करिअर फंडाघर से दूर कॉम्पिटिशन की तैयारी…5 बातों का रखें ध्यान:खर्च घटाएं, स्ट्रॉन्ग बनें…‘मदर टेस्ट’ से आंकें काम करना है या नहीं

4 महीने पहले

कोई हाथ भी न मिलाएगा, जो गले मिलोगे तपाक से, ये नए मिजाज का शहर है, जरा फासले से मिला करो

- बशीर बद्र

करिअर फंडा में स्वागत!

एक बड़ा, खर्चीला और इमोशनल सवाल

स्टूडेंट्स और पेरेंट्स के सामने यह एक बड़ा प्रश्न होता है कि क्या कॉम्पिटिटिव एग्जाम की तैयारी के लिए अपना घर छोड़ कर दूसरे शहर में जाना चाहिए? इससे जुड़ी होती है पैसे की बात, सेफ्टी और इमोशन की बात, और कुछ हद तक प्रेस्टीज की बात भी।

क्या आप भी इस प्रश्न का सामना कर रहे हैं? आज हम इसी मुद्दे पर बात करेंगे।

क्यों छोड़ता है पंछी अपना शहर

कॉम्पिटिटिव एग्जाम्स की तैयारी के लिए अपना शहर छोड़ कर दूसरे शहर में जाने की जरूरत क्यों महसूस होती है?

इसका सबसे बड़ा कारण आप के अपने शहर में एजुकेशनल सुविधाओं – अच्छे एजुकेशन इंस्टीट्यूट्स, अच्छे टीचर्स और अच्छे स्टूडेंट्स (सही कॉम्पिटिशन) – का नहीं मिलना है। ये सुविधाएं स्टूडेंट्स को सही समय पर नहीं मिलने से उनकी तैयारी और विकास पर बहुत अधिक प्रभाव भी पड़ सकता है।

क्योंकि पेरेंट्स और एस्पायरेंट को लगता है कि कॉम्पिटिटिव एग्जाम से पूरे जीवन का हिसाब-किताब सेट होने वाला है, तो इस बात को ज्यादा गंभीरता से लिया जाता है।

नए शहर जाकर पढ़ने के 5 बड़े पहलू

1) खाना और रहना: घर से बाहर निकलने पर सबसे पहली समस्या होती है खाने और रहने की, क्योंकि कई महीनों तक तो नई जगह के खाने का स्वाद ही नहीं भाता।

A. बाहर के खाने के क्वालिटी इश्यूज भी होते हैं।

B. यदि हो सके तो सबसे बढ़िया यह होता है कि आप अपने किसी पहचान वाले या रिलेटिव के यहां पेइंग गेस्ट की तरह रहें।

C. अच्छे हॉस्टल इत्यादि की जानकारी पता करें, लेकिन अच्छे से अच्छे हॉस्टल में भी खाने की क्वालिटी अच्छी नहीं ही मिलती। मैं जब IIT में 4 साल पढ़ा, तब हॉस्टल मेस का खाना अच्छा नहीं होता था!

D. अपने ही शहर के अन्य विद्यार्थियों के साथ मिलकर घर या कमरे भी किराये पर लिए जा सकते हैं, यहां आप अपना खुद का किचन बनाकर, खुद राशन का सामान मंगा कर कुक/रसोइये से बनवा सकते हैं; इसमें शायद थोड़ा खर्चा अधिक आए लेकिन इससे आप को घर की तरह बना हुआ क्वालिटी खाना मिलेगा।

E. इससे आपका कम्फर्ट हाई रहेगा, जिससे आपकी पढ़ाई अच्छी होगी।

2) होम सिकनेस: पहली बार घर से बाहर निकलने वाले बच्चे के साथ दूसरी सबसे बड़ी समस्या होती है होम सिकनेस और अकेलापन। कुछ इसमें टूटकर घर लौट आते हैं।

