बिहार के मधुबनी के रहने वाले मनीष कुमार मरीन इंजीनियर हैं। उनके पास अच्छी खासी नौकरी का ऑफर था, लेकिन पिछले साल कोरोना के दौरान जब उन्होंने रिटेलर्स और कस्टमर्स की दिक्कतें देखीं तो हाइपर लोकल मार्केटिंग को लेकर काम करना शुरू किया। उन्होंने इसी साल अगस्त में पटना में एक स्टार्टअप की शुरुआत की। इसके जरिए वे बेहद कम वक्त में ब्रांड के साथ-साथ कस्टमर्स को भी उनकी जरूरत के प्रोडक्ट मुहैया करा रहे हैं। अभी उनके पास हर दिन अच्छी संख्या में ऑर्डर्स आ रहे हैं। महज तीन महीने में उन्होंने 1.5 करोड़ से ज्यादा का बिजनेस किया है।
24 साल के मनीष कहते हैं कि साल 2019 में इंजीनियरिंग करने के बाद मैं 6 महीने की ट्रेनिंग पर चला गया। 6 महीने तक शिप पर रहा, काफी कुछ सीखने को मिला, बढ़िया नौकरी का भी ऑफर था। मैं काफी खुश था। ट्रेनिंग बाद पटना लौट आया, लेकिन फिर वापस नहीं जा सका, क्योंकि तब कोरोना के चलते देशभर में लॉकडाउन लग गया था। लिहाजा उन्हें पटना ही रहना पड़ा।
कोरोना के दौरान छोटे शहरों में रिटेलर्स के साथ कस्टमर्स भी हो रहे थे परेशान
मनीष कहते हैं कि लॉकडाउन के दौरान मैंने महसूस किया कि बड़े शहरों में तो लोग ऑनलाइन शिफ्ट हो रहे हैं। उनके घर चीजें भी पहुंच जा रही हैं, लेकिन छोटे शहरों में लोग उतने कारगर तरीके से ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं। अगर कोई ऑनलाइन शॉपिंग करना भी चाहता था तो बड़ी कंपनियां डिलीवरी के लिए तैयार नहीं थीं। इतना ही नहीं अगर कहीं डिलीवरी हो भी रही थी तो कीमतें काफी ज्यादा हो गई थीं, जबकि लोकल रिटेलर्स के हाथ खाली थे। वे चाह कर भी अपनी मार्केटिंग नहीं कर पा रहे थे, क्योंकि उन्हें तब ऑनलाइन मार्केटिंग की न तो बेहतर समझ थी और न ही उनके पास कोई प्लेटफॉर्म था।
6 महीने की रिसर्च के बाद शुरू किया स्टार्टअप
मनीष बताते हैं कि तब लॉकडाउन की वजह से मुझे काम पर जाना नहीं था। घर पर ही था। उस वक्त मैंने प्लान किया कि कुछ ऐसा प्लेटफॉर्म तैयार किया जाए जिससे कि छोटे शहरों में मार्केटिंग की बेहतर चेन डेवलप हो सके। यानी लोग बड़ी कंपनियों पर कम निर्भर रहें और उनके अपने शहर में ही सभी चीजें आसानी से मिल जाएं। इससे कस्टमर्स को भी सहूलियत होगी और रिटेलर्स को भी फायदा होगा। इसके बाद मैंने अपने दोस्त आशीष से बात की। आशीष को मार्केटिंग का अच्छा-खासा अनुभव था। उन्हें यह भी आइडिया पसंद आया। इसके बाद हमने तय किया कि हम अपने ऐप के जरिए अलग-अलग ब्रांड्स, रिटेलर्स और कस्टमर्स को एक मंच पर जोड़ेंगे।
चूंकि हम नए थे इसलिए काम की शुरुआत से पहले मार्केट को समझना था। लिहाजा हमने पटना और उसके आस-पास के जिलों में दुकानदारों और लोगों से मिलना शुरू किया। उनकी जरूरतों और दिक्कतों को समझा। इसमें करीब 6 महीने लग गए। इसके बाद अगस्त 2021, यानी इसी साल हमने अपना ऐप लॉन्च किया।
ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों ही मोड से शुरू किया काम
मनीष कहते हैं कि हमारा फोकस तो ऑनलाइन मोड ही था और अभी भी है; लेकिन एकाएक सभी लोग ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर नहीं आ सकते और न ही हम तक पहुंच सकते हैं, इसलिए हमने मार्केटिंग का हर चैनल खोल दिया। यानी, ऑनलाइन के साथ ही हमने लोगों को वॉट्सऐप के जरिए जोड़ा। फिर घर-घर जाकर, अलग-अलग दुकानदारों के पास जाकर उन्हें अपने ऐप के बारे में बताया। इसका हमें फायदा भी हुआ और तीन महीने में ही हम बिहार के कई जिलों में पहुंच गए। अभी हर दिन हमें करीब 100 ऑर्डर मिल रहे हैं। हमारी ग्रोथ रेट 100 फीसदी है। तीन महीने में ही हमने 1.5 करोड़ रुपए का बिजनेस कर लिया है।
कैसे करते हैं काम? क्या है बिजनेस मॉडल?
