केरल को उसकी प्राकृतिक खूबियों के चलते ‘गॉड्स ओन कंट्री’ कहते हैं। यहां कोकोनट की पैदावार देश में सबसे ज्यादा होती है। इसलिए इसे लैंड ऑफ कोकोनट भी कहते हैं। जहां कोकोनट वेस्ट भी खूब निकलता है। इसी वेस्ट को बेस्ट तक ले जाने के लिए केरल की मारिया ने किचनवेयर बनाने का स्टार्टअप ‘थेंगा’ नाम से शुरू किया है। तकरीबन जीरो निवेश से शुरू हुए इस स्टार्टअप से हर महीने 3 लाख रुपए का वे बिजनेस कर रही हैं। हैंडमेड मेड और इको फ्रेंडली प्रोडक्ट होने के कारण इसकी डिमांड देश ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी हर साल बढ़ रही है। इतना ही नहीं इस स्टार्टअप के जरिए कई कारीगरों को रोजगार के साथ लोकल ट्रेडिशन को भी बढ़ावा मिल रहा है।
आइए जानते हैं मारिया और इनके स्टार्टअप के बारे में जो दूसरों के लिए एक प्रेरणा है…
शुरू से सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ा काम करने का इरादा था
26 साल की मारिया कुरियाकोस केरल की त्रिशूर की रहने वाली हैं। बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर्स करने के बाद मुंबई में 2 साल तक एक कॉर्पोरेट कंपनी में काम किया और उसके बाद बिजनेस करने के लिए नौकरी छोड़ केरल वापस आ गईं।
मरिया बताती हैं कि पढ़ाई के बाद मैं खुद का बिजनेस शुरू करना चाहती थी। एक ऐसा बिजनेस जो मेरे सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ा हो साथ ही इको फ्रेंडली भी हो। मैं केरल में रहती हूं जहां देश में सबसे ज्यादा कोकोनट का उत्पादन होता है। तो मैंने सोचा क्यों न कोकोनट से ही जुड़ा कोई काम करूं और इस तरह ‘थेंगा’ स्टार्टअप की शरुआत हुई।
मलयालम में 'थेंगा' शब्द का अर्थ नारियल होता है। जो बहुत ही यूनीक है, क्योंकि खाना बनाने से लेकर दवाइयां, ईंधन, ट्रेडिशनल घर बनाने में किसी न किसी तरह नारियल पेड़ के हर हिस्से का इस्तेमाल किया ही जाता है।
कोकोनट ऑयल फैक्ट्री से निकले हुए वेस्ट से आइडिया आया
मरिया ने स्टार्टअप शुरू करने से पहले कई प्रोडक्ट्स पर रिसर्च किया। लोकल लोगों से बात की। कुछ उनकी भी राय जानी। कोकोनट से प्रोडक्ट तैयार करने वाली कई फैक्ट्रियों में भी गईं और वहां से उन्हें आइडिया मिला।
मरिया बताती हैं कि कोकोनट शेल की कई खूबियां हैं। जैसे ये काफी ठोस और टिकाऊ होता है। बहुत पहले, केरल के आसपास के कई कारीगर कोकोनट शेल का इस्तेमाल खाना परोसने वाली करछी बनाने के लिए किया करते थे। पर आज, ऐसे प्रोडक्ट और उनको बनाने वाले कारीगर दोनों ही बहुत कम हो गए हैं।
कोकोनट ऑयल फैक्ट्री में कोकोनट को निकालने के बाद बड़ी मात्रा में शेल को फेक दिया जाता है। जो पूरी तरह वेस्ट हो जाता है। मारिया ने इसी वेस्ट से किचन वेयर प्रोडक्ट बनाने का काम किया। अब तक हजारों कोकोनट शेल से किचन वेयर बनाये गए हैं। जिनकी डिमांड देश विदेश हर जगह बढ़ रही है।
आइडिया के साथ घर वालों का भी सपोर्ट मिला
मरिया को उनके स्टार्टअप में माता-पिता दोनों का बहुत सपोर्ट मिला। हर नई शुरूआत की तरह मरिया का भी सफर आसान नहीं था, लेकिन उनके पिता ने ऐसे कारीगरों को ढूंढ़ा जो इस तरह का काम करने लायक थे। मारिया ने कहा, 'कोकोनट शेल को किचनवेयर में बदले के लिए कुछ मुझे मशीनों की जरूरत थी जो शेल को अंदर और बहार से चिकना कर सकें और इसमें मेरे पापा ने मदद की।
मरिया के पिता, कुरियाकोस वरू (65), पेशे से मैकेनिकल इंजीनियर हैं। उन्होंने हार्डवेयर स्टोर से स्पेयर पार्ट्स खरीदकर कुछ ही दिनों में कोकोनट शेल को चिकना करने के लिए जरूरी सैंडिंग मशीनों को बनाया। घर में पड़ी एक हैंडहेल्ड ड्रिल से बफर और डिस्क सैंडर जैसी फिटिंग्स बनाई। जबकि मरिया की मां, जॉली कुरियाकोस (63) ने बैकयार्ड और पास की एक ऑयल मिल से अलग-अलग आकार के कोकोनट के गोले इकट्ठा करने में मदद की।
100% ईको फ्रेंडली और हैंड मेड प्रोडक्ट है
कोकोनट शेल से बना प्रोडक्ट दिखने में वुडन किचन वेयर की तरह ही दिखता है, लेकिन कई मायनो में बेहतर है। मरिया कहती हैं कि थेंगा के प्रोडक्ट्स दिखने में काफी हद तक वुडन प्रोडक्ट्स जैसे ही दिखते हैं, पर इन्हें बनाने में किसी भी तरह से नेचर को नुकसान नहीं होता है। ऐसे में कोकोनट शेल से बने किचन वेयर, वुडन वेयर का अच्छा रिप्लेसमेंट बन सकते हैं।
इससे किचन वेयर टिकाऊ तो होते ही हैं। इसके अलावा समय के साथ ये और सुन्दर दिखने लगता है। सभी प्रोडक्ट्स को कारीगर हाथ से बनाते हैं। किसी भी तरह का केमिकल का इस्तेमाल नहीं किया जाता। प्रोडक्ट में चमक के लिए कोकोनट ऑयल से ही घिसाई की जाती है। इस तरह हमारा प्रोडक्ट 100% होम मेड और इकोफ्रेंडली है। वे बताती हैं कि हम अपने काम को और बढ़ने के लिए श्रीलंका और अंडमान और निकोबार से कोकोनट के बड़े शेल मंगा रहे हैं ताकि बड़े पॉट बना सकें।
पहले आर्डर की इनकम से बिजनेस बढ़ाया
मरिया बताती हैं कि हमने बिजनेस की शुरुआत कुछ ही प्रोडक्ट के साथ की और धीरे धीरे काम बढ़ता गया। आज हमारे पास कप, बाउल, कटलरी, कैंडल स्टैंड , कुकिंग स्पून सहित करीब 23 प्रोडक्ट्स हैं जो ऑनलाइन मिलते हैं। हर साल लोगों की डिमांड बढ़ती ही जा रही है। भारत के साथ-साथ अमेरिका, कनाडा, जर्मनी, दुबई और कुवैत सहित कई देशों में हम अपने प्रोडक्ट की मार्केटिंग कर रहे हैं। इसके साथ ही हमने तकरीबन 16 कारीगरों को रोजगार दिया है।
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