A. घर और अपनों से दूर रहने पर होने वाले तनाव को 'होम सिकनेस' कहते हैं।

B. होम सिकनेस की गंभीर अवस्था में अनियमित नींद, सिरदर्द, भूख ना लगना, असुरक्षित, अकेलापन महसूस होना, नर्वस और चिड़चिड़ा महसूस होना इत्यादि लक्षण हो सकते हैं। ऐसी स्थिति में अपने शहर के, अपनी भाषा बोलने वाले और अपने जैसा सोचने वाले दोस्त बनाने से बहुत लाभ मिलता है।

C. अपने रूम में ही उदास पड़े न रहें, या क्लासेज में बैठे-बैठे गुमसुम न होते रहे, नुकसान ही होगा।

D. अपनी किताबें ले जा कर कॉफी शॉप या लाइब्रेरी में जा कर पढ़ाई की जा सकती है। घर पर नियमित रूप से फोन करके बात करने से हौसला मिलता है। अंतिम गोल आंखों के सामने रखने से जोश मिलता है।

3) फायनेंस: तीसरी समस्या केवल स्टूडेंट की समस्या नहीं है, बल्कि पूरे परिवार की समस्या है। जी हां, वो है पैसों का इंतजाम।

A. परिवार के साथ रहने पर किसी भी स्टूडेंट के खर्चे उतने नहीं होते, जितने अलग से एक नई सिटी में जाकर रहने के होते हैं।

B. आज कल कई परिवार पहले से ही ऐसे खर्चों के बारे में सोचकर उसके लिए बचत करते हैं, ऐसा है तब तो ठीक लेकिन ऐसा ना होने पर यह एक बड़ी समस्या बन सकती है।

C. इसी सीरीज में पहले एक आर्टिकल 'घर से दूर कॉम्पिटिशन की तैयारी... 4 तरीके पैसे बचाएंगे' में इस बारे में चर्चा की गई है।

4) बुरी संगत या लक्ष्य से भटकना: घर के अनुशासन भरे माहौल से खुले बिना रोक-टोक के माहौल में आने से कई स्टूडेंट्स अपने अपने लक्ष्य से भटक जाते हैं। थोड़ी बहुत मस्ती ठीक है, लेकिन पैर फिसल गए तो मुसीबत।

A. इसमें दोस्तों के साथ इधर-उधर घूमने में समय और पैसा बरबाद करना और किसी तरह के नशे जैसे सिगरेट या शराब की आदत शामिल है।

B. ऐसा होने का मुख्य कारण मेच्योरिटी और सेल्फ-कॉन्फिडेंस की कमी होना है, जिससे स्टूडेंट्स अपनी बात पर टिके नहीं रह पाते और आसानी से दोस्तों के प्रभाव में आ जाते हैं।

C. इस स्थिति से माता-पिता अपने बच्चे से स्ट्रॉन्ग बॉन्डिंग बना कर ही निपट सकते हैं। पिता से भी अधिक यहां मां का रोल हैं, वे अपने बच्चे को किसी भी काम को करने से पहले 'मदर टेस्ट' करने की सीख दे सकती है।

5) 'मदर टेस्ट' क्या है: अपने बच्चे से बात करें और उसे खुलकर बताएं कि बाहर अकेले रहने पर कोई भी काम करने से पहले 'मदर टेस्ट' करें – यानी स्टूडेंट अपने आप से यह पूछे यदि मैं यह काम करूंगा और यदि इसका मेरी मां को पता लगा तो उन्हें कैसा फील होगा? क्या वे खुश होंगी, नाराज होंगी या दुखी? यदि उत्तर 'खुश होंगी' है तो ही वो काम करने लायक अन्यथा बेहिचक वहां से भाग जाए, दोस्त चाहे कितना भी जिगरी हो।

उम्मीद है ऊपर की गई चर्चा आपके लिए उपयोगी साबित होगी!

आज का करिअर फंडा है कि कॉम्पिटिटिव एग्जाम की तैयारी के लिए अपना शहर छोड़ना फैशन के रूप में न करें, बल्कि केवल तगड़े कारण होने पर ही ये खर्चीला और कठिन निर्णय लें।

कर के दिखाएंगे!

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