करिअर फंडासिंधु घाटी सभ्यता से सफल जीवन के 5 TIPS:इनोवेटिव और साइंटिफिक ही नहीं, डेमोक्रेटिक भी थे हमारे पूर्वज

9 महीने पहले
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दशकों से ढूंढ रहे, तथ्य अब भी अधूरे, तथ्य अब भी प्यासे।
उदय को समय सीमा में बांध नहीं पाते, अस्त का कारण हम ढूंढ नहीं पाते।
रोचक हैं , रोमांचित करती विश्व को, सभ्यता ये सिंधु घाटी की।

- कुमार अमरदीप

संडे करिअर फंडा में स्वागत!

क्या आप यकीन करेंगे कि आपके पूर्वजों ने 1000 से ज्यादा शहरों (गांव नहीं) वाली सभ्यता 4000 साल पहले बना ली थी?

सिंधु घाटी सभ्यता (इंडस वैली सिविलाइजेशन) दक्षिण एशिया के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों में कांस्य युग (ब्रॉन्ज ऐज) सभ्यता थी, जो 3300 ईसा पूर्व से 1300 ईसा पूर्व तक फली-फूली। इसका सबसे अच्छा दौर 2600 ईसा पूर्व से 1900 ईसा पूर्व तक था।

खुदाई में इस शानदार सभ्यता में हमें शहरी नियोजन (टाउन प्लानिंग) के पूरे सबूत मिलते हैं। ध्यान रहे कि विश्व की चारों बड़ी नदी घाटी सभ्यताओं में केवल यहीं इतने शहर, वो भी नियोजित मिलते हैं। इसके सबसे बड़े शहरों में मोहनजो-दड़ो और हड़प्पा हैं, जहां 50000 से ज्यादा की आबादी रही होगी।

सिंधु घाटी सभ्यता की खोज 1900 की शुरुआत में जॉन मार्शल नामक एक ब्रिटिश पुरातत्वविद् ने की थी।

आज के भारत में हम सिंधु घाटी सभ्यता से कुछ लेसन सीख सकते हैं। तैयार हैं अपने पूर्वजों से सीखने के लिए?

1) बेहद अलग पॉलिटिकल सिस्टम: सिंधु घाटी की खुदाई में कहीं भी महल जैसी संरचनाएं या किसी राजा का अस्तित्व ही नहीं मिला। इसके बजाय, ऐसी बिल्डिंग्स मिली है जिसका सब लोग मिल-जुलकर उपयोग करते होंगे, जैसे विशाल स्नानागार एवं अनाज भंडार के लिए बनाए गए कमरे। इससे ऐसा समझा जा सकता है कि उस समय का समाज समतावादी (इगैलेटेरिअन) रहा होगा। लेसन – पूरे विश्व में लोकतंत्र की हानि और फैलती तानाशाही के इस दौर में यह एक बहुत बड़ी सीख है।

2) टाउन प्लानिंग, पक्के घर, वाटर मैनेजमेंट, ड्रेनेज: आज भारत के शहर जिन प्रॉब्लम्स में उलझे पड़े हैं, सिंधु घाटी के हमारे पूर्वजों ने उन्हें सॉल्व कर लिया था। खूबसूरत शहरी प्लानिंग, सिंधु घाटी सभ्यता की अनूठी विशेषता है। यह अपने पके हुए ईंट के घरों, वाटर ड्रेनेज सिस्टम्स, वाटर सप्प्लाई सिस्टम और बड़े, गैर-आवासीय भवनों के समूहों के लिए चर्चित है। वे विश्व में ऐसा करने वाले सबसे पहले लोगों में थे। ईंटों से बनी भूमिगत नालियों के माध्यम से सीवेज का निपटान किया जाता था। लोगों ने स्वच्छता और स्वास्थ्य पर बहुत ध्यान दिया था। नदियों में बहते पानी को शहरों के घरों तक लाने के लिए एक जटिल नहर प्रणाली (कैनाल सिस्टम) का इस्तेमाल करते थे। लेसन – 'स्वच्छता मिशन' वाले इक्क्सवीं सदी के भारत के लिए यह अपने ही इतिहास से एक बड़ी प्रेरणा है।

