राजस्थान के भरतपुर में रहने वाले नासिर और जुनैद की हत्या को 30 दिन हो गए। दोनों को गो-तस्करी के आरोप में किडनैप किया गया और 16 फरवरी को दोनों की जली लाशें मिलीं थीं। आरोप हरियाणा के गोरक्षकों पर है। अब तक 8 में से सिर्फ एक आरोपी अरेस्ट हो पाया है।
राजस्थान पुलिस ने 17 फरवरी की सुबह एक आरोपी श्रीकांत के घर दबिश दी। आरोप है कि पुलिस की मारपीट से श्रीकांत की पत्नी के पेट में पल रहे बच्चे की मौत हो गई। परिवार बच्चे की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का इंतजार कर रहा है, ताकि आगे केस लड़ सके।
इस बारे में मैंने भरतपुर के IG गौरव श्रीवास्तव से पूछा तो वे कहते हैं, ‘दो मुस्लिम युवकों के अपहरण और मर्डर केस की जांच में लगी टीम को हरियाणा पुलिस ने नोटिस भेजकर पूछताछ के लिए बुलाया है। या तो ये लोग इस केस का इन्वेस्टिगेशन छोड़ दें, उन मुल्जिमों को पकड़ने का काम छोड़ दें और पहले हरियाणा पुलिस की जांच पूरी करा लें, या फिर जो काम कर रहे हैं, उसे आगे बढ़ा लें।’
न मर्डर केस की जांच कहीं पहुंची, न बच्चे की मौत की
दूसरी तरफ गर्भ में दम तोड़ने वाले बच्चे की मां कमलेश की आंखों में गुस्सा और आंसू दोनों है। वे कहती है, 'मुझे बस अपने बच्चे के हत्यारों को सजा दिलानी है। मैं नौ महीने की गर्भवती थी। उन्होंने (राजस्थान पुलिस) मेरे कमरे का दरवाजा झटके से खोला, मुझे धक्का दिया और लात मारी। वे अपने साथ लेडी पुलिस तक नहीं लाए थे। श्रीकांत घर पर नहीं थे। उन्हें तलाशी लेनी चाहिए थी, मारपीट नहीं करनी थी।'
कमलेश इस बात पर अड़ी हैं कि उनके बच्चे की हत्या हुई है। इसका दोषी वे राजस्थान पुलिस को मानती हैं। वैसे ही जैसे राजस्थान पुलिस हरियाणा के गोरक्षकों को नासिर और जुनैद का हत्यारा मान रही है। दोनों जांच चल रही हैं। अपराध अभी किसी का साबित नहीं हुआ।
इन दोनों केस के बीच की कड़ी है हरियाणा पुलिस। उस पर भी सवाल हैं कि राजस्थान पुलिस की इतनी बड़ी टीम आई और आरोपी के घर में घुस गई। उनके साथ महिला पुलिस क्यों नहीं थी, हरियाणा पुलिस का कोई सिपाही उनके साथ था या नहीं? इन सवालों के जवाब हरियाणा पुलिस के पास अब भी नहीं हैं।
राजस्थान पुलिस की कार्रवाई की जांच SIT कर रही
राजस्थान पुलिस ने श्रीकांत के घरवालों के साथ कैसा बर्ताव किया, उसके अजन्मे बच्चे के मरने की वजह क्या राजस्थान पुलिस की पिटाई थी? इन सवालों को लेकर SIT बनाई गई है। इस SIT को राजस्थान पुलिस कितना सीरियसली ले रही है, उसे भरतपुर के IG गौरव श्रीवास्तव के जवाब से ही समझा जा सकता है। उन्होंने राजस्थान पुलिस पर लगे आरोपों को ही खारिज कर दिया।
वे कहते हैं, 'हम हरियाणा पुलिस के साथ गए थे। उनके घरवालों के साथ हरियाणा पुलिस की मौजूदगी में बात हुई थी। किसी ने मारपीट नहीं की। महिला को किसी ने लात नहीं मारी, जैसा उन्होंने आरोप लगाया है।'
ये मामला हरियाणा के नगीना थाने का है। यहां के SHO इस केस से लगातार जुड़े हैं। उनसे पूछा गया कि क्या थाने की पुलिस के खिलाफ भी जांच चल रही है, जिससे पता चले कि श्रीकांत की पत्नी और उनके घरवालों के आरोप कितने सच्चे हैं। जवाब मिला- ’हमें नहीं पता। आप एडिशनल एसपी से पूछ लें।'
मैंने एडिशनल एसपी को फोन किया तो उन्होंने सवाल सुनते ही फोन काट दिया। दोबारा कई बार मिलाया, पर फोन उठा नहीं।
