नीचे दो फोटो हैं, फोटो में दो गांधी। एक महात्मा, दूसरे राहुल। ये तुलना ठीक नहीं है और हम कर भी नहीं रहे। ये दो तस्वीरें कुछ कहने की कोशिश तो कर ही रही हैं ना…।
राहुल ‘भारत जोड़ो यात्रा’ पूरी कर चुके हैं। रविवार को उन्होंने श्रीनगर के लालचौक पर तिरंगा फहराया और यात्रा पूरी होने की घोषणा कर दी। तय दिन से एक दिन पहले ही।
134 दिन पैदल चले राहुल चेहरे-मोहरों में बहुत बदले हैं। साथ ही साथ उनकी नई छवि गढ़ने की भी कोशिश कांग्रेस करती दिखी। इसके लिए कई तरीके अपनाए गए। उन्हीं में से एक था राहुल का आम हो जाना।
राहुल के बच्चों के साथ पानी में छलांग लगाते, बूढ़ी महिलाओं को गले लगाते, लड़कियों के हाथ अपने हाथ में लिए चलते, किसी के घर बैठ चाय पीते… जैसे कई फोटोज-वीडियोज सोशल मीडिया पर वायरल हुए। फिर मेन स्ट्रीम मीडिया ने भी उसे उठाया, चलाया और दौड़ाया।
मसलन 6 सेकेंड के फ्रेम में ये 4 तस्वीरें...
यात्रा में ये जो हो रहा था, वो कितना सच था और कितना फिक्स्ड, इसका पता करने भास्कर रिपोर्टर्स ने वहीं से अपनी छानबीन शुरू की, जहां से यात्रा शुरू हुई थी। यानी कन्याकुमारी।
भास्कर रिपोर्टर तस्वीरों और वीडियोज में नजर आए 7 राज्यों के 16 लोगों से मिले। इन लोगों की राहुल संग फोटो और वीडियो को भारत जोड़ो यात्रा, कांग्रेस और राहुल समेत कांग्रेस नेताओं के ट्विटर अकाउंट से वायरल किया गया था।
भास्कर ने इन लोगों से तीन सवाल किए…
पहला राज्य: केरल
नेमम का चाय वाला, जिसे राहुल ने 2 हजार रुपए दिए
हम सबसे पहले तमिलनाडु और केरल के बॉर्डर पर मौजूद नेमम पहुंचे। 11 सितंबर 2022 की सुबह 7 बजे अचानक 3-4 लोग त्रिवेंद्रम से 40 किलोमीटर दूर नेमम के अन्नाक्कुन्न चर्च जंक्शन पर 58 साल के स्टेनली थाट्टूकड़ा की चाय की दुकान में पहुंचे थे। उन्होंने स्टेनली से कहा- ‘चाय का इंतजाम कीजिए, बड़े नेता आ रहे हैं।’
स्टेनली बताते हैं- ‘वो लोग इलेक्ट्रॉनिक चीजें लाए थे और मेरी दुकान की जांच करने लगे। मुझे 10 मिनट पहले बताया गया कि राहुल गांधी आ रहे हैं। 15 मिनट बाद राहुल करीब 15 लोगों के साथ आए। वे यहां आधा घंटा रुके। मैंने और पत्नी ने जल्दी-जल्दी पकौड़े और बनाना फ्रिंटर (केले के पकौड़े) बनाए और उन्हें खाने के लिए दिए। वे चलने लगे तो एक चिप्स का पैकेट भी लिया। जाते हुए वे मुझे 2 हजार रुपए देकर गए।’
स्टेनली खुश होते हुए बताते हैं- ‘राहुल को मेरी चाय इतनी पसंद आई कि उन्होंने दो कप पी।'
स्टेनली से बातचीत के बाद हम बगल में मौजूद हार्डवेयर शॉप पर पहुंचे। वहां बर्नाड से मुलाकात हुई। वे कांग्रेस के बूथ प्रेसिडेंट भी हैं। हमने पूछा, आपने ही राहुल की टीम को चाय की दुकान के बारे में बताया था। आपको पता था राहुल यहां आएंगे?
