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ग्राउंड रिपोर्ट592 साल पुराने गांव में रहते हैं नेफ्यू रियो:यहां कभी पेड़ पर दुश्मनों के सिर लटकते थे, अब 5 स्टार रिसॉर्ट और हेलिपैड

कोहिमा3 महीने पहलेलेखक: आशीष राय
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नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी यानी NDPP के नेफ्यू रियो आज 5वीं बार नगालैंड के CM बन गए। राजनीति में 49 साल बिता चुके रियो ने इस बार नॉर्दर्न अंगामी सीट से चुनाव लड़ा और उन्हें करीब 93% वोट मिले। वे इस सीट से 8वीं बार जीते हैं। लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ले चुके रियो इतने पॉपुलर क्यों हैं, इसका जवाब नगालैंड के तुओफेमा गांव में है।

कभी कबीलाई बर्बरता देख चुका ये गांव अब देश के सबसे मॉडर्न विलेज में शामिल है। एक वक्त था, जब इसके मुख्य द्वार पर दुश्मनों के सिर लटकते थे, अब आलीशान रिसॉर्ट, स्टेडियम और शानदार बंगले इसकी पहचान हैं।

592 साल पहले बसे इस गांव में 72 साल के नेफ्यू रियो का घर है। अंगामी नगा समुदाय से आने वाले नेफ्यू रियो के पिता गुलहौली रियो आजादी से पहले इस गांव में आए थे। पेशे से कॉन्ट्रैक्टर गुलहौली पहले शख्स थे, जिन्होंने गांव में पक्का मकान बनाया था। अब उनके बेटे नेफ्यू की बदौलत इस गांव की शक्ल ही बदल गई है।

गांव तक जाने के लिए एक बस, लोगों ने अपने पैसे से शुरू की थी
'CM के गांव' की पहचान बना चुके तुओफेमा तक जाने के लिए मैं दिल्ली से 2,225 किलोमीटर दूर दीमापुर पहुंचा। यहां से 70 किमी का सफर तय कर राजधानी कोहिमा गया और प्राइवेट टैक्सी ली। हालांकि, कोहिमा से दोपहर 1 बजे एक बस तुओफेमा के लिए निकलती है। ये कम्युनिटी बस सर्विस है। शहर तक आसानी से आने-जाने के लिए गांव के लोगों ने 2006 में इसे खुद के खर्च पर शुरू किया था। टूरिज्म बढ़ने के बाद 2013 से राज्य सरकार इसका खर्च उठा रही है।

जंगलों, पहाड़ों में बनी घुमावदार सड़कों से होते हुए मैं दो घंटे में तुओफेमा मार्केट पहुंच गया। नगालैंड के ज्यादातर हिस्सों में सड़कें खराब हैं, लेकिन कोहिमा से CM के गांव तक पहुंचने में ऐसा बिल्कुल महसूस नहीं होता।

बाजार पहुंचने के बाद हमें एक शख्स दिखे, जो अपनी कार में कुछ सामान रख रहे थे। उनका चेहरा नेफ्यू रियो से काफी मिल रहा था। इसी वजह से मैं उनके पास गया, बात शुरू की तो पता चला कि वे नेफ्यू रियो के छोटे भाई झालियो रियो हैं।

नेफ्यू रियो के IAS भाई ने रिटायरमेंट के बाद पार्टी संभाली
झालियो रिटायर्ड IAS ऑफिसर हैं। वे कोहिमा के डिप्टी कमिश्नर रह चुके हैं, फिलहाल राजनीति में एक्टिव हैं। चुनाव में NDPP का पूरा काम वही देख रहे थे। मैंने उनसे गांव दिखाने की गुजारिश की। उन्होंने कहा- ‘अभी बिजी हूं, गांव तो नहीं घुमा पाऊंगा, पर एक जगह दिखा सकता हूं।'

मैं उनके साथ चल दिया। नेफ्यू रियो के गांव के लिए 5 किमी और चलना पड़ा। झालियो मुझे अपने माता-पिता की कब्र पर ले गए। गांव में एंट्री से पहले बाहरी हिस्से में झालियो और नेफ्यू के पिता गुलहौली और उनकी मां केविलहौ रियो की कब्र बनी है।