बच्चे की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट अब तक घरवालों को नहीं मिली
मैंने श्रीकांत के भाई विष्णु शर्मा से पूछा कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में बच्चे की मौत की क्या वजह आई है? उन्होंने कहा, ‘हमें कोई रिपोर्ट नहीं मिली। पुलिस वालों से मांगी थी, तो उन्होंने कहा, बाद में देंगे।'
मौत के बाद बच्चे को दफना दिया गया था, लेकिन 20 फरवरी को उसे कब्र से निकालकर दोबारा पोस्टमॉर्टम करवाया गया। इसलिए यह रिपोर्ट बहुत अहम है। ड्यूटी मजिस्ट्रेट की निगरानी में पहली बार हुए पोस्टमॉर्टम में बच्चे के शरीर पर चोट के निशान नहीं मिले थे। दूसरी बार हुए पोस्टमॉर्टम की रिपोर्ट हरियाणा पुलिस के पास है।
घरवालों को रिपोर्ट चाहिए, जिससे उन्हें पता चले कि इसमें लिखा क्या है, ताकि वे आगे इस केस को लड़ सकें। बच्चे की विसरा रिपोर्ट भी आनी है। हालांकि, इसमें 25 दिन से लेकर 2 महीने और कभी-कभी इससे भी ज्यादा वक्त लग जाता है।
विसरा रिपोर्ट से बच्चे की मौत की सही वजह पता चलेगी, लेकिन फिलहाल पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट ही साक्ष्य है। हरियाणा पुलिस ने अब तक रिपोर्ट उजागर नहीं की है। हां, इस रिपोर्ट से इतना जरूर हुआ कि राजस्थान पुलिस के खिलाफ घटना के चौथे दिन ही FIR हो गई।
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट घरवालों को मिली या नहीं, पुलिस को नहीं पता
बच्चे के घरवाले पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के लिए थाने के चक्कर काट रहे हैं, वहीं हरियाणा पुलिस के अधिकारियों को नहीं पता कि रिपोर्ट घरवालों को दी गई है या नहीं। SIT टीम में शामिल नगीना थाने के SHO राजबीर सिंह पुलिस स्टेशन में नहीं मिले। कई बार फोन करने के बाद उन्होंने कॉल रिसीव किया। कहा कि अभी बात नहीं कर सकते। हालांकि, न करते-करते भी कुछ सवालों के जवाब दिए।
मैंने पूछा कि क्या बच्चे की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट घरवालों को दी गई है, जवाब मिला, 'शायद दे दी है, पता नहीं।' क्या राजस्थान पुलिस के खिलाफ अब तक कोई जांच शुरू हुई, जवाब मिला, 'हां हमने नोटिस भेजा है, 9 या 10 मार्च को।'
नोटिस में क्या है? जवाब मिला 'राजस्थान पुलिस को जल्द हाजिर होने के लिए कहा गया है, ताकि उनसे पूछताछ हो सके। पता लगाया जा सके कि सच क्या है।' इन्वेस्टिगेशन में कितने दिन लगेंगे? जवाब मिला, 'इसकी कोई डेडलाइन नहीं है।'
मैंने पूछा कि FIR दर्ज होने से लेकर अब तक इन्वेस्टिगेशन में क्या-क्या हुआ? जवाब से सिर्फ इतना पता चला कि जांच मां के एडमिट होने के समय के डॉक्टरी डॉक्यूमेंट, बच्चे की विसरा रिपोर्ट और राजस्थान पुलिस से पूछताछ पर टिकी है। ये तीनों फिलहाल हरियाणा पुलिस के हाथ में नहीं हैं।
SIT के दूसरे सदस्य इंस्पेक्टर बृजपाल भी थाने में नहीं थे। उन्होंने किसी मीटिंग में होने की बात कही। उन्होंने भी इन्वेस्टिगेशन के वही तथ्य बताए, जो SHO ने बताए थे।
SIT की कमान ASP के हाथ में
राजस्थान पुलिस के हरियाणा में दबिश देने और श्रीकांत की पत्नी के गर्भ में बच्चे के मरने की जांच के लिए बनाई गई SIT की कमान एडिशनल एसपी ऊषा कुंडू के हाथ में है। 5 लोगों की टीम में उनके साथ एक एसएचओ, एक इंस्पेक्टर और 2 कॉन्स्टेबल हैं। थाने में मौजूद एक अधिकारी ने बताया, यह मामला बहुत तूल पकड़ सकता है। इसलिए ASP मैडम इसकी जांच कर रही हैं। वैसे इस तरह की टीम को एसएचओ लीड करते हैं।
