‘देश के कुछ प्रतिभाशाली दिमाग कक्षा की आखिरी बेंचों पर पाए जा सकते हैं
- डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम
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‘इंटेलिजेंस’ की गलत अवधारणा
भारत में अधिकतर लोग इंटेलिजेंट होने का केवल एक मतलब समझते हैं: ज्यादा मार्क्स लाना और कॉम्पिटिटिव एग्जाम्स क्रैक करना।
वास्तव में 9 तरह की इंटेलिजेन्स होती हैं: वर्बल और लिंगुइस्टिक इंटेलिजेंस, मेथेमेटिकल-लॉजिकल इंटेलिजेंस, म्यूजिकल, विजुअल-स्पेशिअल, बॉडीली-कएनेस्थेटिक, इन्टर-पर्सनल, इंट्रा-पर्सनल, नेच्युरलिस्ट और एक्सिस्टेंशियल इंटेलिजेंस: जिनमें से कई को तो स्कूलिंग के दौरान टेस्ट भी नहीं की जाती।
खैर, किसी होशियार स्टूडेंट के एग्जाम में कम मार्क्स लाने के कई कारण हो सकते हैं। आइए उनमें से कुछ महत्वपूर्ण कारणों पर नजर डालते हैं।
इंटेलिजेंट बच्चों के खराब एग्जाम स्कोर के 9 कारण
1) इच्छाशक्ति का अभाव (Lack of will-power)
यह होशियार बच्चों के अच्छे मार्क्स ना ला पाने का शायद सबसे बड़ा कारण है। इंटेलिजेंस होना ही सब कुछ नहीं है, इंटेलिजेंस को ज्यादा मार्क्स लाने के लिए यूज करने की इच्छा भी होनी चाहिए। हो सकता है स्टूडेंट कुछ और करना चाहता हो, और टेस्ट स्कोर्स को इतना महत्व नहीं देता।
सॉल्यूशन: अच्छे मार्क्स लाने के फायदे बता कर स्टूडेंट में इसके लिए इच्छाशक्ति पैदा की जा सकती है।
2) मोटिवेशन का अभाव (Lack of motivation)
हम सब ने सुना है, ‘ऑल वर्क एंड नो प्ले मेक्स जैक ऐ डल बॉय’। इंटेलिजेंट स्टूडेंट चीजों से जल्दी बोर हो जाते हैं, क्योंकि कोई भी वस्तु एक सीमा के बाद उन्हें मेन्टल स्टिमुलेशन देना बंद कर देती है। ऐसे में कई बार ऐसा होता है कि स्टूडेंट के लिए अधिक मार्क्स लाने का कोई मोटिवेशन ही नहीं रहता।
सॉल्यूशन: इससे निपटने के लिए समय-समय पर परिवार के साथ घूमने, फिल्म देखने, पिकनिक मनाने जाएं। अच्छी किताबें खरीद कर दें, और बच्चे को बड़ी पर्सनालिटीज की बारे में बताते चलें।
3) कंसिस्टेंसी का अभाव (No consistency)
एक्सपर्ट्स के अनुसार, अकेडमिक परफॉरमेंस अच्छी होने के लिए किसी स्टूडेंट का एक सप्ताह में कम-से-कम 40 घंटे पढ़ना आवश्यक है, इसमें स्कूल में बिताए हुए घंटे भी शामिल हैं। हो सकता है किसी कारण स्टूडेंट स्कूल जाने में नियमित ना हो, तो इस कारण उसके मार्क्स कम आ सकते हैं।
सॉल्यूशन: नियमितता बनाए रखी जाए। बेकार वजहों से छुट्टी न लेने दी जाए।
4) ओवर कॉन्फिडेंस (Overconfidence)
