• Hindi News
  • Db original
  • Hints From New Genetic Data… Chinese Scientists First Gave The Data, Then Removed It

वुहान के बाजार में रैकून डॉग से फैला कोरोना:नए जेनेटिक डेटा से मिले संकेत…चीनी वैज्ञानिकों ने पहले डेटा दिया, फिर हटाया

15 दिन पहले
  • कॉपी लिंक

दुनिया भर में कोरोना चीन के वुहान में जानवरों के बाजार में बिक रहे रैकून डॉग्स से फैला। इस बात के तगड़े संकेत कुछ नए जेनेटिक सबूतों में मिले हैं।

लेकिन इस थ्योरी को पुख्ता करना अब असंभव हो गया है, क्योंकि जिस जेनेटिक डेटा के आधार पर ये एनालिसिस किया गया, उसे शेयर करने के कुछ ही दिनों बाद चीन ने हटा लिया है।

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन ने भी चीन को इस बात के लिए फटकारा है कि इस डेटा का खुलासा 3 साल पहले क्यों नहीं किया गया, और अब इस डेटा को क्यों हटा दिया गया है।

रोचक ये है कि वुहान के एनिमल मार्केट से कोरोना के ओरिजिन को जोड़ने वाला ये जेनेटिक डेटा उस समय सामने आया जब अमेरिका में एक बार फिर ये बात जोर पकड़ने लगी थी कि कोरोना वायरस वुहान की वायरोलॉजी लैब में बना और एक एक्सीडेंट में लीक हो गया।

ये नया जेनेटिक डेटा वुहान के हुनान सी-फूड होलसेल मार्केट से जनवरी, 2020 में लिए गए स्वाब के नमूनों से आया है। इस बाजार को चीनी सरकार ने शुरुआती दौर में शक के आधार पर बंद करा दिया था।

जिस समय ये स्वाब के नमूने लिए गए उस समय मार्केट में कोई जानवर मौजूद नहीं था, लेकिन वैज्ञानिकों ने बाजार की दीवारों, स्टॉल्स और पिंजरों से स्वाब के नमूने लिए थे।

इन्हीं में से एक नमूना रैकून डॉग का है जिसमें कोरोना वायरस के भी जेनेटिक हिस्से मिले हैं। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि सिर्फ इतने डेटा के आधार पर ये पुख्ता तौर पर नहीं कहा जा सकता है कि कोरोना वायरस इंसानों में रैकून डॉग्स से फैला।

हो सकता है कि ये रैकून डॉग्स वायरस से संक्रमित हों लेकिन इंसानों को ये वायरस उनसे नहीं, बल्कि उनसे संक्रमित हुए किसी और जानवर से मिला हो।

ये भी हो सकता है कि ये रैकून डॉग्स किसी और जानवर से या वहां काम करने वाले और खरीदारी करने वाले इंसानों से संक्रमित हुए हों।

रैकून डॉग्स की अवैध बिक्री होती रही है हुनान मार्केट में

चीन में अवैध रूप से रैकून डॉग्स की बिक्री होती है। 2015 की ये तस्वीर मैक्सिको सिटी के चिड़ियाघर में रखे गए एक रैकून डॉग की है।
चीन में अवैध रूप से रैकून डॉग्स की बिक्री होती है। 2015 की ये तस्वीर मैक्सिको सिटी के चिड़ियाघर में रखे गए एक रैकून डॉग की है।

रैकून डॉग लोमड़ी जैसा दिखने वाला एक बड़े फर वाला कुत्ता होता है। इसके फर का रंग रैकून जानवर से मिलता-जुलता है।

यह मुख्यत: चीन में पाया जाता है। इसकी बिक्री अवैध है, लेकिन हुनान के मार्केट में ये धंधा काफी समय से हो रहा है।

पहले कुछ विशेषज्ञों का मानना था कि कोरोना वायरस इंसानों में चमगादड़ या पेंगोलिन जैसे जानवर से आया है। मगर तब भी ये कहा जा रहा था कि कोरोना वायरस अगर किसी जानवर से आया होगा तो वह इनके मुकाबले बड़े आकार का होगा।

नए जेनेटिक डेटा से पहली बार इस बात के सबसे मजबूत प्रमाण मिले हैं कि कोरोना वायरस इंसानों में किसी जानवर से आया।

इस डेटा का विश्लेषण करने वाली अंतरराष्ट्रीय टीम ने अभी तक अपनी पूरी रिसर्च पब्लिश नहीं करवाई है।

अमेरिका में लैब लीक थ्योरी पर दिया जा रहा है ज्यादा फोकस

हाल के दिनों में ही अमेरिका के एनर्जी डिपार्टमेंट ने अपनी इंटेलीजेंस रिपोर्ट में ये कहा था कि कोरोना वायरस के किसी लैब से लीक होने की संभावना ही ज्यादा है।

इससे पहले अमेरिकी जांच एजेंसी एफबीआई ने भी लैब लीक थ्योरी के ही सही होने की संभावना जताई थी। अमेरिकी संसद में रिपब्लिकन पार्टी के मजबूत होने के बाद से लैब लीक थ्योरी पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है।

ठीक इसी समय में अब हुनान मार्केट में जानवर से वायरस के फैलने से जुड़ा डेटा पहली बार सामने आया है।

चीनी वैज्ञानिकों ने इंटरनेशनल रिपॉजिटरी में डेटा डाला…बाद में हटा दिया

ये तस्वीर 11 जनवरी, 2020 की है, जब वुहान के स्थानीय अधिकारियों ने हुनान मार्केट को बंद करवा दिया था।
ये तस्वीर 11 जनवरी, 2020 की है, जब वुहान के स्थानीय अधिकारियों ने हुनान मार्केट को बंद करवा दिया था।

