करिअर फंडामूनलाइटिंग से स्टूडेंट्स और प्रोफेशनल्स के लिए 5 सबक:नॉलेज सबसे बड़ी संपत्ति, एथिक्स और मनी मेकिंग में बैलेंस जरूरी

8 महीने पहले
  • कॉपी लिंक

गिग इकॉनमी (शार्ट-टर्म कॉन्ट्रैक्ट या फ्रीलांस वर्क) सशक्तिकरण है। यह नया तरीका, व्यक्तियों को अपने स्वयं के भाग्य को बेहतर ढंग से आकार देने और अपने मौजूदा एसेट्स का लाभ उठाने के लिए सशक्त बनाता है।

- जॉन मैक्एफी (McAfee एंटी वायरस सॉफ्टवेयर के प्रोग्रामर)

करिअर फंडा में स्वागत!

यदि आप एक कॉलेज स्टूडेंट हैं, या प्रोफेशनल हैं, तो आपने मूनलाइटिंग विवाद सुना होगा, है ना? आइए इसे समझें।

'मूनलाइटिंग' क्या है और चर्चा में क्यों है

'मूनलाइटिंग' अपनी कंपनी में नियमित कार्य घंटों के बाद, कोई दूसरा काम करने को कहा जाता है।

ये लोगों को उनकी ‘मुख्य’ नौकरी से अधिक कमाई करने की अनुमति देता है। 'मूनलाइटिंग' का मुख्य कारण अधिक पैसा कमाना होता है।

इंडिया में ये मेनली 'व्हाइट कॉलर' प्रोफेशंस में होता है। सॉफ्टवेयर के अलावा आम साइड-गिग्स में ड्राइविंग, ऑनलाइन रिटेलिंग, ग्राफिक डिजाइनिंग और कंटेंट राइटिंग अर्थात स्पेसिफिक स्किल्स वाले कार्य शामिल हैं। हाल ही में विप्रो द्वारा अपने 300 कर्मचारियों को 'मूनलाइटिंग' करने के कारण जॉब से निकाले जाने तथा केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर द्वारा 'मूनलाइटिंग' के मुद्दे पर पेशेवर कर्मचारियों के नजरिए की सराहना करने पर यह शब्द काफी चर्चा में रहा।

IT क्षेत्र में कॉमन प्रैक्टिस

कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटी सर्वे के अनुसार IT सेक्टर से जुड़े लगभग आधे से अधिक लोग घर से काम करते हुए ‘मूनलाइटिंग’ करते हैं।

इंडस्ट्री का क्या कहना है

यह आइडिया निश्चित ही नौकरियों के बदलते नेचर को रिफ्लेक्ट करता है, पर 'मूनलाइटिंग' ने पारंपरिक तकनीकी कंपनियों और नए जमाने की कंपनियों को विभाजित कर दिया है। कुछ महीनों पहले 'स्विगी' ने इंडस्ट्री की पहली 'मूनलाइटिंग पॉलिसी' निकाली और अपने कर्मचारियों को कार्यघंटे समाप्त होने पर अन्य प्रोजेक्ट्स पर कार्य करने की अनुमति दी। स्विगी की घोषणा के कुछ दिनों बाद, विप्रो के चेयरमैन ऋषद प्रेमजी ने इस अवधारणा को धोखाधड़ी करार दिया, और कहा 'यह धोखा है - प्लेन एंड सिंपल।”

एक अन्य उदाहरण में, बेंगलुरु में एक कार्यालय के साथ एक बहुराष्ट्रीय कंपनी ने पाया कि उसके 12 कोडर्स 'मूनलाइटिंग' कर रहे थे, लेकिन उन्हें नौकरी से निकालने के बजाय कॉन्ट्रेक्चुअल कर्मचारी बनने के लिए कहा गया। उन्हें कड़े प्रोटोकॉल वाले नए लैपटॉप पर सप्ताह में 40 घंटे काम करना पड़ता है, लेकिन उन्हें फ्रीलांसिंग करने की फ्रीडम है। इनफोसिस के CEO सलिल पारीख ने कहा है की वे 'मूनलाइटिंग' के फेवर में नहीं हैं।

क्या यह एथिकल है

इंडस्ट्री बंटी हुई है, कुछ लोग इसे स्ट्रिक्टली अनएथिकल कह रहे हैं और यहां तक की इसे चीटिंग तक कह दे रहे हैं, जबकि कुछ लोग इसे 'भविष्य में काम करने के तरीके' के रूप में देख रहे हैं।

क्या यह कानूनी है

कोई ऐसा कानून नहीं है जो किसी व्यक्ति को कई काम करने से रोकता है। हालांकि, समान प्रकृति की नौकरियों में एक व्यक्ति गोपनीयता के मुद्दों का उल्लंघन कर सकता है: कई कंपनियों के एम्प्लॉयमेंट कॉन्ट्रैक्ट्स में ‘कॉन्फिडेंशिअलिटी’ क्लॉज होते हैं।

स्टूडेंट्स और प्रोफेशनल्स के लिए 5 सबक

1) एथिक्स और मनी-मेकिंग में बैलेंस रखें: मेहनत करके पैसा कमाने में नो प्रॉब्लम, लेकिन ऐसा करते वक्त किसी का भी किसी भी तरह का नुकसान ना हो। 'मूनलाइटिंग' करते वक्त ऐसे प्रोजेक्ट्स लें जिनके आपस में कोई रिलेशन न हो, और ऐसी कम्पनीज चुनें जो आपकी मुख्य कम्पनी के साथ प्रतियोगिता में न हो।

विप्रो ने सारे मूनलाइटिंग करने वाले कर्मचारियों को जॉब से नहीं निकाला, बल्कि उन्हें ही निकाला जो कॉम्पिटिटर्स के साथ काम कर रहे थे। कई स्टार्ट-अप ऐसे लोगों द्वारा स्थापित किए गए थे, जिन्होंने अपने स्वयं के उद्यमों के लिए जमीन तैयार करते हुए पूर्णकालिक नौकरी की थी। वैसे तो स्टीव वोज्नियाक ने एप्पल कंप्यूटर पहली बार एचपी में जॉब करते समय डिजाइन किया था!

