आम तौर पर छोटे कारीगरों और दुकानदारों को मार्केटिंग का सही प्लेटफॉर्म नहीं मिलता है। कभी उनके प्रोडक्ट की सही कीमत नहीं मिलती तो कभी ग्राहक नहीं मिलते। खास करके कोरोना के दौरान ऐसे लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। इस परेशानी को दूर करने के लिए ओडिशा के त्रिलोचन और दिव्या ने एक पहल की है।
दोनों ने ऐसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म की शुरुआत की है जहां कोई भी कारीगर या दुकानदार खुद की ईकॉमर्स साइट बना सकता है। वो भी चंद मिनटों में और बिना किसी लागत के। फिलहाल 450 से ज्यादा कारीगर-दुकानदार इस प्लेटफॉर्म से जुड़े हैं। इससे इन कारीगरों की कमाई तो हो ही रही है साथ ही त्रिलोचन और दिव्या भी अच्छा खासा रेवेन्यू जेनरेट कर रहे हैं। पिछले तीन महीने में दोनों ने 6 लाख रुपए का की कमाई की है।
कोरोना में कारीगरों को मार्केटिंग के लिए प्लेटफॉर्म नहीं मिल पा रहा था
31 साल के त्रिलोचन ने इंजीनियरिंग और 23 साल की दिव्या ने BBA की पढ़ाई की है। त्रिलोचन ने लंबे वक्त तक कॉरपोरेट सेक्टर में काम किया है। नौकरी के दौरान ही दिव्या से उनकी दोस्ती हुई और बाद में दोनों बिजनेस पार्टनर बन गए।
त्रिलोचन कहते हैं कि सॉफ्टवेयर फील्ड में मेरी अच्छी समझ है। इसलिए मैं कुछ ऐसा प्लेटफॉर्म लॉन्च करना चाहता था जिससे छोटे कारीगरों को फायदा हो। कोरोना के दौरान इन लोगों को ही सबसे ज्यादा मुसीबत झेलनी पड़ रही थी।
वे सोशल मीडिया से कोशिश कर रहे थे, लेकिन ट्रस्ट की कमी की वजह से कस्टमर्स का कोई खास रिस्पॉन्स नहीं मिल पाता था। उसी दौरान दिव्या भी संबलपुर की साड़ियों का स्टार्टअप शुरू कर रही थीं। उन्हें भी इस तरह के प्लेटफॉर्म की जरूरत थी।
लाइव वीडियो कॉल पर अच्छा रिस्पॉन्स मिला तो आया Typof शुरू करने का आइडिया
वे कहते हैं कि शुरुआत में दिव्या सोशल मीडिया के जरिए मार्केटिंग करती थीं। वे अपने अकाउंट पर प्रोडक्ट की फोटो और वीडियो अपलोड करती थीं। हालांकि इस पर उन्हें कुछ खास रिस्पॉन्स नहीं मिल रहा था। इसके बाद दिव्या ने जूम कॉल के जरिये मार्केटिंग करना शुरू किया। जहां ग्राहक लाइव प्रोडक्ट को देख सकते थे और ऑफलाइन शॉपिंग की तरह मोल भाव भी कर सकते थे। यहां उन्हें बढ़िया रिस्पॉन्स मिला।
इसके बाद दिव्या ने त्रिलोचन को आइडिया दिया कि कुछ ऐसा प्लेटफॉर्म बनाओ जिस पर लाइव वीडियो टूल्स हो, ताकि कस्टमर्स लाइव दुकानदार या कारीगर से बात कर सके और अपनी मर्जी से प्रोडक्ट सिलेक्ट कर सके। फिर त्रिलोचन ने फरवरी 2021 में Typof नाम से खुद की वेबसाइट और ऐप डेवलप किया।
कारीगर खुद से बना सकते हैं अपना मार्केटिंग प्लेटफॉर्म
त्रिलोचन कहते हैं कि हमने ऐसा ऑनलाइन प्लेटफॉर्म लॉन्च किया है जहां कोई भी बेहद आसानी से और बिना किसी लागत के अपना अकाउंट क्रिएट कर सकता है। खुद की वेबसाइट और ईकॉमर्स प्लेटफॉर्म बना सकता है और अपने प्रोडक्ट को आसानी से बेच सकता है।
