‘वह (बच्चा) एक इंडीविजुअल पर्सन है जिसे उसके अपने व्यक्तिगत 'सेल्फ' के संदर्भ में माना जाना चाहिए।’
- प्रसिद्धमांटेसरी पद्धति की जनक मरिया मोंटेसरी
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बच्चे में आ रहे बदलाव
क्या आपका बच्चा स्कूल जाने से ठीक पहले पेट दर्द की शिकायत करता है, स्कूल ना जाने की जिद करता है, स्कूल जाते वक्त रोता है? और घर पर रहने पर पेट दर्द गायब और हंसी खुशी लौट आती है?
तो इसका अर्थ है कि आपका बच्चा स्कूल जाने से कतराता है। आइए जानते है ऐसा किन कारणों से होता है और इस समस्या को कैसे ठीक किया जा सकता है।
बच्चों के स्कूल जाने से कतराने के 8 कारण
1) माता-पिता से अलगाव का डर (सेपरेशन एंग्जायटी – Separation Anxiety): बहुत छोटे बच्चों में माता-पिता, खास तौर पर माता से, अलगाव का डर होना आम है। घर के आरामदायक लाड़-प्यार भरे माहौल से बाहर जाना किसी भी बच्चे के लिए डरावना हो सकता है। ये तो सामान्य है।
2) समाज में जाने से होने वाली घबराहट (सोशल एंग्जायटी – Social Anxiety): अनजान लोगो के सामने या कई लोगो के सामने जाने का डर, उनके सामने बोलना या कम्फर्टेबल नहीं होने का डर बड़े लोगो में भी पाया जाता है। 'स्टेज फियर' उसी का एक प्रकार है। ये बेसिकली दूसरे लोगों द्वारा जज किए जाने का डर है। ऐसे बच्चे जिन्हें हर छोटी-बड़ी बातों पर कोसा जाता है – जैसे बच्चे द्वारे पानी गिरा दिए जाने पर माता-पिता द्वारा ऐसे डांटना मानो वो आदतन अपराधी हो – उनमें यह जीवन भर के लिए आ सकता है।
3) घर पर पढाई का माहौल ना होना: घर पर बिलकुल भी पढाई का माहौल ना हो तो स्कूल का एटमॉस्फियर जो ज्यादा डिसिप्लिन वाला होता है बच्चे को अस्वाभाविक और डरावना लग सकता है। घर में, अपने मनचाहे कपड़ों में रहना, खिलौनों से खेलना और जब चाहे सो जाना - ये सब कम्फर्ट जोन बनाते हैं।
4) रोज रोज का मोनोटोनस शेड्यूल: पहले छोटे बच्चों को लगता है कि स्कूल कुछ दिनों के लिए है, और वह खुशी-खुशी नई जगह जाता है चीजों को एक्स्प्लोर करता है। दिनों के साथ, सप्ताह बीतने पर यह 'हैप्पी पीरियड' खत्म हो जाता है, अंततः बच्चे को रियलाइजेशन होता है कि ये तो हमेशा चलने वाला काम है। जब यह स्पष्ट हो जाता है कि स्कूल अनिश्चित काल तक चलेगा, तो बच्चे अचानक घर छोड़ने से कतरा सकते हैं।
5) स्कूल का बच्चों के लिए बहुत तनावपूर्ण और थका देने वाला होना: एक जगह पर घंटो तक बैठना, ध्यान केंद्रित करना है, नियमों का पालन करना है, चीजें साझा करना किसी बच्चे के लिए थका देने वाला हो सकता है। इसमें बहुत अधिक ऊर्जा और आत्म-नियंत्रण लगता है, इसलिए घर पर रहना आसान लग सकता है। हालांकि, समय के साथ, बच्चे इन चुनौतियों के साथ तालमेल बिठा लेते हैं।
6) दोस्तों का नहीं होना और अन्य बच्चों द्वारा उन्हें धमकाया जाना या किसी भी प्रकार की शारीरिक हिंसा: यदि बच्चे का किसी अन्य बच्चे या शिक्षक के साथ कुछ मनमुटाव है। कई बार बच्चे अपने साथियों द्वारा किसी अन्य नाम से पुकारे जाने/चिढ़ाए जाने पर भी बुरा महसूस करते हैं और शारीरिक हिंसा का दायरा यौन हिंसा तक जाता है।
