जी बहुत चाहता है सच बोलें, क्या करें हौसला नहीं होता
~ बशीर बद्र
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सच का सामना करना हर दौर में टफ रहा है। फिर भी गांधी से लेकर अशोक तक और आइंस्टीन से लेकर पिकासो तक, सभी ने अपने तरीकों से सच ढूंढ ही निकाला।
सम्राट अशोक मौर्य - एक सम्राट जिसने कभी युद्ध नहीं हारा - लेकिन कलिंग की लड़ाई ने उन्हें हमेशा के लिए बदल दिया। अशोक का बनवाया प्रतीक आज के मॉडर्न भारत का राष्ट्रीय प्रतीक है।
एक महान राजा - उन्हें महान कहा जाता है क्योंकि बेहद पावरफुल होते हुए भी उन्होंने दया और करुणा का मार्ग चुना। उनका एम्पायर लगभग पूरे इंडियन सबकॉन्टिनेंट में फैला था। उन्होंने 269 से 232 ईसा पूर्व तक 37 वर्षों तक शासन किया। इतिहासकार एचजी वेल्स बताते हैं कि राजाओं के हजारों नामों के बीच अशोक का नाम एक अकेला चमकता सितारा है।
चेंज ऑफ हार्ट
अशोक, जैन सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य का पोता था और सिंहासन पर कब्जा करने के लिए अपने सौतेले भाइयों को खत्म करने में वह क्रूर रहा था। वह कलिंग (वर्तमान ओडिशा) पर हमला करने वाला पहला राजा था। अशोक की जीत लाखों सैनिकों के खून से सनी हुई थी। अनगिनत महिलाओं और बच्चों के शवों के भूतिया नजारे ने अशोक को झकझोर दिया। जहां कोई दूसरा राजा इग्नोर करते हुए आगे बढ़ जाता, अशोक ने फिर कभी युद्ध न करने का संकल्प लिया। बौद्ध धर्म में रूटेड, शांति की एक व्यापक थ्योरी भी बनाई।
सच का सामना
पूरे देश में लगाए शिलालेखों को पढ़ने से समझ आता है, कि उनका ह्रदय परिवर्तन (चेंज ऑफ हार्ट) काफी डीप रहा होगा।
अपने एकांत के पलों में अशोक को ये विचार आए होंगे, 'ये मैंने क्या किया है? ये जीत है या हार? ये न्याय है या अन्याय? क्या मासूम बच्चों और महिलाओं को मारना वीरता है?' यही उनका सच्चाई से सामना था। इसके लिए कैरेक्टर और करेज चाहिए।
इसके बाद वे बुद्ध की शिक्षाओं के प्रति आकर्षित हुए और जल्द ही एक धर्मनिष्ठ बौद्ध बन गए। उन्होंने खुद को पियादसी कहा, जिसका अर्थ है 'देवताओं का प्रिय'। उनका साधु-राजा में समग्र परिवर्तन हुआ। उन्होंने अब कहा- सभी पुरुष मेरे बच्चे हैं। मैं उनके लिए पिता के समान हूं। मेरी इच्छा है कि सभी पुरुष हमेशा खुश रहें। अपने शासन के 20वें वर्ष के दौरान अशोक ने पूरे सबकॉन्टिनेंट में शांति फैलाने का कार्य किया।
सम्राट अशोक के जीवन से 6 लर्निंग
1) सेल्फ-इम्प्रूवमेंट: अशोक की कहानी से निकलने वाला पहला सच सेल्फ-इवैल्यूएशन द्वारा स्वयं को बुरे से अच्छे और अच्छे से बेहतर में बदलने की क्षमता है। यदि अशोक ने अपने पिछले कर्मों पर सेल्फ-इवैल्यूएशन नहीं किया होता तो वह अपने स्वभाव में सुधार के बारे में कभी नहीं सोचते। सेल्फ-इवैल्यूएशन में उनके दोषों पर ध्यान देना और उन्हीं परिस्थितियों में उनकी प्रतिक्रिया में भारी बदलाव के साथ अपने तरीकों को सुधारना शामिल था। इस प्रकार, जबकि उन्होंने पहले युद्ध का प्रचार किया, बदले हुए अशोक शांति में विश्वास करते थे।
2) कम्युनिकेशन के नवीनतम साधन: अशोक के जीवन से दूसरी बड़ी सीख नवीनतम कम्युनिकेशन साधनों का उपयोग अपने विचारों को एफेक्टिवली एक्सप्रेस करने के लिए है। एक ऐसा विचार जो निश्चित रूप से सोशल मीडिया से जुड़ी पीढ़ी को पसंद आएगा। अशोक के शिलालेख (रॉक एडिक्ट्स) न केवल उनके एम्पायर की मेन स्क्रिप्ट ब्राह्मी बल्कि ग्रीक, अरामी (एक प्राचीन फारसी लिपि) और उत्तर-पश्चिम भारत की लोकल स्क्रिप्ट खरोष्ठी में भी उकेरे गए थे। मैसेज ग्लोबल थे।
3) विदेश नीति: बॉर्डर पर पीस सुनिश्चित करने के लिए अशोक की विदेश नीति के स्मार्ट यूज को देखिए – उन्होंने कलिंग की विजय के बाद पांच यूनानी शासकों के साथ कॉन्टैक्ट बनाए रखा। अशोक बातचीत से शांति करने के लिए इस तरह की ग्लोबल ट्रीटी करने वाले पहले भारतीय शासक रहे होंगे। पड़ोसियों के साथ अशोक के पीसफुल संबंध निश्चित रूप से भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, जो देश के पहले विदेश मंत्री भी थे, के लिए एक प्रेरणा थे।
4) एनिमल प्रोटेक्शन राइट्स: अशोक की अवांछित बलिदानों से जानवरों की सुरक्षा की नीति ने शाकाहार को भारतीय जीवन का एक अभिन्न अंग बनाने की दिशा में आंदोलन शुरू किया। एनिमल राइट्स के दृष्टिकोण से देखा जाए तो, अशोक की नीति पालतू जानवरों के प्रति दयापूर्ण व्यवहार और दुनिया में वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन के लिए एक माइलस्टोन है। (अशोक ने नॉन-वेज फूड पर बैन नहीं लगाया)
5) समानता: अशोक ने एक वेलफेयर स्टेट बनाया, और अपने चार दशक लंबे शासन में सभी विषयों के लिए समान कानूनों और दंड के साथ अपनी आबादी के कल्याण में लगभग पिता के समान रुचि ली। जल जलाशयों के विकास / सुधार पर राज्य का धन खर्च किया, छायादार वृक्षों से अटे राजमार्ग, कुएं, बाग और यात्रियों के लिए सार्वजनिक अतिथि गृह बनवाए गए।
6) पेशेंस (धैर्य): टॉलरेंस की उनकी सलाह एक शिलालेख में सामने आती है जहां उन्होंने घोषणा की, 'सभी संप्रदाय किसी न किसी कारण से सम्मान के पात्र हैं। इस प्रकार कार्य करने से मनुष्य न केवल अपने सम्प्रदाय को ऊंचा उठाता है बल्कि अन्य लोगों के सम्प्रदायों और सामान्य रूप से मानवता की भी सेवा करता है।' वे मजबूती से सर्वधर्म समभाव की बात करते हैं।
तो संडे मोटिवेशनल करिअर फंडा यह है कि सम्राट अशोक से हम यह संपूर्ण सेल्फ-ट्रांसफॉर्मेशन कैसे करें, की क्वालिटी सीख सकते हैं।
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