बोरी के पर्दे से बना एक कमरा है, इसी की आड़ में हरियाणा के भिवानी में जलाकर मार दिए गए जुनैद की पत्नी साजिदा बैठी हैं। साजिदा की गोद में 6 महीने की बेटी है। वो उसे दूध पिला रही हैं, लेकिन उसकी आंखों में गुस्सा और दुख है।
वे कहती हैं- ‘सरकार हिंदुओं की होयो पड़ो है। हम कुछ ना लागरे सरकार के, मुसलमान कुछ न लागरे सरकार के? हम कुछ लगते तो कातिलों को पकड़ने पे जोर देते, महीना गुजर गया। मेरे बेकसूर आदमी को जैसे जिंदा जला दिया, वैसा ही मोनू मानेसर के साथ हो।’ बोलते-बोलते रोने लगती हैं, चुप हो जाती हैं।
16 फरवरी 2023 को हरियाणा के भिवानी में बारवास गांव के पास जली हुई बोलेरो कार में जुनैद के साथ नासिर की भी जली हुई लाश मिली थी। लाश मिलने के बाद से ही नासिर की बीवी परमीना सदमे में है।
मेरे सवाल पर गुस्से में बस इतना कहती हैं- इंसाफ चाहिए, कुछ न चाहिए। फांसी हो, कुछ न चाहिए। मेरा आदमी मारा गया, जलाया गया, फांसी की सजा चाहिए।’ परमीना चुप हो जाती हैं, रोती भी नहीं। पास बैठी महिला कहती है, इसकी दिमागी हालत ठीक नहीं। मेरे मन में सवाल आता है, पति की सिर्फ हड्डियां मिलें तो किसका दिमाग ठीक रहेगा?
28 जनवरी, 2023 को कार मैकेनिक वारिस को भी गो-तस्करी के आरोप में पीटा गया। अस्पताल में उसकी मौत हो गई। इससे करीब दो साल पहले 18 मई 2021 को नूंह के रहने वाले जिम ट्रेनर आसिफ की लिंचिंग का भी मामला सामने आया था। ये हत्याएं तो हुईं, लेकिन इनके पीछे बचे बूढ़े मां-बाप, बेवा बीवियों और अनाथ बच्चों का क्या हुआ, ये तलाशने मैं राजस्थान और हरियाणा पहुंची।
जुनैद-नासिर की हत्या के 8 आरोपी अब भी फरार
जुनैद-नासिर की हत्या को एक महीने से भी ज्यादा गुजर चुका है। मामले में 9 आरोपी हैं, लेकिन अब तक इनमें से सिर्फ एक रिंकू सैनी पकड़ा गया है। पुलिस के मुताबिक, बाकी की तलाश की जा रही है। जुनैद-नासिर के घरवाले लगातार गोरक्षा दल से जुड़े मोनू मानेसर पर आरोप लगा रहे हैं। शुरुआती FIR में उसका नाम था, लेकिन बाद में की गई FIR में उसका नाम शामिल नहीं किया गया है।
हरियाणा के जींद में सोमनाथ गोशाला से राजस्थान पुलिस ने 19 फरवरी को एक स्कॉर्पियो गाड़ी बरामद की थी। इसमें मिले खून की DNA रिपोर्ट आ चुकी है। भरतपुर के SP श्याम सिंह के मुताबिक, जो खून के धब्बे मिले थे, वे जुनैद और नासिर के ही हैं। दोनों से इसी गाड़ी में मारपीट की गई थी। फिर बोलेरो में डालकर जला दिया गया। उन्हें गो-तस्करी के आरोप में पकड़ा गया था।
‘जुनैद की बीवी नहीं, बेवा कहो, बजरंग बली वालों ने मार डाला’
जुनैद और नासिर राजस्थान के भरतपुर के घाटमीका गांव के रहने वाले थे। सबसे पहले मैं जुनैद के घर पहुंची। घर का दरवाजा खटखटाया, तो जुनैद की सबसे बड़ी बेटी बाहर आई। उसने कहा- ‘घर पर कोई नहीं है, पड़ोस में चाचा का घर है। अम्मी वहीं हैं।’
मैं वहां पहुंची, तो पता चला कि जुनैद की बीवी साजिदा यहां इद्दत (बेवा होने के बाद 3 महीने तक शोक मनाना, इस दौरान भाइयों के अलावा किसी मर्द को न सूरत दिखाते हैं, न उसकी देखते हैं।) पर बैठी हैं। उनके खुद के घर में इतनी जगह नहीं थी कि वहां ये रस्म निभाई जा सकती।
सामने जुनैद के ससुर एक चारपाई पर बैठे हैं। मैं उनसे कहती हूं, 'जुनैद की बीवी से मिलने आई हूं।’ वे जवाब देते हैं- ‘जुनैद की बीवी नहीं, बेवा कहो। ‘बजरंग बली’ वालों ने मेरी जवान बेटी को बेवा और मेरे नातियों को यतीम कर दिया है।’ कहते हुए वे रोने लगते हैं।
