नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) ने गुरुवार आधी रात के बाद पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के कई ठिकानों पर छापा मारा। ये छापेमारी राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार, महाराष्ट्र, केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, असम और पुडुचेरी में की गई है।
केंद्र सरकार PFI पर एक्शन की तैयारी कर रही है, भास्कर ने इस बारे में 9 अगस्त को ही बता दिया था। इसके लिए एक टीम भी बनाई गई थी।
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इस्लामिक कट्टरपंथी संगठन PFI कथित तौर पर कई आतंकी गतिविधियों में शामिल रहा है, लेकिन अब तक उस पर बैन नहीं लग सका है। कर्नाटक के BJP नेता प्रवीण नेट्टारू की हत्या के बाद ये संगठन केंद्र के रडार पर आ गया था। बहुत संभावना है कि 2022 PFI का आखिरी साल हो।
PFI पर एक्शन का प्लान 4 अगस्त को गृहमंत्री अमित शाह के बेंगलुरु दौरे के दौरान बना था। अमित शाह यहां एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुंचे थे। कार्यक्रम के बाद अमित शाह, कर्नाटक के CM बसव राज बोम्मई और राज्य के गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र के बीच मीटिंग हुई थी।
इसी मीटिंग में PFI को खत्म करने के लिए प्लान बनाने का फैसला हुआ। इसके 3 दिन बाद, यानी 7 अगस्त को प्लान पर काम करने के लिए टीम बनाई गई।
एक्शन टीम में दिल्ली और कर्नाटक के कुछ आला अधिकारियों के साथ ही इंटेलिजेंस के लोग भी शामिल हैं। केंद्र सरकार ने देशभर के उन अधिकारियों की लिस्ट भी तैयार की है, जो पहले भी इस तरह के सेंसिटिव मामलों के इन्वेस्टिगेशन में शामिल रहे हैं।
यह टीम कर्नाटक ही नहीं, बल्कि देश के सभी हिस्सों में PFI के खिलाफ 3 मोर्चों पर काम करेगी। टीम का काम मुख्य रूप से PFI के खिलाफ ऐसे डॉक्युमेंट इकट्ठा करना है जो नेशनल ही नहीं बल्कि इंटरनेशनल लेवल पर भी इसके मंसूबों के खिलाफ सबूत जुटा सकें।
PFI के खिलाफ 3 मोर्चों पर काम
कर्नाटक विधानसभा चुनाव से पहले बड़ा एक्शन
कर्नाटक में अगले साल फरवरी-मार्च तक चुनाव होने की संभावना है। एक्शन प्लान बनाते वक्त भी इस बात की चर्चा हुई थी। ऐसे में चुनाव से पहले PFI के खिलाफ बड़ा एक्शन लिया जा सकता है।
प्रवीण नेट्टारू की हत्या के बाद केंद्र की एंट्री
कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले में 26 जुलाई को भारतीय जनता युवा मोर्चा के जिला सचिव प्रवीण नेट्टारू की हत्या कर दी गई थी। इसके बाद सरकार के खिलाफ BJP कार्यकर्ताओं के बगावती सुर पनपे, उसकी धमक दिल्ली तक सुनाई दी।
कर्नाटक के BJP कार्यकर्ताओं ने अपने प्रदेश अध्यक्ष नलिन कुमार कतील की कार को घेर लिया और हंगामा किया था। वे कई घंटों तक भीड़ के बीच फंसे रहे। इतना ही नहीं, भाजपा युवा मोर्चा के कई कार्यकर्ताओं ने सामूहिक इस्तीफा भी दिया था।
इससे पहले राजस्थान के उदयपुर हत्याकांड और महाराष्ट्र में फार्मासिस्ट उमेश कोल्हे की हत्या में भी PFI का हाथ होने की बात सामने आई थी। इस बीच पटना में भी PFI के बड़े नेटवर्क का भंडाफोड़ हो चुका है।
देश के 20 राज्यों में फैला है PFI
1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद 1994 में केरल में मुसलमानों ने नेशनल डेवलपमेंट फंड (NDF) की स्थापना की। धीरे-धीरे केरल में इसकी लोकप्रियता बढ़ती गई और इस संगठन की सांप्रदायिक गतिविधियों में संलिप्तता भी सामने आती गई।
साल 2003 में कोझिकोड के मराड बीच पर 8 हिंदुओं की हत्या में NDF के कार्यकर्ता गिरफ्तार हुए। इस घटना के बाद BJP ने NDF के ISI से संबंध होने के आरोप लगाए, जिन्हें साबित नहीं किया जा सका।
केरल के अलावा कर्नाटक में कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी यानी KFD और तमिलनाडु में मनिथा नीति पसाराई (MNP) नाम के संगठन जमीनी स्तर पर मुसलमानों के लिए काम कर रहे थे। इन संगठनों का भी हिंसक गतिविधियों में नाम आता रहा था।
नवंबर 2006 में दिल्ली में एक बैठक हुई। इसके बाद NDF इन संगठनों के साथ मिल गया और PFI का गठन हुआ। तब से यह संगठन काम कर रहा है। अभी ये देश के 20 राज्यों में एक्टिव है।
PFI पर सिर्फ झारखंड में बैन
PFI के राष्ट्रीय महासचिव अनीस अहमद के मुताबिक PFI अभी सिर्फ झारखंड में ही बैन है। इसके खिलाफ PFI ने कोर्ट में अपील भी की है। इससे पहले भी हमें बैन किया गया था, लेकिन रांची हाईकोर्ट ने बैन हटा दिया था। ये बैन भी जल्द ही हट जाएगा।
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1. 15 साल में 20 राज्यों में फैला PFI; ED और NIA के रडार पर, लेकिन बैन नहीं
कर्नाटक में BJP युवा मोर्चा कार्यकर्ता की हत्या, उत्तर प्रदेश के कानपुर में हिंसा, मध्य प्रदेश के खरगौन में सांप्रदायिक दंगा, राजस्थान के करौली में हिंसा, उदयपुर में दर्जी कन्हैयालाल का सिर कलम और कर्नाटक के शिवमोगा में बजरंग दल कार्यकर्ता का कत्ल। इन सभी मामलों में PFI का नाम आया। ये संगठन 15 साल में 20 राज्यों में फैल चुका है। केरल हाईकोर्ट ने भी एक कमेंट में PFI को ‘चरमपंथी संगठन’ बताया था। ED और NIA के रडार पर होने के बावजूद इस पर बैन नहीं लगा है।
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2. सवाल को ईशनिंदा बताकर प्रोफेसर का हाथ काटा, शरीर पर कई जख्म दिए
केरल के प्रोफेसर टीजे जोसेफ पर 12 साल पहले हुए हमले में PFI का लिंक सामने आया था। जोसेफ एर्नाकुलम जिले में रहते थे। उन्होंने परीक्षा के लिए तैयार क्वेश्चन पेपर में 'मोहम्मद' नाम लिखा था। यही सवाल पैगंबर की बेअदबी का आधार बन गया। 4 जुलाई 2010 को जोसेफ चर्च जा रहे थे। रास्ते में जोसेफ पर 8 लोग तलवार और चाकू लेकर टूट पड़े। पहली घटना थी, जब भारत में PFI का नाम ईशनिंदा के खिलाफ किसी मामले में जुड़ा था।
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