भास्कर रिसर्चसिर्फ पुतिन नहीं करवाते राजनीतिक हत्याएं:4000 साल पहले हुई थी पहली राजनीतिक हत्या…भारत में चाणक्य के ग्रंथ में पहला जिक्र

5 महीने पहले
  • कॉपी लिंक

ओडिशा में पिछले एक हफ्ते रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के विरोधी माने जाने वाले नेता पावेल एंतोव की रहस्यमयी मौत हो गई। एक बार फिर ये चर्चाएं गरम हो गईं कि पुतिन ने अपने विरोधी की हत्या करवा दी।

पुतिन के सत्ता के शीर्ष पर पहुंचने के बाद से रूसी नेताओं, उद्योगपतियों और प्रभावशाली व्यक्तियों की रहस्यमयी मौत कोई नई बात नहीं है। कहा जाता है कि पुतिन का असैसिनेशन स्क्वाड इन हत्याओं के लिए जिम्मेदार है।

मगर क्या आप जानते हैं कि रिकॉर्ड में दर्ज दुनिया की पहली राजनीतिक हत्या कौन सी थी और कब हुई थी? इन राजनीतिक हत्याओं ने इतिहास को किस तरह बदला है?

आइए, हम आपको बताते हैं कि कितना पुराना दुनिया में राजनीतिक हत्याओं का इतिहास। भारत में कब पहली बार राजनीतिक हत्याओं का सिलसिला शुरू हुआ था।

मिस्र में 2291 ईसा पूर्व में दुनिया की पहली राजनीतिक हत्या

मिस्र के फेरो तेती के ये मूर्ति उनके पिरामिड के पास मिली थी जो आज काहिरा के म्यूजियम में रखी है। तेती के बारे में बहुत ज्यादा लिखित रिकॉर्ड मौजूद नहीं है।
मिस्र के फेरो तेती के ये मूर्ति उनके पिरामिड के पास मिली थी जो आज काहिरा के म्यूजियम में रखी है। तेती के बारे में बहुत ज्यादा लिखित रिकॉर्ड मौजूद नहीं है।

आज से करीब 4000 साल पहले दुनिया की पहली राजनीतिक हत्या हुई थी। हालांकि, इसका बहुत ज्यादा विवरण रिकॉर्ड में मौजूद नहीं है।

मिस्र में छठे राजवंश के पहले फेरो (मिस्र के राजा) तेती की 2291 ईसा पूर्व में हत्या कर दी गई थी। तेती 2323 ईसा पूर्व में गद्दी पर बैठे थे और करीब 12 साल बाद उनकी हत्या कर दी गई।

मिस्र के पुरोहित और इतिहासकार मानेथो ने अपनी किताब ‘एजिप्टियाका’ में प्राचीन मिस्र के राजाओं की क्रोनोलॉजी दर्ज की गई। इसी किताब में यह लिखा गया है कि फेरो तेती की हत्या कर दी गई थी।

यह लिखित रिकॉर्ड में दर्ज पहली राजनीतिक हत्या है। हालांकि, किताब में इस बात का जिक्र नहीं है कि हत्या किसने की या करवाई। तेती की हत्या के बाद उसरकारे नाम का व्यक्ति फेरो बना था। मगर सिर्फ 6 साल के बाद ही तेती का बेटा पेपी-1 उसे हटाकर फेरो बन गया था। यह स्पष्ट नहीं है कि फेरो तेती की हत्या उसरकारे ने करवाई थी या नहीं।

चीन और पर्शिया में भी राजनीतिक हत्याओं का इतिहास पुराना

300 ईसा पूर्व के आस-पास पत्थर पर बनी इस कलाकृति में चिन शी हुआंग की हत्या के प्रयास को दर्शाया गया है। बाईं तरफ जिंग हाथ में तलवार लिए दिख रहा है।
300 ईसा पूर्व के आस-पास पत्थर पर बनी इस कलाकृति में चिन शी हुआंग की हत्या के प्रयास को दर्शाया गया है। बाईं तरफ जिंग हाथ में तलवार लिए दिख रहा है।

पर्शिया में 550 ईसा पूर्व से 330 ईसा पूर्व के बीच आकमानेद एम्पायर के सात राजाओं की हत्या हुई थी। इस राजवंश में सत्ता पाने और विरोधियों को चुप कराने के लिए राजनीतिक हत्याओं का इस्तेमाल काफी हुआ था।

