पाकिस्तान में बवाल मचा हुआ है…बवाल भी पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को मिले तोहफों पर।
हर देश के राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री से लेकर सरकारी अधिकारियों तक को विदेश यात्राओं के दौरान तोहफे मिलते रहते हैं। इनमें से कौन से तोहफे वो खुद रख सकते हैं और किसे सरकारी तोशाखाने (ट्रेजरी) में जमा कराना है…इसके नियम भी हर देश में अलग हैं।
इमरान खान पर आरोप है कि बतौर प्रधानमंत्री मिले तोहफों को डिक्लेयर करने में उन्होंने हेरा-फेरी की।
पाकिस्तान में तोहफों को लेकर सरकारी नियम और परंपरा ऐसी रही है कि भ्रष्टाचार होना तय ही है। पाकिस्तान में लगभग हर नेता और अधिकारी हर तोहफा खुद रखता है।
इसके उलट भारत में नेताओं और अधिकारियों का कोई तोहफा खुद के लिए रखना बहुत ही दुर्लभ है। ज्यादातर लोग अपने तोहफे ट्रेजरी में ही जमा करवाते हैं, चाहे वो सस्ते हों या महंगे।
जबकि, पाकिस्तान में आलम ये है कि 2006 में परवेज मुशर्रफ, उनके प्रधानमंत्री शौकत अजीज और बलूचिस्तान के तत्कालीन CM जाम मोहम्मद युसूफ तीनों ने तोहफे में मिली टोयोटा की कारें डिक्लेयर तो कीं, लेकिन न तो इन्हें तोशाखाने में जमा कराया और ना ही इनके एवज में कोई कीमत चुकाई।
भारत में विदेश मंत्रालय हर साल की हर तिमाही पर तोशाखाने में जमा किए गए तोहफों की पूरी लिस्ट जारी करता है। पाकिस्तान ने पहली बार अब 2002 से अब तक के तोहफों की लिस्ट सार्वजनिक की है।
पाकिस्तान के मंत्रियों और अधिकारियों को तोहफे के तौर पर करोड़ों की कारें और घड़ियां मिलना आम बात है, जबकि 2014 से अब तक भारतीय नेताओं और अधिकारियों को मिले कुल तोहफों में से सिर्फ 172 ऐसे हैं जिनकी कीमत 50 हजार रुपए से ज्यादा है।
जानिए, क्या फर्क है पाकिस्तान और भारत में तोहफों के नियमों और राजनीति में…क्यों भारत में तोहफों पर सवाल तो उठे, मगर बवाल नहीं हुआ…
पहले समझिए, कौन सा गिफ्ट नेता रख सकते हैं और कौन सा नहीं
पाकिस्तान में 30 हजार तक का गिफ्ट खुद रख सकते हैं…इससे महंगा हुआ तो मामूली कीमत चुकानी पड़ती है
पाकिस्तान के कानून के मुताबिक विदेश में मिला हर तोहफा तोशाखाने में डिक्लेयर करना पड़ता है। चाहे वो राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री समेत किसी नेता को मिला हो या किसी सरकारी या सैन्य अधिकारी को।
30 हजार पाकिस्तानी रुपए (8789 भारतीय रुपए) तक का कोई भी तोहफा नेता और अधिकारी खुद रख सकते हैं। इसके लिए उन्हें कोई कीमत नहीं चुकानी होती है।
तोहफा इससे ज्यादा महंगा हो तो उसकी कीमत का कुछ हिस्सा तोशाखाने में जमा कराकर इसे रखा जा सकता है।
2017 तक नियम था कि तोहफे की कीमत में से 30 हजार कम करने के बाद बची राशि का 30% जमा करवाना पड़ता था।
2018 से इसे बढ़ाकर 50% कर दिया गया था।
भारत में 5000 तक का गिफ्ट खुद रख सकते हैं…इससे महंगा हुआ तो बाकी कीमत जमा करानी पड़ती है
भारत में भी नेताओं और अधिकारियों को विदेश में मिले सभी तोहफे डिक्लेयर कर तोशाखाने में जमा कराने पड़ते हैं।
तोहफा 5000 रुपए तक का हो तो इसे बिना कोई कीमत चुकाए खुद के लिए रखा जा सकता है। इससे महंगा हो तो 5000 रुपए कम कर बाकी की कीमत तोशाखाने में जमा करानी पड़ती है।
पाकिस्तान में तोहफे न रखने वाले दुर्लभ…2.73 करोड़ की गाड़ी 40 लाख चुकाकर रख लेते हैं
पाकिस्तान में हर नेता और अधिकारी तोहफे में मिली चीजें खुद के लिए ही रखता है। 30 हजार तक के तोहफों में तो कोई भी ऐसा नहीं जिसे तोशाखाने में जमा करवाया गया हो।
इससे ज्यादा कीमत के तोहफों की भी सिर्फ 50% कीमत ही चुकानी पड़ती है। 2018 से पहले तो ये सिर्फ 30% ही थी। 2009 में 26 जनवरी को तत्कालीन पाकिस्तानी प्रेसिडेंट आसिफ अली जरदारी को तीन गाड़ियां तोहफे में मिलीं।
एक BMW 760 (2008 मॉडल), एक टोयोटा लेक्सस 470 और एक BMW 760 (2004 मॉडल) कार थी। इनकी डिक्लेयर्ड कीमत 13.52 करोड़ पाकिस्तानी रुपए थी।
