'कला शिक्षा का एक अनिवार्य तत्व है, जैसे पढ़ना, लिखना और अंकगणित ... म्यूजिक, डांस, पेंटिंग और थिएटर सभी कुंजियां हैं जो गहन मानवीय समझ और उपलब्धि को खोलती हैं'
- विलियम बेनेट (पूर्व अमेरिकी शिक्षा सचिव)
करिअर फंडा में स्वागत!
क्या आप भी अपने बेटे/बेटी के भविष्य को लेकर काफी सोचते हैं? तो एक बात जान लें - लम्बी रेस में एग्जाम के मार्क्स और कॉम्पिटिटिव एग्जाम क्लियर करने मात्र से सब कुछ नहीं होगा। जरूरत है पढ़ाई के साथ-साथ पढ़ाई से अलग एक्स्ट्रा-करिकुलर इंटरेस्ट बनाने की।
क्रिकेट टीम में हम किस प्लेयर को सबसे ज्यादा प्यार करने लगते हैं? जी हां, आल-राउंडर्स को। सुनील गावस्कर की स्लिप में फील्डिंग, सचिन की बॉलिंग और कपिल देव की बैटिंग कौन भूल सकता है।
एक्स्ट्रा-करिकुलर और को-करिकुलर एक्टिविटीज
'को-करिकुलर एक्टिविटीज' प्रायः करिक्युलम के बाहर की होती हैं जो करिक्युलम को कॉम्प्लीमेंट करती है, जैसे किसी विषय से सम्बंधित प्रोजेक्ट, डिबेट्स, क्विज, क्रिएटिव राइटिंग, पढ़ाए जा रहे विषयों से संबंधित रोल प्ले इत्यादि।
एक्स्ट्रा-करिकुलर एक्टिविटीज वो होती हैं जो करिक्युलम से किसी भी प्रकार सम्बंधित नहीं होती हैं, जैसे कि कोई आर्टफॉर्म (सिंगिंग, पेंटिंग, म्यूजिक) या कोई स्पोर्ट्स (जैसे, टेबल टेनिस, लॉन टेनिस, क्रिकेट, फुटबॉल) आदि। आज हम एक्स्ट्रा-करिकुलर एक्टिविटीज पर फोकस करेंगे।
कितने प्रकार की इंटेलिजेंस
पेरेंट्स को समझना है कि इंटेलिजेंस का मतलब केवल मैथ्स और साइंस के सवाल कर पाना या सोशल स्टडीज को याद रख लेना भर नहीं है। एक्सपर्ट किसी भी व्यक्ति में आठ तरह की इंटेलिजेंस को देखते हैं जैसे -
1) स्पेशिअल (spatial) इंटेलिजेंस: इसमें पैटर्न्स को आडेंटीफाई करना, विजुअल्स को इन्टरप्रेट करना, ड्रॉ करना आदि आता है।
2) कायनेस्थेटिक इंटेलिजेंस: इसमें फिजिकल मूवमेंट और मोटर स्किल्स आती है जैसे स्पोर्ट्स में प्रवीण होना, कर के याद रख पाना, फिजिकल कोऑर्डिनेशन वाली चीजों जैसे डांस आदि में अच्छा होना शामिल है।
3) म्यूजिकल इंटेलिजेंस: इसमें रिदम और म्यूजिक का उपयोग, म्यूजिकल नोट्स आदि की पहचान शामिल है।
4) लिंगविस्टिक इंटेलिजेंस: यह भाषा, शब्दों, और लिखने से संबंधित है।
5) लॉजिकल-मेथेमेटिकल स्किल्स: यह मैथ्स, साइंस से संबंधित है।
6) इंटर-पर्सनल इंटेलिजेंस: इसमें स्ट्रॉन्ग इमोशनल इंटेलिजेंस, मनुष्यों के आपस में रिलेशन्स से संबंधित स्किल्स आती हैं।
7) इंट्रापर्सनल इंटेलिजेंस: इसमें खुद के अंदर देखने की क्षमता, अपनी खुद की ताकत और कमजोरियों को समझने की क्षमता, खुद के इमोशंस के लिए सेंसेटिव होना इत्यादि शामिल हैं।
8) नेचुरलिस्टिक इंटेलिजेंस: प्रकृति में पैटर्न्स और रिलेशन्स को देख पाने की क्षमता, बॉटनी, जूलॉजी, गार्डनिंग, कैंपिंग इत्यादि इसमें शामिल हैं।