कछुए और खरगोश की कहानी तो सभी ने सुनी होगी। होशियार बच्चे कम मार्क्स तब लाते हैं जब वे आराम करते हैं और उनकी सोच होती है कि ‘मैं कभी फेल नहीं हो सकता’, ‘मुझे नोट्स लेने की आवश्यकता नहीं है’। कड़ी मेहनत नहीं करते क्योंकि उनका मानना हो सकता कि वे स्पष्ट रूप से सफल तो होंगे ही।
सॉल्यूशन: एक बार असफलता का पाठ मिलने से स्टूडेंट्स की यह सोच ठीक हो सकती है।
5) डिसिप्लिन और टाइम मैनेजमेंट का ना होना
किसी भी क्षेत्र में सफलता के लिए डिसिप्लिन और टाइम मैनेजमेंट जरूरी है। आज के समय में स्टूडेंट्स के पास पहले की तुलना में करने के लिए अधिक काम है इसलिए टाइम मैनेजमेंट का होना अत्यधिक आवश्यक है।
सॉल्यूशन: माता-पिता बच्चे पर अनेक एक्टिविटीज का बोझ न डालें।
6) स्कूल की परीक्षा इंटेलिजेंस का सही टेस्ट नहीं है
स्कूल की परीक्षाएं मेमोरी टेस्ट होती हैं। पहले आपको कुछ पढ़ाया और लिखाया जाता है, फिर आप से उसे याद करने के लिए कहा जाता है। फिर उसी याद किए गए मटेरियल से कुछ प्रश्न पूछे जाते हैं। सही मायनो में देखा जाए तो स्कूली परीक्षा इंटेलिजेंस का सही टेस्ट नहीं है।
सॉल्यूशन: स्कूली परीक्षाओं को और अधिक कॉम्प्रिहेंसिव बनाय जाने की आवश्यकता है। डायरेक्टर और प्रिंसिपल जिम्मेदारी लें।
7) एग्जाम फियर
मैंने कई ब्रिलियंट स्टूडेंट्स को एग्जाम हॉल में कांपते देखा है।
कई स्टूडेंट्स एक ही परीक्षा के कुछ मिनटों अपने आप को जज किए जाने का प्रेशर झेल नहीं पाते और उनका स्वास्थ्य बिगड़ने लगता है। परीक्षा के पहले उनके हथेलियों में पसीना आना, घबराहट होना, चक्कर आना आदि सभी एग्जाम फियर के ही उदाहरण हैं।
सॉल्यूशन: एग्जाम सिस्टम में परफॉरमेंस जीवन का अंत नहीं है ये सोच बिल्ड करना जरूरी है।
8) लापरवाही
उत्तर पुस्तिकाएं किसी व्यक्ति की बुद्धिमत्ता को प्रमाणित नहीं करती हैं। कई छात्र घबराहट या जल्दबाजी के कारण वर्तनी की गलतियां या केयरलेस मिस्टेक्स करते हैं। छात्रों को लंबी, जटिल परिभाषाएं याद करने में परेशानी होती है। शब्द सीमा और समय के भीतर एक संपूर्ण विवरण लिखना भी एक कठिन कार्य है। कई छात्र उत्तर को पेपर में दिए गए निर्देशों के अनुसार लिखने में विफल रहते हैं।
सॉल्यूशन: मॉक टेस्ट प्रैक्टिस से स्टूडेंट्स की प्रॉपर काउंसिलिंग की जा सकती है।
9) हैंडराइटिंग खराब होना
कुछ बच्चों की हैंडराइटिंग नेच्युरली खराब होती है इस कारण उनके होशियार होने के बावजूद मार्क्स कम आते हैं।
सॉल्यूशन: हैंडराइटिंग इम्प्रूवमेंट क्लासेज करवाई जा सकती हैं, और बच्चे को समझाया जा सकता है कि ये लाइफ-लॉन्ग एसेट होने वाला है।
आज का करिअर फंडा है कि होशियार स्टूडेंट्स हमेशा अच्छा ही परफॉर्म करेंगे ऐसा नहीं होता है, और पेरेंट्स व टीचर्स को उन्हें मोल्ड करना ही पड़ता है।
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