सफेद रंग की बोलेरो गाड़ी में तीन लड़के बैठे नजर आ रहे हैं। तीनों डरे हुए हैं, एक ने दोनों हाथों से चेहरा ढंका हुआ है। शायद डर है कि कोई फिर से थप्पड़ न मार दे। पुलिसवाला इनमें से एक को नीचे झुकाता है, जिससे वीडियो ठीक से बन सके। एक कड़कती आवाज सुनाई देती है- ‘हैं रे, क्या नाम है तेरा? जवाब मिलता है- वारिस। गांव कहां है- हुसैनपुर।’
फिर दूसरे से पूछते हैं- तेरा नाम और गांव? जवाब मिलता है- ‘शौकीन, शाहजहां डेयरी।’ तीसरे के चेहरे पर चोट लगी है, वो झुक कर बैठा है। आवाज फिर कड़कती है- ‘ऊपर देख बे, तेरा गांव और नाम? जवाब मिलता है- ‘रानियागी, नफीस।’ ये वीडियो 28 जनवरी सुबह करीब 4 से 5 बजे के बीच का बताया जा रहा है।
इस वीडियो में नजर आ रहा हरियाणा के मेवात का रहने वाला कार मैकेनिक 21 साल का वारिस अब नहीं रहा। नूह पुलिस का कहना है कि उसकी मौत एक्सीडेंट में लगी चोट से हुई है।
वारिस के घरवालों का आरोप है कि मोनू मानेसर और उसके संगठन गो-रक्षा दल के लोगों ने वारिस को पीट-पीटकर मार डाला। छोड़ने के लिए पैसे भी मांगे। हालांकि, पुलिस ने इस मामले में वारिस, शौकीन और नफीस के खिलाफ गो-तस्करी का मामला दर्ज किया है। गो रक्षा दल के लोगों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
मोनू मानेसर मौके पर मौजूद था, बोला- मैंने तीनों को पुलिस को सौंप दिया था
मोनू मानेसर, बजरंग दल और गो-रक्षा दल ने वारिस के परिवार के आरोपों को खारिज कर दिया है। उनका दावा है कि उन्होंने गो-तस्करों को पकड़कर पुलिस को सौंप दिया था। हालांकि सोशल मीडिया पर ऐसे कई वीडियोज वायरल हुए हैं, जिनमें मोनू और उसके साथी वारिस और उसके साथियों के साथ न सिर्फ नजर आ रहे हैं, बल्कि पुलिस की मौजूदगी में उनसे पूछताछ भी कर रहे हैं।
एक ऐसा वीडियो भी सामने आया है, जिसमें मोनू और पुलिसवालों ने वारिस और उसके दो साथियों को नीचे बिठाया हुआ है और फोटो खिंचवा रहे हैं। वारिस के घरवालों ने मोनू के खिलाफ नूह थाने में शिकायत दर्ज कराई है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
28 जनवरी को हुआ क्या?
नूह पुलिस के मुताबिक, 28 जनवरी सुबह 5 बजे राजस्थान और हरियाणा की सीमा पर तावड़ू-भिवाड़ी मार्ग पर खोड़ी चौकी के पास एक तेज रफ्तार सेंट्रो कार सामने से आ रहे टेम्पो से टकरा गई। कार में वारिस, नफीस और शौकीन थे। साथ ही एक जिंदा गाय को भी ठूंस-ठूंसकर भरा गया था। कुछ ही मिनट बाद बजरंग दल के गो-रक्षक दल की कार मौके पर पहुंची। इसी कार में मोनू मानेसर भी था।
आरोप है कि मोनू मानेसर ही अपनी कार से वारिस की कार का पीछा कर रहा था और वो टेम्पो से टकरा गई। मोनू और उसके साथी वारिस और अन्य दो लोगों से पूछताछ करने लगे। वहां पुलिस भी पहुंच गई। मोनू ने सुबह 5 बजकर 21 मिनट पर फेसबुक पर एक पोस्ट किया। इसमें लिखा था- ‘28.01.23 की कार्यवाही सैंट्रो गाड़ी पकड़ी गोवंश से भरी हुई जो भिवाड़ी से गोवंश भरकर मेवात ले जा रहे थे।”
नूह पुलिस मौके से एक्सीडेंट में घायल वारिस और दो अन्य आरोपियों को पहले तावड़ू के CHC और फिर नल्हड़ स्थित शहीद हसन खान मेवाती मेडिकल कॉलेज ले गई। यहां वारिस की मौत हो गई। हालांकि जो वीडियो खुद मोनू ने शेयर किया, उसमें वारिस को गंभीर चोटें लगी नजर नहीं आती। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के मुताबिक वारिस की मौत अंदरूनी चोट और लिवर में चोट लगने की वजह से हुई है।
5 बजे पुलिस ने पकड़ा तो अस्पताल लाने में 8 कैसे बज गए?
