पिछले कुछ सालों में ऑनलाइन टीचिंग की डिमांड बढ़ी है। खास कर के कोरोना के बाद ज्यादातर स्टूडेंट्स ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर शिफ्ट हुए हैं। यही वजह है कि इस सेक्टर में कई नए स्टार्टअप उभर कर सामने आए हैं। मध्य प्रदेश के मंदसौर में रहने वाली नेहा मुजावादिया ने एक ऐसे ही ऑनलाइन टीचिंग प्लेटफॉर्म की शुरुआत की है, जिसके जरिए वे देशभर में स्टूडेंट्स को होम ट्यूशन की सुविधा उपलब्ध करा रही हैं। उनके साथ 1 हजार से ज्यादा टीचर्स जुड़े हैं।
वे नर्सरी से लेकर कॉलेज लेवल तक हर क्लास और कोर्स की ट्यूशन प्रोवाइड कराती हैं। इसमें जर्मन, फ्रेंच सहित अन्य फॉरेन लैंग्वेज भी शामिल हैं। हाल ही में उन्होंने अमेरिका में रहने वाले भारतीय बच्चों को भी पढ़ाना शुरू किया है। फिलहाल उनकी कंपनी का सालाना टर्नओवर 22 लाख रुपए है।
नेहा की शुरुआती पढ़ाई उनके गांव में ही हुई। वे बताती हैं कि मेरे गांव में पढ़ाई का माहौल नहीं था। बहुत कम बच्चे ही स्कूल जाते थे। खास कर के लड़कियों के लिए ज्यादा दिक्कत थी। उनको घर वाले पढ़ने के लिए नहीं भेजते थे। सबका यही कहना था कि पढ़-लिखकर क्या करना है, आखिर ससुराल में जाकर चौका बर्तन ही तो करना है, लेकिन मैं पढ़ना चाहती थी, खुद के बल पर कुछ करना चाहती थी। इसलिए मैंने घर में जिद की और आगे पढ़ाई करती गई।
खुद की पढ़ाई के साथ ट्यूशन भी पढ़ाती थीं
साल 2008 में ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के बाद नेहा इंदौर आ गईं। वे यहां MBA की तैयारी करने लगीं और साथ ही खुद का खर्च निकालने के लिए ट्यूशन पढ़ाने लगीं। वे इंदौर में कुछ बच्चों के घर जाकर ट्यूशन पढ़ाती थीं। इस तरह कुछ सालों तक पढ़ने और पढ़ाने का सिलसिला चलता रहा। इसी बीच उनकी MBA की पढ़ाई भी पूरी हो गई। इसके बाद उन्हें घर वाले गांव वापस बुलाने लगे, लेकिन नेहा वापस गांव नहीं जाना चाहती थीं। वह इंदौर में रहकर खुद के लिए कुछ कारगर प्लेटफॉर्म की शुरुआत करना चाहती थीं। इसलिए उन्होंने घर वालों को समझाया और कुछ वक्त के लिए इंदौर में ही रुक गईं।
नेहा कहती हैं कि ट्यूशन पढ़ाने के दौरान मुझे यह रियलाइज हुआ कि ज्यादातर पेरेंट्स अपने बच्चों के लिए कोचिंग के पीछे भागते हैं। कई लोग महंगी फीस भी भरते हैं, लेकिन उनके बच्चों को क्वालिटी एजुकेशन नहीं मिल पाती है। यही सोचकर मैंने तय किया कि इस सेक्टर में कुछ काम शुरू किया जाए। अपने पास पहले से टीचिंग का अनुभव था, इसलिए ज्यादा मुश्किल नहीं हुई।
3 साल पहले इंदौर में घर-घर जाकर ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया
साल 2018 में नेहा ने एक सीमित बजट के साथ tutorcabin.com नाम से होम ट्यूशन का स्टार्टअप शुरू किया। तब उनके साथ 10 टीचर जुड़े थे। ये सभी अलग-अलग सब्जेक्ट पढ़ाने वाले टीचर थे। नेहा और उनके साथी इंदौर में घर-घर जाकर बच्चों को ट्यूशन पढ़ाते थे। धीरे-धीरे शहर में उनकी पहचान बढ़ने लगी, एक के बाद एक कई पेरेंट्स उनसे कॉन्टैक्ट करने लगे। इस तरह उनका दायरा बढ़ता गया और उसके मुताबिक उनकी टीम भी बढ़ती गई।
