खुले आसमान के नीचे, सड़कों पर, तंग गलियों में, खेतों में, बाजारों में बेफिक्री से बिना किसी मदद के घूमना भी एक तरह की आजादी है। ये आजादी उन दिव्यांगों यानी हैंडीकैप्ड लोगों के लिए सीमित हो जाती है, जब उन्हें हर छोटे-बड़े काम के लिए किसी और पर निर्भर होना पड़ता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में तकरीबन 3 लाख व्हीलचेयर हर साल बिकती हैं। इसमें से 2.5 लाख यानी दो तिहाई इम्पोर्ट की जाती हैं। इनमें से 95% व्हीलचेयर एक ही साइज की होती हैं, जो सभी के लिए कंफर्टेबल भी नहीं होतीं।
ऐसे लोगों की तकलीफ को देखते हुए IIT मद्रास से पास आउट स्वास्तिक सौरव दास और उनकी प्रोफेसर सुजाता श्रीनिवासन की टीम ने एक पहल की है। ये लोग अपने एक नए स्टार्टअप 'निओमोशन' के तहत पर्सनलाइज्ड व्हीलचेयर बना रहे हैं, जिसकी मदद से कोई भी हैंडीकैप्ड अपने हिसाब से व्हीलचेयर तैयार करवा सकते हैं।
बिजली से चार्ज होने वाली यह व्हीलचेयर भारत की पहली स्वदेशी मोटर व्हीलचेयर है। यह किसी भी तरह की सड़कों पर यहां तक कि ऊबड़-खाबड़ जमीन पर भी चल सकती है। इसकी स्पीड 25 किमी प्रति घंटा होगी। अभी तक देशभर में 600 से ज्यादा लोगों को व्हीलचेयर बेच चुके हैं। तकरीबन 150 जरूरतमंद लोगों को इन लोगों ने फ्री में भी व्हीलचेयर दी है।
सामाजिक बदलाव के मकसद से रिसर्च करना शुरू किया
30 साल के स्वास्तिक सौरव दास ओडिशा के रहने वाले हैं। इन्होंने ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई IIT मद्रास से की है। शुरू से ही स्वास्तिक सामाजिक बदलाव के लिए काम करना चाहते थे। फाइनल ईयर में इन्हें रिहैबिलिटेशन रिसर्च डिजाइन एंड डिसेबिलिटी सेंटर, IIT मद्रास में अपनी प्रोफेसर के अंडर रिसर्च करने का मौका मिला। रिसर्च के दौरान वे भारत के 40 शहरों में तकरीबन 200 हैंडीकैप्ड लोगों से मिले जो व्हीलचेयर का इस्तेमाल करते थे।
उन लोगों ने बताया कि मार्केट में मिलने वाली ज्यादातर व्हीलचेयर एक ही साइज की होती हैं, जो सभी को फिट नहीं आतीं। लंबे समय तक इस्तेमाल करने के बाद दूसरी शारीरिक परेशानियां होने लगती हैं। स्वास्तिक कहते हैं कि लोगों से मिलने के बाद मुझे उनकी असली दिक्कतों के बारे में पता चला। लोगों ने बताया कि ज्यादा समय बैठने पर कमर, पीठ और कंधे में दर्द होने लगता है। वहीं दूसरी तरफ दूर जाने के लिए व्हीलचेयर काम नहीं आतीं, दूसरों पर निर्भर रहना ही पड़ता है।
हैंडीकैप्ड्स की दिक्कतों को जानने के बाद स्वास्तिक को पर्सनलाइज्ड व्हीलचेयर बनाने का आइडिया आया। पढ़ाई पूरी होने के बाद 5 साल तक रिसर्च किया। इसके बाद उन्होंने अपनी प्रोफेसर सुजाता श्रीनिवासन से मिलकर 2020 में स्टार्टअप की शुरुआत की।
ऊबड़-खाबड़ रास्तों पर भी चल सकती है यह व्हीलचेयर
निओमोशन के तहत पर्सनलाइज्ड व्हीलचेयर फिलहाल दो तरह की हैं। एक नियोफ्लाई और दूसरी निओबोल्ट। नियोफ्लाई टाइप में व्हीलचेयर को हेल्थ और लाइफस्टाइल के मुताबिक 18 तरीकों से मॉडिफाई किया जा सकता है। जबकि निओबोल्ट वाली व्हीलचेयर में अलग से एक मोटर लगाई गई है। इसकी मदद से इसे एक स्कूटर में बदला जा सकता है। मोटराइज्ड व्हीलचेयर को एक बार चार्ज करने पर 25 किलोमीटर तक का सफर किया जा सकता है।
इतना ही नहीं इसमें सेफ्टी फीचर्स जैसे ब्रेक, हॉर्न, लाइट और मिरर भी लगे हैं। इसकी मदद से ऊबड़-खाबड़ रास्तों पर, खेतों में, सड़कों और फ्लाई ओवर तक भी आसानी से सफर किया जा सकता है। इसके साथ ही इसे पार्क करने में दिक्कत नहीं है। ये कहीं भी आसानी से पार्क की जा सकती है।