इसके लिए उसे किसी की मदद की भी जरूरत नहीं है। हमारा टेम्पलेट इतना आसान और कस्टमाइज्ड है कि कोई भी उसे हैंडल कर सकता है। इसके लिए प्रोसेस भी बेहद सिंपल है और आधे घण्टे से भी कम वक्त में वेबसाइट बनकर तैयार हो जाती है।
त्रिलोचन कहते हैं कि जो लोग हमारे साथ जुड़े हैं, उन्हें पेड प्रमोशन की भी जरूरत नहीं है। हमारी टीम खुद सर्च इंजन और की बोर्ड पर काम करती है, ताकि जब कस्टमर्स गूगल पर सर्च करें तो उन्हें हमारी वेबसाइट पर उपलब्ध प्रोडक्ट दिख सके। इसके लिए भी कोई चार्ज नहीं देना होता है।
पेमेंट की आसान सुविधा, कारीगर खुद संभाल सकते हैं अपना हिसाब-किताब
इस प्लेटफॉर्म से जुड़े कारीगरों के लिए पेमेंट गेटवे की भी सुविधा उपलब्ध है। इसमें वह अकाउंट ऐड करने के साथ ही पेटीएम या गूगल पे अकांउट जोड़ सकता है। जहां प्रोडक्ट की बिक्री के बाद उसके अपने अकांउट में पेमेंट मिल जाएगा। इतना ही नहीं उसे एक डैशबोर्ड भी मिलता है। जहां वह अपने ऑर्डर्स, इंक्वायरी और पेमेंट डिटेल्स को देख सकता है, मैनेज कर सकता है। इससे उसे अपना हिसाब-किताब संभालने के लिए किसी और की जरूरत नहीं होगी।
कैसे करते हैं कमाई? क्या है मार्केटिंग मॉडल?
अपनी कमाई के मॉडल को लेकर त्रिलोचन कहते हैं कि वेबसाइट बनाने के लिए किसी को पेमेंट की जरूरत नहीं होती है, लेकिन जब वह हमारे प्लेटफॉर्म से अपने प्रोडक्ट की मार्केटिंग करता है तो हर ऑर्डर पर 10% कमीशन हम चार्ज करते हैं। उसके बाद बाकी अमाउंट हम उस कारीगर के खाते में लौटा देते हैं।
इतना ही नहीं, बेसिक सब्सक्रिप्शन के साथ हमारे पास प्रीमियम प्लान्स भी है। इसमें कारीगर के अकाउंट में सीधे पेमेंट जाता है। बीच में हमारी कोई भूमिका नहीं होती है। इसके लिए उसे 1499 महीने के हिसाब से भुगतान करना पड़ता है। बाकी वह जितना भी कमा सके, उसकी खुद की कमाई होगी।
त्रिलोचन कहते हैं कि पिछले तीन महीने के दौरान 1000 से ज्यादा ऑर्डर्स उनकी प्लेटफॉर्म से देशभर में भेजे हैं। इसमें क्लोथ्स, फैब्रिक, होम डेकोर से लेकर हर तरह के प्रोडक्ट्स शामिल हैं।
अगर इस तरह के स्टार्टअप में आपकी दिलचस्पी है तो यह खबर आपके काम की है
मान लीजिए आप किसी शहर में नए हैं, आपको अपनी लोकेशन के हिसाब से कपड़े की दुकान, मॉल, होटल या मेडिकल की जरूरत है। तो आप क्या करेंगे? आमतौर पर हम इसके लिए गूगल करते हैं। कई बार हमें जानकारी मिल जाती है, कई बार ऐसा भी होता है कि उस जगह पर मौजूद छोटी दुकानों के बारे में गूगल पर जानकारी उपलब्ध नहीं होती।
इस परेशानी को दूर करने के लिए झारखंड के चाईबासा के रहने वाले सत्यजीत पटनायक ने एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म की शुरुआत की है। उनके ऐप के जरिए देश के 40 शहरों में करीब 4 हजार छोटे-बड़े बिजनेस जुड़े हैं। महज 6 महीने में ही उन्होंने 3 करोड़ से ज्यादा का बिजनेस किया है। (पढ़िए पूरी खबर)
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