दुनिया की चार सबसे बड़ी सिविलाइजेशन थी मेसोपोटामिया, इजिप्ट, चीन और इंडस वैली। इनमें सबसे विशाल थी इंडस वैली सिविलाइजेशन, एक समय पर दुनिया की 10% पॉपुलेशन इंडस वैली सिविलाइजेशन में ही रहती थी।
दुनिया की चार सबसे बड़ी सिविलाइजेशन थी मेसोपोटामिया, इजिप्ट, चीन और इंडस वैली। इनमें सबसे विशाल थी इंडस वैली सिविलाइजेशन, एक समय पर दुनिया की 10% पॉपुलेशन इंडस वैली सिविलाइजेशन में ही रहती थी।

3) इनोवेटिव, साइंटिफिक, डेवलप्ड और Peaceful सिविलाइजेशन: सिंधु घाटी सभ्यता धातु विज्ञान में भी तकनीकी रूप से उन्नत थी। महत्वपूर्ण इनोवेशंस में (a) मानकीकृत वजन और माप, (b) मुहर नक्काशी और (c) तांबा (कॉपर), कांस्य (ब्रॉन्ज), सीसा और टिन के साथ मेटालर्जी शामिल हैं। वे कपास से कपड़ा बनाने वाले विश्व के सबसे पहले लोग थे। हड़प्पा स्थलों से कोई बड़े पैमाने के हथियार नहीं मिले हैं, उल्टा खुदाई में बड़ी मात्रा में निकलने वाले खिलौनों के कारण, इसे कभी-कभी 'खिलौनों की सिविलाइजेशन' भी कहा जाता है। खुदाई में आधुनिक लूडो और चेस जैसे खेलों में उपयोग किए जाने वाले पासों और मुहरों के समान पत्थर से बनी मुहरें और बोर्ड प्राप्त हुए है। उन्हें मैथ्स और स्टैंडर्डाइजेशन का भी ज्ञान था। लेसन - जब किसी सभ्यता में भारी मात्रा में खिलौने मिलें, तो जान लें वो एक एडवांस्ड सभ्यता ही होगी।

4) उन्नत व्यापार प्रणाली (एडवांस्ड बिजनेस सिस्टम): सिंधु घाटी सभ्यता के शहर सीधी, आपस में समकोण (राइट एंगल) पर काटती सड़कों पर जुड़े होते थे। इन व्यस्त सड़कों पर बैल गाड़ियों से माल लाया और ले जाया जाता था। बिजनेस इस सभ्यता का केंद्र था, इसलिए सभी सिस्टम भी वैसे ही डेवलप किए गए थे जैसे, सामान तौलने के लिए एक जैसी माप वाले वजन (पत्थर के बने), जो 5:2:1 के अनुपात में 0.05, 0.1, 0.2, 0.5, 1, 2, 5, 10, 20, 50, 100, 200, और 500 यूनिट्स में थे। लेसन - आज का आधुनिक भारत वर्ल्ड ट्रेड में सही स्ट्रेटेजी लगा कर बहुत आगे जा सकता है।

5) इतिहास से सीखना: सिंधु घाटी सभ्यता के समाप्त होने के कारणों में क्लाइमेट चेंज, बीमारी फैलने, जलवायु कारणों से होने वाला माइग्रेशन, बाहरी लोगो द्वारा की गई हिंसा को प्रमुखता से माना जाता है। लेसन - ये सभी ग्लोबल वार्मिंग, कोविड-19, रूस-यूक्रेन संकट, इजराइल-फिलस्तीन संघर्ष आदि के रूप में आज भी मौजूद है। सिंधु घाटी सभ्यता को और स्टडी कर के इन समस्याओं का मैनेज किया जा सकता है।

तो आज का संडे मोटिवेशनल करिअर फंडा यह है कि हम हमारे ही पूर्वजों से बहुत कुछ सीखकर, अपने माइंडसेट को ठीक कर देश और करिअर को समृद्ध बना सकते हैं।

कर के दिखाएंगे!

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