गांव का इतिहास: मुख्य द्वार पर लटकाते थे दुश्मनों के सिर
तुओफेमा गांव में ज्यादातर आबादी अंगामी नगा समुदाय की है। यहां गांव का गेट हो या विलेज काउंसिल का ऑफिस, ऊपर दो कुल्हाड़ी बनी हुई हैं। ये अंगामी कम्युनिटी का पारंपरिक निशान है। नगालैंड में 17 ट्राइब्स हैं, सभी का अलग कल्चर है। इसमें हेड हंटिंग ज्यादातर में कॉमन थी। अंगामी नगा समुदाय भी इस परंपरा को मानता था।

ये समुदाय कबीले की सत्ता और जमीन पर कब्जे के लिए अक्सर पड़ोस के गांवों से लड़ाइयां लड़ते थे। दुश्मन के कटे सिर घरों, चौराहों या पेड़ों पर लटकाए जाते थे। 1940 में इस परंपरा पर बैन लगा दिया गया।'

सबसे ऊंचे पहाड़ पर बसा गांव, बिना आयोडीन का नमक बेचने पर फाइन
नेफ्यू रियो का गांव इलाके के सबसे ऊंचे पहाड़ पर बसा है। चारों ओर घने जंगल हैं। ये नगालैंड के सबसे साफ गांव में भी शामिल है। अक्टूबर 2022 में इसे नॉन आयोडाइज साल्ट फ्री विलेज घोषित किया गया था। मतलब गांव में रहने वाले सभी लोग सिर्फ आयोडीन वाला नमक ही खाते हैं। बिना आयोडीन का नमक बेचने पर विलेज काउंसिल जुर्माना लगाती है।

गांव में CM रियो का शानदार बंगला
गांव के बीच में नेफ्यू रियो का पुश्तैनी मकान है। पहले यह छोटा हुआ करता था, लेकिन अब यहां शानदार बंगला है। इसमें 20 से ज्यादा कमरे हैं। घर को ट्रेडिशनल अंगामी स्टाइल में बनाया गया है। मैं यहां पहुंचा तो बंगले के बाहरी गेट पर ताला दिखा। बगल में रहने वाले सोहो रियो से पूछा, तो उन्होंने बताया CM का परिवार अब कोहिमा में रहता है। यह घर आमतौर पर बंद रहता है। गांव में कोई बड़ा उत्सव होता है, तब CM यहां आते हैं। तभी ये बंगला खोला जाता है।

म्यूजियम में संभाल कर रखी गांव की विरासत
काउंसिल सेंटर जाने के रास्ते में तुओफेमा का म्यूजियम है। इसमें अंगामी समुदाय से जुड़े लोगों के गहने, कपड़े, हथियार, बर्तन, CM रियो और उनके परिवार के सदस्यों, गांव के हेड जीबी और असिस्टेंट जीबी से जुड़ी यादें और फोटो मौजूद हैं। म्यूजियम में अंगामी ट्रेडिशन को दिखाने वाले फर्नीचर, बॉक्स, लकड़ी से बने बर्तन, ब्रिटिश काल में बने ट्रंक और हथियार रखे हैं। इसमें रियो के पिता, दादा और परदादा के इतिहास को भी संजोकर रखा गया है। CM रियो के आदेश पर चुनाव के पहले से इसे रिपेयर किया जा रहा है, इसलिए मैं इसके अंदर नहीं जा सका।

रियो के CM बनने के बाद गांव पूरी तरह बदल गया
मैंने केडुओ केन्स से पूछा कि ये गांव आसपास के गांवों से कैसे अलग है? जवाब में केडुओ बताते हैं कि ‘बुजुर्ग बताते हैं कि यह गांव 1431 में बसा था। पहले यह सामान्य गांव था, लेकिन नेफ्यू रियो के CM बनने के बाद बिल्कुल बदल गया। इसे टूरिज्म के लिहाज से बहुत खूबसूरत बनाया गया है। यहां हर सुविधा है, जो किसी शहर में होती है।

‘यहां शानदार सड़कें तो हैं ही, गांव के बाहरी हिस्से में एक हेलिपैड भी बना है। कोहिमा से CM सीधे यहां आते हैं। कई VVIP भी आते हैं। यहां के हॉस्पिटल में MD और MS लेवल के डॉक्टर हैं। गांव में दो स्कूल हैं, एक 10वीं तक और दूसरा 12वीं तक। आगे की पढ़ाई के लिए बच्चे कोहिमा जाते हैं। ऊंचाई पर होने के बावजूद गांव में पानी की कमी नहीं है।

