किसी भी देश के लिए बेरोजगारी सबसे बड़ी चुनौती होती है। दुनिया के कई देश इससे ठीक उलट चुनौती से जूझ रहे हैं। वहां रोजगार तो है, लेकिन काम करने वाले लोग नहीं मिल रहे हैं। ये सब हो रहा है 'द ग्रेट रेजिग्नेशन' की वजह से।
अमेरिका में इस साल अब तक 3.4 करोड़ लोग इस्तीफा दे चुके हैं। सिर्फ सितंबर महीने में यहां नौकरी छोड़ने वालों का आंकड़ा 44 लाख है। OECD देशों के 2 करोड़ लोग कोरोना के बाद काम पर नहीं लौटे हैं। दुनिया के 41% कर्मचारी इस साल अपनी नौकरी बदलने की तैयारी कर रहे हैं। UK, जर्मनी और भारत की कंपनियां भी स्किल्ड वर्कर की कमी से जूझ रही हैं।दुनिया द ग्रेट रेजिग्नेशन के बीच खड़ी है और हम इससे जुड़े सभी पहलुओं के बारे में बात कर रहे हैं। नौकरी क्यों छोड़ रहे हैं लोग? नौकरी छोड़कर कहां जा रहे हैं? क्या आपको भी नौकरी छोड़ने के बारे में सोचना चाहिए? इससे कंपनियों के सामने किस तरह की मुसीबतें खड़ी हो गई हैं?
द ग्रेट रेजिग्नेशन क्या है?
द ग्रेट रेजिग्नेशन टर्म को सबसे पहले 2019 में टेक्सस के एक प्रोफेसर एंथनी क्लॉट्ज ने उछाला था। उन्होंने भविष्यवाणी की थी कि लाखों लोग अपनी नौकरी से पलायन करेंगे। महज 2 साल के अंदर ये भविष्यवाणी सच साबित हो रही है।
वर्क-लाइफ बैलेंस की जद्दोजहद
नौकरी से इस्तीफा देने की कई वजहों में बेरोजगारी भत्ते, कम सैलरी, परिवार से दूरी, ट्रांसफर, कोरोना का डर शामिल है, लेकिन ये सिर्फ आधी कहानी है। द ग्रेट रेजिग्नेशन की सबसे बड़ी वजह काम और जिंदगी के बीच संतुलन है।
पिछले काफी वक्त से हमारी जिंदगी काम के इर्द-गिर्द मंडरा रही है। ऑफिस कैलेंडर के हिसाब से हम अपनी लाइफ की प्लानिंग करते हैं। दोस्तों से सिर्फ वीकेंड पर मिल पाते हैं। काम के लिए दोस्तों की शादी छोड़ देते हैं। पेरेंट टीचर मीटिंग की बजाए ऑफिस मीटिंग को तरजीह देते हैं।
महामारी ने सब उलट-पलट दिया और लाखों लोगों ने अपनी जिंदगी को नए सिरे से सोचना शुरू कर दिया है। Limeade के एक सर्वे के मुताबिक 40% लोग बर्नआउट की वजह से नौकरी छोड़ रहे हैं। लोग ऐसी नौकरी चाहते हैं, जो फ्लेक्सिबल, काम के कम घंटे और हफ्ते में कम दिन काम वाली हो। यानी एक ऐसी नौकरी जो उनकी लाइफ स्टाइल के हिसाब से फिट बैठे।
नौकरी छोड़ने वालों में युवा सबसे आगे हैं। लिंक्डइन की एक रिपोर्ट के मुताबिक जनरेशन जी के 80%, मिलेनियल्स 50%, जनरेशन एक्स के 31% और 5% बेबी बूमर्स अपनी मौजूदा नौकरी छोड़ना चाहते हैं। द ग्रेट रेजिग्नेशन से सबसे ज्यादा प्रभावित सेक्टर हॉस्पिटैलिटी और हेल्थकेयर हैं।
कंपनियां क्या कर रही हैं?
फॉर्च्यून और डेलोइट ने मिलकर 117 CEO पर एक ताजा सर्वे किया। सर्वे के मुताबिक 73% CEO का मानना है कि स्किल्ड लेबर की कमी अगले 12 महीने में उनके बिजनेस को प्रभावित कर सकती है। 57% CEO का मानना है कि टैलेंट को आकर्षित करना और भर्ती करना उनके संस्थान की सबसे बड़ी चुनौती है। वहीं 51% का मानना है कि अच्छे लोगों को नौकरी में बनाए रखना उनके यहां सबसे बड़ी चुनौती है।
लोगों को जॉब में बनाए रखने के लिए कंपनियां अलग-अलग तरह के एक्सपेरिमेंट कर रही हैं। कोई फूड कूपन बांट रहा है, तो कोई हफ्तेभर की सामूहिक छुट्टी ऑफर कर रहा है, लेकिन अगर द ग्रेट रेजिग्नेशन में सर्वाइव करना है, तो उन्हें कर्मचारी के जीवन में डीप डाइव करना होगा। आज के दौर में सिर्फ सैलरी काफी नहीं है।
भारत के जॉब मार्केट में क्या चल रहा है?
महामारी के दौरान भारत में असंगठित क्षेत्र की नौकरियों पर सबसे ज्यादा मार पड़ी। एक रिपोर्ट के मुताबिक लॉकडाउन के दौरान असंगठित क्षेत्र के 80% लोगों ने अपनी नौकरी खो दी। इनमें से लाखों लोग अपने गावों की तरफ पलायन कर गए। हालांकि, इकोनॉमी रिकवरी के साथ नौकरियां भी बढ़ी हैं। हायरिंग फर्म टीमलीज की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत की IT इंडस्ट्री में इस साल 10 लाख इस्तीफों की उम्मीद है।
आपको क्या करना चाहिए?
ये सिर्फ आप जान सकते हैं कि आपको क्या करना है। आपको 9-5 जॉब की सेफ्टी चाहिए या फ्रीलांसिंग की फ्लेक्सिबिलिटी। अपने मन मुताबिक काम की तलाश अच्छी बात है, लेकिन सर्वाइवल भी एक सच्चाई है। तो अगर आपकी जॉब से आपके बिल अदा हो रहे हैं, आपके परिवार की जरूरतें पूरी हो रही हैं, अगर आपको मंडे को ऑफिस जाने में खुशी होती है... तो द ग्रेट रेजिग्नेशन जैसे टर्म के चक्कर में क्यों पड़ना!
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