95वां ऑस्कर अवॉर्ड समारोह खत्म हो गया। पहली बार दो ऑस्कर जीतने का जश्न पूरा भारत मना रहा है।
इस बार ऑस्कर के मंच पर सिर्फ भारत ही नहीं, पूरे एशिया की धूम रही है। एशियाई कलाकारों और कहानी वाली फिल्म ‘एव्रिथिंग एव्रिवेयर ऑल एट वन्स’ ने बेस्ट फिल्म समेत 7 ऑस्कर जीते हैं।
लेकिन ये पहली बार नहीं है कि ऑस्कर के प्लेटफॉर्म को एशियाई फिल्मकारों के टैलेंट का पता चला हो।
1951 से अब तक का ऑस्कर का इतिहास बताता है कि 7 दौर ऐसे रहे हैं जब अचानक ही ऑस्कर का एशिया प्रेम जाग गया।
खास बात ये है कि ये 7 दौर ऐसे थे जब अमेरिकी राजनीति में भी एशिया पर फोकस ज्यादा था। कभी अमेरिकी सरकार की नीतियों के समर्थन में, तो कभी उसके धुर विरोध में भी ऑस्कर का झुकाव बदलता रहा है।
सरकारी नीतियों के साथ ही आर्थिक मोर्चे पर हो रहे बदलावों से भी ऑस्कर अछूता नहीं रहा है। किसी एशियाई देश की आर्थिक तरक्की के साथ भी उस पर ऑस्कर का फोकस बदला है।
ये बात हॉलीवुड में खुलकर तो नहीं कही जाती, लेकिन ये माना जरूर जाता है कि खासतौर पर विदेशी फिल्मों को चुनने में राजनीतिक प्रभाव कई बार हावी जरूर होता है।
समझिए, कैसे समय और अमेरिकी सरकार की नीतियों के साथ एशियाई फिल्मकारों के प्रति ऑस्कर का नजरिया भी बदला है…
हर दौर के साथ बदलती है ऑस्कर डिप्लोमेसी
हमने 1952 से 2023 तक के ऑस्कर अवॉर्ड्स को अलग-अलग दौर में बांटा है। ये वो दौर रहे हैं जब ऑस्कर के मंच पर कोई न कोई एशियाई देश फोकस में रहा है।
देखिए, कैसे हर दौर में सरकारी नीतियों और आर्थिक समीकरणों का प्रभाव साफ दिखता है।
पहला दौर…1950 का दशक
पहली बार जापानी फिल्मों के साथ एशिया को मिली ऑस्कर में एंट्री
1951 की अकीरा कुरोसावा की फिल्म ‘राशोमोन’ को बेस्ट फॉरन लैंग्वेज फिल्म का ऑस्कर मिला।
1954 की टेइनोसुके किनुगासा की फिल्म ‘गेट ऑफ हेल’ को बेस्ट फॉरन लैंग्वेज फिल्म का ऑस्कर मिला।
1955 की हिरोशी इनागाकी की फिल्म ‘समुराई-1: मुसाशी मियामोटो’ को बेस्ट इंटरनेशनल फिल्म का अवॉर्ड मिला।
1957 की फिल्म ‘सायोनारा’ के लिए जापानी अभिनेत्री मियोशी उमेकी को बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस का ऑस्कर मिला।
ये वो दौर था जब जापान ने की थी अमेरिका से सैन्य संधि…अमेरिकी बाजार जापानी प्रोडक्ट्स से भरे पड़े थे
1950 का दशक वो समय था जब द्वितीय विश्व युद्ध के बाद मित्र देशों के कब्जे में आया जापान 1952 में आजाद हुआ था। जापान ने अमेरिका से एक सैन्य संधि की थी और अमेरिका के न्यूक्लियर अम्ब्रेला के नीचे आना स्वीकार किया था।
1948 से 1954 तक जापान के प्रधानमंत्री शिगेरु योशीदा 1951 में प्रसिद्ध ‘योशीदा डॉक्ट्रीन’ (योशीदा का सिद्धांत) लेकर आए थे। इसके मुताबिक अमेरिका की मदद से जापान की घरेलू अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का लक्ष्य था।