गांव के ज्यादातर लोग किसान या सरकारी नौकरी में
इतना गांव में घूमने के बाद भी मुझे ज्यादा लोग दिखाई नहीं दिए, मैंने केडुओ से इसकी वजह पूछी, जवाब में वे कहते हैं- ‘हमारे गांव के आधे लोग सरकारी नौकरी में हैं। कुछ प्राइवेट जॉब और कई किसान भी हैं। यहां से लोग हर दिन जॉब के लिए कोहिमा जाते हैं। खेती का काम बुजुर्ग संभालते हैं। वे सुबह खेत के लिए निकल जाते हैं और शाम को लौटते हैं। यही वजह है कि वर्किंग डेज में यहां सन्नाटा पसरा रहता है।’

गांव में ट्रेडिशनल कोर्ट, इसी में सभी फैसले होते हैं
गांव में अंगामी समुदाय का एक कोर्ट है, जिसमें हर छोटे-बड़े विवादों का निपटारा किया जाता है। नगा समुदाय अपने हेड ग्राम बोरा और उनकी काउंसिल के फैसले मानते रहे हैं। हालांकि, वक्त के साथ ये चीजें बदलती जा रही हैं। लोग इन अदालतों से बाहर भी अपने विवाद लेकर जा रहे हैं। कोई मामला आता है तो विलेज काउंसिल यहीं बैठकर सुनवाई करती है।'

रियो को पिता से विरासत में मिली राजनीति
गांव में घूमते हुए एक जगह मुझे धूप सेंकते गांव के हेड ग्राम बोरा डेजीसेंगुली सेई मिले। 91 साल के सेई विलेज काउंसिल के चेयरमैन भी है। वे कहते हैं- ‘रियो के पिता गुलहौली विलेज काउंसिल के पहले चेयरमैन थे। हम दोनों अच्छे दोस्त थे। उन्होंने गांव में बहुत काम कराया। CM बनने के बाद नेफ्यू रियो ने उसी काम को आगे बढ़ाया है। राजनीति उन्हें पिता से विरासत में मिली है।’

CM रियो भी मानते हैं ग्राम बोरा का आदेश
हेड ग्राम बोरा डेजीसेंगुली बताते हैं ‘नेफ्यू रियो 4 बार राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं, इसके बावजूद वे बड़ों का सम्मान नहीं भूले हैं। कभी वे गांव में आते हैं, उनके घर जरूर आते हैं। अंगामी समुदाय के नियमों के हिसाब से मैं गांव का प्रधान हूं। मेरा आदेश हर गांववाले को मानना पड़ता है। CM होने के बावजूद नेफ्यू रियो मेरी सभी बातें मानते हैं। मैंने डेजीसेंगुली से रियो के बचपन की कुछ बातें जाननी चाहीं, उन्होंने कहा- ‘अब कुछ याद नहीं, बहुत पुरानी बात हो गई है।’

गांव में बड़ा सा चर्च, इसी में नेफ्यू रियो की शादी हुई थी
डेजीसेंगुली बताते हैं कि ‘नेफ्यू रियो की शादी गांव के चर्च में हुई थी। बहुत बड़ा जश्न हुआ था, बाहर से कई लोग आए थे। चर्च में हर रविवार को प्रेयर होती है। कई बार नेफ्यू रियो भी यहां आए हैं।'

10 दिन का 'सेक्रेनी फेस्टिवल', भोज के लिए शिकार की परंपरा
डेजीसेंगुली से मिलने के बाद मैं आगे बढ़ गया। रास्ते में एक बड़ा स्टेडियम दिखा। इसमें 2000 लोग बैठ सकते हैं। मुझे गांव दिखा रहे केडुओ केन्स ने बताया कि इसी स्टेडियम में हर साल 10 दिन तक चलने वाला सेक्रेनी उत्सव सेलिब्रेट किया जाता है।

यह उत्सव अंगामी योद्धाओं के युद्ध में जाने से पहले मनाया जाता था। उत्सव से दो दिन पहले गांव के लोग जंगल से लकड़ियां लाते है। भोज के लिए पहले हिरण, भालू या दूसरे जानवरों का शिकार किया जाता था।

‘उत्सव की शुरुआत से पहले वाली रात में गांव के कुंवारे लड़के कुओं की सफाई करते हैं। सुबह उसके पानी से वे अपना शरीर धोते हैं। फिर उस पानी को कपड़ों और हथियारों पर छिड़कते हैं। वे घर की महिलाओं के लिए उसी कुएं से पानी लाते हैं। कुएं से लौटने पर हर लड़का एक मुर्गे की बलि देता है और फिर उत्सव शुरू होता है।