वे कहते हैं कि हमने कई ब्रांड्स, छोटे-बड़े दुकानदार और कस्टमर्स तीनों को ही अपने स्टार्टअप से जोड़ा है। सभी को एक कॉमन प्लेटफॉर्म पर हम लेकर आए हैं। अगर मान लीजिए आप पटना में हैं और आपको किसी चीज की जरूरत है। तो सबसे पहले आप हमारी वेबसाइट या ऐप पर जाइए। अपनी पसंद की या जरूरत की कैटेगरी सिलेक्ट करिए। इसके बाद प्रोडक्ट सिलेक्ट करिए। फिर लॉगइन करने के बाद ऑर्डर प्लेस करिए। आर्डर प्लेस होने के बाद उस लोकेशन पर मौजूद रिटेलर्स या दुकानदार के पास आपकी इन्क्वायरी पहुंच जाएगी। उसके बाद वह तत्काल आपके घर प्रोडक्ट की डिलीवरी कर देगा। इससे वक्त की भी बचत होगी और लागत भी कम आएगी।
हम लोग पटना जैसे शहर में कस्टमर्स के पास एक घंटे के भीतर डिलीवरी कर रहे हैं। रिटेलर्स और ब्रांड्स के लिए सेम डे डिलीवरी करते हैं। हालांकि, आने वाले महीनों में हम इसे और भी कम करेंगे। हमारी कोशिश है कि रिटेलर्स तक हम चंद घंटों में प्रोडक्ट पहुंचा सकें। फिलहाल हमारे साथ 200 से ज्यादा ब्रांड्स, 1000 से ज्यादा सेलर्स जुड़े हैं। अगर प्रोडक्ट की बात करें तो अभी हमारे पास करीब 500 प्रोडक्ट हैं।
मनीष की टीम में फिलहाल 22 लोग काम करते हैं। इसमें मनीष के साथ आशीष को-फाउंडर हैं। प्रकाश, शिवम, सुमित, विश्वजीत और कुमार कृष्णम कोर टीम का हिस्सा हैं। मनीष जल्द ही अपने स्टार्टअप को इंडिया लेवल पर ले जाने के लिए प्लानिंग कर रहे हैं।
हाइपर लोकल मार्केट क्या है, बिजनेस के लिहाज से इसमें कितना स्कोप है?
हाइपर लोकल मार्केट यानी शहरों में गलियों के बीच काम करने वाले मर्चेंट। जैसे कोई छोटी दुकान हो, चाय की टपरी हो, कोई कोचिंग संस्थान हो, कोई लोकल कारीगर हो या छोटा-मोटा स्टार्टअप हो। यानी, जिसकी पहले से कोई खास पहचान नहीं हो। ऐसे बिजनेस को एक प्लेटफॉर्म प्रोवाइड कराना ताकि उन्हें मुनाफा हो सके। एक रिपोर्ट के मुताबिक हाइपर लोकल मार्केट का साइज तीन हजार बिलियन डॉलर है। भारत में भी यह तेजी से उभर रहा है। जोमैटो, बिगबास्केट सहित कुछ ऐसे प्लेटफॉर्म हैं जो इसे बढ़ावा दे रहे हैं।
अगर इस तरह के स्टार्टअप में आपकी दिलचस्पी है, तो यह स्टोरी आपके काम की है
इंदौर के रहने वाले रोहित वर्मा ने दो साल पहले हाइपर लोकल मार्केटिंग की शुरुआत की। वे अपने मोबाइल ऐप के जरिए देश के 41 शहरों में छोटे-बड़े बिजनेस की मदद कर रहे हैं। उनके ऐप की मदद से कोई भी एक क्लिक पर इन जगहों पर अपनी पसंद की दुकानें ढूंढ़ सकता है। उसकी पूरी डीटेल्स ऐप पर मिल जाएगी। होटल, मेडिकल, डॉक्टर, पार्क, सैलून सहित 50 से ज्यादा कैटेगरी के बिजनेस उनके साथ जुड़े हैं। (पढ़िए पूरी खबर)
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