जवाब मिला- ‘मुझे तो उसी दिन पता चला। राहुल जब थोड़ी दूर थे, तभी एक सिक्योरिटी वाला आया और बताया कि वे यहां आ रहे हैं। हम राहुल से मिलना चाहते थे, लेकिन हमें करीब नहीं जाने दिया।’
त्रिवेंद्रम: राहुल से मिली और फेमस हो गई 12वीं की स्टूडेंट
नेमम से हम त्रिवेंद्रम के नेयात्तिनकरा पहुंचे। यहां 12वीं में पढ़ने वालीं दक्षा दिलीप एमडी रहती हैं। दक्षा की राहुल के साथ एक फोटो खूब वायरल हुई थी। दक्षा से हमने पूछा, राहुल से कैसे मिलीं? जवाब मिला- 'मुझे अखबार से पता चला था कि राहुल यहां से गुजरेंगे। मैंने पापा से कहा कि मुझे भी उनसे मिलना है। हम बस सड़क के किनारे खड़े थे, वे गुजरे तो मैंने उन्हें आवाज दी। राहुल ने मुझे देखा और सिक्योरिटी वाले को इशारा किया।’
दक्षा बिना किसी सिक्योरिटी चेक के राहुल तक पहुंचीं और उन्हें गुलाब के तीन फूल दिए। राहुल ने उनसे 2-3 मिनट बात की।
पल्लिचल: कम्युनिस्ट नेता के घर गए राहुल
हम केरल की राजधानी त्रिवेंद्रम की तरफ बढ़ रहे थे और राहुल गांधी से मिलने वालों को ढूंढ रहे थे। मालूम चला कि राहुल पल्लिचल में एक वेल्डिंग शॉप में काम करने वाले रतिश के घर भी कुछ देर रुके थे।
रतिश से मुलाकात हुई तो उन्होंने बताया, ‘शाम 5 बजे तीन लोग अचानक घर के बाहर आए, उनके हाथ में बम चेक करने वाली मशीन थी। उन्होंने बताया कि राहुल आ रहे हैं, वॉशरूम इस्तेमाल करना चाहते हैं। मैंने हां किया तो पूरी टीम ने घर के हर कमरे को स्कैन किया। जांच पूरी होने के 15 मिनट बाद राहुल आए। उन्होंने चाय भी पी।’
रतिश की पत्नी चित्रा बताती हैं- ‘सुरक्षाकर्मियों ने अपने सामने ही चाय बनाने के लिए कहा था। चायपत्ती और चीनी भी चेक की थी। राहुल मेरी बेटियों से बातें कर रहे थे। आधा घंटा रुककर वो चले गए।’
रतिश कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यकर्ता हैं। वे कहते हैं कि राहुल का आना मेरे लिए भी चौंकाने वाला था, हो सकता है ये सब पहले से प्लांड रहा हो।
कांग्रेस नेता ने बताया, काफी पैसे खर्च हुए
त्रिवेंद्रम में हमारी मुलाकात ‘भारत जोड़ो यात्रा’ की ऑर्गेनाइजेशन टीम में शामिल डिस्ट्रिक्ट कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पलोडे रवि से हुई। उन्होंने बताया- ‘यात्रा 11 सितंबर को यहां पहुंची, लेकिन इसकी तैयारी एक महीने पहले से हो रही थी। इसके लिए डिस्ट्रिक्ट लेवल कमेटी, डिस्ट्रिक्ट लेवल रिसेप्शन कमेटी, डिस्ट्रिक्ट लेवल ऑफिस बना और यात्रा की प्लानिंग के लिए अलग से एक ऑफिस खोला गया। इसके लिए हमने काफी पैसे खर्च किए।’
पलोडे रवि ने आगे बताया- ‘कूपन से जमा पैसों से हमने गाड़ियों, लोगों के खाने का इंतजाम किया। हमें लेबर क्लास के लोगों ने भी चंदा दिया था। पूरे केरल में इसी तरह से पैसों का इंतजाम किया गया। ये सब पूरी प्लानिंग से किया गया था।’
लोगों से मिलने का कार्यक्रम पहले से फिक्स था, टीम आगे चलती थी
पलोडे रवि के मुताबिक- ‘त्रिवेंद्रम में राहुल ने पहले दिन गांधीवादी नेता जी रामाचंद्रन से मुलाकात की, फिर वे हैंडलूम वर्कर्स से मिले। तिर्ची में एक मंदिर में भी गए। इस तरह के सभी इवेंट्स पहले से तय थे। सारा इंतजाम हमने पहले ही कर दिया था। सुरक्षा के लिए CRPF को कोई दिक्कत न हो, इसके लिए कांग्रेस कार्यकर्ता हर जगह मौजूद थे। पहले से तय और जान-पहचान के लोगों को राहुल के करीब जाने दिया गया था।’
