भास्कर इंटरव्यूED को BJP नेताओं के घर का रास्ता नहीं पता:कपिल सिब्बल बोले- जांच एजेंसी राजनीतिक हुईं, BJP के इशारे पर चलती हैं

नई दिल्ली3 महीने पहलेलेखक: वैभव पलनीटकर
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2024 में मोदी के मुकाबले कौन? विपक्ष के लिए ये फिर सबसे बड़ा सवाल है। जवाब तलाशने के लिए कभी पटना, कभी चेन्नई तो कभी हैदराबाद में बात-मुलाकात होती रहती है। पर असली सवाल कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने पूछा, जगह थी पटना। विपक्ष के नेता CPI(M) के राष्ट्रीय अधिवेशन में जुटे थे। इसी में सलमान खुर्शीद ने पूछ लिया, 'पहले I Love You कौन बोलेगा?'

सलमान खुर्शीद के सवाल का जवाब अब भी नहीं मिला है, लेकिन कांग्रेस में उनके साथी रहे कपिल सिब्बल इसके लिए कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने नया संगठन बनाया है- 'इंसाफ के सिपाही'। इसी के बहाने वे विपक्षी दलों को जोड़ रहे हैं। सिब्बल आज यानी 11 मार्च को दिल्ली के जंतर-मंतर पर ‘न्यू विजन ऑफ इंडिया’ बताने वाले हैं।

पढ़िए इन्हीं मुद्दों पर कपिल सिब्बल से खास बातचीत…

सवाल: आप करीब 32 साल से राजनीति में हैं, लेकिन सिर्फ दो चुनाव जीत पाए, आपको पैराशूट कैंडिडेट भी कहा गया। आपका कोई जनाधार नहीं है, तो बाकी नेता आपके साथ क्यों आएंगे?
जवाब:
मैं कोई पार्टी नहीं चलाता हूं। पार्टी के सिस्टम में किनारे पर ही रहा हूं। पार्टियों के अंदर अलग-अलग तरह के समीकरण चलते हैं। कहीं जाति पर राजनीति चलती है, कहीं दूसरे पैमाने होते हैं, लेकिन ये सब पार्टियों के फैसले हैं, मैं उस पर क्या कहूंगा।

सवाल: आपके प्लेटफॉर्म को कांग्रेस, AAP, SP, RJD, JMM ने समर्थन दिया है। ये BJP के खिलाफ विपक्ष का नया मोर्चा ही तो लग रहा है?
जवाब:
मेरा प्लेटफॉर्म तभी कामयाब होगा, जब सभी दल बेइंसाफी के खिलाफ लड़ाई भी लड़ेंगे। बंगाल में ममता, महाराष्ट्र में उद्धव, केरल में CPM, बिहार में तेजस्वी, यूपी में अखिलेश, झारखंड में हेमंत सोरेन, कश्मीर में फारुक साहब के साथ बेइंसाफी हो रही है। अगर हम इसके खिलाफ इंसाफ के मंच पर आ जाएं, तो ये एजेंडा राष्ट्रीय मुद्दा बन सकता है।

सवाल: क्या सच में नीतीश, ममता, केसीआर, अखिलेश, स्टालिन, महबूबा मुफ्ती कभी एक मंच पर आ सकते हैं? आपको लगता है, ये अपनी सियासी महत्वकांक्षा भूल जाएंगे?
जवाब: ये संभव ही नहीं कि इतनी सारी पार्टियां सभी मुद्दों पर एक हो जाएं। हर राज्य की अपनी-अपनी समस्या है। पश्चिम बंगाल में सीधी लड़ाई ममता जी और BJP की है, इसमें कांग्रेस का ज्यादा रोल नहीं है। बंगाल की लड़ाई, बंगाल में लड़ी जाएगी, इसका असर महाराष्ट्र में नहीं दिखेगा। महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी BJP के साथ लड़ाई लड़ेगी। इसलिए विपक्षी दल एक मंच पर आ जाएं, तो भी ये लड़ाई हर प्रदेश में अलग-अलग ही लड़नी होगी।

सवाल: सीट के बंटवारे जैसे मुद्दों पर विपक्ष बंट जाता है और फायदा BJP को हो जाता है?
जवाब: आप सीटों की बात कर रहे हैं, मैं इसे इंसाफ की लड़ाई मानता हूं। मौजूदा सरकार लोकतंत्र का गला घोंट रही है, हमारी संस्थाएं ED, CBI सरकार का साथ दे रही हैं। असली लड़ाई यही है। जहां तक सीट का सवाल है, वो फैसला ये पार्टियां खुद मिलकर करेंगी, उससे मेरा कोई लेना-देना नहीं है।