यही वो समय था जब अमेरिका की फ्री ट्रेड स्कीम के तहत जापान ने तेज आर्थिक तरक्की की। इस दौर में अमेरिका को जापानी एक्सपोर्ट अपने चरम पर था। जापानी गाड़ियों और इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट्स की अमेरिका में खासी मांग थी।
यही वो दौर था जब जापान, अमेरिका के बाद दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना था।
लेकिन 60 के दशक में इन संबंधों की गर्माहट कम हुई। 70 के दशक में अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन के कई फैसलों (इनमें डॉलर का गोल्ड में कन्वर्जन खत्म करना भी शामिल था) की वजह से रिश्तों में दूरी बढ़ गई। आर्थिक प्रतिद्वंद्विता भी तेज हो गई।
1961 से 2002 के बीच 10 जापानी फिल्में बेस्ट इंटरनेशनल फिल्म की कैटेगरी में नॉमिनेट तो हुईं, मगर कोई भी अवॉर्ड जीत नहीं पाई।
दूसरा दौर…साल 2001
‘क्राउचिंग टाइगर हिडन ड्रैगन’ के साथ चीन की ऑस्कर एंट्री
साल 2001 में चीन की फिल्म ‘क्राउचिंग टाइगर हिडन ड्रैगन’ को 10 कैटेगरी में नॉमिनेट किया गया। ये उस वक्त किसी गैर अंग्रेजी फिल्म के लिए सबसे ज्यादा नॉमिनेशन थे।
खास बात ये थी कि ये फिल्म बेस्ट फॉरन लैंग्वेज फिल्म के साथ ही बेस्ट फिल्म और बेस्ट डायरेक्टर की कैटेगरी में भी नॉमिनेट थी।
फिल्म ने 4 ऑस्कर अवॉर्ड जीते भी। इनमें बेस्ट फॉरन लैंग्वेज फिल्म के साथ बेस्ट आर्ट डायरेक्शन, बेस्ट सिनेमैटोग्राफी और बेस्ट ओरिजिनल स्कोर का अवॉर्ड शामिल था।
ये वो दौर था जब अमेरिका ने चीन को दिया था परमानेंट मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा
उस समय के राजनीतिक माहौल को देखें तो साल 2000 में ही अमेरिका ने चीन को परमानेंट मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा दिया था। अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने 10 अक्टूबर, 2000 को एक एक्ट पर हस्ताक्षर किए थे।
इस एक्ट के जरिये चीन के साथ परमानेंट नॉर्मल ट्रेड रिलेशन्स (NTR) पर मुहर लगाई गई थी। इसी के जरिए चीन वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन का मेंबर भी बना था।
इस कदम ने चीन और अमेरिका के बीच व्यापार कई गुना बढ़ा दिया था। साथ ही चीन की अर्थव्यवस्था को भी नया बूस्ट दिया था।
तीसरा दौर…साल 2008
‘स्लमडॉग मिलियनेयर’ ने भारत पर बढ़ाया फोकस
2008 में भारतीय पृष्ठभूमि पर बनी फिल्म ’स्लमडॉग मिलियनेयर’ को 9 कैटेगरी में नॉमिनेट किया गया।
इसमें से 8 कैटेगरी में फिल्म ने ऑस्कर जीता था। बेस्ट ओरिजिनल स्कोर कैटेगरी में गीतकार गुलजार और संगीतकार ए.आर. रहमान को ऑस्कर मिला था।
इसी साल बेस्ट फॉरन लैंग्वेज फिल्म कैटेगरी में जापानी निर्देशक योजिरो ताकिता की फिल्म ’डिपार्चर्स’ को ऑस्कर मिला था। 1955 के बाद ये किसी जापानी फिल्म के लिए पहला ऑस्कर था।
2008 में जापानी निर्देशक कुनियो काटो की एनिमेशन फिल्म को बेस्ट एनिमेंशन फिल्म का भी अवॉर्ड मिला था।
जॉर्ज डब्ल्यू. बुश को भारत और जापान के रूप में मिले थे दो दोस्त…इसी दौर में US-इंडिया ट्रेड तीन गुना बढ़ा