हमने सवाल किया, यात्रा के बीच में जो ब्रेक लिए जाते थे, उनकी जगह कौन तय करता था, कैसे करता था? इसका जवाब ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के पदाधिकारी विनोद कृष्ण ने दिया। उन्होंने बताया- ‘केरल में लोगों को मैनेज करने का जिम्मा उनकी टीम को सौंपा गया था। राहुल को कहां रुकना है और कौन उनसे मिलेगा, यह सबसे पहले हम तय करते थे। ये लिस्ट राहुल की कोर टीम के पास जाती थी और आखिरी फैसला वहां लिया जाता था।’
विनोद कृष्ण आगे बताते हैं- ‘यह टीम यात्रा में सबसे आगे यानी तकरीबन आधा घंटे से 45 मिनट की दूरी का गैप बना कर चलती थी। राहुल के ब्रेक लेने वाली जगह ये तय करते थे और वहां की सुरक्षा का इंतजाम भी यही करते थे। 100-200 मीटर के इलाके में तीन घर या छोटे रेस्टोरेंट या टी-शॉप चुनते थे।
इसके तीन पैमाने थे:
जगह तय होने के बाद राहुल की सुरक्षा में तैनात लोग और CRPF जवान उस जगह जाकर पूरा इलाका स्कैन करते थे। पास ही खड़े एक कांग्रेस पदाधिकारी कैमरे पर न आने की शर्त पर बताते हैं- राहुल गांधी के पर्सनल स्टाफ की तरफ से सख्त आदेश था कि ब्रेक के लिए बड़ा होटल या AC रेस्टोरेंट नहीं चुना जाएगा। मालापुरम में हमें कोई जगह नहीं मिली तो मजबूरी में पिज्जा हट में ब्रेक लेने का इंतजाम करना पड़ा था। इस पर राहुल काफी नाराज भी हो गए थे।’
दूसरा राज्य: कर्नाटक
मैसूर की फैक्ट्री, जहां राहुल नाश्ते के लिए रुके
केरल से हम कर्नाटक के मैसूर पहुंचे। राहुल यहां नंजनगुड की एक अचार, मुरब्बा और मसाले बनाने वाली फैक्ट्री में रुके थे। फैक्ट्री में पार्टनर विश्वचेतन के.एल बताते हैं- ‘हमें ये तो पता था कि 1 अक्टूबर को राहुल फैक्ट्री के सामने से गुजरेंगे। हम उनके इंतजार में गेट पर खड़े थे। सुबह 7 बजे काली वर्दी पहले कुछ लोग स्कैनर लेकर आए और बोला कि 8:30 बजे एक बड़े नेता यहां आएंगे। क्या आप 10-15 लोगों के नाश्ते का इंतजाम कर सकते हैं?’
विश्वचेतन बताते हैं- ‘हमें सुबह 8:15 बजे बताया गया कि राहुल आ रहे हैं। वे रणदीप सिंह सुरजेवाला और डीके शिवकुमार समेत 50 लोगों के साथ आए थे। हमारे पास इतना ही टाइम था कि चाय-बिस्किट्स मंगवा सकें। राहुल ने पहले वाशरूम यूज किया और फिर यहां बैठ कर एक चाय पी और फैक्ट्री में बनी चिक्की भी खाई। फिर वे मेरे बेटे विश्वरूप से बात करते रहे।’
तभी विश्वचेतन का बेटा 10 साल का विश्वरूप भी आ गया। हमने राहुल पर सवाल किया तो बोला- ‘राहुल आए और मुझसे काफी बातें कीं। पढ़ाई और दोस्तों के बारे में पूछा। उनसे मिलने के बाद मैं स्कूल में फेमस हो गया हूं।’
ऐसी ही कहानी मैसूर के प्लेटिनम इन रेस्टोरेंट की है। यहां राहुल ने 2 अक्टूबर को नाश्ता किया था। होटल के मालिक वरुण वेणुगोपाल ने भी यही बताया कि सुरक्षाकर्मी तलाशी लेने आए और फिर आधे घंटे बाद राहुल आए। किसी को फोन नहीं इस्तेमाल करने दिया गया, सिर्फ यात्रा से जुड़े कैमरामैन ही फोटोज ले रहे थे।
राहुल से मिलने के चक्कर में पिटाई हो गई
मैसूर में हमें लॉ स्टूडेंट योगेश अनैय्या मिले, जिन्होंने यात्रा के दौरान दो बार राहुल से मिलने की कोशिश की तो सिक्योरिटी के लोगों ने उन्हें पीट दिया। योगेश अनैय्या बताते हैं- ‘मैं चाहता था कि राहुल को कुछ यादगार गिफ्ट दूं।'
