दुनिया में रूस-यूक्रेन जंग की वजह से वर्ल्ड वॉर-3 जैसे हालात पैदा हो गए हैं। पिछले दो वर्ल्ड वॉर की तरह दुनिया दो गुटों में बंटती हुई नजर आ रही है। एक ओर रूस, बेलारूस, सीरिया और अरब रिपब्लिक है, तो दूसरी ओर अमेरिका और यूरोपियन यूनियन के देश हैं।
यूक्रेन पर हमला करने के बाद से ही रूसी करेंसी रूबल की कीमत डॉलर की तुलना में 30% तक गिर गई है। जब रूसी इकोनॉमी खस्ताहाल है, इसी वक्त अमेरिका सहित पांच देशों ने रूस से मोस्ट फेवर्ड नेशन (MFN) का दर्जा उससे छीन लिया है। यह MFN क्या होता है?
आज के भास्कर इंडेप्थ में जानिए कि MFN क्या है? इससे रूस या किसी देश को क्या फायदा मिलता है? 5 देशों के द्वारा यह दर्जा छीने जाने से रूस पर इसका क्या असर पडे़गा?
क्या होता है MFN?
UNO (संयुक्त राष्ट्र संघ) की एक संस्था वर्ल्ड ट्रे़ड ऑर्गनाइजेशन (WTO) है। 164 देश इसके सदस्य हैं। इसके तहत आने वाले सभी देश एक दूसरे को मोस्ट फेवर्ड नेशन (MFN) का दर्जा देते हैं।
यह दर्जा दिए जाने के बाद बिना किसी भेदभाव के सभी देश एक दूसरे के साथ आसनी से बिजनेस कर सकते हैं। मान लीजिए भारत जापान को अपने यहां व्यापार करने के लिए कुछ खास सुविधाएं मुहैया कराता है, तो वही सुविधाएं उसे WTO के दूसरे सदस्यों को भी देनी होंगी। इसी तरह दूसरे देशों में भारत को भी ट्रेड करने में कुछ खास रियायत दी जाती हैं।
इस बात को और अच्छी तरह से हम आगे समझते हैं…
आगे बढ़ने से पहले इस पोल में हिस्सा लीजिए...
अब जानिए MFN से किसी देश को क्या फायदा मिलता है?
मोस्ट फेवर्ड नेशन के फायदे को हम इस तरह से समझ सकते हैं कि मान लीजिए भारत ने पाकिस्तान को मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा दिया। तो इसका मतलब ये है कि दोनों देश एक-दूसरे को बिजनेस में सहयोग करेंगे। अब समझिए कैसे इसका भारत और पाकिस्तान दोनों को फायदा मिलेगा…
गरीब देशों को इसका फायदा कैसे मिलता है अब इस बात को समझिए…
मान लीजिए किसी देश में एक वर्ग विशेष के लोग काफी कमजोर हैं, तो सरकार उस वर्ग के लोगों को विकास के लिए अन्य वर्गों से ज्यादा अवसर देती है। यह भी बिल्कुल उसी तरह काम करता है। जो देश आर्थिक रूप से कमजोर होते हैं, तो बाकी देश उसे अपने बाजार में व्यापार बढ़ाने के लिए खास अवसर देते हैं, जो बाकी MFN देशों को नहीं मिलते।
रूस का अमेरिका समेत MFN दर्जा छिनने वाले 5 देशों से कितना ट्रेड है?
रूस से 5 देशों के द्वारा MFN का दर्जा छीने जाने के बाद इन रूस समेत 6 देशों के ट्रेड पर असर पड़ना तय है। ऐसे में जानते हैं कि इन देशों के साथ रूस का कितने का ट्रेड है…
रूस का अमेरिका के साथ सालाना ट्रेड: रूस अमेरिका से सालाना 1.79 लाख करोड़ रूपए का ट्रेड करता था।
रूस का यूरोपियन यूनियन के साथ सालाना ट्रेडः रूस और यूरोपियन यूनियन आपस में सालाना 21.38 लाख करोड़ रुपए ट्रेड करते थे।
रूस का कनाडा के साथ सालाना ट्रेड: रूस का कनाडा के साथ 12.74 हजार करोड़ रुपए का सालाना ट्रेड था।
जापान और रूस के बीच सालाना ट्रेडः रूस के साथ जापान अभी तक 1.44 लाख करोड़ रुपए सालाना ट्रेड कर रहा था।
ब्रिटेन और रूस के बीच सालाना ट्रेडः ब्रिटेन फिलहाल रूस के साथ 1.21 लाख करोड़ रुपए का ट्रेड कर रहा था।
इन पांच देशों के साथ रूस का 38.56 लाख करोड़ सलाना ट्रेड हो जाएगा तबाह
MFN को दर्जा छीन जाने से रूस का सालाना 38.56 लाख करोड़ का ट्रेड तबाह हो जाएगा। रूस के ट्रेड को यह नुकसान ऐसे समय में हो रहा है, जब रूस की करेंसी रूबल डॉलर की तुलना में 30 फीसदी गिर गई है, साथ ही उसे इंटरनेशनल ट्रांजेक्शन सिस्टम स्विफ्ट से भी बाहर कर दिया गया। ऐसे में रूस के अंदर भुखमरी और गरीबी तेजी से बढ़ सकती है।
क्यों और कैसे छीना जाता है MFN का दर्जा?
सामान्य तौर पर WTO के आर्टिकल 21बी के तहत कोई भी देश सुरक्षा संबधी विवादों के चलते दूसरे देश से यह दर्जा वापस ले सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक, इसे वापस लेने के लिए कई मुख्य शर्ते पूरी करनी होती हैं। पर असल में इसे हटाने को लेकर कोई औपचारिक प्रक्रिया नहीं है।
यह बात भी साफ नहीं है कि अगर कोई देश MFN का दर्जा किसी देश से छीन रहा है, तो वह WTO को सूचित करने के लिए बाध्य है या नहीं।
2019 में भारत ने पाकिस्तान से छीना था MFN का दर्जा
जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में 2019 को हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत ने भी पाकिस्तान से MFN का दर्जा छीन लिया था। जिसके तहत पाकिस्तान से आयात होने वाली कई चीजों पर सीमा शुल्क बढ़ा दिया था।
हालांकि, उसी समय पाकिस्तान की ओर से बयान जारी किया गया था कि भारत ने उसे ऐसा कोई दर्जा नहीं दिया था। मगर पाकिस्तान का यह बयान ठीक नहीं था। भारत-पाकिस्तान WTO की स्थापना से ही इसका हिस्सा रहे हैं। यहीं नहीं भारत ने WTO की स्थापना के महज एक साल बाद ही पाकिस्तान को यह दर्जा दे दिया था।
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