मेगा एम्पायरएयरटेल, 125 नए शहरों में 5G पहुंचाने से चर्चा में:जनरेटर का बिजनेस करते थे फाउंडर, आज दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी

3 महीने पहलेलेखक: संचित श्रीवास्तव
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एयरटेल...भारत की दूसरी और दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी है। भारत में एयरटेल 10वीं सबसे मूल्‍यवान कंपनी है। कंपनी का मार्केट कैप 4.5 लाख करोड़ रुपए का है। आज भले ही दुनिया और हम 5G की तरफ बढ़ रहे हैं, लेकिन एयरटेल ही वो अकेली कंपनी है जिसने भारतीयों के साथ 2G से लेकर 5G तक का यह सफर तय किया है। भारतीय एयरटेल आज 18 से ज्‍यादा देशों में मौजूद है।

फिलहाल एयरटेल 125 नए शहरों में 5G कनेक्‍टिविटी पहुंचाने की वजह से चर्चा में है। आज मेगा एम्‍पायर में जानिए हर एक फ्रेंड को जरुरी बताने वाली एयरटेल की कहानी....

टेलीफोन बनाने से हुई शुरुआत, पहली 4 लाइसेंस कंपनियों में शामिल रही

एयरटेल के सीईओ, सुनील मित्तल
एयरटेल के सीईओ, सुनील मित्तल

एयरटेल के सीईओ हैं सुनील मित्तल। 18 की उम्र से ही उन्‍होंने अपना फैमिली बिजनेस संभालना शुरु कर दिया था। आज सुनील मित्तल 1 लाख 20 हजार करोड़ रुपए के मालिक हैं, लेकिन एक जमाना ऐसा भी था जब वे साइकिल पार्ट्स को मैन्‍युफैक्‍चर कर बेचा करते थे।

1980 की शुरुआत में सुजुकी ने भारत में पोर्टेबल जनरेटर का बिजनेस शुरु करने के बारे में सोचा। सुनील ने इसे एक मौके की तरह देखा और वे सुजुकी की डीलरशिप लेने में कामयाब रहे। इसके बाद सुनील मित्तल सुजुकी के पोर्टेबल जनरेटर डिविजन के पहले भारतीय डीलर बन गए।

इसके कुछ ही सालों बाद पोर्टेबल जनरेटर बनाने का लाइसेंस बिरला और श्रीराम फैमिली जैसे दिग्‍गजों को मिल गया, जो उस टाइम यामाहा और होंडा के साथ टाय-अप में थे। सरकार के इस फैसले के बाद सुनील मित्तल का जनरेटर बिजनेस लगभग ठप पड़ गया। बिना बिजनेस के सुनील मित्तल ने सोचा कि अब वो विदेश जाकर ही कोई नया मौका तलाशेंगे।

1984 में सुनील ताइवान पहुंचे, वहां उनकी नजर पुश-बटन वाले टेलीफोन पर पड़ी। उस समय भारत में रोटरी डायल्‍स वाले टेलीफोन (उंगली से घुमाने वाले) चलते थे। सुनील ने इसे नए मौके की तरह देखा और पुश-बटन टेलीफोन्‍स को भारत में इंपोर्ट करवा लिया। इसके बाद उन्‍होंने भारत में ‘बीटल’ नाम से कंपनी शुरु की। 1990 के दौर में बीटल 25 करोड़ रुपए का एनुअल रेवेन्‍यू कमा रही थी। मतलब कंपनी बिजली की रफ्तार से प्रॉफिट बना रही थी।

1991 में ग्लोबलाइजेशन के दौर में भारत सरकार ने टेलीकॉम सेक्‍टर में प्राइवेट प्‍लेयर्स को इंवाइट किया। सुनील मित्तल ने भी इसमें अप्‍लाई किया। सिर्फ 4 कंपनियों को टेलीकॉम बिजनेस का लाइसेंस मिला। उसमें से एक कंपनी सुनील मित्तल की भारतीय सेलुलर लिमिटेड थी। 1995 में बनी उसी कंपनी को आज एयरटेल के नाम से जाना जाता है।

सरकारी कंपनियों की कमजोरी को ही एयरटेल ने अपनी ताकत बनाया

1995 में एयरटेल की स्‍थापना हुई लेकिन उसकी चुनौती के तौर पर BSNL-MTNL जैसी सरकारी कंपनियां मार्केट में पहले से ही मौजूद थी। इन कंपनियों के पास सरकारी फंड्स के साथ बेहतर इंफ्रास्‍ट्रकचर था। BSNL-MTNL की ताकत थी इनकी बढ़ती रीच, गांवों तक इन कंपनियों के नेटवर्क फैले हुए थे। लेकिन इनके बिजनेस मॉडल में एक कमी थी। वो था इनका खराब ‘अप-टाइम’।

दरअसल BSNL-MTNL पर इतने ज्‍यादा ग्राहक निर्भर थे कि आए दिन इनके नेटवर्क क्रैश होते थे। जिसकी वजह से घंटों तक कॉल कनेक्‍ट नहीं होते थे। इन कंपनियों की इसी कमजोरी को एयरटेल ने अपनी ताकत बनाया। एयरटेल ने ग्राहकों को 100 परसेंट अप-टाइम का वादा किया और जमकर इसका प्रचार किया।

1995 में जहां एयरटेल सिर्फ दिल्‍ली एनसीआर में मौजूद थी वो एक साल में ही हिमाचल प्रदेश पहुंच गई और 5-6 सालों में पूरे देश में एयरटेल का नाम पॉपुलर हो गया था।