अब उस दौरा का राजनीतिक परिदृश्य समझिए।
अमेरिका में जॉर्ज डब्ल्यू बुश राष्ट्रपति थे। भारत में UPA की सरकार थी। दोनों देशों के बीच संबंध न सिर्फ अच्छे थे, बल्कि कई फरीद जकारिया जैसे स्कॉलर बुश को अब तक का सबसे प्रो-इंडियन यूएस प्रेसिडेंट मानते थे।
2005 में एक तरफ जहां एयर इंडिया ने 8 बिलियन डॉलर में 68 बोइंग एयरक्राफ्ट खरीदे थे, वहीं दूसरी तरफ अगस्त, 2005 में आए कैटरीना तूफान के बाद भारत ने US रेडक्रॉस को 5 मिलियन डॉलर का दान दिया था।
2004 से 2008 के बीच दोनों देशों के बीच व्यापार तीन गुना बढ़ गया था।
वहीं, जापान से रिश्तों में भी इसी समय दोबारा गर्माहट आई थी। इराक पर हमले के बाद जॉर्ज डब्ल्यू बुश की विदेश नीति की वजह से कई देशों से अमेरिका के संबंध बिगड़े थे। मगर जापान ने इराक में अपने सैनिक भेज दोस्ती बढ़ाई थी।
जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने खुलकर तत्कालीन जापानी प्रधानमंत्री जुनिचिरो कोइजुमी से अपनी दोस्ती का प्रचार किया था। कोइजुमी की अमेरिका यात्रा के दौरान वे उन्हें एल्विस प्रिस्ले के पैतृक घर घुमाने के लिए ले गए थे।
चौथा दौर…साल 2011
ईरान को पहली बार ऑस्कर में एंट्री
2011 में ईरानी फिल्म निर्देशक असगर फरहादी की फिल्म ‘ए सेपरेशन’ को बेस्ट फॉरन लैंग्वेज फिल्म का ऑस्कर मिला। ऑस्कर जीतने वाली ये पहली ईरानी फिल्म थी।
ओबामा चाहते थे ईरान से संबंधों में सुधार…ड्रोन पर हुए विवाद से किरकिरी
2009 में जब बराक ओबामा अमेरिकी राष्ट्रपति चुने गए थे तो ईरानी राष्ट्रपति मेहमूद अहमदीनेजाद ने 30 साल की परंपरा तोड़ते हुए उन्हें बधाई दी थी।
बराक ओबामा ने भी शपथ ग्रहण के बाद के अपने भाषण में उम्मीद जताई थी कि मुस्लिम देशों से अमेरिका के संबंधों का नया अध्याय शुरू होगा।
2009 में हॉलीवुड कलाकारों और फिल्मकारों का एक दल तेहरान गया था और ईरानी फिल्म इंडस्ट्री के प्रतिनिधियों से मुलाकात भी की थी।
स्पष्ट था कि अमेरिकी सरकार ईरान से संबंध सुधारना चाहती थी और हॉलीवुड भी इस प्रयास में शामिल था।
2011 में एक अमेरिकी ड्रोन ईरानी एयरस्पेस में पकड़ा गया था। इस घटना ने दोनों देशों के संबंधों में तल्खी पैदा की थी और साथ ही अमेरिका को पूरी दुनिया के सामने शर्मसार होना पड़ा था।
ठीक इसी साल ऑस्कर के मंच पर पहली बार एक ईरानी फिल्म को ही बेस्ट फॉरन लैंग्वेज कैटेगरी का अवॉर्ड मिला।
5वां दौर…साल 2016
ईरान के निर्देशक की दूसरी फिल्म को मिला ऑस्कर
2016 में दूसरी बार ईरानी फिल्म को बेस्ट फॉरन लैंग्वेज फिल्म का ऑस्कर मिला। निर्देशक असगर फरहादी की ही फिल्म ‘द सेल्समैन’ ने ये अवॉर्ड जीता।
डोनाल्ड ट्रम्प के खिलाफ ऑस्कर के मंच से भाषण हो रहे थे…मुस्लिम ट्रैवल बैन पर मचा था बवाल
इस वक्त अमेरिकी राजनीति और हॉलीवुड का सीन बिल्कुल अलग था। अमेरिका में डोनाल्ड ट्रम्प राष्ट्रपति थे।