चीन में 500 ईसा पूर्व में सैन्य रणनीतियों पर लिखे गए ग्रंथ ‘द आर्ट ऑफ वॉर’ में भी राजनीतिक हत्याओं पर विस्तृत चर्चा की गई है। इसमें बताया गया है कि इसके फायदे सत्ता में बैठे लोगों को किस तरह हो सकते हैं।

चीन में सबसे चर्चित राजनीतिक हत्या का मामला एक ऐसा केस है जिसमें हत्या का प्रयास विफल हो गया था। 300 ईसा पूर्व के आस-पास चिन राजवंश के पहले राजा चिन शी हुआंग की हत्या करने के लिए यान राज्य के राजकुमार दान ने जिंग के नाम के व्यक्ति को भेजा था। मगर जिंग के सफल नहीं हो पाया था।

भारत में चाणक्य के अर्थशास्त्र में पहली बार हुई थी राजनीतिक हत्या की चर्चा…चंद्रगुप्त मौर्य ने सिकंदर के जनरल की करवाई थी हत्या

युवा चरवाहे चंद्रगुप्त मौर्य की ये प्रतिमा दिल्ली में संसद भवन में लगी है। चंद्रगुप्त मौर्य को भारत को एक करने वाले शासकों में गिना जाता है। इसमें चाणक्यनीति का महत्व सबसे ज्यादा माना जाता है।
युवा चरवाहे चंद्रगुप्त मौर्य की ये प्रतिमा दिल्ली में संसद भवन में लगी है। चंद्रगुप्त मौर्य को भारत को एक करने वाले शासकों में गिना जाता है। इसमें चाणक्यनीति का महत्व सबसे ज्यादा माना जाता है।

भारतीय ग्रंथों में राजनीतिक हत्या का जिक्र पहली बार चाणक्य के ‘अर्थशास्त्र’ में मिलता है। अपने ग्रंथ में चाणक्य ने राजनीतिक हत्याओं के बारे में विस्तार से चर्चा की है।

चाणक्य के शिष्य कहे जाने वाले मौर्य वंश के संस्थापक चंद्रगुप्त मौर्य ने बाद में राजनीतिक हत्याओं का इस्तेमाल भी किया था।

सिकंदर ने भारत से जाते वक्त अपने जनरल फिलिप को भारत का सत्रप (गवर्नर) नियुक्त किया था। 325 ईसा पूर्व में फिलिप की उसके ही सिपाहियों ने हत्या कर दी थी। ऐसा माना जाता है कि इस हत्या का षड्यंत्र चंद्रगुप्त मौर्य ने रचा था।

रोमन साम्राज्य की सबसे चर्चित राजनीतिक हत्या ने खत्म की थी रोम में रिपब्लिक व्यवस्था

रोमन सीनेट में जूलियस सीजर की हत्या को दर्शाती ये पेंटिंग विलियम्स होम्स सुलिवान ने 1888 में बनाई थी।
रोमन सीनेट में जूलियस सीजर की हत्या को दर्शाती ये पेंटिंग विलियम्स होम्स सुलिवान ने 1888 में बनाई थी।

रोमन साम्राज्य की स्थापना एक रिपब्लिक के तौर पर हुई थी। जिसमें जनता के चुने हुए सीनेटर नीतियां तय करते थे। सबसे प्रभावशाली नेता गायस जूलियस सीजर ने खुद को आजीवन तानाशाह घोषित कर दिया था।

इसके विरोध में सीनेटरों ने मिलकर रोम की सीनेट में ही जूलियस सीजर की हत्या कर दी थी। इसे रोमन इतिहास में सबसे चर्चित राजनीतिक हत्या माना जाता है। इस हत्या के कुछ ही समय रोम में रिपब्लिक व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो गई और ऑगस्टस सीजर पहला रोमन सम्राट बन गया।

रोम के इतिहास में राजनीतिक हत्याओं ने नया रूप ले लिया था। इसके पहले तक राजनीतिक हत्याएं मुख्यत: सत्ता पाने के लिए की जाती थीं। मगर रोम में विरोधियों को चुप कराने या नीतियों को प्रभावित करने के लिए भी राजनीतिक हत्याएं शुरू हो गईं।

एक राजनीतिक हत्या से ही शुरू हुआ था पहला विश्व युद्ध

आर्चड्यूक फ्रांज फर्दिनांद की हत्या को दर्शाता ये इलस्ट्रेशन 12 जुलाई, 1914 को इतालवी अखबार डोमिनिका डेल कुरियेरे में छपा था।
आर्चड्यूक फ्रांज फर्दिनांद की हत्या को दर्शाता ये इलस्ट्रेशन 12 जुलाई, 1914 को इतालवी अखबार डोमिनिका डेल कुरियेरे में छपा था।

