‘हम अपनी तलवार से जो कुछ भी हासिल करते हैं वह निश्चित या स्थायी नहीं हो सकता है, लेकिन दया और संयम से प्राप्त प्रेम निश्चित और टिकाऊ है।’
- एलेक्जेंडर द ग्रेट
करिअर फंडा में स्वागत!
एक युवा, विश्व विजय का सपना लिए
शायद एलेक्जेंडर के ऊपर दिए विचार और ऐसे ही दूसरे विचारों के कारण वह इतिहास के पन्नो में 'महान' कहलाता है। भारत में इस राजा को पोरस से लड़ाई के लिए जाना जाता है।
A. क्या आप यकीन कर सकते हैं कि एक बीस साल का युवा 40,000 सैनिकों की सेना के साथ, विश्व विजय का सपना लेकर अपने देश मेसेडोनिया से निकल, 20 बड़े युद्धों और सैकड़ों छोटी लड़ाइयों को जीतते हुए एक-एक कर रास्ते में आने वाले सभी राज्यों को हरा दे?
B. क्या आप यकीन कर सकते हैं कि उसकी सेना घोड़ों की पीठ पर बैठकर 17,000 मील का सफर तय कर उस समय तक दुनिया के अंत समझे जाने वाले किनारे अर्थात झेलम नदी तक पहुंच जाए? इतिहासकारों का मानना है ये आज के समय में इतने लोगो को चांद पर ले जाने के बराबर है।
C. क्या आप यकीन कर सकते हैं कि ऐसा युवा 32 वर्ष की उम्र तक उस समय तक का ज्ञात विश्व जीत ले? अच्छा, कई लोग तब पृथ्वी को चपटा समझते थे!
तो आइए, आज जानते हैं कि एक ऐसी ऐतिहासिक पर्सनालिटी से हम मॉडर्न लाइफ में क्या सीख सकते हैं।
एलेक्जेंडर ऑफ मैसेडोनिआ की लाइफ से 4 बड़े सबक
1) जीवन में अच्छे टीचर/मेंटर्स का महत्व: एलेक्जेंडर का जन्म मैसेडोनिया (वर्तमान में यूरोप का एक देश) के राजा फिलिप-II के यहां 356 ईसापूर्व हुआ।
A. उनके पिता एक सफल आर्मी कमांडर थे और युद्ध तथा आर्मी संचालन उन्होंने अपने पिता से ही सीखा।
B. एलेक्जेंडर की माता का नाम ओलम्पिया था तथा वे हमेशा को एलेक्जेंडर को महान बनने की प्रेरणा देती थी।
C. एक राजा के घर में जन्म लेने का एलेक्जेंडर को जो सबसे बड़ा फायदा हुआ वह यह था कि उन्हें उस समय के सबसे अच्छे टीचर्स से पढ़ने का अवसर प्राप्त हुआ – जी हां, उनके टीचर प्रसिद्ध दार्शनिक अरस्तु (एरिस्टोटल) थे।
D. खुद एलेक्जेंडर के शब्दों में ‘मैं जीवन के लिए अपने पिता का ऋणी हूं, लेकिन अच्छी तरह से जीने के लिए अपने शिक्षक का’।
E. अरस्तु की शिक्षाओं ने ही एलेक्जेंडर को लॉजिकली सोचना, कारणों और उपायों पर कार्य करना, और एक ऐसी सोच विकसित करने में मदद की जो समय से आगे की थी। इसी कारण वे अपना विश्व विजय का विजन तय कर पाए।
2) वैज्ञानिक सोच: एलेक्जेंडर ने कई सारी मिलिट्री इन्वेंशंस को सपोर्ट किया।
A. सीज मशीनरी जैसे सीज टावर इत्यादि उनके पिता के समय से ही आर्मी में उपयोग हो रही थी एलेक्जेंडर ने इसको अपडेट करवाया, टायर के युद्ध में उनका उपयोग उल्लेखनीय है।