साजिदा कुछ देर मुझे खामोशी से देखती रहती हैं, फिर कहती हैं- ‘मेरे आदमी को जलाकर मार दिया। कपड़ों की थान से झूठा जनाजा तैयार किया था (जली गाड़ी से जुनैद की सिर्फ हड्डियां मिली थीं)। आखिरी बार चेहरा भी देखना नसीब नहीं हुआ। मेरे आदमी को मिट्टी बना दिया। क्या कसूर था उसका? यहीं न कि वो मुसलमान था। मेरे बच्चों को अब कौन देखेगा?’ ये कहते हुए साजिदा जोर-जोर से रोने लगती हैं। उनके पास बैठी बेटी घबराकर बाहर चली जाती है।
खुद को संभालते हुए साजिदा आगे कहती हैं- ‘मेरे 6 बच्चे हैं। जुनैद के भाई के भी 7 बच्चे हैं। गुजारे के लिए राशन की दुकान खोली थी, वो भी कोरोना में बंद हो गई। भाई की बड़ी लड़की सयानी हो गई है, उसी के रिश्ते के लिए जुनैद घर से निकला था। क्या पता था उस दिन घर से आखिरी रोटी खाकर निकल रहा है।’
मोनू मानेसर जैसे कातिल बेखौफ घूम रहे हैं, कोई कुछ नहीं कर सकता
साजिदा को रोते हुए देखकर उसका छोटा भाई वारिस आ जाता है। गुस्से में बोलता है- ‘हम लोग निशाना बनते रहेंगे और मोनू मानेसर जैसे कातिल बेखौफ घूमते रहेंगे। सरकार बजरंग दल वालों की है। उदयपुर में कन्हैया लाल का मर्डर हुआ तो सारे आरोपी पकड़े गए। इस मामले में महीना बीता, लेकिन एक पकड़ा गया है। अब हम चुप नहीं रहेंगे, आज हमारे जीजा को मारा है, कल हमको मार देंगे। मेरे जीजा गो-तस्कर होते, तो ऐसे टूटे-फूटे घर में रहते?’ वारिस बोलते-बोलते चुप हो जाता है, फिर उठकर चला जाता है।
‘क्या बजरंग दल वाले मुसलमानों से नफरत करते हैं’
जली हुई बोलेरो में मिली दूसरी लाश नासिर की थी। नासिर का घर भी जुनैद के घर से थोड़ी ही दूर है। मैं उनके घर की तरफ बढ़ती हूं तो जुनैद की बीवी का भाई वारिस आ जाता है, एक खाली पड़े प्लॉट की तरफ इशारा करते हुए कहता है- ‘अभी वाला घर टूटा हुआ है, नासिर भाई ने नींव पड़वाई थी। यहां नया कमरा बनवाना था।’
इसी बीच नासिर की बड़ी बहन मामूरी घर से बाहर आ जाती हैं। मैं जैसे ही नासिर का जिक्र करती हूं, वे बदहवास होकर गिर जाती हैं। आस-पास के लोग उन्हें उठाकर घर में ले जाते हैं और चारपाई पर बिठा देते हैं। मामूरी दुख और गुस्से में चिल्लाने लगती हैं- ‘क्या मेरे भाई ने मरने से पहले उनसे जान की भीख नहीं मांगी होगी। वो रोया-गिड़गिड़ाया होगा, लेकिन फिर भी उसे मार दिया।’
नासिर की शर्ट हाथ में लिए मामूरी कहती हैं- ‘लोग कह रहे हैं बजरंग दल वालों ने मारा है, मैं तो उन्हें जानती भी नहीं। क्या ये लोग मुसलमानों से नफरत करते हैं?’ सवाल पूछकर मामूरी की आंखें मुझे घूरने लगती हैं।
मुझसे कोई जवाब न मिलता देखा मामूरी आगे कहती हैं- ‘जान हिंदू की हो या मुसलमान की, जान तो एक बराबर होती है। मेरे भाई का तो कोई कसूर नहीं था, इस गम के साथ कैसे जियेंगे।’ मामूरी और उनके आस-पास खड़ी सभी औरतें जोर-जोर से रोने लगती हैं।
मैं पूछती हूं, ‘क्या मेरी बात नासिर की पत्नी से हो सकती है?’ मामूरी जवाब देती हैं- ‘उसकी दिमागी हालत ठीक नहीं, वो तो बिल्कुल चुप हो गई है।’ एक कमरे की तरफ इशारा करती हैं। अंदर एक पलंग पर नासिर की पत्नी परमीना बैठी हैं। मैं सवाल करती हूं, वे जवाब में बार-बार सिर्फ इतना कहती हैं- ‘मेरा आदमी बहुत सीधा था, नमाज का पाबंद था। किसी से ऊंची आवाज में बात नहीं करता था, फिर भी उसे मार दिया।’
