लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती। कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
- सोहन लाल द्विवेदी
करिअर फंडा में स्वागत!
हर कोई अपनी प्रोफेशनल लाइफ में सफलता हासिल करना चाहता है, आप भी। क्यों न सरल कहानियों से हम सीखें आगे बढ़ने के सीक्रेट?
1) पहली कहानी: मुल्ला नसरुद्दीन
एक बार मुल्ला नसरुद्दीन अपने पुत्र के साथ बाजार से होकर गुजर रहे थे, साथ में उनका गधा भी था। गधा साथ था, लेकिन मुल्ला और उसका पुत्र पैदल चल रहे थे। कुछ लोगों ने जब ये देखा तो कहने लगे देखो मुल्ला कितना मूर्ख है, गधा साथ में होने के बाद भी बाप-बेटा दोनों पैदल चल रहे हैं। तो मुल्ला ने अपने बेटे को गधे पर बिठा दिया।
आगे बढ़ने पर एक पेड़ के नीचे उन्हें कुछ लोग नजर आए। जब उन लोगों ने मुल्ला को पैदल और उसके पुत्र को गधे पर सवार देखा, तो कहने लगे – 'कैसा लड़का है? इसे अपने पिता की कोई चिंता नहीं। हट्टा-कट्टा होकर भी खुद गधे पर सवार है और बेचारा बूढ़ा पिता पैदल चल रहा है। बड़ों को इज्जत देने का जमाना ही लद गया है।' मुल्ला के पुत्र को ये बात बुरी लगी। वह गधे से उतर गया और मुल्ला से बोला, 'अब्बा, मैं बहुत देर गधे पर बैठ लिया। अब आप बैठ जाइए, मैं पैदल चलूंगा।' मुल्ला गधे पर बैठ गया। पुत्र पैदल चलने लगा।
वे लोग कुछ दूर बढ़े थे कि उन्हें फिर कुछ लोग मिल गए। मुल्ला को गधे पर बैठा देख वे कहने लगे, 'ऐसा निर्दयी बाप हमने कभी नहीं देखा। इसमें अपने बेटे के लिए कोई प्रेम नहीं है। खुद तो मजे से गधे पर सवार है और अपने बेटे को पैदल चला रहा है।' यह सुनकर मुल्ला को बुरा लगा। उसने अपने पुत्र से कहा, 'बेटा! तुम भी गधे पर बैठ जाओ।' अब दोनों ने गधे पर बैठकर अपनी यात्रा जारी रखी।
वे कुछ दूर आगे बढ़े कि उन्हें फिर कुछ लोग मिल गए। मुल्ला और उसके पुत्र को गधे पर सवार देख वे बोले, 'कितने निष्ठुर लोग हैं! बेचारे गधे पर दोनों बैठ गए हैं। गधे का क्या हाल हो रहा है, इसकी इन्हें कोई चिंता ही नहीं है।' यह सुनकर मुल्ला और पुत्र को फिर बुरा लगा। वे दोनों गधे से उतर गए और पैदल ही चलने लगे।
जब वे अपने गांव पहुंचे, तो वहां गधे के होते हुए भी मुल्ला और उसके पुत्र को पैदल आता देख एक परिचित बोला, 'मुल्ला, मूर्खता की हद होती है। तुम्हारे पास अच्छा-खासा गधा है, फिर भी दोनों पैदल चले आ रहे हो। अरे, उस पर बैठकर आराम से नहीं आ सकते थे? अपना दिमाग तो इस्तेमाल किया करो।'
सबक -जमाना तमाम सलाह देगा, जो गलत हो सकती है। अपनी परिस्थिति में अपना निर्णय खुद लें।
2) दूसरी कहानी: धोबी का गधा गिरा कुएं में
एक बार, एक धोबी का गधा, एक गहरे गड्ढे में गिर गया। धोबी उसे बाहर निकालने के लिए जतन करने लगा। बूढ़ा और कमजोर होने के बावजूद, गधे ने गड्ढे से बाहर निकलने में अपनी सारी ताकत लगा दी, लेकिन गधा और धोबी दोनों नाकामयाब रहे।
धोबी को मेहनत करते देख कुछ गांव वाले उसकी मदद के लिए पहुंच गए, लेकिन कोई भी उसे गड्ढे से बाहर नहीं निकाल पाया। तब गांव वालों ने धोबी से कहा कि गधा अब बूढ़ा हो गया है, इसलिए समझदारी इसी में है कि गड्ढे में मिट्टी डालकर उसे यहीं दफना दिया जाए।
थोड़ा मना करने के बाद, धोबी भी इस बात के लिए राजी हो गया। गांव वालों ने फावड़े की मदद से गड्ढे में मिट्टी डालना शुरू कर दिया। अचानक धोबी ने देखा कि गधा एक विचित्र हरकत कर रहा है। जैसे ही गांव वाले उस पर मिट्टी डालते, वह अपने शरीर से मिट्टी को नीचे गड्ढे में गिरा देता और उस मिट्टी के ऊपर चढ़ जाता। ऐसा लगातार करते रहने से गड्ढे में मिट्टी भरती रही और गधा उस पर चढ़ते हुए ऊपर आ गया।
सबक - मुश्किल परिस्थिति में अपनी बुद्धि का प्रयोग कर कठिनाइयों को पार करें।
3) तीसरी कहानी: इस दुनिया में किसी की कोई हस्ती नहीं
हमारी अपनी भगवत गीता के सदाबहार श्लोक याद रखें। ना आप कुछ लेकर आए थे ना आप कुछ ले कर जाएंगे। दुनिया आपके आने के पहले भी चल रही थी, आप हैं तब भी चल रही है और आप के जाने के बाद भी चलती रहेगी। इस विराट ब्रह्माण्ड में आपका रोल पृथ्वी के पारिस्थितिकी-तन्त्र में सर्वोच्च उपभोक्ता की भूमिका निभाने के अलावा कुछ भी नहीं है, इस जिम्मेदारी का भी एहसास रखें। बड़े से बड़ा धन्ना सेठ एक दिन धूल हो जाएगा, याद रखें।
सबक - तनाव को छूने ना दें, मस्त-मौला रहें।
तो आज का करिअर फंडा यह है कि प्रोफेशनल लाइफ में आप हमेशा प्यारी स्टोरीज से गहरे लेसन सीखते रह सकते हैं, बस दिमाग खुला रखिए!
कर के दिखाएंगे!
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