भास्कर इंटरव्यूश्रीलंका में सरकार बनाने में जुटी पार्टी के नेता बोले:भारत हालात का फायदा उठा रहा, वहां के बिजनेसमैन हमारे संसाधनों को हथिया रहे हैं

10 महीने पहलेलेखक: पूनम कौशल
  • कॉपी लिंक

श्रीलंका की आर्थिक बदहाली, राष्ट्रपति के देश छोड़कर भागने और लगातार हो रहे प्रदर्शन के बीच यहां की वामपंथी पार्टियां तेजी से उभरी हैं। सत्ता विरोधी आंदोलनों में जनता विमुक्ति पेरामूना यानी जेवीपी की अहम भूमिका रही है।

अब जेवीपी के युवा नेता अनुरा कुमार दिसानायके ने राष्ट्रपति पद के लिए दावेदारी पेश कर दी है। ऐसे में यदि श्रीलंका में वामपंथी दल को सत्ता मिलती है तो चीन का दखल बढ़ेगा। यह भारत के लिए चिंता की बात होगी।

भास्कर ने जेवीपी के राष्ट्रीय संयोजक और पूर्व सांसद बिमल रथनायके से भारत को लेकर उनकी सोच, श्रीलंका के मौजूदा हालात और आगे की रणनीति को लेकर बात की। तो चलिए पढ़ते हैं पूरा इंटरव्यू...

सवाल: जेवीपी श्रीलंका के मौजूदा संकट में भारत की भूमिका को कैसे देखती है?

जवाब: भारत श्रीलंका का पड़ोसी है। दोनों देशों के बीच मजबूत संबंध रहे हैं। भारत ने श्रीलंका की जनता के ज्वलंत मुद्दों पर और जनता को कुछ हद तक राहत देने के लिए मदद की है, लेकिन हम ये देख रहे हैं कि भारत सरकार और वहां के बिजनेसमैन श्रीलंका के संसाधनों को हथियाने में लगे हैं।

जेवीपी के युवा नेता अनुरा कुमार दिसानायके की सभाओं में काफी भीड़ जुट रही है, उन्हें लोग सपोर्ट कर रहे हैं। इसका फायदा आने वाले चुनावों में उनकी पार्टी को मिल सकता है।
जेवीपी के युवा नेता अनुरा कुमार दिसानायके की सभाओं में काफी भीड़ जुट रही है, उन्हें लोग सपोर्ट कर रहे हैं। इसका फायदा आने वाले चुनावों में उनकी पार्टी को मिल सकता है।

भारत सरकार हमारे हालात का फायदा उठाने की कोशिश में है। हम भारत से उम्मीद करते हैं कि वो श्रीलंका के लोगों की आवाज को सुनेंगे। श्रीलंका में भ्रष्ट राजनेताओं को बढ़ावा देने या उन्हें बचाने की कोशिश ना करें।

सवाल: श्रीलंका के हालात ऐसे क्यों हुए? इसकी मुख्य वजह आप क्या मानते हैं?

जवाब: श्रीलंका का मौजूदा आर्थिक संकट की वजह पूंजीवादी और नव उदारवादी आर्थिक नीतियां हैं, जो पांच दशकों से चली आ रही हैं। इनमें घरेलू उत्पादन और उद्योग को नजरअंदाज किया गया। घरेलू खेती को छोड़ दिया गया और खाद्य सुरक्षा पर जोर नहीं दिया गया। हेल्थ, एनर्जी और एजुकेशन सेक्टर्स का प्राइवेटाइजेशन किया गया। इससे कर्ज बढ़ा और हम अपना उधार नहीं चुका पाए। इसके चलते देश दिवालिया हो गया।

भ्रष्टाचार, भाई भतीजावाद ने भी इसमें अहम भूमिका निभाई है। आखिरी दो महीनों में श्रीलंका की सरकार ने विदेशी मुद्रा भंडार से निकालकर 5.5 अरब डॉलर बाजार में डाल दिए, ताकि एक्सचेंज रेट वहीं बना रहे, जहां उन्होंने तय किया था। अरबों रुपए के नोट भी छाप दिए।

इसके अलावा केमिकल फर्टिलाइजर का इम्पोर्ट रोकने के बेवकूफी भरे फैसले लिए। इस वजह से देश का एग्रीकल्चर प्रोडक्शन आधा हो गया। देश को सबसे पहले राजनीतिक रूप से स्थिर करने की जरूरत है। इससे देश को सही से चलाया जा सकेगा।

सवाल: अभी जेवीपी की क्या भूमिका है और आगे वह क्या-क्या करने वाली है?