B. उनके चीफ इंजीनियर के नाम डियोड्स था। डियोड्स ने किले की दीवारों को तोड़ने के लिए 'ट्रूपेनॉन' नाम का बोरर, डिफेन्स को पीछे धकेलने के लिए ग्रेपलिंग मशीन, सैनिकों के सीज टावर से किले की दीवार पर चढ़ने के लिए 'ड्रॉब्रिज' का उन्नत वर्जन, तथा 'स्टोन थ्रोअर', 'लिथोबोलोली' के उन्नत वर्जन तैयार किए।
C. इस तरह लगातार नए इन्वेंशंस करते रहने से उस समय एलेग्जेंडर को बहुत फायदा हुआ।
3) करिज्मा और सोशल इंटेलिजेंस: एलेक्जेंडर का व्यक्तित्व बेहद आकर्षक (करिज्मैटिक) था।
A. अपने सैनिकों के लिए वे भगवान के समान थे। जीतने पर वे अपने सैनिकों बहुत सारा धन पुरस्कार में देते थे - इतना कि उन्हें पर्शिया में 'दरियादिल सिकंदर' कहा गया।
B. वे अपने सैनिकों को नाम लेकर पुकारते और बहादुरी का सम्मान करते थे। उनके साथ कंधे से कन्धा मिलाकर लड़ते थे।
C. अधिकतर समय एलेक्जेंडर की सोशल इंटेलिजेंस बहुत सही रही, केवल एक बार को छोड़ कर जब उन्होंने अपने एक सीनियर मिलिट्री कमांडर 'पेर्मेनियन' का एक जलसे में छोटे से झगडे के बाद 'मर्डर' कर दिया था।
D. इसके बाद उनकी आर्मी में रिवोल्ट भी हुआ।
4) अधिक लचीली योजनाएं: एशिया माइनर से लेकर मिस्र और भारत तक, सिकंदर की विजय ने उसे विभिन्न प्रकार की सेनाओं के खिलाफ खड़ा किया और उसे कई विविध संस्कृतियों के संपर्क में लाया।
A. लगातार बदलते सैन्य, राजनीतिक, सांस्कृतिक और आर्थिक परिदृश्य से निपटने के लिए, उन्होंने सावधानीपूर्वक योजना बनाई, जानकारी के हर टुकड़े का विश्लेषण किया और जितना संभव हो उतने विकल्प तैयार किए, जिससे उन्हें अपनी स्थिति और पर्यावरण के आधार पर अपनी रणनीति बदलने की अनुमति मिली।
B. उदाहरण के लिए, 334 ईसा पूर्व में, ग्रैनिकस की लड़ाई के बाद, सिकंदर ने मिलिटस के तटीय शहर की घेराबंदी की। स्वीकृत सैन्य ज्ञान के अनुसार नौसैनिक हमला किया जाना होता। लेकिन एलेक्जेंडर ने इस बात का जायजा लेकर कि किले की दीवारें समुद्र के पास की पोली जमीन पर बनाई गई है नौसैनिक हमला नहीं किया।
C. इसके बजाय सीज इंजनों से मिलिटस के किले की दीवारों पर हमला किया गया। बमबारी के तहत दीवारें जल्द ही टूट गईं।
एलेक्जेंडर का प्रभाव
एलेक्जेंडर के अभियान के बाद विश्व पहले जैसा नहीं रह गया।
उसके अभियान से पूर्व और पश्चिम के बीच व्यापार संबंधों को खोलने के लिए रास्ता खुला। उसने इस रास्ते पर कई शहर बसाए थे, रोमन साम्राज्य की स्थापना भी सिकंदर की विजयों पर आधारित थी, सिकंदर की विजय ने लोगों में विज्ञान का अध्ययन करने के लिए प्रेरणा जगाई।
एलेग्जेंडर की मौत केवल 32 वर्ष की आयु में, 323 ईसा पूर्व में हो गई थी।
आज का करिअर फंडा है कि एलेक्जेंडर की तरह इंटेलिजेंस, साइंटिफिक अप्रोच, लॉजिकल थिंकिंग, दृढ़ता, विजन के बल पर उम्र से कहीं आगे बढ़कर सफलता हासिल की जा सकती है।
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