दिल दियां गल्ला, बेख्याली जैसे मशहूर गाने लिखने वाले इरशाद कामिल ने इस बार मां पर कुछ लिखा है। वो लिखते हैं कि हम सब में मां है। हमारी आंख में, आंख के पानी में। हमारे दिल, दिमाग में। सब जगह मां है। मदर्स डे पर दैनिक भास्कर के लिए खासतौर पर इरशाद कामिल ने ये कविता लिखी है। तो आइए इससे होकर गुजरते हैं…
हम सब में मां है
मां अक्सर मिल जाती है
हमारी आंख में, आंख के पानी में
हमारे दिल, दिमाग में
बचपन, बुढ़ापे या जवानी में
नाक, होंठ या चेहरे की बनावट में
उठने बैठने के तरीके
काम करने के सलीके
और बातों की बुनावट में
हमारी आदत में दिखाई देती है
गुनगुनाने में सुनाई देती है
वो याद में ही नहीं
स्वाद में भी होती है
उंगली पकड़ कर किये सफर में ही नहीं
बाद में भी होती है
दुनिया का पहला अक्षर है वो
लहजे में, आवाज में शामिल
आने वाले कल और आज में
पिता से छुपाये राज में शामिल
उसके हाथ के खाने जैसा खाना
दुनिया में कहीं नहीं मिलता
और न मिलती है
उसकी गोद जैसी सुरक्षा
उसकी खुशी जैसी ठंडक
उसकी डांट जैसी डांट
उतनी ही होती है वो हम में
जितनी फलों के पेड़ में
फलों के अलावा होती है लकड़ी
थोड़ी देर
हम रहते हैं मां के भीतर
फिर मां रहती है
हमारे भीतर सारी उम्र...।
मदर्स डे पर ये खास स्टोरीज भी पढ़िए...
1. मदर्स डे के अवसर पर दैनिक भास्कर ने 25 अप्रैल से 1 मई तक पेंटिंग कॉम्पिटिशन आयोजित किया। ‘मेरी मां’ थीम पर आयोजित पेंटिंग प्रतियोगिता में हर उम्र, वर्ग के लोगों ने प्रविष्टियां भेजीं। इनमें से 23 कलाकारों की पेंटिंग को ईनाम मिले हैं। (चलिए देखते हैं सभी 23 पेंटिंग्स को)
2. मां कैसे आपको संवारती है? जीवन के लिए तैयार करती है ?मां की सबसे बड़ी आस होती है अपने बच्चे की खुशी। शायद इसीलिए हमारी खुशी की तलाश भी मां के पास पहुंचकर पूरी होती है। आपकी खुशी किसमें है यह बात कहे बिना मां सुन लेती है। तो आज मदर्स डे पर पढ़िए 4 कहानियों को और समझिए कि कैसे एक मां चाहे तो घर से लेकर समाज तक को बदल सकती है। (पढ़िए पूरी कहानी)
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