2) नॉलेज और स्किल्स सबसे बड़ी संपत्ति है: यह पूरा एपिसोड हमें सबसे बड़ी जो सीख देता है वह यह कि आपकी नॉलेज और स्किल्स ही आपकी सबसे बड़ी सम्पति है, अतः इन्हें डेवेलप करने में हमेशा एफर्ट लगाएं। इनसे ही आपको वास्तविक सिक्योरिटी मिलेगी, अदरवाइज प्राइवेट जॉब में सिक्योरिटी नहीं होती।

3) गिग इकॉनमी ही भविष्य है: विज्ञान और टेक्नोलॉजी से बदलती दुनिया में अब कार्य स्थल का भविष्य 'फ्री लांसिंग' और 'कॉन्ट्रेक्चुअल वर्क' में है। IT कम्पनीज पहले से ही फ्लेक्सी-टाइमिंग, फ्लेक्सी-वीक-ऑफ, वर्क-फ्रॉम- होम इत्यादि के ऑप्शंस अवेलेबल करवा ही रही हैं। तो अब फाइनली पेमेंट्स भी वर्किंग आवर्स के पैमाने पर ना हो कर कार्य की अमाउंट और क्वालिटी पर होने लगेंगे।

4) एम्प्लॉयमेंट कॉन्ट्रैक्ट साइन करते वक्त सावधान: स्टूडेंट्स (जो बाद में एम्प्लॉई बनने वाले हैं) और एम्प्लाइज के लिए यह इम्पॉर्टेन्ट है कि वे एम्प्लॉयमेंट कॉन्ट्रैक्ट में सभी बातों का खुलासा ठीक से सही शब्दों में करवाए। यदि कोई मूनलाइटिंग क्लॉज है तो ठीक से समझ कर ही साइन करें।

5) ह्यूमन रिसोर्सेस सबसे महत्वपूर्ण: ध्यान से सोचा जाए तो 'मूनलाइटिंग' विवाद का सबसे बड़ा कारण अच्छे स्किलफुल वर्कर्स की कमी है। पिछले दो वर्षों में, कुशल कर्मचारियों के नुकसान और उत्पादकता के स्तर में कमी के कारण IT उद्योग में ये एक बड़ी चिंता बन गई है। पिछले दो वर्षों में, सही प्रतिभा को ढूंढना और बनाए रखना इंडिया इंक. (India Inc.) के लिए बड़ी चिंता बन गई है। कॉरपोरेट्स के लिए, प्रतिभा को आकर्षित करना, और काम पर बनाए रखना चुनौतीपूर्ण रहा है।

तो भारत के युवाओं के लिए आज का करिअर फंडा यह है की अपनी स्किल्स से वैल्युएबल बनें, लेकिन एथिक्स को न छोड़ते हुए ट्रांस्पैरेंट्ली कार्य करें।

कर के दिखाएंगे!

इस कॉलम पर अपनी राय देने के लिए यहां क्लिक करें।

करिअर फंडा कॉलम आपको लगातार सफलता के मंत्र बताता है। जीवन में आगे रहने के लिए सबसे जरूरी टिप्स जानने हों तो ये करिअर फंडा भी जरूर पढ़ें...

1) 10 मिनट में 40 अंग्रेजी वर्ड्स सीखें:रूट वर्ड पकड़ लेंगे, तो आसान है इंग्लिश सीखना

2) डिफेंस एक मल्टी-डायमेंशनल फील्ड:आर्मी से लेकर रॉकेट फोर्स तक में बना सकते हैं भविष्य

3) 'द परस्यूट ऑफ हैप्पीनेस' मूवी से लें 5 लाइफ लेसंस:हमेशा खुशी खोजते रहें, अपने सपने न मरने दें

4) इन 5 हॉर्मोन्स को समझिए, जीवन पर होगा बेहतर नियंत्रण:ऑक्सीटोसिन बढ़ाता है विश्वास, तो कोर्टिसोल दुख रिलीज करता है

5) कौनसा बोर्ड दिलाएं बच्चों को, CBSE, ICSE, IB या स्टेट:चारों के टीचिंग मेथोडोलॉजी और पाठ्यक्रम देख कर लें फैसला

6) अब्राहम लिंकन के जीवन से 8 सबक:हमेशा टॉप पर रहे, देश टूटने से बचाया और छोटी से लेकर बड़ी नौकरी की

7) CA कंप्लीट करने के लिए 9 यूजफुल टिप्स:रिसर्च का दायरा बढ़ाएं, टाइम-टेबल जरूर बनाएं; थ्योरी पेपर्स पर भी दें ध्यान