अस्पताल से मेडिकल डॉक्यूमेंट तक नहीं ले पाई पुलिस
श्रीकांत की पत्नी कमलेश 18 फरवरी को अस्पताल में एडमिट हुई थीं। उस वक्त उनकी हालत कैसी थी, ये जानने के लिए हरियाणा पुलिस को डॉक्टर से मेडिकल डॉक्यूमेंट चाहिए। FIR के इतने दिन बाद भी पुलिस ये डॉक्यूमेंट नहीं निकाल पाई है, जबकि हॉस्पिटल की दूरी महज 6-7 किलोमीटर है।
जांच का दूसरा अहम डॉक्यूमेंट विसरा रिपोर्ट आने में काफी वक्त लगेगा। तीसरा अहम हिस्सा राजस्थान पुलिस से पूछताछ है, वो भी अब तक नहीं हो पाई। आगे कितना वक्त लगेगा, यह भी नहीं पता।
‘सरकार ने मदद नहीं दी, क्या बच्चे की मौत से फर्क नहीं पड़ता...‘
बजरंग दल कार्यकर्ता श्रीकांत जिस गोरक्षक दल का सदस्य है, वह गोसेवा आयोग की तरफ से गायों की रक्षा के लिए बनाई सबसे निचली इकाई है। श्रीकांत के भाई विष्णु शर्मा कहते हैं, 'राजस्थान सरकार ने तो नासिर और जुनैद को 20-20 लाख और नौकरी का ऐलान किया है। हमारी सरकार ने हमें यूं ही छोड़ दिया। कोई विधायक तक मिलने नहीं आया। मध्यप्रदेश से BJP सांसद साध्वी प्रज्ञा जरूर आईं थीं, लेकिन हरियाणा सरकार की तरफ से नहीं।'
श्रीकांत के समर्थन और राजस्थान पुलिस की कार्रवाई में बच्चे की मौत के विरोध में हथिनी में हुई पंचायत में 51 लाख रुपए और नौकरी की मांग की गई थी। इस पर सरकार से कोई आश्वासन नहीं मिला है।
सरकार गाय बचाना चाहती है, मेरे बेटे ने भी तो यही किया...
श्रीकांत के पिता बालकिशन कहते हैं, 'गाय को बचाना हमारी परंपरा है। भले ही सरकार हमारी मदद न करे। हमने हमेशा संस्कृति और परंपरा की रक्षा की है, आगे भी करते रहेंगे। गाय भी इसी का हिस्सा है।’ इस केस से अगर श्रीकांत बच गए, तो क्या उन्हें आगे गोरक्षा दल से जुड़े रहने देंगे। बालकिशन ने कहा, 'हां, बिल्कुल। अगर वह चाहेगा।'
गोरक्षा के लिए बजट 10 गुना बढ़ा, इस बार 400 करोड़
हरियाणा के गोसेवा आयोग के चेयरमैन श्रवण गर्ग कहते हैं ‘गोरक्षा दल गाय की रक्षा के लिए बनी कई टीमों में से एक है। आयोग गाय की रक्षा के लिए संकल्पित है। हरियाणा की खट्टर सरकार भी गोरक्षक की भूमिका में है।
श्रीकांत के भाई विष्णु बजट की बढ़ी रकम पर कहते हैं, 'गोरक्षा के लिए इतनी सजग सरकार गोरक्षकों के लिए बिल्कुल सुस्त है। श्रीकांत अब तक घर नहीं आए हैं। हमें वकील भी करना है। वह गोरक्षा करते हुए आरोपी बना। अब तक वो अपराधी नहीं है।'
आरोपियों के समर्थन में महापंचायत, खुलेआम ऐलान- पकड़ने आए तो पुलिस की टांगें तोड़ देंगे
हरियाणा के नूंह जिले का गांव मरोड़। यहीं श्रीकांत शर्मा का घर है। आरोप है कि 17 फरवरी की सुबह राजस्थान पुलिस ने श्रीकांत के घर रेड मारी और इसी दौरान उसकी बीवी के साथ धक्का-मुक्की हुई। श्रीकांत की बीवी 9 महीने की प्रेग्नेंट थी। 55 घंटे पहले उन्होंने एक मुर्दा बच्चे को जन्म दिया। 21 फरवरी को मामले में ही आरोपी मोनू मानेसर के समर्थन में महापंचायत हुई। इसमें ऐलान किया गया कि अगर राजस्थान पुलिस मोनू मानेसर को गिरफ्तार करने आई, तो हम उनकी टांगे तोड़ देंगे।
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