'2 अक्टूबर को सेंट फिलोमिनस चर्च पर, राजीव और सोनिया गांधी की एक पुरानी तस्वीर उन्हें देने की कोशिश की तो मुझे खूब पीटा गया। मेरी कमर में चोट आई। राहुल ने मुझे गिरते देखा तो सुरक्षाकर्मियों को इशारा किया, मैं तब उनसे मिल सका।’
मैसूर के एम फिल स्टूडेंट नौफिल अहमद की राहुल के साथ फोटो वायरल हुई थी। हमने उनसे सवाल किया तो उन्होंने बताया- ‘मैं और मेरे दोस्त पढ़े-लिखे हैं, लेकिन बेरोजगार हैं। हमें पता चला कि राहुल यहां आ रहे हैं तो हमने 70-75 बेरोजगार स्टूडेंट्स को जमा किया और ‘WE ARE WALKING FOR JOBS’ वाली टीशर्ट पहनकर पहुंच गए। LIC चौक पर राहुल ने हमें देखा और इशारा करके बुलाया। लोकल पुलिस ने हमारी टी-शर्ट उतारने की कोशिश की, लेकिन हमने नहीं उतारी। राहुल हमसे मिले और हमारे रिज्यूमे भी लिए ’
कर्नाटक में 4 लेवल पर हुआ यात्रा का मैनेजमेंट
मैसूर सिटी में हमें जिला कांग्रेस के सोशल मीडिया को हैंडल कर रहे अरुण गंगाधर मिले। अरुण ने बताया- ‘राहुल के मैसूर आने से एक महीने पहले ही हमने भारत जोड़ो यात्रा की तैयारियां शुरू कर दी थीं। 10 मीटिंग्स में स्ट्रक्चर तय किया गया। सारी जिम्मेदारी प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार और सीनियर लीडर सिद्धारमैया की थी। उन्होंने स्टेट लीडर्स को जिम्मेदारियां बांटीं। विधायकों को यात्रा मैनेजमेंट का काम दिया गया। राहुल किस-किस से मिलेंगे ये एक टीम तय कर रही थी।’
हमने पूछा कि राहुल रास्ते में अचानक लोगों से कैसे मिल रहे थे? अरुण बोले- ‘कभी-कभी राहुल रैंडम मिला करते थे। वो स्क्रिप्टेड नहीं था, लेकिन उन लोगों का भी पूरा सिक्योरिटी चेक होता था। मिलने से पहले उनके पर्सनल मोबाइल फोन ले लिए जाते थे।’
15 दिन पहले तय कर लिया गया था राहुल का पूरा प्लान
मैसूर के सिटी कांग्रेस प्रेसिडेंट आर. मूर्ति से हमने यात्रा के स्टेज्ड होने का सवाल किया तो वे बोले- सुतुर मठ, चामुंडी हिल मंदिर (श्री चामुंडेश्वरी मंदिर), मस्जिद-ए-आजम और सेंट फिलोमेना चर्च जाने का प्लान 15 दिन पहले बन गया था। राहुल की टीम इन इलाकों के दो महीने में दो दौरे कर चुकी थी। हमें 2 एकड़ जमीन का इंतजाम करने को कहा गया था। यात्रा को लेकर सिद्धारमैया और डी शिवकुमार भी दो बार यहां आए थे। यात्रा को भव्य रूप देने के लिए हमने 18-20 कल्चरल ग्रुप को ऑर्गेनाइज किया था।’
केंद्र सरकार के खिलाफ प्रोटेस्ट वाले सभी कार्यक्रम फिक्स थे
मैसूर में NSUI के स्टेट जनरल सेक्रेटरी रफीक अली ने बताया- ‘प्रोटेस्ट के जितने भी इवेंट हुए उनकी तैयारी 1 हफ्ते पहले ही कर ली गई थी। हमने गुंडलपेठ में GST, बेरोजगारी को मुद्दा बनाकर इवेंट किया था। जमीन से 15 फीट ऊंचाई पर एक मंच बनाकर GST (गब्बर सिंह टैक्स) ऐग्जीबिशन किया गया। यात्रा से ठीक पहले पुलिस वाले आए और उन्होंने इसे तोड़ दिया। उसके बाद राहुल यहां नहीं आए।’
रफीक अली के मुताबिक, ‘2 अक्टूबर को परकौला से मैसूर के रास्ते में हमने अमित शाह के पकौड़े वाले बयान के खिलाफ ग्रेजुएट पकोड़ा सेंटर बनाया। राहुल ने हमारे पकौड़े खाए भी थे।’
राहुल मंदिर, मस्जिद और चर्च में आएंगे, पहले ही बता दिया था
