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आज की पॉजिटिव खबर:लॉकडाउन में ननद-भाभी ने शुरू किया होममेड अचार का स्टार्टअप, पहले ही साल 8 लाख का बिजनेस

नई दिल्लीएक वर्ष पहलेलेखक: इंद्रभूषण मिश्र
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बिहार के दरभंगा जिले की रहने वाली ननद- भाभी की जोड़ी कमाल कर रही हैं। दोनों के हाथों का स्वाद देशभर में अपना जादू बिखेर रहा है। पिछले साल कोरोना के दौरान दोनों ने घर से ही अचार और चटनी बेचना शुरू किया। धीरे-धीरे उनकी मेहनत रंग लाई और आज देशभर में उनके प्रोडक्ट की डिमांड है। फिलहाल वे एक दर्जन से ज्यादा वैराइटी के प्रोडक्ट की मार्केटिंग कर रही हैं। हर रोज करीब 100 ऑडर्स आ रहे हैं। इससे सालाना 8 से 10 लाख रुपए का वे बिजनेस कर रही हैं। साथ ही एक दर्जन लोगों को उन्होंने रोजगार से भी जोड़ा है।

52 साल की कल्पना और 51 साल की उमा झा दोनों ननद-भाभी हैं। दोनों ने मास्टर्स तक पढ़ाई की है। उमा एक प्राइवेट स्कूल में टीचर हैं, जबकि कल्पना हाउस वाइफ हैं। लंबे वक्त तक दोनों साथ रही हैं और अब साथ मिलकर अचार का अपना बिजनेस चला रही हैं।

कल्पना और उमा झा। दोनों मिलकर अचार का अपना स्टार्टअप चला रही हैं।
कल्पना और उमा झा। दोनों मिलकर अचार का अपना स्टार्टअप चला रही हैं।

भास्कर से बात करते हुए उमा बताती हैं कि हमारे दिमाग में बिजनेस का कोई ख्याल नहीं था। नॉर्मल लाइफ चल रही थी। स्कूल जाना, बच्चों को पढ़ाना और फिर घर लौटकर काम काज करना, लेकिन कोरोना के बाद चीजें बदल गईं। लॉकडाउन की वजह से स्कूल बंद हो गए। बाहर आना-जाना बंद हो गया। हम लोग परिवार के साथ घर में ही रहने लगे। हमारे कुछ रिश्तेदार भी तब घर आए थे, वे भी ठहर गए।

जिसने चखा वो हमारी रेसिपी का दीवाना हो गया

वे कहती हैं कि हम लोग पहले से ही अचार और चटनी बना रहे थे। दादी-मां से हमने ये कला सीखी थी। आसपास के लोग और स्कूल के टीचर्स भी को भी हमारे अचार खूब पसंद आते थे और हम बनाकर उन्हें भेजते भी थे। चूंकि लॉकडाउन में कहीं आना-जाना बंद हो गया तो खाली घर में बैठे-बैठे मन नहीं लग रहा था। लिहाजा हमने अलग-अलग तरह के अचार और चटनी बनाना शुरू कर दिया। जो रिश्तेदार हमारे यहां आए थे, उन्हें इसका टेस्ट काफी पसंद आया। इसके बाद हमने दूसरे रिश्तेदारों को भी कूरियर के जरिए अपना अचार भेजा। उन्होंने भी इसकी तारीफ की। इसी तरह कुछ ही दिनों में कई परिचित लोगों तक हमारे अचार का टेस्ट पहुंच गया।

उमा बताती हैं कि हमारे पास अभी एक दर्जन से ज्यादा प्रोडक्ट हैं। इसमें अलग-अलग वैराइटी के अचार हैं।
उमा बताती हैं कि हमारे पास अभी एक दर्जन से ज्यादा प्रोडक्ट हैं। इसमें अलग-अलग वैराइटी के अचार हैं।

भांजे ने दिया बिजनेस शुरू करने का आइडिया

उमा कहती हैं कि तब मेरे भांजे मयंक ने सुझाव दिया कि इसका बिजनेस शुरू करना चाहिए। बिहार के बाहर कई लोग हैं जो ट्रैडीशनल चीजें पसंद करते हैं, घर का बना अचार खाना पसंद करते हैं। मिथिला के अचार की तो अलग ही पहचान है। अगर हम इसकी मार्केटिंग करें तो अच्छी कमाई हो सकती है और इससे लॉकडाउन में मन भी बहल जाएगा। मुझे भी महेंद्र का सुझाव अच्छा लगा। फिर मैंने और कल्पना ने मिलकर इसकी प्लानिंग शुरू की और हम लोगों ने कुछ स्पेशल अचार तैयार किए। इसके बाद मार्केटिंग का काम मयंक ने संभाल लिया।

