आज पॉजिटिव खबर में बात अहमदाबाद के टैटू आर्टिस्ट जिग्नेश फुमकिया की। एक वक्त था जब जिग्नेश की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी, रोजगार का भी कोई जरिया नहीं था। निराशा में उनके मन में सुसाइड करने का ख्याल आया, लेकिन फिर उन्होंने खुद को संभाल लिया। आज वे अहमदाबाद के जाने-माने टैटू आर्टिस्ट्स में से एक हैं। इतना ही नहीं, जिग्नेश अपनी इस कला के जरिए हर साल 7 लाख रुपए से ज्यादा की कमाई भी कर रहे हैं।
जिग्नेश की माली हालत ठीक नहीं थी, इसलिए खुद का और परिवार का खर्च निकालने के लिए वे स्कूल टाइम के बाद ट्यूशन पढ़ाते थे। जब गर्मी में स्कूल की छुट्टियां होती थीं, तब वे छोटे-मोटे काम करते थे। इस दौरान उन्होंने एक एंब्रॉयडरी के कारखाने में रोल पॉलिशर के रूप में कुछ समय के लिए काम किया। यहीं से उनके मन में टैटू आर्टिस्ट बनने का ख्याल आने लगा था। हालांकि हालात वैसे नहीं थे, इसलिए उन्होंने पढ़ाई जारी रखी। 12वीं की पढ़ाई के बाद उन्होंने घर वालों के दबाव में डिप्लोमा में दाखिला लिया।
हालांकि साल 2013 में डिप्लोमा के तीसरे सेमेस्टर में डिटेन होने से वे टूट गए थे। आगे क्या करना है, यह ख्याल उन्हें अंदर ही अंदर खाए जा रहा था। आगे कोई रास्ता भी नजर नहीं आ रहा था। इस दौरान वे सुसाइड करने के बारे में सोचने लगे थे, लेकिन फिर मन को शांत रखकर इन हालातों से लड़ने का फैसला किया और सोचा कि वही काम करूं, जो मुझे पसंद है।
आर्टिस्ट बनने के लिए नौकरी छोड़ी
जिग्नेश डिप्लोमा करने के बाद जॉब नहीं करना चाहते थे, लेकिन पारिवारिक दबाव के चलते उन्होंने एक इंटरनेशनल कंपनी में नौकरी शुरू की। पर वहां उनका मन नहीं लगा और 25वें दिन उन्होंने इस्तीफा दे दिया।
इसके बाद फिर से एंब्रॉयडरी कारखाने में रोल पॉलिशर के रूप में काम करने लगे। इसी दौरान उन्होंने टैटू आर्टिस्ट बनने का प्लान किया, लेकिन कारखाने से मिलने वाली इनकम इतनी नहीं थी कि इससे वे टैटू बनाने की चीजें खरीद सकें। हालांकि फैक्ट्री के मालिक उनके पैशन से काफी प्रभावित थे। उन्होंने टैटू आर्टिस्ट बनने में जिग्नेश की आर्थिक मदद की और इस तरह जिग्नेश के टैटू आर्टिस्ट बनने का सफर शुरू हुआ।
घाटे के बाद भी हौसला बरकरार रखा
साल 2013 में जिग्नेश ने घर से ही टैटू आर्टिस्ट के तौर पर काम करना शुरू किया। इसके बाद उन्होंने सोशल मीडिया की मदद ली। इंटरनेट के जरिए भी अलग-अलग और नए तरह के टैटू के बारे में जानकारी जुटाई। वे बताते हैं कि शुरुआती दौर में उन्हें करीब 85 हजार रुपए की कमाई हुई। इसके बाद उन्हें लगा कि इस काम को आगे बढ़ाया जा सकता है। फिर उन्होंने खुद का स्टूडियो खोलने का प्लान किया। अपनी बचत के पैसे इन्वेस्ट किए। हालांकि उनके लिए यह फैसला सही साबित नहीं हुआ।