‘इंसाफ नहीं मिला तो मैं फांसी पर लटक जाऊंगा’
जुनैद और नासिर के परिवार वालों का आरोप है कि प्रशासन उनकी नहीं सुन रहा। आरोपियों को जानबूझकर नहीं पकड़ा गया, क्योंकि मर्डर के आरोपी हिंदू हैं। घाटमीका गांव के कब्रिस्तान में जुनैद-नासिर को इंसाफ दिलाने के लिए कुछ लोग प्रदर्शन भी कर रहे हैं।
धरने पर बैठे जुनैद के भाई इस्माइल कहते हैं- ‘अगर आरोपियों को नहीं पकड़ा गया तो मैं फांसी पर लटककर जान दे दूंगा और मेरी मौत के जिम्मेदार यहां की पुलिस और प्रशासन होंगे।’ लोगों का आरोप है कि पुलिस उन्हें प्रदर्शन भी नहीं करने दे रही है।
परिवार वाले सीधे पुलिस पर आरोप लगा रहे थे, इसलिए मैं भरतपुर जिले के पहाड़ी थाना पहुंची। पुलिसवालों से पूछा कि प्रदर्शन कर रहे लोगों का कहना है कि आप उन्हें परेशान कर रहे हैं? मेरी बात सुनकर थाने में मौजूद पुलिसवाले मुस्कुराने लगे। मैंने फिर पूछा तो कहा- ‘आपको SHO सर ही कुछ बता सकते हैं, उन्हीं से बात कर लीजिए।’
कुछ देर में SHO शिव लहरी आए तो मैंने उनसे भी यही सवाल किया। इस पर शिव लहरी भड़क गए, कहने लगे- ‘आपको क्यों लगता है कि वे लोग सच बोल रहे हैं?’ मैंने कहा ‘मुझे कुछ नहीं लग रहा, गांव वालों ने आरोप लगाए, तो मैं आपसे सवाल पूछ रही हूं।’
इस पर शिव लहरी बोले- ‘मैं कुछ नहीं बोलूंगा आप SP सर से बात कर लीजिए।’ मैंने भरतपुर के SP श्याम सिंह को फोन किया तो जवाब मिला- ‘इस मुद्दे पर अभी बात नहीं करूंगा, बाद में बात करिए।’
‘पुलिस एक्शन लेती तो जुनैद और नासिर जिंदा होते’
घाटमीका में जुनैद-नासिर के परिवार से मिलने के बाद मैं नूंह के हुसैनपुर में वारिस के घर पहुंची। वारिस, शौकीन और नफीस को 28 जनवरी की सुबह 5 बजे गो-तस्करी के आरोप में मोनू मानेसर और उसके साथियों ने पकड़ा था। एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें ये तीनों एक गाड़ी में बैठे हैं। उन्हें पीटा और डराया-धमकाया जा रहा है, इस दौरान पुलिस भी मौजूद थी।
कुछ घंटों बाद वारिस की अस्पताल में मौत हो गई थी। वारिस के घरवालों ने मोनू मानेसर को हत्या का आरोपी बताया था। हालांकि, पुलिस ने कहा था कि एक्सीडेंट में वारिस को अंदरूनी चोट लगी, इसी से उसकी मौत हुई।
मैं वारिस के घर पहुंची तो एक कोने में उसकी मां बेसुध पड़ी थीं। वारिस की छोटी बहन शकीरा ने बताया, ‘भाई के इंतकाल के बाद अम्मी होश में नहीं रहती हैं।’ वे कुछ होश में आईं तो मैंने उनसे कहा- ‘वारिस के बारे में कुछ बताइए।’
जवाब मिला- ‘मेरा बेटा मिस्त्री था, गाड़ी ठीक करता था। वो गो-तस्कर नहीं था। फिर भी उसे मार दिया। अभी भी लगता है कि सब झूठ है और शाम को वो घर लौट आएगा।’ घर के आंगन में ही एक कोने पर दो गाय बंधी हैं, एक लड़की उन्हें खाना दे रही है। शकीरा की गोद में वारिस की 5 महीने की बेटी है।
मैंने वारिस की बीवी से मिलना चाहा, तो घर की औरतों ने साफ मना कर दिया। कहा- ‘हमारे घर की औरतें कैमरे पर नहीं आतीं। आपको वारिस के भाई इमरान सब बताएंगे।’
इमरान आते हैं, बोलना शुरू करते हैं- ‘मैंने अपना भाई खो दिया और एक महीने के अंदर जुनैद और नासिर की खबर भी आ गई। पुलिस वारिस के वक्त ही एक्शन ले लेती, तो कम से कम जुनैद और नासिर बच जाते। वारिस के केस में कुछ नहीं हुआ, इसलिए मोनू मानेसर जैसे लोगों को और हिम्मत मिल जाती है।’