स्वास्तिक बताते हैं कि निओमोशन स्टार्टअप के पीछे हमारा मकसद व्हीलचेयर यूजर को स्वतंत्र बनाना है। 4 दीवारी से निकल वे भी आम लोगों की तरह बाहर जा सकें, अपने सभी छोटे-बड़े काम खुद ही करे सकें।
डिमांड के मुताबिक कस्टमाइज्ड व्हीलचेयर तैयार की जाती हैं
स्वास्तिक बताते हैं कि उनका मकसद ही लोगों की लाइफ को आसान बनाना है। इसलिए उन्होंने अपनी टीम में फिजियोथेरेपिस्ट की एक खास टीम रखी है। जो ऑर्डर मिलने के बाद कस्टमर्स को वीडियो कॉल करते हैं। उनसे उनकी जरूरतों को समझते हैं। उनका फिजिकल असेसमेंट करते हैं। इसके बाद उनके हिसाब से कस्टमाइज्ड व्हीलचेयर तैयार करते हैं।
मार्केटिंग को लेकर वे बताते हैं कि हम लोग ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों ही लेवल पर मार्केटिंग कर रहे हैं। हमने कई अस्पतालों से टाइअप किया है, जहां हमारे प्रोडक्ट की सप्लाई होती है। इसके साथ ही देश के कई शहरों में हमारे रिटेलर्स हैं, जो हमारे प्रोडक्ट की मार्केटिंग करते हैं। ऑनलाइन मार्केटिंग के लिए हमारी वेबसाइट और सोशल मीडिया है, जहां से लोग अपने मन मुताबिक व्हीलचेयर का ऑर्डर कर सकते हैं। हम उनके पते पर कम से कम वक्त में प्रोडक्ट की डिलीवरी कर देते हैं।
वे बताते हैं कि नियोफ्लाई व्हीलचेयर की कीमत 39,900 रुपए है और नियोबोल्ट मोटराइज्ड व्हीलचेयर 55,000 रुपए में उपलब्ध है। इसके साथ ही हम आसान EMI का विकल्प भी देते हैं। हमारी वेबसाइट पर एक हजार रुपए का पेमेंट करके इसका ऑर्डर प्री-बुक किया जा सकता है।
वे बताते हैं कि 2025 तक हमारा टारगेट एक लाख लोगों तक पहुंचने का है। जल्द ही भारत के बाहर भी हम अपने प्रोडक्ट की मार्केटिंग करने वाले हैं। कई देशों से लोग इसको लेकर दिलचस्पी दिखा रहे हैं। फंडिंग को लेकर स्वास्तिक बताते हैं कि भारत सरकार और कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (CSR) की तरफ से उन्हें मदद मिली है। इसके अलावा दोनों पार्टनर्स ने भी अपनी सेविंग इन्वेस्ट की है।
जरूरतमंद लोगों को मुफ्त में प्रोवाइड कराते हैं
आर्थिक रूप से कमजोर लोगों की मदद करने के लिए एक प्रावधान रखा गया है। स्वास्तिक बताते हैं आमतौर पर मिलनी वाली व्हीलचेयर के मुकाबले निओमोशन व्हीलचेयर्स महंगी हैं। जरूरतमंद लोगों की मदद करने के लिए हमारी टीम ऐसे लोगों का एक डेटाबेस तैयार करती है। उनके लिए हम स्पॉन्सर ढूंढते हैं, कई बार स्पॉन्सर खुद ही डोनेशन के लिए आगे आते हैं। इस तरह से हम जरूरतमंदों को फ्री में व्हीलचेयर देते हैं। अब तक 150 से ज्यादा व्हीलचेयर हम मुफ्त में बांट चुके हैं। आगे हम इसकी संख्या और भी तेजी से बढ़ाने वाले हैं।
अगर इनोवेशन को लेकर आपकी दिलचस्पी है, तो ये स्टोरी भी आपके काम की है
आज कल की भाग-दौड़ भरी जिंदगी में रोज खाना पकाना मुश्किल टास्क है। ज्यादातर वर्किंग प्रोफेशनल्स को खाना पकाने के लिए टाइम नहीं मिल पाता है। कई लोग ऐसे भी हैं जो कोशिश तो करते हैं, लेकिन वे उस तरह का फूड नहीं तैयार कर पाते हैं, जैसा वे खाना चाहते हैं। कई बार खाने में नमक, तेल और मसाले की मात्रा कम ज्यादा हो जाती है।
जरा सोचिए अगर बिना खास मेहनत से कम वक्त में खुद-ब-खुद आपकी पसंद का खाना पककर तैयार हो जाए तो कैसा रहेगा? है न यूनीक आइडिया। गुजरात के रहने वाले यतिन वराछिया ने ऐसी ही एक मशीन तैयार की है जो चंद मिनटों में ऑटोमैटिक कोई भी खाना तैयार कर देती है। (पढ़िए पूरी खबर)
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