जिग्नेश बताते हैं कि स्टूडियो ओपन करने के बाद जैसी कमाई की उम्मीद थी, वैसी नहीं हुई। उल्टे घाटा होने लगा। हाल ये हुआ कि महज डेढ़ महीने में ही मुझे अपना स्टूडियो बंद करना पड़ा। हालांकि मैंने अपना काम जारी रखा। लोगों के लिए टैटू बनाने का काम करता रहा। कुछ साल तक काम करने के बाद जब उनके पास फिर से कुछ पैसे सेव हो गए तो 2019 में उन्होंने स्टूडियो फिर से शुरू करने का प्लान किया। उन्होंने अपना 'कबीरा टैटू एंड पियर्सिंग- द स्टूडियो ऑफ आर्ट' खोला। इसके बाद उन्हें धीरे-धीरे सफलता मिलती गई और अब उनकी सालाना कमाई 7 लाख रुपए के करीब पहुंच चुकी है।
अब आर्ट प्रोफेशन के साथ ट्रेनिंग भी देते हैं
अभी जिग्नेश टैटू, बॉडी पियर्सिंग और लेजर टैटू रिमूवल का काम कर रहे हैं। इसके अलावा इवेंट मैनेजमेंट एंड ऑर्गेनाइजेशन, ऑकेजनल डेकोरेशन और ड्रेस डिजाइनिंग का काम भी कर रहे हैं। साथ ही वे ड्राइंग, स्केचिंग की प्रोफेशनल ट्रेनिंग भी देते हैं। वे कई स्टूडेंट्स को ट्रेंड कर चुके हैं। अभी चार स्टूडेंट उनसे ट्रेनिंग ले रहे हैं। जिग्नेश आज के युवाओं को मैसेज देते हुए कहते हैं, 'अपने भीतर की हर कला को बाहर लाना चाहिए, उसे मन ही मन नहीं मारना चाहिए। इससे हम बहुत आगे बढ़ सकते हैं।'
कई सम्मान मिल चुके हैं
आर्टिस्ट के रूप में जिग्नेश ने कई उपलब्धियां हासिल की हैं। साल 2014 में उन्हें गवर्नमेंट ऑफ इंडिया की मिनिस्ट्री ऑफ टेक्सटाइल्स से हस्तकला का लाइसेंस मिला। बाद में डिग्री के दौरान उन्हें क्रिएटिव आर्ट वर्क के लिए जीटीयू की ओर से सम्मान भी मिला। इसके अलावा उन्हें गरबा खेलने का भी उतना ही शौक है। वर्ष 2018 और 2019 में आयोजित नवरात्रि में बेस्ट ट्रेडिशनल ड्रेस (मेल) कैटेगरी का खिताब भी जीता। इसके लिए उन्होंने खुद ही 28 किलो वजनी ट्रेडिशनल ड्रेस डिजाइन की थी। इसके अलावा कोरोना के दौरान लोगों को मदद पहुंचाने के लिए ट्रू-कॉलर की ओर से 'कोरोना वारियर ट्रू हीरो' का टाइटल भी उन्हें मिला।
जिग्नेश अब एलिक्जिर फाउंडेशन की मदद से सोशल वर्क भी करते हैं। कोरोना के दौरान उन्होंने भोजन, राशन किट, मेडिकल किट, ऑक्सीजन सिलेंडर्स लोगों को प्रोवाइड कराया। वे अब तक साढ़े पांच से छह हजार के बीच राशन किट जरूरतमंदों तक पहुंचा चुके हैं। इसके अलावा जिग्नेश सोशल मीडिया के जरिए और अलग-अलग जगहों पर जाकर लोगों को कोरोना के प्रति जागरूक भी करते हैं। जिग्नेश अहमदाबाद में लायंस लियो क्लब के वाइस प्रेसिडेंट भी हैं, जो रक्तदान शिविर का आयोजन करता है। इस क्लब ने लॉकडाउन के दौरान मरीजों के लिए ब्लड की व्यवस्था की।
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