतिशत गिरा तो BJP की सीटें घटीं​​​​​​​
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गुजरात में इस बार फर्स्ट फेज में 60.86% और सेकेंड फेज में करीब 64% वोटिंग हुई है। पिछली बार गुजरात में 69.2% वोट पड़े थे। इस बार वोटिंग में करीब 5% गिरावट दिख रही है। बीते 5 में से 3 चुनावों में वोट प्रतिशत गिरने पर BJP को नुकसान और कांग्रेस को फायदा हुआ है। 2012 के चुनाव में वोट प्रतिशत 13% बढ़ा था इसके बावजूद BJP को दो सीटों का घाटा हुआ था।
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