इंदौर के बाद नेहा ने भोपाल में भी अपना करना शुरू कर दिया। उनकी टीम वहां भी बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने लगी। एक साल के भीतर उनके पास अच्छी संख्या में ट्यूटर और स्टूडेंट्स हो गए। वे नर्सरी से लेकर कॉलेज लेवल तक के बच्चों की एजुकेशन को कवर करने लगीं।
कोरोना के बाद ऑनलाइन ट्यूशन की शुरुआत
नेहा बताती हैं कि कोरोना के बाद सभी स्कूल और कोचिंग संस्थान बंद हो गए। बच्चों को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर शिफ्ट होना पड़ा। इसे देखते हुए हमें भी ऑनलाइन की तरफ रुख करना पड़ा। इसको लेकर हमने एक मोबाइल ऐप और वेबसाइट लॉन्च की। ताकि हम बच्चों को ऑनलाइन ही होम ट्यूशन की सुविधा उपलब्ध करा सकें। हमारे लिए यह नया प्लेटफॉर्म था, लेकिन हमें इससे काफी कुछ सीखने और अपने स्टार्टअप को बढ़ाने का मौका मिला।
इसका सबसे बड़ा फायदा यह हुआ कि हम भोपाल और इंदौर से आगे निकल गए। हमारे लिए एरिया का कोई बैरियर नहीं रहा। हमने अपने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए देशभर के बच्चों को कवर करना शुरू किया। जैसे-जैसे लोगों को हमारे बारे में जानकारी हुई, वे हमसे जुड़ते गए। हाल ही में हमारे पास अमेरिका में रहने वाले इंडियन्स से भी इन्क्वायरी आई है और हमने वहां के बच्चों को भी पढ़ाना शुरू किया है। फिलहाल नेहा के साथ देशभर के 1 हजार से ज्यादा टीचर्स जुड़े हैं। जो अपने घर से ही बच्चों को ऑनलाइन ट्यूशन पढ़ाते हैं। जबकि स्टूडेंट्स की संख्या हजारों में है।
कैसे पढ़ाती हैं बच्चों को, क्या है ट्यूशन का मॉडल?
नेही की टीम भोपाल और इंदौर में बच्चों को ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों ही मोड में पढ़ाती है। जबकि देश के दूसरे शहरों में सिर्फ ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए ट्यूशन प्रोवाइड कराती है। इसके लिए उन्होंने एक मोबाइल ऐप डेवलप किया है। जिसमें लॉगिन करने के बाद बच्चों को उनके टॉपिक और शेड्यूल के मुताबिक टीचर्स मिल जाते हैं। इसमें सब्जेक्ट, टॉपिक, टाइमिंग से लेकर सब कुछ पहले से शेड्यूल्ड रहता है। इसको लेकर बच्चों के मोबाइल पर नोटिफिकेशन और रिमाइंडर्स भी भेजे जाते हैं।
वे बताती हैं कि हम लोग नर्सरी से लेकर कॉलेज लेवल तक सभी सब्जेक्ट, यानी कम्प्लीट एजुकेशन प्रोवाइड कराते हैं। इसके साथ ही अलग-अलग कॉम्पिटिटिव एग्जाम्स को लेकर भी हम कोचिंग की सुविधा देते हैं। हमारे ज्यादातर टीचर्स बच्चों को इंडिविजुअल लेवल पर पढ़ाते हैं। जबकि कुछ बच्चों के लिए ग्रुप स्टडी की भी सुविधा रहती है। इसमें अधिकतम 5 बच्चे शामिल होते हैं। ताकि हर बच्चे को प्रॉपर टाइम मिल सके। इसके साथ ही सबसे बड़ी खासियत यह है कि हम देश के अलग-अलग बोर्ड के बच्चों को इंडिविजुअल उनकी अपनी भाषा में पढ़ाते हैं। ताकि उनका कॉन्सेप्ट क्लियर रहे और ज्यादा से ज्यादा चीजें उन्हें समझ में आए।
नेहा कहती हैं कि कोरोना के चलते कई लोगों की लाइफ तबाह हुई है। कई बच्चों के पेरेंट्स की जान गई है। इसलिए हम ऐसे बच्चों को मुफ्त में पढ़ा रहे हैं। ताकि पैसे की कमी की वजह से उनकी पढ़ाई प्रभावित न हो।
स्टूडेंट्स को क्या-क्या फैसिलिटी मिलती है?
Copyright © 2023-24 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.