फरवरी, 2022 में चीनी वैज्ञानिकों ने हुनान मार्केट से जुड़े डेटा के आधार पर ही एक रिपोर्ट जारी की थी। हालांकि इसमें किसी जानवर से वायरस फैलने के बजाय इस बात पर जोर दिया गया था कि वहां काम करने वाले किसी व्यक्ति से वायरस फैला।

इन्हीं वैज्ञानिकों ने जनवरी, 2023 में इंटरनेशनल डेटा रिपॉजिटरी GISAID में इन स्वाब के नमूनों का जेनेटिक डेटा अपलोड किया था, मगर किसी को इसकी जानकारी नहीं दी।

ये रिपॉजिटरी वो प्लेटफॉर्म है जहां अलग-अलग देशों के साइंटिस्ट जेनेटिक सीक्वेंसिंग से जुड़ा डेटा शेयर करते हैं और इसके जरिये रिसर्च में एक-दूसरे की मदद करते हैं।

फ्रांस के नेशनल सेंटर फॉर साइंटिफिक रिसर्च में काम करने वाली फ्लोरेंस डेबार ने 4 मार्च को पहली बार ये डेटा देखा।

उन्होंने ही दूसरे वैज्ञानिकों को इस बारे में बताया। अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक फरवरी, 2022 में चीन में जारी रिपोर्ट के बाद से ही इस डेटा का इंतजार कर रहे थे।

यूनिवर्सिटी ऑफ एरिजोना में इवोल्यूशनरी बायोलॉजिस्ट माइकल वोरोबे, कैलिफोर्निया के स्क्रिप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट में वायरोलॉजिस्ट क्रिस्टियन एंडरसन और यूनिवर्सिटी ऑफ सिडनी में बायोलॉजिस्ट एडवर्ड होम्स की टीम ने पिछले हफ्ते इस डेटा पर रिसर्च शुरू की।

इनमें से एक जेनेटिक सैंपल पर इन वैज्ञानिकों की निगाह पड़ी। ये डेटा जिस स्टॉल से लिया गया था वहां एडवर्ड होम्स 2014 में गए थे। इस सैंपल में रैकून डॉग्स के जेनेटिक मेटेरियल के साथ कोरोना वायरस के जीन्स भी थे।

एडवर्ड होम्स के मुताबिक इस स्टॉल पर रैकून डॉग्स को पिंजरे में रखा जाता था और उनके ऊपर पक्षियों के पिंजरे रख दिए जाते थे। इस तरह के माहौल में जानवरों में वायरस संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।

रिपॉजिटरी के नियमों के मुताबिक ये डेटा मिलने के बाद वैज्ञानिकों की इस टीम ने डेटा अपलोड करने वाले चीनी वैज्ञानिकों से संपर्क किया। उन्होंने मिलकर रिसर्च करने की पेशकश की।

लेकिन इसके बाद ही ये डेटा GISAID से गायब हो गया। ये पुख्ता तौर पर नहीं कहा जा सकता कि ये डेटा हटा लिया गया या फिर किसी ने डिलीट कर दिया।

चीन के पास अभी और डेटा है…कभी शेयर नहीं किया

ये तस्वीर 27 जनवरी, 2020 की है, जब हेल्थ वर्कर्स को हुनान के मार्केट से निकला एक सैलामेंडर मिला था। मार्केट से कितने जानवर भागे ये कभी पता नहीं चल पाया।
ये तस्वीर 27 जनवरी, 2020 की है, जब हेल्थ वर्कर्स को हुनान के मार्केट से निकला एक सैलामेंडर मिला था। मार्केट से कितने जानवर भागे ये कभी पता नहीं चल पाया।

रिसर्चर फ्लोरेंस डेबार कहती हैं कि सबसे जरूरी बात ये है कि अभी और डेटा है। वैज्ञानिक लगातार कोरोना वायरस का ओरिजिन पता लगाने के लिए नया डेटा तलाश रहे हैं।

इस एनालिसिस पर काम करने वाले यूनिवर्सिटी ऑफ यूटाह के वायरोलॉजिस्ट स्टीफन गोल्डस्टाइन कहते हैं कि हमारे पास कोई संक्रमित जानवर नहीं है। हम पुख्ता तौर पर नहीं कह सकते कि स्टॉल पर जो जानवर था वो संक्रमित ही था।

लेकिन वायरस का जेनेटिक मेटेरियल स्टेबल है। हम अभी ये नहीं कह सकते कि ये बाजार में कब पहुंचा। उस वक्त बाजार में मौजूद जानवरों के सैंपल तो कभी लिए ही नहीं गए। इसलिए हमारे पास यही सबसे करीबी जेनेटिक प्रमाण है।

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन की फटकार...चीन क्यों छुपा रहा है डेटा

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) के हेड डॉ. टेडरॉस अधानॉम गेब्रेसस ने शुक्रवार को जारी एक बयान में चीन के रवैये पर सख्त आपत्ति जताई है।

रिपॉजटरी में अपलोड करने के बाद हटाए गए डेटा की एनालिसिस रिपोर्ट वैज्ञानिकों ने WHO की एडवाइजरी कमेटी को सौंपी थी जो कोरोना वायरस के ओरिजिन का पता लगाने पर काम कर रही है।

डॉ. टेडरॉस ने कहा है कि चीन को ये डेटा 3 साल पहले ही शेयर करना चाहिए था। अभी भी वो डेटा छुपा रहा है, उसे स्पष्ट करना चाहिए कि ये डेटा शेयर करने के बाद हटाया क्यों गया।

चीन को तुरंत कोरोना से जुड़ा अपना सारा डेटा दुनिया के साथ शेयर करना चाहिए।

खबरें और भी हैं...