सवाल: आप 10 साल तक मंत्री रहे हैं, आपको लगता है ED-CBI सरकार के पक्ष में कार्रवाई कर रही हैं? ऐसी कार्रवाई तो आपके टाइम में भी होती थीं?
जवाब:
आप अगर हिंदुस्तान का नक्शा देखेंगे तो ED ने उस नक्शे का बंटवारा कर लिया है। जहां BJP की सरकारें हैं, वहां तक उनकी सड़क जाती नहीं है। जहां विपक्ष के नेता बैठे हुए हैं, वहां ये गली-गली तक पहुंच जाते हैं। ये सब कुछ BJP के इशारे पर होता है। BJP सोचती है कि चुनाव आ रहा है, सिसोदिया को अंदर कर दो, शिबू सोरेन के खिलाफ लोकपाल के नोटिस दे दो, लालू जी से पूछताछ करने लगो। केंद्रीय एजेंसियां राजनीतिक हो गई हैं।

सवाल: आपकी और अरविंद केजरीवाल की नजदीकियां बढ़ीं, तो BJP ने 14 मई 2014 का एक वीडियो शेयर कर दिया, जिसमें केजरीवाल आपको सबसे बड़ा भ्रष्टाचारी बता रहे हैं? इतना सब बदल कैसे गया? आप उनके भी केस लड़ रहे हैं शायद?
जवाब:
हमने अरविंद केजरीवाल के खिलाफ इस मामले में केस किया था। उसके बाद उन्होंने मुझे बताया कि उन्होंने अपनी वजह से नहीं, बल्कि किसी और की सलाह पर ऐसा कहा था, उसके बाद बात खत्म हो गई। मैंने आज तक राजनीति में निजी आरोप नहीं लगाए, उसका कोई फायदा नहीं होता। मैं मोदी जी के खिलाफ हूं, लेकिन मेरा उन पर कोई व्यक्तिगत आरोप नहीं है।

सवाल: 2011 में आप मंत्री थे, आपने एक टैबलेट का वादा किया था। Datawind को 14 लाख के प्री-ऑर्डर भी मिले थे। नवंबर 2012 तक 10 हजार भी नहीं शिप हो पाए। क्या हुआ उस प्रोजेक्ट को? किसी स्टूडेंट को मिला था ये टैबलेट?
जवाब: नई सरकार आ गई और फिर वो रह गया। नई सरकार आई तो कई सारी योजनाओं के नाम बदलकर नए रख दिए गए। इसके बारे में मैं 11 मार्च को जंतर-मंतर पर बात करने वाला हूं।

सवाल: आपके प्लेटफॉर्म की वेबसाइट पर लिखा है कि ज्युडिशियल सिस्टम की ओवरहॉलिंग करनी है। आप 50 साल से वकील हैं, आपके पिता भी वकील थे, आपका बेटा भी वकील है। आपको अब याद आ रहा है कि ज्युडिशियल सिस्टम पॉल्यूटेड है। आप जब मंत्री थे, तब भी ये ऐसा ही था या आजकल ही हुआ है ?
जवाब:
मैंने हमेशा ही इसके लिए आवाज उठाई है, हमने कोशिश भी की हैं। ज्यूडिशियल सिस्टम में कई सारी खामियां हैं और अब ये बढ़ती जा रही हैं। अगर कोर्ट और जज से जनता का भरोसा उठ जाए, तो इससे बुरी बात लोकतंत्र में नहीं हो सकती।

सवाल: ‘इंसाफ के सिपाही’ कौन होंगे और वो कैसे काम करेंगे?
जवाब: इंसाफ का पूरा सिस्टम डीसेंट्रलाइज तरीके से काम करेगा। इंसाफ का सिपाही कोई भी हो सकता है, वो तृणमूल का हो सकता है, कांग्रेस का हो सकता है, CPM का नेता हो सकता है। राजनीतिक दल कोई भी हो, लेकिन वो इंसाफ के मंच के लिए काम कर सकता है।

सवाल: राहुल गांधी आपसे सलाह मांगें कि विपक्ष को कैसे एकजुट किया जाए, तो क्या जवाब देंगे?
जवाब: राहुल गांधी को कहूंगा कि ‘इंसाफ के सिपाही’ बन जाइए।

कपिल सिब्बल से पहले भी कई नेताओं ने विपक्ष को एक करने की कोशिशें की हैं। पढ़िए वे 4 मौके, जब विपक्षी नेता एक मंच पर दिखे हैं...
1. 23 मई 2018: जब कर्नाटक में कांग्रेस-JD(S) की सरकार बनी

इस इवेंट में सोनिया गांधी और मायावती के मिलने का अंदाज काफी चर्चा में रहा था, क्योंकि एक साल पहले ही यूपी चुनाव में मायावती की पार्टी BSP बुरी तरह हारी थी। उसे सिर्फ 19 सीटें मिली थीं। कांग्रेस ने ये चुनाव सपा के साथ लड़ा था।
इस इवेंट में सोनिया गांधी और मायावती के मिलने का अंदाज काफी चर्चा में रहा था, क्योंकि एक साल पहले ही यूपी चुनाव में मायावती की पार्टी BSP बुरी तरह हारी थी। उसे सिर्फ 19 सीटें मिली थीं। कांग्रेस ने ये चुनाव सपा के साथ लड़ा था।

