राजस्थान के गंगानगर जिले के रहने वाले अभय बिश्नोई, संदीप बिश्नोई और मनीष बिश्नोई तीनों दोस्त हैं। अभय और मनीष ने इंजीनियरिंग की है जबकि संदीप ने MCA की डिग्री ली है। पढ़ाई पूरी करने के बाद तीनों ने सालों तक UPSC की तैयारी की, लेकिन सफलता नहीं मिली। इसके बाद तीनों ने मिलकर 2019 में मिलिट्री मशरूम की खेती करनी शुरू की। अब उन्होंने खुद का ब्रांड भी तैयार कर लिया है। हर महीने 50 से 60 ऑर्डर आते हैं। इससे हर साल 15 से 20 लाख रुपए की कमाई हो रही है।
29 साल के अभय बताते हैं कि इंजीनियरिंग करने के बाद दिल्ली में मेरी नौकरी लग गई थी, लेकिन सैलरी कम थी और ग्रोथ की संभावना भी कम नजर आ रही थी। इसलिए मैं वापस राजस्थान लौट आया और सरकारी नौकरी की तैयारी करने लगा। एक-दो बार प्री एग्जाम क्वालिफाई भी किया, लेकिन आगे कुछ खास नहीं कर सका। मुझे लगने लगा कि कहीं हम वक्त तो खराब नहीं कर रहे हैं। इसके बाद मैं कुछ नया शुरू करने के बारे में सोचने लगा। इसी दौरान मुझे मिलिट्री मशरूम के बारे में पता चला। जब इंटरनेट से जानकारी जुटाई तो पता चला कि यह काफी महंगा बिकता है और इससे अच्छी कमाई हो सकती है।
हर साल 15 से 18 किलो मशरूम तैयार कर रहे हैं
अभय बताते हैं कि इसके बाद मैंने संदीप और मनीष से ये आइडिया शेयर किया। उन्हें भी मेरा सुझाव अच्छा लगा। इसके बाद 2018 में हमने नैनीताल के एक संस्थान से मिलिट्री मशरूम की खेती की ट्रेनिंग ली। और मार्च 2019 में अपने गांव में जेबी कैपिटल नाम से अपना स्टार्ट अप शुरू किया। लैब तैयार करने में करीब 10 लाख रुपए खर्च हुए थे। अभी हम हर साल 15 से 18 किलो मशरूम तैयार कर रहे हैं। मार्केटिंग के लिए हमने सोशल मीडिया की भी मदद ली। जिसके माध्यम से लोग ऑर्डर करते हैं। इसके बाद हम पैकेट्स में तैयार करके मशरूम सप्लाई करते हैं। राजस्थान के अलावा महाराष्ट्र में भी हम अपने प्रोडक्ट की सप्लाई कर रहे हैं। जल्द ही हम अपना पोर्टल भी लॉन्च करने वाले हैं और अमेजन पर भी अपने प्रोडक्ट को लाने वाले हैं।
मिलिट्री मशरूम क्या है?
मिलिट्री मशरूम एक मेडिसिनल प्रोडक्ट है। यह पहाड़ी इलाकों में नैचुरली पाया जाता है। चीन, भूटान, तिब्बत, थाईलैंड जैसे देशों में इसकी खेती होती है। इसे 'कीड़ा जड़ी' भी बोला जाता है क्योंकि यह एक खास तरह के कीड़ा Cordyceps से तैयार होता है। इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (IUCN) ने इसे रेड लिस्ट में डाल रखा है। इसलिए अब बड़े लेवल पर इसे लैब में तैयार किया जा रहा है। अभय इसके कल्चर को मलेशिया से मंगाते हैं।
मिलिट्री मशरूम के फायदे
मिलिट्री मशरूम हेल्थ के लिए काफी फायदेमंद होता है। यह हाई एनर्जेटिक होता है। एथलीट्स और जिम करने वाले लोग बड़े लेवल पर इसका इस्तेमाल करते हैं। यह हमारे शरीर के लिए एडिनोसिन ट्राइफॉस्फेट (ATP) प्रोडक्शन का भी बड़ा सोर्स है। डायबिटीज, थायराइड, अस्थमा, ट्यूमर जैसी कई बीमारियों के इलाज में भी यह फायदेमंद होता है। इसमें पाए जाने वाले कॉर्डीसेपीन और एडिनोसिन एलिमेंट्स हमारे इम्यून सिस्टम को मजबूत करते हैं।
कैसे करते हैं इस्तेमाल?
