सीने में जलन, आखों में तूफान सा क्यूं है
इस शहर में हर शख्स परेशां सा क्यूं है
करिअर फंडा में स्वागत!
क्या आप मानते हैं कि जिस व्यक्ति का अपने मूड पर कंट्रोल है, वो किंग है?
प्रोफेशनल और स्टूडेंट लाइफ में सारा खेल है इमोशंस का
1978 की खूबसूरत मूवी ‘गमन’ का ये गीत बताता है कि इमोशंस और हम इंसानों के दिमागों में चल रहे तूफान कितने जरूरी होते हैं।
जब भी प्यार, मोहब्बत, नफरत, गुस्से आदि किसी भी इमोशन की बात आती है तो खुद से पूछिए ये कहां पैदा होते हैं। सामान्य उत्तर होता है ‘दिल’ में, लेकिन क्या ये सही है?
'दिल' यानी 'हार्ट' तो बॉडी में ब्लड की सप्लाई करने वाले पंप की तरह काम करता है, और उसका काम सोचना नहीं होता। तो फिर ये सभी इमोशंस कहां बनते हैं? जी हां आपके दिमाग में।
आपका दिमाग ही वह जगह है जो विभिन्न तरह के केमिकल्स और हॉर्मोन्स को रिलीज कर आप को विभिन्न तरह की फीलिंग्स देता है फिर वह चाहे खाना खाने के बाद सोने की हो या चिंता होने पर दौड़ने की।
अगर आपको मूड की प्रॉब्लम है, और आपकी प्रोफेशनल या स्टूडेंट लाइफ बहुत प्रभावित होने लगी है, तो पढ़ते रहिए, क्योंकि आपको एक सॉल्यूशन मिलने वाला है।
पांच हॉर्मोन्स का खेल है जीवन
आप जानते हैं ना हॉर्मोन्स क्या होते हैं? हमारे आपके शरीरों में दौड़ते हुए ‘केमिकल मैसेंजर्स’ (सन्देश वाहक), जो अनेक प्रोसेस को कंट्रोल करते हैं, जिसमें हमारे मूड भी शामिल है।
पांच सबसे इम्पोर्टेन्ट हॉर्मोन्स हैं: ऑक्सीटोसिन , एंडोमॉर्फिन, कोर्टिसोल, डोपामिन और सेरेटोनिन।
कठिन नामों से डरिए मत: आपके काम की बात है ये। जानिए आपका दिमाग आपके साथ क्या कर रहा है, और कैसे आप उसे नियंत्रित कर सकते हैं।
5 बड़े सीक्रेट: दिमाग का खेल
1) मिस्टर विश्वास (Oxytocin - ऑक्सीटोसिन )
जब हम कहते भी हैं 'विश्वास पर दुनिया कायम है', तो हम ऑक्सीटोसिन की ही बात करते हैं। ऑक्सीटोसिन आपस में विश्वास पैदा करने वाला हॉर्मोन है। मनुष्य समूह में इसी कारण रह पाता है। ये सामाजिक एकता का निर्माण करता है, और दिमाग में इसका कम निर्माण हमें खतरे का आभास कराता है तथा 'फ्लाइट और फाइट' मोड एक्टिव हो जाता है। इसीलिए दुश्मनी भरे माहौल में क्रिएटिव काम नहीं हो सकते। लेसन: अपने ऑक्सीटोसिन लेवल को बनाए रखें। इसके लिए गले मिलना, हाथ गर्मजोशी से मिलाना, मुस्कुराना कारगर हैं।
2) दर्द दूर करने वाला हॉर्मोन (Endomorphin - एंडोमॉर्फिन)