मजबूत मार्केटिंग है एयरटेल का सक्‍सेस मंत्रा

एयरटेल की वो पॉपुलर ट्यून अगर आज भी सुनाई पड़ जाए, तो चेहरे पर मुस्‍कान आना तय है। ये वही ट्यून है जो एक समय हर घर में सुनाई देती थी। एयरटेल के मार्केटिंग की ताकत यही है कि वो लोगों के इमोशंस से जुड़ी हुई है। कंपनी की सफलता के पीछे उसकी इस मजबूत मार्केटिंग का अहम योगदान है।

2002 में एयरटेल ने ए.आर रहमान से पांच अलग-अलग धुनें बनवाईं। ये धुनें सिर्फ एयरटेल के यूजर्स के लिए ही उपलब्‍ध थी। इसके बाद कंपनी ने उस समय की सबसे पॉपुलर मोबाइल कंपनी नोकिया के साथ भी एक जॉइंट-पार्टनरशिप की। इसके तहत दोनों कंपनियों ने शाहरुख खान से इसका प्रमोशन कराया।

एयरटेल की मजबूत मार्केटिंग के पीछे उसकी पॉलिसी है। अपने मार्केटिंग डिविजन में एयरटेल 26 साल एज ग्रुप के लोगों को ही नौकरी पर रखता है। कंपनी मानती है कि युवा लोगों को रखने से उनको क्रिएटिव मार्केटिंग करने में ज्‍यादा मदद मिलती है।

एयरटेल ने आपदा को अवसर बनाया, ब्रॉडबैंड सर्विसेज से कमबैक किया

साल 2016 दो बातों के लिए जाना जाता है। पहला, भारत में नोटबंदी हुई और दूसरा, इसी साल जियो ने टेलीकॉम सेक्‍टर में तबाही मचाई थी। जियो के फ्री 4G ऑफर से लगभग सभी बड़े टेलीकॉम कंपनियों की कमर टूट गई थी। इसका असर अन्‍य कंपनियों पर यूं पड़ा‍ कि वे इस मार्केट से ही लापता हो गईं।

2017 के पहले वोडाफोन और आईडिया 2 अलग कंपनियां थी जो अब एक हो चुकी हैं। टाटा डोकोमो, जो एक समय अपने सस्‍ते रिचार्ज के लिए मशहूर थी। वो भी अब लगभग बंद हो चुकी है।

यह सही है कि शुरुआती सालों में जियो ने एयरटेल का भी मार्केट खत्‍म किया था। लेकिन इससे एयरटेल ने बड़ी सीख ली। सबसे पहले एयरटेल ने अपना फोकस प्रीमियम यूजर्स पर शिफ्ट किया, जिससे कंपनी ने मिनिमम रिचार्ज लिमिट तय की। इस फैसले के बाद 2018 की दिसंबर तिमाही में 4.8 करोड़ यूजर्स ने एयरटेल छोड़ दिया।

फिर 2020 में कोविड महामारी आई, अचानक से वर्क फ्रॉम होम और ऑनलाइन लर्निंग का ट्रेंड शुरु हुआ। इससे घरों में डेटा की जरुरत बढ़ी। एयरटेल ने इसी मौके को भुनाया और अपना पूरा ध्‍यान एक्‍सट्रीम सर्विसेस पर केंद्रित किया। एयरटेल ने अपने एक्‍सट्रीम सेट-अप बॉक्‍स और ब्रांडबैंड के दाम अचानक कम कर दिए। ग्राहकों को एक ही जगह अनलिमिटेड डेटा से लेकर हर तरह की ओटीटी ऐप मिलने लगी।

इसके साथ एयरटेल ने आकर्षक डीटीएच ऑफर भी दिए। 2020 में देश में कुल 95 लाख नए ब्राडबैंड कनेक्‍शंस लगे, जिनमें 70 लाख एयरटेल के थे और महज 17 लाख जियो के। जनवरी 2021 में एयरटेल ने फिर 59.5 लाख ब्रॉडबैंड कनेक्‍शंस जोड़े, वहीं जियो सिर्फ 19 लाख ही जोड़ पाया। इस सेक्टर में जियो के मुकाबले एयरटेल की ग्रोथ 300 प्रतिशत ज्‍यादा थी।

18 से ज्यादा देशों में एक्‍टिव है एयरटेल, भारत में पहला मल्‍टीप्‍लेक्‍स मेटावर्स लॉन्‍च किया

2009 में एयरटेल आधिकारिक रुप से इंटरनेशनल सेल्युलर नेटवर्क बन गई। इसी साल एयरटेल ने अपनी सर्विसेस को श्रीलंका में लॉन्‍च कर दिया। 2012 में एयरटेल ने अफ्रीका में भी कदम रखा और मौजूदा समय में एयरटेल अफ्रीका का एक बड़ा सेल्युलर नेटवर्क है।

आज एयरटेल 18 से ज्‍यादा देशों में मौजूद है और भारत में ही एयरटेल के 33 करोड़ यूजर्स हैं। जियो के बाद एयरटेल के पास इंडियन मार्केट का सबसे बड़ा हिस्‍सा है। 2022 में एयरटेल ने अपने इनोवेशंस को आगे बढ़ाते हुए भारत के पहले मल्‍टीप्‍लेक्‍स मेटावर्स की शुरुआत की, इसका नाम पार्टीनाइट है। कंपनी ने इसे 20 स्‍क्रीन वाला भारत का पहला मेटावर्स बताया था।

2022 में ही गूगल ने 700 मिलियन डॉलर में एयरटेल के अंदर 1.28 फीसदी के स्‍टेक्‍स खरीदे थे, जिससे यह पता चलता है कि दुनिया की बड़ी-बड़ी कंपनियां भी एयरटेल के साथ पार्टनरशिप करने में दिलचस्‍पी रखती हैं।