मिलिट्री मशरूम बहुत हद तक केसर जैसा दिखता है। एक आदमी को एक दिन में 1 ग्राम मिलिट्री मशरूम का सेवन करना चाहिए। इसके लिए सुबह का समय सबसे उपयुक्त होता है। सबसे पहले एक छोटे से बर्तन में पानी के साथ एक ग्राम मशरूम डालकर उसे ढंककर उबालना होता है। फिर ठंडा होने पर शहद के साथ इसका सेवन करना चाहिए। ध्यान रहे कि एक ग्राम से अधिक मात्रा का सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि इसका बॉडी पर निगेटिव इफेक्ट भी हो सकता है।
मिलिट्री मशरूम की खेती कैसे करें?
इसकी खेती के लिए किसी बड़े खेत या प्लॉट की जरूरत नहीं होती है। 15X15 के कमरे में इसकी खेती की जा सकती है। इसके लिए सबसे पहले एक लैब तैयार करना होता है। जिसमें लाइट, टेंपरेचर कंट्रोल, कांच के जार, ऑटो क्ले, लेमिनार फ्लो, रोटरी शेकर जैसे उपकरणों की जरूरत होती है। इन उपकरणों को मार्केट से खरीदा जा सकता है। मिलिट्री मशरूम तैयार करने के लिए सबसे पहले कांच के जार में ब्राउन राइस डालकर 120 डिग्री टेम्परेचर पर ऑटोक्ले किया जाता है, ताकि यह बैक्टीरिया फ्री हो जाए।
इसके बाद जार में एस्ट्रोड, पैक्टॉन जैसे एलिमेंट्स मिलाकर Cordyceps Mushrooms के लिक्विड स्ट्रेन को डाला जाता है। फिर इसे लेमिनार के अंदर 12 घंटे के लिए रखा जाता है। जहां यूवी लाइट लगी होती है। इसके बाद जार को एक हफ्ते तक अंधेरे में रखा जाता है। उसके बाद फिर से लाइट में लाया जाता है ताकि फोटो सिंथेसिस हो सके और मशरूम ग्रो कर सके। इस दौरान तापमान 18 से 22 डिग्री के बीच रहना चाहिए। साथ ही 24 घंटे इसकी मॉनिटरिंग की भी जरूरत होती है। करीब तीन महीने बाद मिलिट्री मशरूम तैयार हो जाता है। एक 400 ग्राम के जार में 1.5-2 ग्राम मशरूम का उत्पादन होता है।
कहां से ले इसकी ट्रेनिंग?
देश में कई ऐसे संस्थान हैं जहां इसकी ट्रेनिंग दी जाती है। इसके लिए सर्टिफिकेट और डिप्लोमा लेवल का कोर्स होता है। इसके साथ ही कई किसान व्यक्तिगत लेवल पर भी इसकी ट्रेनिंग देते हैं। कई लोग इंटरनेट के जरिए भी जानकारी हासिल करते हैं। हालांकि लैब तैयार करने के लिए एक्सपर्ट की जरूरत होती है।
हर साल 10 से 12 लाख रुपए कमा सकते हैं मुनाफा
अभय बताते हैं कि लैब को तैयार करने और उसमें लगने वाले प्रोडक्ट को खरीदने में कम से कम 8 लाख रुपए का खर्च आता है। एक बार लैब तैयार हो जाने के बाद इसके मेंटेनेंस में भी कुछ पैसे खर्च होते हैं। इसके बाद बारी होती है मशरूम तैयार करने की। अभय के मुताबिक एक किलो मशरूम तैयार करने में 70 हजार रुपए तक खर्च होते हैं। जबकि इसे दो लाख रुपए के दर पर बेचा जा सकता है। यानी प्रति किलो मशरूम पर सवा लाख रुपए तक की कमाई हो जाती है। अगर आप हर साल 8 से 10 किलो मशरूम तैयार करते हैं तो 10 से 12 लाख रुपए का मुनाफा आसानी से कमा सकते हैं।
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