शरीर में कहीं भी दर्द होने पर उसे दूर या कम करने के लिए हमारे दिमाग द्वारा यह हॉर्मोन रिलीज किया जाता है। दर्द हमारी बॉडी का इमरजेंसी अलार्म होता है, जो आपको बताता है कि बॉडी के किस भाग की ओर ध्यान देने की जरूरत है, लेकिन एंडोमॉर्फिन हॉर्मोन मनुष्य को दर्द की अवस्था में भी काम करने लायक बनाए रखता है। यह डिप्रेशन, चिंता, तनाव को कम करता है। जब आप तेजी से चलते हैं, डांस करते हैं, तैरते हैं, या ऊंची जगह पर चढ़ते हैं तब ये हॉर्मोन आपकी बॉडी में रिलीज होता है। लेसन: अपने एंडोमॉर्फिन लेवल को बनाए रखें। इसके लिए एक्सरसाइज करना, डार्क चॉकलेट खाना, म्यूजिक सुनना और मेडिटेशन करना यूजफुल है।
3) दुख देने वाला हॉर्मोन (Cortisol - कोर्टिसोल)
जब भी दिमाग में कोर्टिसोल रिलीज होगा आपको दुख होगा। घर से मेहमानों के चले जाने पर सूना-सूना लगना, अपनों से दूर जाने पर होने वाला दुख सभी इसी कारण होते हैं। यह हॉर्मोन आपको बताने की कोशिश करता है कि अकेले मत रहो, अपनों से दूर मत जाओ। ‘बिछड़ने’ पर बनाए गए सारे ‘बॉलीवुड गाने’ इसी हॉर्मोन को एक ट्रिब्यूट हैं। लेसन: इसका लेवल कम रखने के लिए गहरी सांसें लेना, खूब सोना, कॉफी कम पीना, हॉबी में लीन रहना, एक्सरसाइज करना और लेख लिखना यूजफुल है।
4) मिस्टर डिस्कवरर एंड एचीवर (Dopamine - डोपामाइन)
कोई नई चीज ढूंढने पर होने वाली खुशी, कुछ सफलता प्राप्त होने पर होने वाली खुशी फिर वह मेडिकल की डिग्री हो या भीड़ भरी पार्किंग में खाली पार्किंग स्लॉट या वीडियो गेम में नेक्स्ट लेवल या नई जगह घूमने जाने का आनंद) सभी डोपामाइन के कारण है। इवोल्यूशनरी तौर पर यह पानी का कुंड, शिकार, भोजन आदि मिलने की खुशी से सम्बंधित है। लेसन: इसका लेवल हाई रखने के लिए प्रोबायोटिक्स खाएं, विटामिन-डी लें, तनाव न लें, खाना भरपेट लें, खूब सोएं और हंसें।
5) सर कटा सकते हैं लेकिन सर झुका सकते नहीं (Serotonin - सेरेटोनिन)
प्रतिष्ठा से होने वाली खुशी के लिए जिम्मेदार हॉर्मोन, प्राण जाए पर प्रतिष्ठा नहीं, ये फलसफा कई लोगों का होता है, बधाई हो अब आपको उसके लिए जिम्मेदार हॉर्मोन का नाम पता है! इवोल्यूशनरी तौर पर समाज में अधिक प्रतिष्ठा, मान्यता (आपकी बात को माना जाना) आपके के जीवित होने के चान्सेस बढ़ा देती थी। ये हॉर्मोन आपके सोशल स्टेटस, सामाजिक सम्मान आदि से आपको खुशी देता है। लेसन: इसका लेवल हाई रखने के लिए सही भोजन, चमकीली लाइट्स, शरीर का मसाज, धन्यवाद देने की कला, धूप में रहना कारगर है।
तो आपने पांचों इम्पॉर्टेंट हॉर्मोन्स को समझ लिया: ऑक्सीटोसिन, एंडोमॉर्फिन, कोर्टिसोल, डोपामिन और सेरेटोनिन। (सावधान - बिना डॉक्टर की सलाह के, कोई भी दवा, विटामिन या खाने में परिवर्तन न करें)
आज का करिअर फंडा यह है कि प्रोफेशनल और स्टूडेंट्स को अपने हॉर्मोन्स से होने वाले इम्पैक्ट और फीलिंग्स को समझ कर,उन्हें बदल ने की कोशिश करनी चाहिए।
कर के दिखाएंगे!
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