वारिस के चचेरे भाई शाहिद बताते हैं, ‘हादसा सुबह 5 बजे हुआ, तो उसे CHC 8 बजे क्यों लाया गया, अस्पताल तो थोड़ी ही दूर है। इतनी देर उसके साथ क्या हुआ, पुलिस इसका जवाब दे।’
वारिस के घरवाले बातचीत में इस बात से इनकार नहीं करते कि उसकी गाड़ी में गाय नहीं थी। वे कहते हैं कि ऐसा था भी तो उसे पुलिस में दे देते, पीट-पीटकर मारने की क्या जरूरत थी? वारिस के घरवाले कहते हैं कि वो कार मैकेनिक था और कार ठीक करने अक्सर आस-पास के इलाकों में जाता था।
शाहिद कहते हैं, ‘27 जनवरी को वो मां को बोलकर गया था कि भिवाड़ी जा रहा हूं, कार ठीक करने। सुबह 6:30 बजे हमारे एक रिश्तेदार के पास फोन आया था कि आपके भाई को बजरंग दल के लोगों ने पकड़ रखा है। हम उसे ढूंढते हुए करीब 11:30 बजे अस्पताल पहुंचे तो पता चला कि उसकी मौत हो गई है।’
‘बजरंग दल वाले छोड़ने का पैसा मांग रहे थे’
बजरंग दल पर आरोप लगाते हुए शाहिद कहते हैं, ‘सुबह 8 बजे हमें बताया गया कि बजरंग दल के लोग वारिस को छोड़ने का पैसा मांग रहे हैं। 10 बजे हमारे पास फोन आया कि उसकी हालत गंभीर है, तावड़ू CHC आ जाओ। 11 बजे फिर हमें बताया गया कि वो मेडिकल कॉलेज में भर्ती है। हमने इमरजेंसी में फोन किया तो पता चला कि वारिस की मौत हो चुकी है।’
शाहिद का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें वो वारिस के साथ कार में मौजूद रहे नफीस से अस्पताल में बात करते नजर आ रहे हैं। शाहिद कहते हैं, ‘हमें बताया गया कि नफीस नाम का एक और लड़का वारिस के साथ ही भर्ती कराया गया है। पुलिस हमें नफीस से मिलने नहीं दे रही थी। हम किसी तरह नफीस से मिले।
नफीस ने बताया कि हमें बजरंग दल के लोगों ने पकड़ा और पीटा था। बजरंग दल के लोगों के मारने की वजह से वारिस की मौत हुई है। पुलिस बार-बार उसे चुप करा रही थी।’ अस्पताल से सामने आए वीडियो में भी शाहिद और पुलिसवालों की बहस होती नजर आती है।
शाहिद आगे कहते हैं, ‘हम ये मान भी लेते कि मौत दुर्घटना में हुई है, लेकिन चश्मदीद गवाह हैं। वारिस को पीटे जाने का वीडियो है। बजरंग दल के लोगों ने फेसबुक पर 22 मिनट का वीडियो लाइव किया था, जिसे बाद में डिलीट कर दिया। सोशल मीडिया पर कई वीडियो वायरल हो रहे हैं। अगर वारिस गलत भी था तो पुलिस उसे पकड़ती। ये बजरंग दल के लोग कौन हैं और कैसे कानून अपने हाथ में ले रहे हैं?’
शाहिद भी वारिस के गो-तस्कर होने पर इनकार करते हैं और कहते हैं कि वो मैकेनिक है, अपना काम करने गया था।
मोनू मानेसर बोला- कुछ गलत नहीं किया, वारिस के घरवालों के आरोप गलत
मोनू मानेसर कहते हैं, ‘हमारे भिवाड़ी गोरक्षा दल के साथियों को एक सेंट्रो कार में बेसहारा गोवंश के होने की सूचना मिली थी। गोरक्षा दल की टीम उस कार के पीछे लग गई। भागने के चक्कर में सेंट्रो कार एक सब्जी भरी गाड़ी से टकरा गई। पीछे से हमारी टीम वहां पहुंच गई और गो-तस्करों को कार से निकालकर पुलिस के हवाले कर दिया।’
वारिस और उसके साथियों को पीटने के आरोप को खारिज करते हुए मोनू कहते हैं, ‘परिवार का आरोप गलत है। उनके बच्चे की मौत हुई है, उन्हें दुख होगा। हमारी तरफ से कोई मारपीट नहीं हुई है। मौके पर तुरंत पुलिस की 112 की दो गाड़ियां पहुंच गई थीं, स्थानीय चौकी की पुलिस भी मौके पर थी। हम गो-तस्करी के खिलाफ काम करते हैं, हम पर इस तरह के आरोप लगते रहेंगे।’
हरियाणा सरकार ने बनाई है गो रक्षा टास्कफोर्स
बजरंग दल, विश्व हिन्दू परिषद की युवा शाखा है। विनय कटियार ने 1984 में इसकी स्थापना की थी। हरियाणा सरकार ने 2015 में गोसंवर्धन एवं संरक्षण कानून लागू किया था। 2021 में गो रक्षा टास्क फोर्स बनाई गई। इसके तहत गो रक्षा दल बना, जिसमें सरकार के साथ-साथ आम लोग जैसे मोनू भी शामिल हैं। गो रक्षा दल इलाके में गो तस्करी, गो हत्या की घटनाओं पर नजर रखता है और पुलिस को खबर देता है।