घरों के बाहर मुर्गे काटकर टांगने की मान्यता
केडुओ केन्स बताते हैं कि 8 साल की उम्र पूरी करने के बाद ही कोई लड़का सेक्रेनी फेस्टिवल में शामिल हो सकता है। मान्यता है कि 'मुर्गे को हाथों में मारकर उसे जमीन पर गिराया जाता है, अगर मुर्गे का दाहिना पैर बाएं पैर के ऊपर आ जाता है, तो इसे ‘शुभ शगुन' माना जाता है। इसके बाद मुर्गे का निचला हिस्सा काटकर उसे घर के दरवाजे पर लटका देते हैं।’

शिकार किए मुर्गे को महिलाएं और लड़कियां नहीं खा सकतीं
केडुओ केन्स कहते हैं ‘खाना खाने से पहले गांव के लोग शराब के साथ मुर्गे का कलेजा चढ़ाते हैं। प्रार्थना करते हैं कि यदि कोई दुश्मन आए तो मुझे ताकत दो कि मैं उसे मार सकूं, इससे पहले कि वह मुझे मार डाले। महिलाओं और लड़कियों को यह खाना खाने की इजाजत नहीं होती है।’

पत्थरों से बना एम्फीथिएटर, हर साल होते हैं ट्राइब्स गेम
गांव में बने एम्फीथिएटर में सभी उत्सव और हर साल होने वाले ट्राइबल गेम्स होते हैं। इसमें अकी किटी (पैरों के तलवों का इस्तेमाल कर किक करना), केने (फ्री स्टाइल कुश्ती), पछेड़ा (खेल, जिसमें खिलाड़ियों को एक तय दूरी से बांस की छड़ें फेंकना होता है) और नगाओं के कुछ पारंपरिक खेल शामिल हैं।

टूरिस्ट के लिए 5 स्टार रिसॉर्ट
कोहिमा आने वाले विदेशी टूरिस्ट तुओफेमा जरूर आते हैं। इसी वजह से गांव में एक फाइव स्टार टूरिस्ट रिसॉर्ट बना है। इसमें 12 कॉटेज हैं। हर कॉटेज से एक बालकनी, एक मास्टर बेडरूम, एक सर्वेंट रूम, वाईफाई इंटरनेट, किंग साइज बेड, सोफा, डाइनिंग एरिया है।

CM रियो की भतीजी का गांव के बाहर रेस्टोरेंट
गांव में आने वाले टूरिस्टों के लिए जगह-जगह रेस्टिंग शेड और रेस्टोरेंट हैं। मेन मार्केट में एक रेस्टोरेंट CM नेफ्यू रियो की भतीजी अहोनियो रियो का भी है। जिस बिल्डिंग में वे रेस्टोरेंट चलाती हैं, वह नेफ्यू रियो की है।

अहोनियो रियो से मिलकर मैं निकल ही रहा था कि उनके रेस्टोरेंट के बाहर मुझे गांव के रहने वाले केनी मिल गए। मैंने उनसे पूछा कि नेफ्यू रियो के CM बनने के बाद गांव में क्या बदल गया? जवाब मिला- ‘पहले गांव में न सड़क थी और न पीने का पानी मिल पाता था। उन्होंने गांव को नहीं, बल्कि पूरे इलाके को चमका दिया है। CM जब भी यहां आते हैं, हम उनसे मिल सकते हैं, अपनी समस्या बता सकते हैं।’

नगालैंड में आजादी के बाद पहली बार महिला MLA; 4 को टिकट मिला, दो जीतीं
1963 में नगालैंड राज्य बनने के बाद कभी यहां कोई महिला MLA नहीं बनी। इस बार के चुनाव में 60 साल की ये परंपरा टूट गई। NDPP की हेकानी जाखालू दीमापुर III सीट जीतकर नगालैंड की पहली महिला MLA बनीं। 47 साल की हेकानी 7 महीने पहले ही राजनीति में आई हैं। NDPP की ही सालहुटुआनो क्रूस पश्चिम अंगामी सीट से सिर्फ 7 वोट से जीतीं। नगालैंड में इस बार 4 महिलाओं ने चुनाव लड़ा था। इनमें BJP की काहुली सेमा एटोइजू सीट से 602 वोट से हार गईं। चौथी महिला कैंडिडेट कांग्रेस की रोजी थॉमसन 5वें नंबर पर रहीं।
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