आसिफ के बूढ़े पिता को भी न्याय का इंतजार
16 मई 2021 की रात हरियाणा के सोहना से दवाई लेकर आ रहे आसिफ का पीछा कुछ गाड़ियों में सवार 16 लोगों ने किया। आसिफ पेशे से बॉडी बिल्डर और जिम ट्रेनर थे। आसिफ को पीछा कर रहे लोगों ने पीट-पीटकर मार दिया था। आसिफ के घर पहुंची तो बूढ़े पिता जाकिर से मुलाकात हुई।
जाकिर ने मुझसे ही सवाल पूछ लिया कि अब क्यों आई हैं? मैंने बताया कि जुनैद-नासिर केस के बाद ऐसे मामलों को तलाश रही हूं। जाकिर बोले, 'जुनैद और नासिर का जब सुना तो लगा, इस नफरत की जद में ना जाने और कितने मुसलमान आएंगे।' आसिफ का नाम लेते ही जाकिर रोने लगे
जाकिर आगे बताते हैं- ‘मेवात अब पहले जैसा नहीं रहा, यहां पहले भाईचारा हुआ करता था। बीते कुछ साल में यहां नफरत पनपते देखी है, इस नफरत की आग में मैंने 2 साल पहले अपना जवान बेटा खो दिया। अब उनके (हिंदुओं) मोहल्ले से गुजरो, तो लोग हमें कठमुल्ला कहते हैं। किसी की गलती है तो सजा मिलनी चाहिए, लेकिन धर्म की आड़ में मारना ठीक नहीं। मुझे बस उस दिन का इंतजार है, जब आसिफ के गुनहगारों को सजा मिलेगी।’
आसिफ का केस लड़ रहे वकील असद हयात के मुताबिक, आसिफ की हत्या में 13 लोग अरेस्ट किए गए थे। 15 अब भी फरार हैं।
‘सिर्फ मोनू मानेसर ही नहीं, मैं भी पीट सकता हूं’
जुनैद, नासिर, वारिस और आसिफ के परिवार से मिलकर मैंने दूसरा पक्ष जानने के लिए विश्व हिंदू परिषद (VHP) के मानेसर के जिला महामंत्री देवेंद्र सिंह से मिलने का टाइम मांगा। वे मिलने के लिए नहीं तैयार हुए और फोन पर ही बात की।
मोनू मानेसर से जुड़े सवाल पर देवेंद्र ने कहा- ‘मोनू मानेसर और बाकी गोरक्षक मेरी टीम के साथ काम करते हैं। हम किसी को मारते-पीटते नहीं हैं। हम बस गो-तस्करी के खिलाफ मुहिम चला रहे हैं। मोनू को बेवजह निशाना बनाया जा रहा है। उसका जुनैद, नासिर या फिर वारिस की मौत से कोई लेना-देना नहीं।’
देवेंद्र से मैं वारिस की मौत से पहले वायरल हुए वीडियो पर सवाल करती हूं, तो वे भड़क जाते हैं। कहते हैं- ‘मैंने ऐसा कोई वीडियो नहीं देखा है। अगर मेरी प्रॉपर्टी पर कोई हमला करता है, तो ये मेरा फंडामेंटल राइट है कि मैं उसे बचाने के लिए किसी को भी पीट सकता हूं। ये तथ्य है कि मुसलमान ही गो-तस्कर होते हैं। कानून तोड़कर आप अपने अधिकारों की बात नहीं कर सकते।’ ये कहते हुए देवेंद्र फोन काट देते हैं।
जुनैद पर 13 बच्चों की जिम्मेदारी थी
जुनैद के बड़े भाई का नाम जाफर है, उनका मानसिक संतुलन ठीक नहीं है। जाफर के 7 बच्चों की जिम्मेदारी भी जुनैद पर ही थी। अब जुनैद की मौत के बाद जाफर के 7 और जुनैद के 6 बच्चों को कौन पालेगा, ये बताने वाला कोई नहीं।
नासिर और परमीना की 8 साल पहले शादी हुई थी, उनका कोई बच्चा नहीं था, तो उन्होंने भाई के दो बच्चे गोद लिए थे। अब दोनों बच्चे भाई के पास लौट गए हैं। वारिस की डेढ़ साल पहले ही शादी हुई थी, उसकी भी 6 महीने की एक बच्ची है। आसिफ की शादी भी 5 साल पहले ही हुई थी, उनके भी 3 बच्चे हैं।
अब पीछे 4 बेवा बीवियां, 17 अनाथ बच्चे और 4 बूढ़े मां-बाप बचे हैं। सवाल ये है कि गायों की जिम्मेदारी तो सरकार ने ले ली, लेकिन इनकी जिम्मेदारी कौन लेगा?