मैसूर में राहुल मंदिर, मस्जिद और चर्च में गए। कार्यक्रम कब और कैसे तय हुआ, ये जानने हम लश्कर मोहल्ले में मौजूद मस्जिद-ए-आजम पहुंचे। मस्जिद के मौलाना अब्दुल सलाम रिजवी ने बताया- ‘MLA तनवीर सेठ ने करीब 15 दिन पहले ही बता दिया था कि राहुल आने वाले हैं। सुरक्षाकर्मी आए थे और तलाशी लेकर चले गए। राहुल से सिर्फ कुछ ही लोगों को मिलने दिया गया था।’
चामुंडेश्वरी मंदिर और चर्च में हमने सवाल किए तो कोई बात करने के लिए तैयार नहीं हुआ। हालांकि कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने ये बताया कि मस्जिद की ही तरह दोनों जगह VIP मूवमेंट की जानकारी पहले से ही दे दी गई थी।
8 दिन पहले यात्रा की परमिशन मांगी गई
मैसूर दौरे से 8 दिन पहले स्थानीय कांग्रेस नेताओं ने भारत जोड़ो यात्रा की परमिशन के लिए DM ऑफिस से इजाजत मांगी थी। हमने DM ऑफिस से वो सीक्रेट डॉक्यूमेंट हासिल किया, जिसमें राहुल की यात्रा का पूरा रोडमैप था। इस डॉक्यूमेंट में राहुल के टी-ब्रेक और मंदिर, मस्जिद और चर्च में जाने की डिटेल नहीं थी।
तीसरा राज्य: आंध्र प्रदेश
राहुल ने सड़क किनारे से बुलाया, बिना चेकिंग मिले
आंध्र प्रदेश के आलूर में हमें रसूल मिले। उनके दो साल के बेटे के साथ राहुल गांधी की फोटो वायरल हुई थी। रसूल ने बताया- ‘हम तो हाथ में पोस्टर और गुलाब लेकर खड़े थे। मेरा बेटा भी साथ था। राहुल ने हमें देखा तो इशारे से बुलाया। हमारी चेकिंग नहीं हुई थी।’ CRPF ने उनकी चेकिंग नहीं की थी, ये चौंकाने वाली बात थी।
आलूर में राहुल से मल्लिकार्जुन भी मिले थे। मल्लिकार्जुन बताते हैं- ‘मैं सड़क के किनारे खड़ा था, राहुल ने मुझे देखा तो पास बुलाया, लेकिन सुरक्षाकर्मियों ने मुझे रोककर मेरी तलाशी ली और फिर मुझे जाने दिया।’
जून से पता था कि अक्टूबर में राहुल यहां आएंगे
आलूर के कांग्रेस इंचार्ज डीएस पाशा ने बताया- ‘हमें जून में बता दिया गया था कि राहुल यहां से गुजरेंगे। हमें राहुल के रुकने, यात्रा के लिए भीड़ जमा करने, खाने का इंतजाम करने का जिम्मा सौंपा गया। राहुल के सिक्योरिटी इंचार्ज बायजू ने फाइनल किया। यात्रा के लिए अलग से ऑफिस खोला। पूरे इलाके में 10 हजार बैनर लगाए थे और 5 ऑटो रिक्शा के जरिए एक महीने पहले से प्रचार शुरू हुआ।’
जानबूझकर भीड़ में यात्रा को ले गए, सड़क पर चलने से कुछ नहीं मिलता
इसके बाद हम कर्नूल पहुंचे। यहां डिस्ट्रिक्ट कांग्रेस कमेटी के चीफ एम सुधाकर बाबू से मिले। सुधाकर ने बताया- ‘राहुल गांधी को कहां-कहां जाना है, इसके लिए उनकी टीम ने एक महीने पहले रोडमैप तैयार किया था। हमने उसमें कुछ बदलाव करवाए थे, जिससे वो ज्यादा से ज्यादा लोगों से मिल सकें। राहुल सिर्फ सड़कों पर चलते तो उससे हमें कोई फायदा नहीं होता, हम उन्हें भीड़ में ले गए। 15 दिन पहले सब तय था कि राहुल को किससे मिलना है।’
कांग्रेस के पूर्व MLA लक्ष्मीनारायण रेड्डी ने बताया- ‘कर्नूल के येम्मिगनुर में राहुल कहां-कहां रुकेंगे, संगठन से जुड़े लोगों के राहुल से मिलने का कार्यक्रम भी पहले से तय था।’
येम्मिगनुर कांग्रेस के डिस्ट्रिक्ट जनरल सेक्रेटरी एम कासिम ने बताया- ‘राहुल के यहां आने से 8 दिन पहले हमने तैयारियां शुरू कर दी थीं। स्टेट लीडर से अप्रूवल मिलने के बाद ही कोई राहुल से मिल सकता था।’
