ओसामा बिन लादेन को अमेरिकी नेवी सील्स की टीम ने 2 मई 2011 को मार दिया था, मगर आज 11 साल बाद भी दुनिया इस नाम को भूली नहीं है। ब्रिटिश राजगद्दी के वारिस प्रिंस चार्ल्स अब इस नाम से जुड़ने की वजह से विवादों में घिर गए हैं। 2013 में प्रिंस चार्ल्स की एक संस्था ने बिन लादेन ग्रुप से 1 मिलियन पाउंड (करीब 10 करोड़ रु.) चंदे में लिए थे। आज इस खुलासे पर वह आलोचना का शिकार हो रहे हैं। दुनिया भले ही बिन लादेन नाम को सिर्फ ओसामा से जोड़ती है, मगर यह नाम सऊदी अरब के सबसे बड़े बिजनेस घरानों में से एक है।
इस परिवार ने खुले तौर पर 1994 में ही ओसामा से सारे संबंध तोड़ने की घोषणा भी कर दी थी, लेकिन आज भी बिन लादेन घराने का नाम ओसामा से उबर नहीं पाया है। हालांकि सिर्फ ओसामा ही इस सऊदी बिजनेस घराने पर संदेह की अकेली वजह नहीं है।
ग्रुप की स्थापना करने वाले ओसामा के पिता मोहम्मद बिन अवाद बिन लादेन से लेकर परिवार के मौजूदा मुखिया बक्र बिन लादेन तक विवादों और रहस्य का गहरा नाता रहा है। 90 के दशक में फ्रांसीसी खुफिया एजेंसी ने इस ग्रुप पर एक कॉन्फिडेंशियल रिपोर्ट बनाई थी। अमेरिका में 9/11 के हमले से भी पहले बनी इस रिपोर्ट में भी रहस्य की परतों में लिपटे इस परिवार के राजनीतिक रिश्तों और कारोबारी विस्तार पर संदेह जताया गया था।
फ्रेंच इंटेलिजेंस की रिपोर्ट ने खोले बिन लादेन परिवार के कई राज
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