रिकॉर्ड के मुताबिक जरदारी ने सिर्फ 2 करोड़ पाकिस्तानी रुपए चुकाकर ये गाड़ियां रख लीं। इनमें से एक गाड़ी 2.7 करोड़ की थी, जिसके लिए सिर्फ 40 लाख चुकाए गए थे।
मौजूदा पाकिस्तानी PM शहबाज शरीफ का रिकॉर्ड दूसरे नेताओं से बेहतर
मौजूदा प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ का रिकॉर्ड इस मामले में दूसरे नेताओं से बेहतर रहा है।
शहबाज शरीफ 1997 से 2018 के बीच 3 बार पाकिस्तानी पंजाब प्रांत के चीफ मिनिस्टर रहे। इस दौरान उन्हें जो भी तोहफे मिले उसमें से ज्यादातर उन्होंने तोशाखाने में जमा करवा दिए और इन तोहफों की नीलामी कर दी गई।
इस दौरान सिर्फ 23 दिसंबर, 2014 को तोहफे में मिली एक तलवार उन्होंने अपने पास रखी थी। इस तलवार की कीमत 25 हजार पाकिस्तानी रुपए थी और इसके लिए उन्होंने 3 हजार पाकिस्तानी रुपए जमा करवाए थे।
प्रधानमंत्री बनने के बाद भी उन्हें मिले ज्यादातर तोहफे या तो तोशाखाने में जमा करवा दिए गए या PM हाउस के डिस्प्ले में रख दिए गए।
सिर्फ कुछ ही चीजें उन्होंने 50% दाम चुकाकर अपने पास रखी हैं। इनमें कुछ सजावटी सामान के अलावा सुगंधित अगर (आउद) की लकड़ी और अगर का परफ्यूम जैसी चीजें हैं।
परवेज मुशर्रफ को गिफ्ट में मिली थी गाड़ी…न तोशाखाने में जमा करवाई न दाम चुकाए
22 अप्रैल, 2006 को तत्कालीन पाकिस्तानी प्रेसिडेंट जनरल परवेज मुशर्रफ को एक टोयोटा लेक्सस 470 कार तोहफे में मिली।
उनके साथ तत्कालीन पाकिस्तानी PM शौकत अजीज थे और उन्हें भी टोयोटा लेक्सस 470 कार तोहफे में मिली थी। साथ ही बलूचिस्तान के तत्कालीन CM जाम मोहम्मद युसूफ को टोयोटा वीएक्सआर कार तोहफे में मिली थी।
तीनों नेताओं ने ये तोहफा डिक्लेयर तो किया, मगर कभी भी तोशाखाने में जमा नहीं करवाया। यानी कभी इसके लिए कोई कीमत भी नहीं चुकाई।
भारत में हालात इसके ठीक उलट, महंगे तोहफे नहीं मिलते…मिलते भी हैं तो नेता और अधिकारी तोहफे खुद नहीं रखते
2014 से अब तक के विदेश मंत्रालय के रिकॉर्ड बताते हैं कि भारतीय नेताओं और अधिकारियों का व्यवहार पाकिस्तान के ठीक उलट है।
भारत में नेता या अधिकारी कोई तोहफा विरले ही अपने पास रखते हैं। 5000 तक के तोहफे बिना कीमत चुकाए रखे जा सकते हैं, लेकिन अधिकारी या नेता इन्हें भी तोशाखाने में जमा ही करवा देते हैं।
महंगे तोहफों की संख्या भी कम है। 2014 से अब तक सिर्फ 172 तोहफे ही ऐसे हैं जिनकी कीमत 50 हजार या इससे ज्यादा है।
तोहफे रखने के मामले भी कम ही हैं। जैसे 2016 में तत्कालीन उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी को एक पेंटिंग तोहफे में मिली जिसकी कीमत 50 हजार थी। 5 हजार की छूट के बाद के 45 हजार उपराष्ट्रपति ने तोशाखाने में जमा कर पेंटिंग रखी।
इसी तरह 2018 में तत्कालीन विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर को एक 50 हजार का कार्पेट तोहफे में मिला था। उन्होंने भी 45 हजार जमा करवाकर इसे अपने पास रखा।
महंगे तोहफों का भी सरकारी कर्मचारियों-नेताओं को मोह नहीं
भारतीय अधिकारियों और नेताओं में मंहगे तोहफों का भी मोह नहीं दिखता है। 26 मार्च, 2018 को 35 से ज्यादा विभिन्न भारतीय अधिकारियों को महंगी घड़ियां तोहफे में मिलीं।
इन घड़ियों की कीमत 1.75 लाख से 4 लाख रुपए तक थी। मगर किसी भी अधिकारी ने घड़ी ने अपने पास नहीं रखी, सभी ने तोशाखाने में जमा करवा दी।
PM नरेंद्र मोदी को मिले गिफ्ट्स पर सवाल उठे…2019 से सभी गिफ्ट्स की नीलामी करवाते हैं PM
PM नरेंद्र मोदी को मिले गिफ्ट्स पर कई बार सवाल उठे हैं। कभी ‘नमो’ प्रिंट के पिन स्ट्राइप सूट तो कभी शॉल को लेकर विवाद उठे हैं।
लेकिन 2019 से एक नई परंपरा शुरू की गई है। प्रधानमंत्री को मिलने वाले सभी तोहफों की अब ऑनलाइन नीलामी की जाती है। आखिरी नीलामी 2022 में 17 सितंबर से 12 अक्टूबर के बीच की गई थी।
इस नीलामी से जमा होने वाली राशि को राहत कोष में लोगों की मदद के लिए रखा जाता है।
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