सरपंचों से मिलना चाहा, लेकिन मुलाकात नहीं हुई
तेलंगाना के महबूबनगर बॉर्डर पर राहुल गांधी सूखे की मार झेल रहे 32 गांवों के प्रतिनिधियों से भी मिले थे। हम प्रतिनिधिमंडल में शामिल लोगों से मिलने की 2 दिन तक कोशिश करते रहे, तब पोंगल का त्योहार था, इसलिए उनसे बात नहीं हो पाई।
वही कहानी, सब तय था, महीनों पहले से तैयारी चल रही थी
इसके बाद हम महबूबनगर पहुंचे जहां शहर के कांग्रेस जनरल सेक्रेटरी अब्दुल सिराज कादरी ने वही कहानी सुनाई, जो हमें केरल, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में सुनने को मिली थी। उन्होंने बताया- ‘राहुल आएंगे ये एक महीने पहले से हमें पता था। यूथ कांग्रेस, NSUI और पार्टी कार्यकर्ताओं को काम बांट दिया गया था। सब तय था कि कहां रुकेंगे, किससे मिलेंगे।’
सिराज कादरी ने आगे बताया- ‘सारा जिम्मा PCC प्रेसिडेंट रेवंत रेड्डी का था। यहां एक कमेटी ने तय किया कि राहुल किससे मिलेंगे और फिर लिस्ट आगे भेजी गई। तैयारियों का जायजा लेने के लिए राहुल की टीम भी आई। राहुल कभी-कभी अचानक चाय पीने के लिए बोलते थे, तो आधे घंटे में उनके रुकने का प्लान बनाना होता था, लेकिन इसके लिए भी एक अलग से टीम थी। राहुल आएंगे इसका प्रचार तो महीने भर पहले से ही शुरू हो गया था।’
5वां राज्य: महाराष्ट्र
दो बच्चों को बुलाया और लैपटॉप गिफ्ट किया
महाराष्ट्र में सबसे पहले हम उन दो बच्चों से मिलने पहुंचे जिन्हें राहुल गांधी ने लैपटॉप गिफ्ट किए थे। लोहा तहसील के कौड़गांव में हमारी मुलाकात 10वीं में पढ़ने वाले चंद्रकांत नरेश किरकर से हुई। चंद्रकांत ने बताया- ‘7 नवंबर की शाम 4 बजे हम गांव के पास ही थे। राहुल वहां से गुजरने वाले थे। राहुल ने हमें देखा और इशारे से बुलाया। वे सड़क किनारे डिवाइडर पर बैठ गए। हमसे पूछा कि बड़े होकर क्या बनोगे? मैंने कहा- डॉक्टर। फिर उन्होंने पूछा कि कंप्यूटर चलाना आता है, मैंने मना किया तो अपना लैपटॉप दिखाने लगे।’
‘हम राहुल के साथ 5 किलोमीटर चले, वो परिवार के बारे में पूछते रहे। हम घर लौट आए। फिर कुछ लोग आए और बोले कि राहुल हमसे मिलना चाहते हैं। हमें कैंप में बुलाकर लैपटॉप दिए गए।’
चंद्रकांत के अलावा पड़ोस में रहने वाले सर्वेश विट्ठल को भी राहुल ने लैपटॉप दिया। चंद्रकांत और सर्वेश के पिता किसान हैं।
केरल जाकर स्टडी की, फिर महाराष्ट्र में तैयारी
महाराष्ट्र के नांदेड़ में हमारी मुलाकात कांग्रेस प्रवक्ता संतोष पंधागले से हुई। महाराष्ट्र में ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के लिए पूर्व CM अशोक चव्हाण ने एक कमेटी बनाई थी, संतोष उसके सदस्य थे।
संतोष ने बताया- ‘हमें 5 महीने पहले बता दिया गया था कि राहुल नांदेड़ आएंगे। हमने वार्ड लेवल, बूथ लेवल तक तैयारियां की थीं। सितंबर में यात्रा शुरू हो चुकी थी और हमें यह पता करना था कि इतनी बड़ी यात्रा का मैनेजमेंट कैसे हो रहा है? अशोक चव्हाण ने हमें यात्रा की स्टडी के लिए केरल के कोच्चि भेजा। हमारे साथ दो विधायक, एक पूर्व विधायक और दो बड़ी इवेंट मैनेजमेंट कंपनी के लोग थे। हम इवेंट को भव्य बनाना चाहते थे, इसलिए हमने कुछ प्राइवेट कंपनी के लोगों को हायर किया था।’
महाराष्ट्र में दो बड़ी प्राइवेट इवेंट मैनेजमेंट कंपनियों ने काम संभाला
