सऊदी अरब में तब्लीगी जमात को यह कहते हुए बैन कर दिया गया कि यह सोसाइटी के लिए एक खतरा है और आतंकवाद का प्रवेश द्वार है। बैन सऊदी अरब में लगा, लेकिन इसकी तकलीफ सहारनपुर के देवबंद में स्थित इस्लामी तालीम के सेंटर दारुल उलूम में महसूस की गई।
बैन पर सवाल पूछने पर दारुल उलूम के प्रिंसिपल अरशद मदनी ने भास्कर से कहा- पहले कभी कहीं कोई सवाल जमात पर नहीं उठे, हिंदुस्तान में पहली बार भाजपा शासन काल में तब्लीगी जमात पर सवाल उठे। हालांकि वह भी धर्म को लेकर नहीं बल्कि आरोप लगा कि जमात की वजह से कोरोना फैला। यह सब फिजूल है, बकवास है।
आखिर सऊदी अरब या पूरी दुनिया में तब्लीगी जमात पर लोग सवाल क्यों उठा रहे हैं? इस पर मदनी कहते हैं, 'पूरी दुनिया में इस्लाम से नफरत को लोगों ने फैलाया है। नफरत की यह आवाज बहुत दूर-दूर तक फैल रही है। यह बहुत खराब चीज है।'
तब्लीगी जमात पर धर्मांतरण के आरोप लगते रहते हैं। आखिर इस जमात का मकसद क्या है? मदनी कहते हैं, 'कभी धर्मांतरण नहीं करवाया इस जमात ने। यह जमात दीन यानी धर्म से भटक गए लोगों को सही रास्ते पर लाती है। किसी भी धर्म का कोई हो, उसके बीच मोहब्बत फैलाने का काम करती है।'
मदनी ने कहा- तोगड़िया हैं कौन?
उधर, सऊदी अरब के इस बयान और तब्लीगी जमात पर हुई कार्रवाई का असर भारत में यह हुआ कि एक बार फिर इस जमात को लेकर सवाल उठने लगे हैं। अंतरराष्ट्रीय हिंदू परिषद के मौजूदा अध्यक्ष और अंतरराष्ट्रीय विश्व हिंदू परिषद के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष प्रवीण तोगड़िया ने भी भारत में इस संगठन को बैन करने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि अगर यह संगठन बैन नहीं हुआ तो भारत में अफगानिस्तान जैसे हालात पैदा हो जाएंगे।
इस पर मदनी कहते हैं, 'तोगड़िया का बस चले तो वह पूरे मुसलमानों को दरवाजे के भीतर बंद कर दें। आखिर तोगड़िया की हैसियत ही क्या है?'
दारुल उलूम और तब्लीगी जमात का है पुराना कनेक्शन
दारुल उलूम यानी दुनिया में इस्लामिक एजुकेशन का सबसे बड़ा सेंटर। दारुल उलूम के मीडिया प्रवक्ता मो. अशरफ कहते हैं- तब्लीगी जमात के फाउंडर मो. इलियास अल कांधलवी ने यहां से शिक्षा ली थी।
आज भी तब्लीगी जमात में दारुल उलूम से पढ़ने वाले छात्र शामिल होते हैं। मो. मदनी भी इस बात को स्पष्ट तौर पर कहते हैं कि तब्लीगी जमात के फाउंडर यहां के पूर्व छात्र थे। और आज भी यहां से तालीम लेकर छात्र तब्लीगी जमात में शामिल होते हैं।
वे कहते हैं- तब्लीगी का मतलब होता है, दीन के लिए काम करने वाला। ऐसे लोग जो नमाज न पढ़ें उन्हें मस्जिदों तक नमाज पढ़ने के लिए लाना इस जमात का काम है। समाज सुधारक की भूमिका इस जमात के लोग निभाते हैं।
सऊदी अरब के एम्बेसडर से मिले मदनी, कहा- बैन पर एक बार फिर विचार करें
दारुल उलूम के प्रिंसिपल अरशद मदनी ने बिना देरी किए सऊदी अरब के एम्बेसडर से मुलाकात की। उन्हें एक लेटर सौंपा और कहा, 'अपने फैसले पर एक बार दोबारा गौर कीजिएगा। अगर जमात पर बैन लगा तो पूरी दुनिया में मुसलमानों के बीच गलत संदेश जाएगा।' तो क्या मदनी को सऊदी अरब से कोई आश्वासन मिला है? इसका जवाब मदनी थोड़ा नाराज होकर देते हैं। वे कहते हैं-जब मिलेगा तब आपको बता देंगे। अभी तक कोई आश्वासन नहीं मिला है।'
भारत में भी तब्लीगी पर उठ चुके सवाल, अब फिर बढ़ा बवाल
दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित मरकज में कोरोना की पहली लहर के दौरान 14 से 16 मार्च के बीच 2000 तब्लीगी इकट्ठा हुए थे। जबकि 13 मार्च को ही भारत सरकार ने 200 से ज्यादा लोगों की भीड़ जुटाने पर रोक लगा दी थी। यह मरकज भारत का पहला कोरोना हॉटस्पॉट बना। इस जमात को सुपर स्प्रेडर कहा गया।
दरअसल आंकड़े भी इस बात की तस्दीक करते दिखे। शुरुआती दौर में भारत में पहचाने गए 2000 से अधिक कोरोना के मामलों में 389 मामले तब्लीगी जमात से थे। 4 अप्रैल तक 1023 मामले इस जमात से थे। 18 अप्रैल तक यह मामले बढ़कर कुल मामलों के 29 फीसदी से भी ज्यादा हो गए। आंकड़ों में इनकी संख्या 4,000 से ज्यादा पहुंच गई थी। इसके बाद एपिडेमिक एक्ट के तहत जमात पर कार्रवाई शुरू हुई। निजामुद्दीन के मरकज को सील कर दिया गया।
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.