हम लोगों में से ज्यादातर ने घरों में अक्सर मां के मुंह से एक बात सुनी होगी- "हमें मत सिखाओ तुम्हें नौ महीने कोख में पाला है।" यूं तो यह बात बड़ी आम सी लगती है, लेकिन सच यही है कि मां की इस बात में वाकई दम है।
एक बच्चे का मां के गर्भ में पलना बेहद जटिल प्रक्रिया है। इस दौरान मां का शरीर अपने बच्चे के लिए बहुत सारे ऐसे बदलाव करता है, जिसकी कीमत मां अपनी जान जोखिम में डालकर चुकाती है।
तो आइए आज मदर्स डे पर ऐसे ही चौंकाने वाले साइंटिफिक फैक्ट्स के जरिए जानते हैं कि नौ महीने मां के गर्भ में पलने का मतलब क्या है...
आखिर आज ही क्यों मनाते हैं मदर्स डे...
आधुनिक मदर्स डे मनाने की परंपरा सबसे पहले अमेरिका में शुरू हुई। वहां अन्ना जार्विस नाम की एक महिला की मां चाहती थीं कि मदर्स डे मनाया जाए। मां के निधन के बाद जार्विस ने उनकी याद में इसकी शुरुआत की। तीन साल बाद वेस्ट वर्जिनिया के सेंट एंड्रूज मेथोडिस्ट चर्च में मदर्स डे मनाया गया। कहा जाता है कि अन्ना खुद तो इसमें शामिल नहीं हुई मगर उन्होंने उसमें शामिल लोगों को टेलीग्राम भेजकर उस दिन का महत्व बताया। उन्होंने 500 कारनेशन्स यानी सफेद गुलाबी और लाल खुशबूदार फूल भी भेजे। वो मई महीने का दूसरा रविवार था। धीरे-धीरे यह परंपरा और जगह फैल गई और दुनियाभर में मई महीने के दूसरे रविवार को मदर्स डे मनाया जाने लगा।
दिलचस्प बात यह है कि ब्रिटेन में मार्च के चौथे रविवार को मदर चर्च की याद में क्रश्चियन मदरिग संडे के रूप में मदर्स डे मनाया जाता है। वहीं, ग्रीस में यह 2 फरवरी को मनाया जाता है। इस दिन को ईस्टर्न ऑर्थोडॉक्स परंपरा के तहत यीशु मसीह की टेंपल में प्रस्तुति से जोड़कर देखा जाता है।
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