मॉब लिंचिंग के दो केस और हैं, जो काफी चर्चा में रहे थे। इनमें राजस्थान के अलवर का पहलू खान हत्याकांड और हरियाणा के खंडावली का जुनैद हत्याकांड शामिल हैं। इनमें पहलू खान की हत्या गो तस्करी के शक में की गई थी।
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हॉस्पिटल 8 किमी, वारिस को पहुंचाने में लगे 3 घंटे, भाई बोला- छोड़ने के लिए पैसे मांगे थे
सफेद रंग की बोलेरो गाड़ी में तीन लड़के बैठे हैं। तीनों डरे हुए। एक कड़कती आवाज सुनाई देती है- ‘हैं रे, क्या नाम है तेरा? जवाब मिलता है- वारिस। गांव कहां है- हुसैनपुर।’ये वीडियो 28 जनवरी सुबह करीब 4 से 5 बजे के बीच का बताया गया। 21 साल के वारिस का यह आखिरी वीडियो है। इसके बाद घरवालों को उसकी मौत की खबर मिली। वारिस के भाई के मुताबिक, बजरंग दल वालों ने उसे छोड़ने के पैसे मांगे थे। नहीं देने पर पिटाई की।
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2 जली लाशें, 1 अजन्मे बच्चे की मौत, दादी बोली- बहू पुलिस के धक्के से गिरी
हरियाणा के नूंह जिले का गांव मरोड़। इसी गांव के श्रीकांत शर्मा के घर में मातम का माहौल पसरा है। 16 फरवरी को नूंह में मिली 2 जली लाशों के मामले में श्रीकांत भी आरोपी हैं। आरोप है कि 17 फरवरी की सुबह राजस्थान पुलिस ने श्रीकांत के घर रेड मारी और इसी दौरान उसकी बीवी के साथ धक्का-मुक्की हुई। श्रीकांत की बीवी 9 महीने की प्रेग्नेंट थी। 55 घंटे पहले उन्होंने एक मुर्दा बच्चे को जन्म दिया। उसकी दादी रो-रोकर कहती हैं- ‘पोता पैदा हुआ था। घर में त्योहार मनता। पुलिस ने सब मातम में बदल दिया।’
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मोनू मानेसर नेपाल भागा, फोन कॉल इंटरसेप्ट हुई, साथी UP में छिपे
नासिर-जुनैद हत्याकांड से सुर्खियों में आया मोनू मानेसर हरियाणा से नेपाल भाग गया है। ये दावा राजस्थान पुलिस ने किया है। उन्होंने मोनू मानेसर की फोन इंटरसेप्ट की है। सूत्रों के मुताबिक, मोनू ने अपने खर्चे के लिए पैसे मंगवाए। उसके बाकी साथी उत्तर प्रदेश में अंडरग्राउंड हैं। राजस्थान पुलिस ने इसका इनपुट हरियाणा पुलिस को भेजा है। राजस्थान पुलिस इन सबूतों के साथ हरियाणा पुलिस पर सवाल उठाए कि आरोपियों की फरारी हरियाणा पुलिस ने संरक्षण दिया है। इसको लेकर अब दोनों राज्यों की पुलिस फिर आमने-सामने हो गई है।
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