हॉलीवुड के ज्यादातर बड़े नाम खुलकर उनकी खिलाफत कर चुके थे। अभिनेत्री मेरिल स्ट्रीप ने तो गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड के मंच पर ही कहा था कि सत्ता में बैठे लोग ताकत का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं।
इन परिस्थितियों में 2016 में ईरानी फिल्म को बेस्ट फॉरन लैंग्वेज फिल्म चुना गया। फिल्म के निर्देशक असगर फरहादी ने डोनाल्ड ट्रम्प के ट्रैवेल बैन के आदेश के विरोध में समारोह का बहिष्कार किया था।
छठा दौर…2019 और 2020
कोरियाई फिल्म ने पहली बार बेस्ट फिल्म का ऑस्कर जीता
2019 में कोरियाई फिल्म ’पैरासाइट’ को 6 कैटेगरी में नॉमिनेट किया गया। फिल्म ने 4 ऑस्कर जीते।
इसमें से बेस्ट फिल्म, बेस्ट डायरेक्टर और बेस्ट ओरिजिनल स्क्रीनप्ले तो थे ही…ये फिल्म बेस्ट फॉरन लैंग्वेज फिल्म का भी ऑस्कर जीत गई।
2020 में कोरियाई फिल्म ’मिनारी’ को बेस्ट फिल्म समेत 6 कैटेगरी में नॉमिनेट किया गया। अभिनेत्री युन यू जुंग ने फिल्म के लिए बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस का ऑस्कर जीता।
फिल्म ‘नोमाडलैंड’ के लिए क्लोई झाओ को बेस्ट डायरेक्टर का अवॉर्ड मिला। क्लोई झाओ चीनी मूल की हैं। पहली चीनी मूल की महिला हैं जिन्हें बेस्ट डायरेक्टर का ऑस्कर मिला।
ट्रम्प के बयानों से बिगड़े थे साउथ कोरिया से संबंध…दूसरी तरफ K-POP का प्रभाव लगातार बढ़ रहा था
अमेरिका और साउथ कोरिया के बीच संबंध हमेशा से अच्छे रहे हैं। लेकिन 2016 के बाद से कुछ तनातनी बढ़ी है। वजह थी…अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बयान।
ट्रम्प ने कहा था कि साउथ कोरिया से फ्री ट्रेड एग्रीमेंट की वजह से अमेरिकियों की नौकरियां जा रही हैं। वहीं ट्रम्प ने नॉर्थ कोरिया से भी नजदीकी बढ़ाने की कोशिश की थी।
इन वजहों से साउथ कोरिया में अमेरिकी सरकार के खिलाफ माहौल बना था। यही समय था कि अमेरिकी मिसाइल रोधी प्रणाली THAAD की साउथ कोरिया में तैनाती का भी विरोध शुरू हुआ था।
इस दौर में एक और बदलाव एंटरटेनमेंट के क्षेत्र में बढ़ा था। टिकटॉक जैसे प्लेटफॉर्म्स की वजह से कोरियाई पॉप कल्चर और संगीत पश्चिमी दुनिया में पॉपुलर हो रहा था। K-POP बैंड्स की लोकप्रियता हर जगह बढ़ रही थी।
एक तरफ ट्रम्प से हॉलीवुड फ्रेटरनिटी के खराब संबंध और दूसरी तरफ कोरियाई कल्चर का बढ़ता प्रभाव…इन दोनों वजहों से ऑस्कर के मंच पर पर भी लगातार दो साल तक कोरियाई चेहरे छाए रहे।
सातवां दौर…2021 और 2022
चीन, जापान और भारत तीनों को ऑस्कर में सम्मान
2021 में बेस्ट फॉरन लैंग्वेज फिल्म कैटेगरी में जापानी फिल्म ‘ड्राइव माइ कार’ को ऑस्कर मिला। फिल्म को बेस्ट फिल्म और बेस्ट डायरेक्टर समेत कुल 4 कैटेगरी में नॉमिनेट किया गया था।
बेस्ट लाइव एक्शन शॉर्ट फिल्म कैटेगरी में ‘द लॉन्ग गुडबाय’ को ऑस्कर मिला। इसे बनाने वाले रिज अहमद पाकिस्तानी और अनिल कारिया भारतीय मूल के हैं।
बेस्ट डॉक्युमेंट्री फीचर फिल्म कैटेगरी में ‘समर ऑफ सोल’ को ऑस्कर मिला। फिल्म बनाने वालों में भारतीय मूल के जोसफ पटेल भी हैं।