मोनू मानेसर अपने एक वीडियो में दावा करते हैं- 'हमारे पास एक गांव में 15 लोग रात की ड्यूटी के लिए होते हैं। गुरुग्राम, मानेसर, भिवाड़ी, नूह, मेवात तक हमारे पास करीब 4 हजार गो-रक्षक हैं। हमने अभी तक 70 हजार से ज्यादा गोवंश बचाए हैं।'
अस्पताल पहुंचने में हुई देरी का आरोप
हमारी छानबीन में सामने आया है कि नूह पुलिस घायलों को पहले तावड़ू के CHC (कम्युनिटी हेल्थ सेंटर) लेकर गई थी। शाहिद का आरोप ठीक है कि वारिस और अन्य घायलों को करीब पौने आठ बजे अस्पताल लाया गया था।
तावडू के हॉस्पिटल में वारिस का इलाज करने वाले डॉ. सोलंकी कहते हैं, ‘उसके पेट में बहुत दर्द था। दर्द की वजह से वो हल्का बेहोश सा था, लेकिन फिर भी वो स्टेबल ही था। फर्स्ट एड देने के बाद उसे मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर कर दिया था।”
डॉ. सोलंकी आगे कहते हैं, ‘जब उसे अस्पताल लाया गया था तब ये लगा नहीं था कि उसकी मौत हो जाएगी। हालांकि हम इस बारे में कुछ प्रेडिक्ट नहीं कर सकते हैं। उसकी हालत गंभीर थी, इसलिए ही हमने उसे आगे के लिए रेफर किया। हमें लगता है कि इलाज में देरी की वजह से उसकी मौत हुई। उसके शरीर पर कोई बाहरी चोट नहीं थी। चेहरे पर एक-दो सेंटीमीटर का एक कट था। वो पेट में तेज दर्द की शिकायत कर रहा था, इसलिए हमने उसे आगे रेफर कर दिया था।’
हालांकि डॉक्टर ये बताते हैं कि थुड्डी पर कट के अलावा वारिस के शरीर पर चोट या मारने-पीटने का कोई निशान नहीं था। डॉक्टर कहते हैं, ‘मैंने उसका पेट और शरीर के बाकी हिस्से देखे थे। कहीं चोट का कोई निशान नहीं था। वो बात भी कर रहा था।’
पुलिस ने कहा- हमने देरी नहीं की, एक्सीडेंट में लगी थी चोट
नूह के SP वरुण सिंगला के मुताबिक, ‘पुलिस तुरंत मौके पर पहुंच गई थी और बिना देरी के घायलों को अस्पताल ले जाया गया। मामले की गंभीरता को देखते हुए बोर्ड ने पोस्टमॉर्टम किया है और शव पर किसी तरह की चोट का कोई निशान नहीं मिला है। हादसे और गो-तस्करी के मामले में FIR दर्ज कर ली गई है। एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसके संबंध में परिजनों की शिकायत मिली है। अगर सबूत मिलते हैं तो उस पर भी कार्रवाई की जाएगी।’
छानबीन में सामने आया है कि जहां हादसा हुआ, वहां से तावड़ू अस्पताल करीब आठ किलोमीटर दूर है। पहुंचने में लगभग 20 मिनट लगते हैं। वारिस 5:30 से 8 बजे तक कहां था, इस सवाल से पुलिस बचती नजर आ रही है। मोनू और पुलिस दोनों ने बताया है कि एक्सीडेंट के कुछ ही मिनटों में पुलिस की दो गाड़ियां मौके पर थीं। ऐसे में वारिस को अस्पताल ले जाने की जगह उससे वहीं पूछताछ क्यों और किसके कहने पर हो रही थी।
हरियाणा में पहले भी मॉब लिचिंग के मामले हुए हैं, ये काफी सुर्खियों में भी रहे। यहीं के पहलू खान को राजस्थान के अलवर में गाय तस्करी के शक में मार दिया गया था।
जनवरी की शुरुआत में बीच सड़क पर दिल्ली पुलिस के ASI की हत्या कर दी गई थी, ये ग्राउंड रिपोर्ट भी पढ़ें...
अनीश चाकू मारता रहा, ASI शंभू ‘बेटाजी’ कहकर रोकते रहे
4 जनवरी की शाम करीब 4:30 बजे का वक्त था। दिल्ली के मायापुरी मार्केट में 20 साल के लड़के अनीश राज ने बुजुर्ग पुलिसवाले पर चाकू से हमला कर दिया। वे उसे पकड़कर थाने ले जा रहे थे। बार-बार कह रहे थे- ‘बेटा जी ये सब करना अच्छी बात नहीं।’ वहां करीब 50 लोग मौजूद थे लेकिन मदद कोई नहीं कर पाया। अनीश की मां कहती हैं कि लड़का पहले ऐसा नहीं था, उसे नशे ने बर्बाद कर दिया।
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