28 जून, 1914 को ऑस्ट्रिया-हंगरी एम्पायर के युवराज माने जाने वाले आर्चड्यूक फ्रांज फर्दिनांद और उनकी पत्नी सोफी की बोस्निया के सारायेवो में हत्या कर दी गई थी।

हत्यारा गाव्रिलो प्रिंसिप एक सर्ब नेशनलिस्ट था और बोस्निया-हर्जेगॉव्निया को ऑस्ट्रिया-हंगरी में शामिल किए जाने के विरोध में उसने हत्या की थी।

कार में बैठते आर्चड्यूक फ्रांज फर्दिनांद और उनकी पत्नी की ये तस्वीर हत्या के कुछ मिनट पहले खींची गई थी।
कार में बैठते आर्चड्यूक फ्रांज फर्दिनांद और उनकी पत्नी की ये तस्वीर हत्या के कुछ मिनट पहले खींची गई थी।

50 साल के आर्चड्यूक फ्रांज फर्दिनांद, ऑस्ट्रिया-हंगरी के अगले राजा बनने वाले थे। उनकी हत्या से गुस्साए ऑस्ट्रिया-हंगरी ने सर्बिया के खिलाफ युद्ध की घोषणा कर दी। फर्दिनांद की हत्या के चार हफ्ते में ही इस युद्ध में कई देश दोनों तरफ से कूद पड़े और प्रथम विश्व युद्ध छिड़ गया।

अमेरिका के 4 राष्ट्रपतियों की राजनीतिक हत्या हुई…ब्रिटेन में भी एक प्रधानमंत्री की राजनीतिक हत्या हुई थी

1901 में अमेरिकी राष्ट्रपति विलियम मैक्किनले को एक हत्यारे ने ठीक सामने से गोली मार दी थी। उनकी हत्या के दृश्य का ये इलस्ट्रेशन उस समय अमेरिकी अखबारों में छपा था।
1901 में अमेरिकी राष्ट्रपति विलियम मैक्किनले को एक हत्यारे ने ठीक सामने से गोली मार दी थी। उनकी हत्या के दृश्य का ये इलस्ट्रेशन उस समय अमेरिकी अखबारों में छपा था।

अमेरिका के इतिहास में अब तक 4 राष्ट्रपतियों की राजनीतिक हत्या हो चुकी है। जबकि 5 राष्ट्रपतियों की हत्या का प्रयास हो चुका है।

अब्राहम लिंकन की 1865 में हुई हत्या अमेरिकी इतिहास की सबसे चर्चित राजनीतिक हत्याओं में से एक है। उनके अलावा जेम्स गारफील्ड, विलियम मैक्किनले और जॉन एफ. केनेडी की भी राष्ट्रपति रहते हुए हत्या हुई थी।

इनके अलावा 5 अमेरिकी राष्ट्रपतियों एंड्र्यू जैक्सन, फ्रैंकलिन रूजवेल्ट, हैरी ट्रूमैन, जेराल्ड फोर्ड और रोनाल्ड रीगन पर जानलेवा हमले हुए थे।

ब्रिटेन में 1812 में प्रधानमंत्री स्पेंसर पर्सिवल की हत्या कर दी गई थी। ब्रिटेन के इतिहास में सिर्फ पर्सिवल ही अकेले प्रधानमंत्री हैं जिनकी पद पर रहते हुए हत्या हुई थी। उनका हत्यारा जॉन बेलिंघम एक व्यापारी था जो काफी समय रूस में जेल में रहा हुआ था।

ब्रिटिश प्रधानमंत्री स्पेंसर पर्सिवल की हत्या का ये इलस्ट्रेशन उस समय के ब्रिटिश अखबारों में छपा था।
ब्रिटिश प्रधानमंत्री स्पेंसर पर्सिवल की हत्या का ये इलस्ट्रेशन उस समय के ब्रिटिश अखबारों में छपा था।

बेलिंघम का मानना था कि उसे गलत तरीके से रूस की जेल में रखा गया था और इस वजह से सरकार को उसे मुआवजा देना चाहिए। मगर उसकी याचिकाएं स्वीकार न होने से वह गुस्से में था और उसने हाउस ऑफ कॉमन्स की लॉबी में प्रधानमंत्री को गोली मार दी।