2022 में एशियाई कलाकारों और पृष्ठभूमि की फिल्म ‘एव्रिथिंग एव्रिवेयर ऑल एट वन्स’ को 10 कैटेगरी में नॉमिनेट किया गया था।
इसमें से बेस्ट फिल्म, बेस्ट डायरेक्टर और बेस्ट एक्ट्रेस समेत 7 कैटेगरी में फिल्म ने ऑस्कर जीता।
भारतीय फिल्म ‘आरआरआर’ के गाने ‘नाटू-नाटू’ को बेस्ट ओरिरिजनल स्कोर कैटेगरी में ऑस्कर मिला।
बेस्ट डॉक्युमेंट्री शॉर्ट सब्जेक्ट कैटेगरी में भारतीय फिल्मकारों कार्तिकी गोंजाल्विस और गुनीत मोंगा की फिल्म ‘द एलिफेंट व्हिस्परर्स’ को ऑस्कर मिला।
एशिया में बैलेंस बनाने की अमेरिकी नीति का असर ऑस्कर पर भी दिखा
2021 और 2022 की फिल्मों के लिए हुए ऑस्कर समारोह में चीनी मूल से लेकर भारतीय और जापानी कलाकारों, फिल्मकारों का चर्चा रहा।
देखा जाए तो ये भी एशिया में अमेरिकी विदेश नीति से मिलता-जुलता दिखता है। अमेरिकी सरकार एशियाई ताकतों में एक बैलेंस बनाने की कोशिश में लगी है।
अमेरिका, एक तरफ जापान और भारत को खुलकर सपोर्ट देते हुए चीन के खिलाफ एक मोर्चा बनाए रखना चाहता है। दूसरी तरफ, चीन से व्यापारिक संबंधों को रिनेगोशिएट करने में भी उसकी खासी दिलचस्पी है।
1982 में फिल्म ‘गांधी’ को मिले थे 8 ऑस्कर…लेकिन तब मुद्दे कुछ और थे
1982 में रिचर्ड ऐटनबरो की फिल्म ‘गांधी’ को 11 कैटेगरी में नॉमिनेट किया गया था। और फिल्म ने 8 ऑस्कर जीते थे। पहली बार एक भारतीय भानु अथैया को भी इसी समय बेस्ट कॉस्ट्यूम डिजाइन कैटेगरी में अवॉर्ड मिला था।
लेकिन इस दौर में राजनीतिक परिदृश्य से ज्यादा फिल्म की पृष्ठभूमि हावी थी। ये महात्मा गांधी के जीवन पर बनी पहली अंतरराष्ट्रीय फिल्म थी। निर्देशक रिचर्ड ऐटनबरो ने इसे इसी तरह प्रचारित भी किया था।
राजनीतिक तौर पर देखा जाए तो उस समय अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन के ब्रिटिश प्रधानमंत्री मार्गरेट थैचर से बहुत अच्छे संबंध माने जाते थे। जबकि भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की निक्सन एडमिनिस्ट्रेशन से खींचतान भी जगजाहिर थी।
लेकिन उस समय फिल्म की पृष्ठभूमि इस राजनीतिक समीकरण पर ज्यादा हावी रही थी। खास बात ये है कि भारत में ब्रिटिश रूल के कई अतिरेक दिखाने वाली फिल्म के बनाने वाले भी ब्रिटिश ही थे।
हालांकि ब्रिटिश एकैडमी फिल्म अवॉर्ड्स यानी बाफ्टा में ‘गांधी’ को चार ही अवॉर्ड मिले थे, मगर ऑस्कर के मंच पर फिल्म को 8 कैटेगरी में अवॉर्ड मिले।
अमेरिका में हो रहे आंदोलनों का भी ऑस्कर पर स्पष्ट प्रभाव
2020 में अमेरिका में चले ब्लैक लाइव्ज मैटर आंदोलन के बाद साल 2021 में 7 ब्लैक आर्टिस्टस को ऑस्कर मिला था। उम्मीद की गई थी आने वाले समय में ये संख्या और बढ़ेगी। हालांकि ऐसा नहीं हो पाया। 2022 में ऑस्कर जीतने वाले ब्लैक आर्टिस्ट की संख्या घटकर 4 रह गई और इस बार तो केवल इस कम्युनिटी के लोगों को केवल एक ऑस्कर ही मिल पाया।
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