मध्य प्रदेश के छोटे से शहर पन्ना का एक लड़का। जब वो 12 साल का था तो पिता की मौत हो गई। घर की आर्थिक स्थिति इतनी खराब थी कि कुछ महीने साइकिल की दुकान पर काम करना पड़ा, तो कुछ महीने मोटरसाइकिल रिपेयरिंग का काम किया और स्टॉल लगाकर अंडे भी बेचे।
फिर वक्त ने ऐसी करवट बदली कि आज वो लड़का बॉलीवुड में अपनी अलग पहचान बना चुका है। एक्टिंग और डायलॉग के लिए उसे हर कोई जानता है। जब आप पूरी स्टोरी पढ़ेंगे तो जानेंगे कि कैसे इस स्थिति का सामना करते हुए छोटी कद-काठी वाला लड़का फिल्म इंडस्ट्री का जाना पहचाना चेहरा बन गया।
"कुछ कहिए... दो कप चाय के लिए कहा था, अभी तक आई नहीं।" दरअसल, हम बात कर रहे हैं इश्तियाक खान की। ये उन्हीं का डायलॉग है। 10 जून को उनकी एक फिल्म आई है ‘जनहित में जारी।’ यह कॉमेडी के जरिए सोसाइटी को सेक्स एजुकेशन, कंडोम की जरूरत, गर्भपात और गर्भनिरोधक जैसे गंभीर विषयों को हंसते-खेलते समझाती है।
लीड रोल में एक्ट्रेस नुसरत भरुचा हैं, जिनके पिता का कैरेक्टर जाने-माने एक्टर इश्तियाक खान ने प्ले किया है।
अपनी जर्नी को लेकर इश्तियाक बताते हैं, “12 साल का था, तब पिता की मौत हो गई। घर की पूरी जिम्मेदारी मां के ऊपर आ गई। घर के सामने एक साइकिल की दुकान थी। वहां कुछ महीने काम किया। फिर मोटरसाइकिल रिपेयर करने लगा। सर्दियों में उबले अंडे भी बेचे।”
इश्तियाक कहते हैं- बचपन से ही संगीत में दिलचस्पी थी। आर्थिक तंगी की वजह से पन्ना के स्कूलों में 15 अगस्त, 26 जनवरी पर बच्चों को गाने सिखाने जाता था। इससे कुछ रुपए मिल जाते।
दिल्ली के नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (NSD) के सफर को लेकर इश्तियाक खान 1990 की एक बात बताते हैं। कहते हैं- ये इत्तेफाक रहा। दरअसल, पन्ना में एक नुक्कड़ नाटक के लिए ढोलक वाले की जरूरत थी। जिसे बजाना था वो आया नहीं, तो मौका मुझे मिल गया। फिर एक दिन एक और एक्टर नहीं आया तो मुझे मौका मिला। यहां से मैं एक्टिंग की ओर मुड़ गया। इसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
इश्तियाक खुद को कमजोर स्टूडेंट बताते हैं। कहते हैं- पढ़ाई में बहुत कमजोर था। पत्नी ने बैचलर कंप्लीट करने में मदद की। एक थिएटर ग्रुप के डायरेक्टर ने NSD जाने की सलाह दी। इसके लिए मैंने तैयारी शुरू की।
NSD का एक किस्सा इश्तियाक बताते हैं। कहते हैं- एक नाटक में पंडित का रोल करना था। शो खत्म होने के बाद भी मैं चंदन-टीका और गेटअप के साथ मार्केट में निकल जाता था। मुझे अच्छा लगता था।
इश्तियाक मुंबई कैसे पहुंचे? इस पर वो कहते हैं- एक्टिंग का शौक था। मुंबई जाना नहीं चाहता था, लेकिन सर्वाइव करने के लिए पैसों की जरूरत थी। दूसरे कामों में मेरा मन नहीं लगता था। कई ऐसी जगहों पर मैंने काम किया जहां सैलरी किसी दिहाड़ी मजदूर की मजदूरी से भी कम थी। मैं चाहता हूं कि सरकार को इस पर सोचना चाहिए कि कोई यदि किसी ड्रामा स्कूल से पासआउट होता है तो उसे आर्थिक तौर पर मदद की जा सके। पैसे की जरूरत थी तो मुंबई आना पड़ा। पहली बार रामगोपाल वर्मा की फिल्म ‘अज्ञात’ में मौका मिला।