कर्नाटक में कांग्रेस से गठबंधन के बाद JD(S) नेता एचडी कुमारस्वामी ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। JD(S) के 37 और कांग्रेस के 78 विधायक थे। इसके बावजूद 104 सीट वाली BJP को सरकार बनाने से रोकने के लिए कांग्रेस ने कुमारस्वामी को CM बनाना मंजूर किया था।

शपथग्रहण समारोह में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, ममता बनर्जी, मायावती, चंद्रबाबू नायडू, अखिलेश यादव, अरविंद केजरीवाल, सीताराम येचुरी, शरद पवार शामिल हुए थे। इस जमावड़े को 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए BJP के खिलाफ विपक्ष की मजबूत मोर्चाबंदी के तौर पर देखा गया, लेकिन इसका फायदा नहीं मिला।

आगे क्या हुआ: 23 मई 2019 को आए लोकसभा चुनाव के नतीजों में BJP ने 303 सीटें जीतीं। NDA को 353 सीटें मिलीं। कांग्रेस सिर्फ 52 सीटें जीत पाई।

2. 27 अगस्त 2017: पटना में लालू की रैली में

लालू की रैली के बारे में कहा जा रहा था कि इसमें पहली बार सपा चीफ अखिलेश यादव और बसपा सुप्रीमो मायावती एक मंच पर आएंगे। बाद में मायावती ने रैली में आने से इनकार कर दिया था।
लालू की रैली के बारे में कहा जा रहा था कि इसमें पहली बार सपा चीफ अखिलेश यादव और बसपा सुप्रीमो मायावती एक मंच पर आएंगे। बाद में मायावती ने रैली में आने से इनकार कर दिया था।

पटना के गांधी मैदान में RJD नेता लालू प्रसाद यादव ने 22 विपक्षी दलों के नेताओं को जुटाकर नए महागठबंधन का रास्ता तैयार किया। इस रैली को 'देश बचाओ-भाजपा भगाओ' नाम दिया गया। इसमें पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, सपा चीफ अखिलेश यादव, झारखंड मुक्ति मोर्चा के हेमंत सोरेन शामिल हुए। रैली में सोनिया और राहुल गांधी का रिकॉर्डेड मैसेज सुनाया गया।

आगे क्या हुआ: बिहार में 2020 में हुए विधानसभा चुनाव में NDA को 125 सीटें मिलीं, BJP को 74, JD(U) को 43 सीटें मिलीं। RJD सबसे बड़ा दल बना, उसने 75 सीटें जीती थीं।

3. 18 जनवरी 2023: तेलंगाना के CM के. चंद्रशेखर राव की रैली में

तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव यानी KCR ने अपनी पार्टी तेलंगाना राष्ट्र समिति का नाम बदलकर भारत राष्ट्र समिति किया था। इसके बाद KCR का यह पहला शक्ति प्रदर्शन था। इसमें अरविंद केजरीवाल और भगवंत मान समेत 4 राज्यों के CM पहुंचे थे।
तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव यानी KCR ने अपनी पार्टी तेलंगाना राष्ट्र समिति का नाम बदलकर भारत राष्ट्र समिति किया था। इसके बाद KCR का यह पहला शक्ति प्रदर्शन था। इसमें अरविंद केजरीवाल और भगवंत मान समेत 4 राज्यों के CM पहुंचे थे।

तेलंगाना के CM के. चंद्रशेखर राव ने खम्मम में एक रैली की। इसमे सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, दिल्ली के CM अरविंद केजरीवाल, पंजाब के CM भगवंत मान, केरल के CM पिनराई विजयन और कम्युनिस्ट नेता डी राजा शामिल हुए। हालांकि, ममता बनर्जी इसमें शामिल नहीं हुईं और नीतीश कुमार को बुलाया नहीं गया। कांग्रेस भी इसमें शामिल नहीं रही।

4. 1 मार्च, 2023: स्टालिन के 70वें जन्मदिन पर

स्टालिन के जन्मदिन पर हिंदी पट्‌टी के बड़े नेता चेन्नई पहुंचे थे। हालांकि, ममता बनर्जी, नीतीश कुमार, अरविंद केजरीवाल और तेलंगाना के CM के. चंद्रशेखर राव इस कार्यक्रम में नहीं आए।
स्टालिन के जन्मदिन पर हिंदी पट्‌टी के बड़े नेता चेन्नई पहुंचे थे। हालांकि, ममता बनर्जी, नीतीश कुमार, अरविंद केजरीवाल और तेलंगाना के CM के. चंद्रशेखर राव इस कार्यक्रम में नहीं आए।

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के 70वें जन्मदिन पर DMK ने बड़ी रैली की। इसमें स्टालिन के साथ कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, सपा चीफ अखिलेश यादव, बिहार के डिप्टी CM तेजस्वी यादव और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला शामिल हुए। हालांकि, इस दौरान स्टालिन ने कहा कि पार्टियों को मतभेदों से ऊपर उठकर BJP को हराने के लिए साथ आना चाहिए, तीसरे मोर्चे की बात बेमानी है।

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