शुरुआत के 6 महीने लग गए बिजनेस समझने में

अपने काम के बारे में बात करते हुए उमा कहती हैं कि घर के लिए अचार बनाना और फिर मार्केटिंग के लिहाज से अचार तैयार करना, दोनों में काफी फर्क है। मार्केटिंग के लिए कई सारी चीजों का ख्याल रखना होता है। मसलन टेस्ट, वैराइटी, डिजाइन और लुक। इसके अलावा कस्टमर्स की चॉइस को जांचना। इसके बिना बिजनेस को जमाना मुमकिन नहीं है।

उमा बातती हैं कि हमारे जो भी प्रोडक्ट हैं वे सभी स्थानीय किसानों और लोकल मार्केट से सोर्स किए जाते हैं।
उमा बातती हैं कि हमारे जो भी प्रोडक्ट हैं वे सभी स्थानीय किसानों और लोकल मार्केट से सोर्स किए जाते हैं।

इसलिए हमने शुरुआत के 6 महीने मार्केटिंग की बजाय प्रोसेसिंग और क्वालिटी को लेकर काम किया। हम कितने तरह से और क्या कुछ अचार के बिजनेस में नया कर सकते हैं, इसको लेकर प्लान किया। फिर मार्केटिंग शुरू की और जैसे-जैसे लोगों का फीडबैक मिला, उस हिसाब से प्लानिंग करते गए।

सोशल मीडिया और ऑनलाइन मार्केटिंग का लिया सहारा

उमा कहती हैं कि झा जी स्टोर नाम से हमने सोशल मीडिया पर अपना पेज बनाया। इसके बाद महेंद्र उस पर हमारे प्रोडक्ट की फोटो-वीडियो पोस्ट करने लगे। फिर वॉट्सऐप पर अपना ग्रुप बनाया और अपने प्रोडक्ट की फोटो शेयर किए। इस तरह धीरे-धीरे हमें ऑर्डर मिलने लगे। इसके बाद अलग-अलग वैराइटी के अचार हम लोग डिब्बे में पैक करके सप्लाई करने लगे। इस तरह हमारा नेटवर्क सोशल मीडिया और लोगों के माउथ पब्लिसिटी के जरिए बढ़ता गया और हमें अच्छी संख्या में ऑर्डर मिलने लगे। इसके बाद उमा और कल्पना पूरी तरह से अपने बिजनेस पर फोकस हो गईं। दोनों अचार के साथ ही चटनी भी तैयार करनी शुरू कर दी।

अपने इस काम के जरिए कल्पना और उमा ने करीब एक दर्जन महिलाओं को रोजगार दिया है।
अपने इस काम के जरिए कल्पना और उमा ने करीब एक दर्जन महिलाओं को रोजगार दिया है।

इस साल यानी जून 2021 में उन्होंने झा जी स्टोर नाम से अपनी कंपनी रजिस्टर की और जरूरी लाइसेंस हासिल किए। फिर दायरा बढ़ाना शुरू किया। मदद के लिए आसपास की कुछ महिलाओं को भी काम पर रख लिया। इसके बाद उन्हें बल्क ऑर्डर भी मिलने लगे। वे बताती हैं कि हमने 500 किलो अचार तक के बल्क ऑर्डर की सप्लाई की है। फिलहाल मध्य प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान, तमिलनाडु, मुंबई सहित देशभर में अपने प्रोडक्ट भेज रही हैं। उनके पास आम, मिर्च, ओल, नींबू, मिक्स, अदरक, लहसुन सहित एक दर्जन से ज्यादा वैराइटी के अचार हैं। जहां तक प्राइस की बात है 249 रुपए से लेकर 299 रुपए में उनके प्रोडक्ट बिकते हैं।

अब बिहार के बाहर स्टोर और वर्ल्ड वाइड मार्केटिंग पर फोकस

उमा कहती हैं कि फिलहाल हम लोग घर से ही प्रोडक्ट तैयार करके देशभर में भेज रहे हैं, लेकिन अब डिमांड इतनी ज्यादा हो गई है कि हमें कुछ स्टोर खोलने पड़ेंगे। इसको लेकर हम लोग प्लान कर रहे हैं। जल्द ही हम लोग बिहार से बाहर यानी पश्चिम बंगाल, दिल्ली, मुंबई जैसी जगहों पर अपने स्टोर शुरू करने वाले हैं। इसके साथ ही हम भारत के बाहर भी अपने प्रोडक्ट भेजने को लेकर काम कर रहे हैं।

वे कहती हैं कि कल्पना की बेटी न्यूयॉर्क में रहती हैं। वे अपने साथ अचार लेकर जाती है और अपने दोस्तों को खिलाती है। उन्हें भी हमारा प्रोडक्ट काफी पसंद है। इसी तरह भारत के बाहर रहने वाले कुछ और दोस्तों ने भी डिमांड की है। अब अगला टारगेट हमारा भारत के बाहर मार्केटिंग पर ही है। हाल ही में सोनी टीवी पर भी दोनों को एक शो में भाग लेने का मौका मिला है।