मुंबई में खुद को स्टेबल करने की सबसे बड़ी चुनौती के बारे में इश्तियाक कहते हैं- काम मिलना बड़ी बात नहीं है। ये आसान हो सकता है यदि हम जैसे लोगों की आर्थिक तंगी ना हो। सबसे बड़ा मसला है कि आपको कितने दिनों के लिए काम मिल पाता है। इसी से तय होता है कि कितने दिन आप यहां ठहर पाते हैं? मेरे साथ भी यही हुआ। स्ट्रगल इस बात को लेकर भी था कि मैं कितने दिनों तक यहां ठहर सकता हूं। कितने दिन सर्वाइव करने के लिए मेरे पास पैसे हैं।
कई बार ऐसा हुआ जब इश्तियाक निराश हो गए। वो कहते हैं- अभी भी ऐसा होता है। कभी मुंबई से लौटने का मन तो नहीं किया, लेकिन जब कोई रोल चाहता हूं, मुझे ऑफर भी होता है, लेकिन वो हाथ से निकल जाता है। कई बार ऐसा हुआ है। हर तीसरे एक्टर को मुंबई में यह फेस करना पड़ता है।
एक्टिंग की सबसे बड़ी चुनौती को लेकर इश्तियाक कहते हैं- यह ऐसा काम है जिसमें हर बार हम जैसे एक्टर को एग्जाम देना पड़ता है। हर रोल के लिए खुद को परफेक्ट साबित करना होता है। तभी काम मिलता है। कई एक्टर इससे आगे निकल चुके हैं। मेरा सफर भी जारी है।
इश्तियाक खान लोगों को हंसाने, कॉमेडी करने और गंभीर मुद्दों को आसानी से पर्दे पर उतारने के लिए जाने जाते हैं। वो कहते हैं- इस इंडस्ट्री का एक अलग चलन है। यदि मैंने किसी फिल्म में कॉमेडी की, वो रोल हिट रहा तो कोई भी डायरेक्टर मुझे उसी तरह के रोल के लिए फिट मानेगा, जिससे एक एक्टर का नुकसान होता है। व्यूअर जिस रोल में एक्टर को एक्सेप्ट कर लेते हैं, डायरेक्टर उसी रोल के लिए परोसना चाहता है। बहुत कम ऐसे डायरेक्टर होते हैं जो अलग-अलग रोल के लिए इस तरह के किसी एक को ऑफर करते हैं।
इस टैग मार्क से बचने के लिए इश्तियाक अपने मन पसंद फिल्मों को करना पसंद करते हैं। वो कहते हैं- हर रोज मैं कई रोल प्ले कर सकता हूं, लेकिन मुझे जो अच्छा लगता है वही मैं करना चाहता हूं।
‘जनहित में जारी’ फिल्म में पिता के कैरेक्टर को लेकर इश्तियाक कहते हैं- जब स्क्रिप्ट मेरे पास आई और बताया गया कि मुझे नुसरत के पिता का रोल प्ले करना है तो मुझे लगा कि ये गलत आदमी के पास आ गया है। मैं हाइट में इतना छोटा हूं। नूसरत जैसी लंबी लड़की के पिता का रोल कैसा लगेगा?
अपनी पर्सनालिटी और हाइट को लेकर भी इश्तियाक खान को कई बार बॉडी शेमिंग का सामना करना पड़ा है। वो कहते हैं, कई रोल ऐसे हैं जो कम हाइट की वजह से मिलते हैं, तो कई ऐसे रोल हैं जो अच्छी हाइट न होने की वजह से नहीं मिलते हैं। यदि मैं हीरो बनना चाहूं तो भी नहीं बन सकता।
एक्टर राजपाल यादव की फिल्म 'अर्ध' भी रिलीज हुई है। राजपाल को लेकर इश्तियाक कहते हैं- वो इंडस्ट्री में स्टेबल हैं। मैं स्टेबल हो रहा हूं। उनके काम करने का स्टाइल अलग है। समानता बस इतनी है कि हम दोनों की हाइट बराबर है। मैं कॉमेडी नहीं, एक्टिंग करना चाहता हूं।
इश्तियाक मानते हैं कि OTT प्लेटफॉर्म के आ जाने के बाद उन जैसे एक्टर्स को ज्यादा स्पेस मिलने लगा है। वो कहते हैं- जो बड़े स्टार हैं, उनकी अलग ताकत होती है। लोग सलमान, अक्षय जैसे नामों को ही सुनकर थिएटर में आ जाते हैं।
OTT कैरेक्टर बेस्ड फिल्मों को दर्शकों तक पहुंचा रही है और हम जैसे एक्टर की भी एक पहचान बन रही है। स्टारडम अब OTT प्लेटफॉर्म ने ले ली है। अब स्टार OTT है और कहानी हम जैसे एक्टर्स के जरिए बोली जा रही है।
इश्तियाक खान की अगले कुछ महीनों में कई फिल्में- खुदा हाफिज-2, मैदान, डेढ़ लाख का दुल्हा आने वाली हैं।
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