संतोष ने बताया- ‘दो प्राइवेट इवेंट मैनेजमेंट कंपनियों को खाने-ठहरने से जुड़े सारे काम का जिम्मा दिया गया था। ये कंपनियां महाराष्ट्र में कई बड़े प्रोजेक्ट हैंडल कर चुकी हैं। यात्रियों के रुकने के लिए हमने कुंभ मेले में लगने वाले टेंट मंगवाए थे। हमारी एक टीम हरिद्वार में कुंभ का अरेंजमेंट करने वाले लोगों से भी मिली थी।’
संतोष ने आगे बताया- ‘हम तमिलनाडु में यात्रा के साथ 5 दिन चले और यात्रा का वॉकिंग सिस्टम कैसा है, ये जाना। क्या खाना खाते हैं और इसकी टाइमिंग क्या होती है, पानी की सप्लाई कैसे होती है और सैनिटाइजेशन सिस्टम समझा। हमें समझ आया कि खाना तय करना सबसे बड़ी दिक्कत है। किसी राज्य में नॉनवेज चलता है और किसी में वेज। यात्रा में शामिल लोगों को स्पेशल ट्रीटमेंट देते हुए हमने लोगों के टेस्ट और उनके राज्य के हिसाब से अलग-अलग लेवल पर 50 तरीके के स्टॉल लगाए थे।’
स्पेशल कुक बुलाए, केकड़े की डिश बनाई गई
संतोष ने बताया- ‘हमारे पास जम्मू-कश्मीर के पांच लोग थे, हमने उनके हिसाब से स्पेशल डिश बनवाई थी। बाहर से कुक मंगवाए। वे हर यात्री को ध्यान में रखकर खाना बना रहे थे। हमने 50 तरीके के पकवानों का इंतजाम किया था। एक यात्री सिक्किम से आया था और सिर्फ उनके लिए हमने केकड़े की डिश बनवाई। हमने सभी यात्रियों को ऐसा माहौल दिया कि उन्हें लगे वे घर में ही हैं। हालांकि, राहुल कहां रुकेंगे, किससे मिलेंगे ये उनकी कोर टीम ने ही तय किया।’
‘राहुल की सुरक्षा सबसे बड़ी चिंता थी। पार्टी के जिन लोगों को राहुल गांधी से मिलना था, उनकी एक लिस्ट पहले से बनी हुई थी। किसे मिलवाना है, यह नाम अशोक चव्हाण के दिमाग में बहुत पहले से थे।’
तीन दिन पहले बताया था कि राहुल नांदेड़ साहब गुरुद्वारे आएंगे
नांदेड़ में राहुल हजूर साहिब सचखंड गुरुद्वारा भी गए थे। यहां तैनात डिप्टी सुपरिन्टेंडेंट थान सिंह ने बताया कि राहुल गांधी 8 नवंबर को रात 10 बजे कुछ लोगों के साथ गुरुद्वारे आए थे। 10 मिनट तक दरबार साहब में रहे। राहुल यहां आएंगे, इसकी जानकारी 3 दिन पहले ही हमें दे दी गई थी। हमसे VIP मूवमेंट की तैयारी करने के लिए कहा गया था।
6वां राज्य: मध्य प्रदेश
2 दिन पहले मिली राहुल से मिलने की परमिशन
मध्यप्रदेश के खंडवा में मेडिकल स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष रवि परमार राहुल से मिले थे। उन्होंने बताया- ‘हमें 2 दिन पहले राहुल से मिलने की परमिशन मिल गई थी। हमने सुबह 6 बजे से उनके साथ चलना शुरू किया और करीब 9 बजे उनकी टीम ने हमारी मुलाकात कराई। इससे पहले हम सभी की सुरक्षा जांच हुई थी।’
चाय, नाश्ता और कुर्सियां भी राहुल की टीम लाई
खंडवा के रास्ते में सिलोदा बुजुर्ग में राहुल नौशाद पटेल के यहां रुके थे। उन्होंने बताया- ‘2 घंटे पहले मुझे बताया गया कि राहुल आ रहे हैं। उनका चाय-नाश्ता और कुर्सियां तक भी उनकी टीम ही लेकर आई थी।’
ओंकारेश्वर मंदिर प्रशासन के मुताबिक, उन्हें 2 दिन पहले राहुल के आने की जानकारी दे दी गई थी। यात्रा के लिए कठपुतली, निमाड़ी लोक कलाकारों को बुलाया गया था। राहुल ने 23 नवंबर की सुबह बुरहानपुर के बोदरली गांव से MP में एंट्री ली थी। यहां वे सिर्फ 3 दिन ही रहे। वे ओंकारेश्वर गए, टंट्या भील की जन्मस्थली बड़ौदा अहीर पहुंचे और 26 नवंबर को महू में बाबा साहेब अंबेडकर की जन्मस्थली भी गए। यहां जाना पहले से तय था।