भारत में आजादी के बाद 3 प्रमुख राजनीतिक हत्याएं…तीनों गांधी

1924 की इस तस्वीर में महात्मा गांधी के साथ इंदिरा गांधी बैठी हैं। दोनों की ही बाद में हत्या हो गई।
1924 की इस तस्वीर में महात्मा गांधी के साथ इंदिरा गांधी बैठी हैं। दोनों की ही बाद में हत्या हो गई।

भारत में आजादी के बाद 3 प्रमुख राजनीतिक हत्याएं हुईं हैं। 1948 में महात्मा गांधी को नाथूराम गोडसे ने गोली मार दी थी।

1984 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को उन्हीं के बॉडीगार्ड्स ने गोली मारी थी और 1991 में उनके बेटे राजीव गांधी की हत्या लिट्‌टे के सुसाइड बॉम्बर ने कर दी थी।

भाजपा या पूर्व जनसंघ के नेताओं डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पंडित दीन दयाल उपाध्याय की मौत पर सवाल तो उठते रहे हैं, मगर इन्हें आधिकारिक रूप से हत्या नहीं माना जाता है।

हशाशिन से मिली थी ख्याति…बना था शब्द Assassination

मिडिल-ईस्ट एशिया में सन् 1090 से 1275 के बीच एक संप्रदाय रहा जिसे हशाशिन कहा जाता था। ये संप्रदाय छुपकर राजनीतिक हत्याएं करने के लिए ही जाना जाता था। इनके नाम से ही अंग्रेजी का शब्द असैसिनेशन (Assassination) बना था, जिसका अर्थ होता है राजनीतिक हत्या।

इंग्लैंड के राजा किंग एडवर्ड-1 की हत्या के प्रयास की ये तस्वीर फ्रेंच आर्टिस्ट गुस्ताव डोरे ने बनाई थी।
इंग्लैंड के राजा किंग एडवर्ड-1 की हत्या के प्रयास की ये तस्वीर फ्रेंच आर्टिस्ट गुस्ताव डोरे ने बनाई थी।

ऐसा कहा जाता है कि 1271 में अपनी ताजपोशी से पहले इंग्लैंड के राजा किंग एडवर्ड-1 जब क्रूसेड पर गए थे तो उन पर एक सीरियाई हशाशिन ने हमला किया था। उन्हें जहर लगे खंजर से मारने की कोशिश की गई थी, मगर वो बाल-बाल बच गए थे।

अब टारगेटेड किलिंग ने ली जगह…इजरायल इसके लिए बदनाम, अमेरिका भी पीछे नहीं

5 सितंबर, 1972 की इस तस्वीर में म्युनिख ओलिंपिक विलेज की इमारत पर सशस्त्र लोग दिख रहे हैं। यहां ब्लैक सेप्टेम्बर ग्रुप के आतंकियों ने विलेज में घुसकर इजरायली खिलाड़ियों को बंधक बना लिया था। इन सभी खिलाड़ियों की हत्या कर दी गई थी।
5 सितंबर, 1972 की इस तस्वीर में म्युनिख ओलिंपिक विलेज की इमारत पर सशस्त्र लोग दिख रहे हैं। यहां ब्लैक सेप्टेम्बर ग्रुप के आतंकियों ने विलेज में घुसकर इजरायली खिलाड़ियों को बंधक बना लिया था। इन सभी खिलाड़ियों की हत्या कर दी गई थी।

समय के साथ इन राजनीतिक हत्याओं का स्वरूप भी बदल गया है। अब इन हत्याओं को असैसिनेशन के बजाय अब टारगेटेड किलिंग कहा जाने लगा है।

दुनिया के अलग-अलग देशों की खुफिया एजेंसियां अब इस काम में उतर गई हैं। इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद राजनीतिक हत्याओं या बदले के लिए की गई हत्याओं के लिए कुख्यात रही है।

म्यूनिख ओलिंपिक के दौरान इजरायली खिलाड़ियों की हत्या का बदला लेने के लिए मोसाद ने कई साल यूरोप में अपने एजेंट्स को तैनात रखा जो इस घटना के लिए जिम्मेदार संस्था के लोगों की हत्या करते थे। फिलिस्तीन के कई नेताओं की हत्या में भी मोसाद का हाथ माना जाता है।

