यूक्रेन में रूसी तांडव के 39 दिन पूरे हो चुके हैं। हर तरफ तबाही का मंजर है। न यूक्रेन हार मानने को तैयार है और न रूस पीछे हटने को। फिर भी दोनों देशों के बीच बातचीत के जरिए शांति स्थापित करने की कोशिशें हो रही हैं।
ऐसी ही एक पीस टॉक 3 मार्च को कीव में रखी गई थी। बैठक के बाद इसकी मध्यस्थता कर रहे रूसी अरबपति रोमन अब्रामोविच की तबीयत अचानक बिगड़ गई। आंखों के सामने अंधेरा छाने लगा, चेहरे और हाथ की स्किन उधड़ने लगी। ये लक्षण इशारा कर रहे थे कि उन्हें जहर दिया गया है।
यह खबर आते ही उंगली रूस की तरफ उठने लगी। रूस ने फौरी तौर पर भले ही जहर देने से इनकार किया हो, लेकिन ऐसे हमले करवाने में उसका इतिहास स्याह रहा है। कभी छाते में रिसिन लगाकर, कभी चावल में डाइऑक्सिन मिलाकर, कभी थैलियम मिली हुई कॉफी पिलाकर और कभी नोविचोक एजेंट्स के जरिए।
रास्ते का रोड़ा बनने वालों को रूस ऐसे ही केमिकल पॉइजन से ठिकाने लगा लगाता है। आज की मंडे मेगा स्टोरी में रूसी जहर और इसके हमलों की पूरी कहानी पेश कर रहे हैं। शुरुआत कुछ चर्चित मामलों से करते हैं...
ग्राफिक्सः पुनीत श्रीवास्तव
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