7वां राज्य: राजस्थान
कांग्रेस नेताओं ने ही कलाकारों को मिलने के लिए बुलाया
राहुल MP के बाद झालावाड़ के रास्ते राजस्थान में दाखिल हुए थे। यहां वे 6 दिसंबर लंगा-मांगणियार कलाकार हाकम खान नींबला से मिले थे। हम जब उनसे मिले तो उन्होंने बताया- ‘जाजम फाउंडेशन ने हमें राहुल गांधी की यात्रा में भेजा था। मैं और मेरे दोनों बेटे थिरपाल खान और देवू खान 3 किलोमीटर तक यात्रा में साथ चले थे। हमें पर्यटन विभाग ने कोटा भेजा था। फिर जाजम फाउंडेशन ने हमें झालावाड़ जाकर राहुल से मिलने का कार्यक्रम बनाया था।’
हाकम बताते हैं- ‘हम जब झालावाड़ गए तो हमें VIP ट्रीटमेंट मिला और राहुल हमसे मिलने आए। राहुल को हमने गीत सुनाए। उन्होंने करताल बजाने के बारे में भी पूछा। मेरे दोनों बच्चों को गले लगाया, हाथ में हाथ डालकर साथ चले, उनकी पढ़ाई और कला पर भी बात की।’
इसके बाद हम 90 साल के बुजुर्ग राजेंद्र भट्ट से मिले। वे भरतपुर से झालावाड़ आकर राहुल से मिले थे। उन्होंने बताया- ‘मैं इमरजेंसी के समय भी जेल में रहा हूं। कई कविताएं भी लिखीं। मैं कांग्रेस से जुड़ा हुआ हूं और सोनिया गांधी के साथ भी पदयात्रा की है। मुझे किसी ने नहीं बुलाया मैं खुद ही प्रदेश यात्री के तौर पर शामिल हुआ हूं। मैंने खुद ही रजिस्ट्रेशन कराया था।’
12 दिसंबर को महिला दिवस के मौके पर राहुल ने कालबेलिया डांसर गुलाबो से मुलाक़ात की थी। इस दिन सिर्फ महिलाएं ही राहुल और प्रियंका गांधी के साथ सुरक्षा घेरे में चली थीं। गुलाबो ने बताया- ‘ कांग्रेस नेताओं ने हमें राहुल से मिलने बुलाया था। उन्होंने हमारे साथ कालबेलिया डांस भी किया था।’
इसी दिन दौसा जिले के समलेटी ग्राम पंचायत की सरपंच उर्मिला समलेटी भी राहुल से मिली थीं। उर्मिला बताती हैं- ‘ मैंने खुद शीर्ष नेताओं से मिलने की गुजारिश की थी। राहुल की टीम ने मुझसे संपर्क किया और मिलने बुलाया था।’ राजस्थान में भी पड़ताल से साफ था कि स्थानीय नेताओं ने कलाकारों की राहुल से मुलाकात का इंतजाम किया था। यहां भी ये मुलाकातें पहले से ही फिक्स थीं।
भारत जोड़ो यात्रा: कितनी सच, कितनी फिक्स
9 राज्यों में राहुल गांधी की यात्रा की पड़ताल करने, और लोगों से बातचीत करने के बाद हम इन नतीजों पर पहुंचे:
इनपुट: मध्यप्रदेश से योगेश पांडे और राजस्थान से गोवर्धन चौधरी
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यात्रा से कितने बदले राहुल; गंभीर नेता की इमेज बनी, PM के दावेदार हो सकते हैं
भारत जोड़ो यात्रा खत्म हुई, लेकिन सवाल बचा है कि कांग्रेस और राहुल को इससे क्या मिला। राहुल कहते रहे कि यात्रा का मकसद सियासी नहीं है, लेकिन जानकार बताते हैं कि कांग्रेस दक्षिण से उत्तर तक यात्रा के जरिए 372 लोकसभा सीटों पर फोकस कर रही है। कांग्रेस के एक सीनियर लीडर ने नाम न जाहिर करते हुए कहा- भारत जोड़ो यात्रा के जरिए हम राहुल गांधी की नई इमेज तैयार करने में कामयाब रहे हैं। करीब 5 महीने बाद राहुल लोगों से जुड़े गंभीर नेता के तौर पर सामने आए हैं। अब वे विपक्ष को लीड कर सकते हैं और प्रधानमंत्री पद के कैंडिडेट भी हो सकते हैं।
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