अमेरिकी खुफिया एजेंसी सेंट्रल इंटेलीजेंस एजेंसी (CIA) ने कोल्ड वॉर के दौरान क्यूबा के तानाशाह फिदेल कास्त्रो की हत्या करने का प्रयास कई बार किया था, मगर सफल नहीं हो पाए।

अमेरिकी सरकार का दावा-कोई राजनीतिक हत्या नहीं करवाते…टारगेटेड किलिंग्स से कोई दिक्कत नहीं

1986 में लीबिया पर एयर स्ट्राइक के फैसले से पहले राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने दोनों राजनीतिक दलों के नेताओं से सलाह-मशवरा भी किया था। इन एयर स्ट्राइक्स में कर्नल गद्दाफी तो नहीं मरा, मगर कई सिविलियन मारे गए। इसके बाद से ये तस्वीर कुख्यात हो गई है।
1986 में लीबिया पर एयर स्ट्राइक के फैसले से पहले राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने दोनों राजनीतिक दलों के नेताओं से सलाह-मशवरा भी किया था। इन एयर स्ट्राइक्स में कर्नल गद्दाफी तो नहीं मरा, मगर कई सिविलियन मारे गए। इसके बाद से ये तस्वीर कुख्यात हो गई है।

1981 में अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने एग्जिक्यूटिव ऑर्डर 12333 जारी किया था, जिसमें ये घोषणा की गई थी कि अमेरिकी सरकार कभी भी कोई राजनीतिक हत्या नहीं करवाएगी।

इसके बावजूद दूसरे देशों में प्रमुख व्यक्तियों की हत्या करने के अमेरिकी प्रयास बंद नहीं हुए थे। 1986 में लीबिया के तानाशाह मुअम्मर अल-गद्दाफी के बंकर पर अमेरिकी वायुसेना ने हमला किया था, जिसमें एक नवजात बच्ची की मौत हो गई थी। अमेरिका ने ड्रोन हमलों में इराक, अफगानिस्तान समेत कई देशों में टारगेटेड किलिंग्स की हैं।

रूस में राजनीतिक हत्याओं का इतिहास पुराना…5 राजाओं की हत्या हुई थी, आज राजनीति का सबसे धारदार हथियार

ये तस्वीर 2006 की है जिसमें अलेक्जेंडर लितिवेंको अस्पताल में दिख रहा है। लितिवेंको की हत्या में भी व्लादिमीर पुतिन का हाथ माना जाता है।
ये तस्वीर 2006 की है जिसमें अलेक्जेंडर लितिवेंको अस्पताल में दिख रहा है। लितिवेंको की हत्या में भी व्लादिमीर पुतिन का हाथ माना जाता है।

रूस में राजनीतिक हत्याएं कोई नई बात नहीं हैं। कम्युनिस्ट शासन की शुरुआत से भी बहुत पहले जारशाही के दौर से यहां राजनीतिक हत्याएं होती रही हैं।

जारशाही के ही 200 सालों के इतिहास में 5 जार (रूसी राजा) राजनीतिक हत्या का शिकार हो चुके हैं। आखिरी जार निकोलस-2 के पूरे परिवार की हत्या कर दी गई थी।

कम्युनिस्ट शासन में राजनीतिक हत्याएं विरोध के स्वर दबाने का मुख्य हथियार बन गई थीं। माना जाता है कि सोवियत संघ के दिनों में जब स्टालिन ने आयरन कर्टेन पॉलिसी अपनाई थी तो इसका विरोध करने वाले कई राजनेताओं, उद्योगपतियों, कलाकारों और विद्वानों की हत्या करवा दी गई थी।

चेचेन्या में भी रूस इस तरह की टारगेटेड किलिंग्स के जरिये विद्रोही गुटों के नेताओं को निशाना बना चुका है।

2006 में KGB के पूर्व अफसर अलेक्जेंडर लितिवेंको की रेडियोएक्टिव जहर पोलिनियम-210 से हत्या कर दी गई थी। लितिवेंको राजनीतिक शरणार्थी के तौर पर ब्रिटेन में थे। जांच में यह रेडियोएक्टिव जहर रूस के न्यूक्लियर प्लांट का पाया गया था।

ब्रिटेन ने इस हत्या के लिए KGB के पूर्व बॉडीगार्ड एंद्रेई लुगोवॉय को जिम्मेदार मानते हुए रूस से उसके प्रत्यपर्ण की मांग की थी। मगर रूस ने यह मांग ठुकरा दी। बार में लुगोवॉय रूस में सांसद बन गया था।

खबरें और भी हैं...