7) स्कूल में बच्चों के लिए उत्साहपूर्ण माहौल न होना: ऐसा अक्सर उन बच्चों के साथ हो सकता है जो पढाई और गतिविधियों में बहुत अच्छा नहीं कर पा रहे हैं। कई बार टीचर अनजाने में होशियार और एक्टिव बच्चों पर ज्यादा ध्यान देने लगते हैं ऐसे में अन्य बच्चों के लिए स्कूल या क्लास का वातावरण उत्साहपूर्ण नहीं रह जाता।
8) शारीरिक कारण: कई बार शारीरिक कारण जैसे अत्यधिक थकान, तबियत खराब होना, बुखार आने, चोट लगने पर बच्चे का शरीर आराम की मांग कर रहा हो सकता है।
माता-पिता के सामने 7 समाधान
1) सही कारण का पता लगाएं: सब से पहले सही कारण का पता लगाएं क्या वो वास्तविक है या बहाना बनाया जा रहा है।
2) ओपन माइंडेड रहें: खुले दिमाग से सोचे, पहले से ही मन ना बना ले की शिक्षक या स्कूल ने ही कुछ गलत किया है (इसी तरह, शिक्षकों को यह नहीं मानना चाहिए कि समस्या माता-पिता में है)। स्ट्रेस्फुल सिचुएशन में एक दूसरे पर उंगली उठाना स्वाभाविक है, लेकिन इससे समस्या हल नहीं हो सकती।
3) अपने बच्चे से बात करें: उससे पूछें कि क्या कोई चीज उसे स्कूल में दुखी कर रही है। क्या किसी ने उसे नाराज किया या उसकी भावनाओं को ठेस पहुंचाई? यह एक छोटी सी समस्या हो सकती है जो उसे परेशान कर रही हो, जैसे हो सकता है की उसे स्पोर्ट्स पीरियड का समय पसंद ना हो या उसे किसी दोस्त का चिढ़ाना पसंद ना हो।
4) टीचर को अवेयर करें: एक टीचर के पास कई बच्चे होते हैं, ऐसे में यदि आप व्यक्तिगत रूप से मिलकर टीचर को समस्या के बारे में बताएंगे तो वे आपको इसको हल करने में मदद कर सकते हैं। पता करें कि क्या उसे दुखी करने के लिए स्कूल में कुछ खास हुआ? क्या स्कूल में कोई उसे धमकाता है या बच्चे उसे ग्रुप से बाहर कर रहे हैं?
5) बच्चों के लिए घर छोड़ना आसान बनाएं: अपने बच्चे को समझाएं कि सभी बच्चे स्कूल जाते हैं क्योंकि वे बहुत महत्वपूर्ण चीजें सीखते हैं। उन्हें उनके दोस्त का हवाला दे सकते है की देखो तुम्हारा दोस्त टिंकू स्कूल में तुम्हारा इंतजार कर रहा है, इत्यादि।
6) भाषणबाजी ना करें: स्कूल जाने के महत्व के बारे में लंबी चर्चा और बहस से बचें। भाषणबाजी से कोई फायदा नहीं होगा, और मामलों को और खराब कर सकता है।
7) घर पर रहना अपीलिंग ना बनाएं: अपने बच्चे को बताएं कि अगर वह वास्तव में बीमार है, तो उसे डॉक्टर के पास जाना होगा, टीवी/कंप्यूटर/वीडियो गेम बंद कर बिस्तर पर आराम करना होगा। बच्चे को घर में बहुत अधिक ध्यान और सहानुभूति न दें। यह क्रूर लग सकता है, लेकिन यदि आप नहीं चाहते कि घर पर रहना बच्चों के लिए आकर्षक हो तो आवश्यक है। घर पर भी माहौल को थोड़ा अनुशासनात्मक बनाय रखें।
तो आज का करिअर फंडा यह है कि प्रेम से आप पता करें कि स्कूल से क्या समस्या है, और फिर धीरे-धीरे, बिना नाराज हुए, उसे हल करें।
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