जवाब: हम शुरुआत से ही प्रोटेस्ट में शामिल थे। हमने सबसे पहले 2021 में कोलंबो बंदरगाह की जेटी को भारतीय अरबपति अडानी को सौंपे जाने का विरोध किया था। भारत सरकार के भारी दबाव में ये बंदरगाह अडानी को दिया गया। हमने प्रदर्शन का नेतृत्व किया और जीत हासिल की। इसके बाद देशभर में किसान संगठनों का प्रदर्शन हुआ, जिसका नेतृत्व हमने किया।

हमारे संसदीय दल ने राजपक्षे परिवार के भ्रष्टाचार का उजागर किया। हमने संसद में राजपक्षे परिवार के गंदे खेल का विरोध किया। संसद में अपने मजबूत प्रभाव से विपक्ष के दूसरे सांसदों को भी जनता के कई मुद्दों पर अपने साथ किया। इस दौरान कई बड़े अहिंसक प्रदर्शन आयोजित किए। इससे लोगों में राजनीतिक जागरुकता आई और वो सत्ता को हराने के लिए साथ आए।

हमारे सामने सिर्फ सत्ता ही नहीं बल्कि प्रदर्शन के भीतर की समाजवादी विरोधी ताकतों से लड़ना चुनौतियां थीं। दुनियाभर में रह रहे श्रीलंकाई लोगों के समर्थन के बाद आखिरकार गोटबाया राजपक्षे को इस्तीफा देना ही पड़ा।

प्रदर्शन में शामिल सभी वर्गों और लोगों की मुख्य मांगें एक जैसी ही हैं। इसमें भी हमने बड़ी भूमिका निभाई है। हम अन्य संगठनों और व्यक्तियों को भी सलाम करते हैं, जिन्होंने इस लड़ाई में बड़ा योगदान दिया है।

  • मजबूरन गोटाबाया पहले मालदीव फिर सिंगापुर भागे: मालदीव में घर और निवेश, वहां के पूर्व प्रेसिडेंट और स्पीकर से भी रहा है करीबी रिश्ता

सवाल: अब श्रीलंका इस संकट से कैसे निकलेगा?

जवाब: इस हालात से निकलने के लिए श्रीलंका के अंतरिम राष्ट्रपति रनिल विक्रमासिंघे, जो प्रधानमंत्री भी हैं, को इस्तीफा देना होगा। फिर स्पीकर अंतरिम राष्ट्रपति बन सकते हैं और संसद को बहुत सीमित समय के लिए अंतरिम सरकार बनानी चाहिए, ताकि लोगों की मांगों को पूरा किया जा सके। जल्द ही आम चुनाव हों और नए बहुमत के साथ सरकार बने।

लोगों के भरोसे से बनी और साफ नीतियों वाली एक स्थिर सरकार ही देश की बेहतरी के लिए काम कर सकती है।

  • उन 5 वजहों को जनिए जिहोंने श्रीलंका को भुखमरी में फंसाया...

सवाल: क्या जेवीपी सरकार बना सकती है या नई सरकार का हिस्सा हो सकती है?

जवाब: हम मानते हैं कि अगले आम चुनावों में जेवीपी और नेशनल पीपुल्स पॉवर मिलकर सरकार बना लेगी, क्योंकि सभी ओपिनियन पोल और सर्वे में जेवीपी किसी भी दूसरी पार्टी के मुकाबले दो-तिहाई मतों से आगे है।

जमीन पर भी लोग जेवीपी का समर्थन कर रहे हैं, लेकिन हम किसी भ्रम में नहीं है। जब पूंजिपतियों, साम्राज्यवादी ताकतों, काले कारोबारियों को यह पता चलेगा, तो वो हर संभव तरीके से हमारी जीत को रोकने का प्रयास करेंगे। हम इस बारे में जानते हैं और सभी रुकावटों को पार करने की तैयारी कर रहे हैं।

चलते-चलते अब इस पोल पर भी अपनी राय दीजिए

श्रीलंका संकट से जुड़ी ये तीन स्टोरी भी पढ़िए

खबरें और भी हैं...