पेरेंट्स का रोल सबसे अहम - छह बड़े पॉइंट्स
1) जल्दी शुरू करें: पेरेंट्स को अपने बच्चे के इंटरेस्ट और ऊपर बताई हुई आठ इंटेलिजेंस में से किसी एक में अच्छा होने का पता चलने पर और इंतजार नहीं करना चाहिए, तथा धीरे-धीरे उस क्षेत्र में काम करना चाहिए। जैसे यदि किसी स्टूडेंट का काएनेस्थेटिक इंटेलिजेंस अच्छा है और उसे डांस में इंटरेस्ट है तो उसे गर्मियों की छुट्टियों में डांस क्लास भेजें, और आगे भी मोटिवेट करें।
2) उचित शेड्यूल: 'यदि आप योजना बनाने में विफल रहते हैं, तो आप असफल होने की योजना बना रहे हैं'- यह एक लोकप्रिय कहावत है। उन सभी गतिविधियों की सूची बनाएं जो आपके बच्चे को एक दिन में करनी हैं। इसके बाद, उन गतिविधियों पर ध्यान दें जिनका एक निश्चित रूटीन है जैसे रात के खाने का समय। बच्चे को मशीन न बना दें, पर शेड्यूल जरूर बनाएं।
3) प्रोत्साहित करते रहें: प्रोत्साहन के शब्द हमेशा बच्चों को उन आदतों को विकसित करने में मदद करते हैं जो उन्हें अपेक्षाओं को पूरा करने में मदद करती हैं। बड़ों की तरह बच्चों को भी ऐसे शब्दों की जरूरत होती है जो उन्हें खुश कर सकें; माता-पिता को उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करने और उनके काम में उनकी रुचि बनाए रखने में मदद करने की आवश्यकता है।
4) बच्चों को विभिन्न गतिविधियों से इंट्रोड्यूस कराएं: अपने बच्चे को जीवन में विभिन्न गतिविधियों के बारे में सिखाएं और उन्हें उनके नियमों के बारे में शिक्षित करें। उन्हें कम उम्र में ही संगीत, गायन, नृत्य, ड्रॉइंग, खेल आदि से परिचित कराएं। उन्हें हर चीज आजमाने दें और फिर उस एक एक्टिविटी की पहचान करें जो उन्हें सबसे ज्यादा आकर्षित करती है।
5) बच्चों को खामोशी से ऑब्जर्व करें: यदि आपका बच्चा खेलना पसंद करता है और अपना अधिकांश समय मैदान में बिताता है, तो उसकी आदत को नजरअंदाज करने या उसकी अवहेलना करने के बजाय, उसे खेलते हुए देखें। अपने बच्चे और उनकी उपलब्धि की सराहना करें और उन्हें प्रोत्साहित करें। यह उन्हें प्रेरित करता है, और वे और भी बेहतर प्रदर्शन करने के लिए बढ़ते हैं। साथ ही अगर आपके बच्चे को गाना, डांस करना आदि पसंद है तो इनमें उनके प्रदर्शन का विश्लेषण करें।
6) उनके हितों और निर्णयों का समर्थन करें: अपने बच्चों को न डांटें और न ही उनके कार्यों को कोसें यदि वे आपको अप्रासंगिक लगते हैं तो भी। उदहारण के लिए यदि आपका बच्चा वीडियो गेम खेलना पसंद करता है, तो उसे एनीमेशन डिजाइनिंग, वीडियो गेम डेवलपर्स या ग्राफिक डिजाइनिंग जैसे विभिन्न क्षेत्रों से परिचित कराएं।
तो आज का करिअर फंडा यह है कि पेरेंट्स और टीचर्स बच्चों का उभरता इंटरेस्ट समझ कर उसकी एक्स्ट्रा-करिकुलर एक्टिविटीज को डेवलप करने में मदद करें।
कर के दिखाएंगे!
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