13 मई 2008। राजस्थान की राजधानी जयपुर के लिए ये एक आम दिन था। सड़कों पर हमेशा की तरह चहल-पहल थी। पूरा दिन शांति से गुजर चुका था और अब शाम होने को थी। नौकरीपेशा लोग घरों को लौटने लगे थे। मंगलवार का दिन था, इसलिए हनुमान मंदिरों में आम दिनों के मुकाबले ज्यादा श्रद्धालु थे। तभी शाम 7 बजकर 5 मिनट पर जौहरी बाजार में एक ब्लास्ट हुआ। उसके बाद शहर के अलग-अलग इलाकों से धमाकों की खबरें आने लगीं। अगले 12 से 15 मिनट के भीतर 8 धमाके हुए। गुलाबी शहर खून से लाल हो चुका था। हर तरफ खून, चीख और लाशें थीं। इस दिन के दर्द को शहर आज तक भूल नहीं पाया है। धमाकों में 71 लोगों की जानें गईं और 150 से ज्यादा लोग घायल हुए।
आतंकियों ने शहर की भीड़ भरी जगहों को चुना ताकि नुकसान ज्यादा हो सके। धमाकों में घातक विस्फोटक RDX का इस्तेमाल किया गया था। आतंकियों ने बमों को साइकिल और टिफिन के जरिए शहर के अलग-अलग हिस्सों में प्लांट किया। धमाके के बाद ही न्यूज चैनलों को एक मेल मिला। इस मेल में एक वीडियो था जिसमें साइकिल नजर आ रही थी। जांच में पता चला कि इस साइकिल का इस्तेमाल धमाकों में किया गया था। साथ ही मेल में धमकी थी कि ऐसे धमाके भारत के हर बड़े शहर में होते रहेंगे। धमाकों की जिम्मेदारी इंडियन मुजाहिदीन ने ली थी।
धमाकों की जांच के लिए ATS बनाई गई। ATS ने इस मामले में 11 संदिग्धों को आरोपी बनाया। इनमें से मोहम्मद सैफ, सैफुर्रहमान, सरवर आजमी और मोहम्मद सलमान को दिसंबर 2019 में जयपुर की स्पेशल कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई। मामले के 3 आरोपी अब तक फरार हैं, जबकि 3 हैदराबाद और दिल्ली की जेल में बंद हैं। बाकी बचे दो गुनहगार दिल्ली में बाटला हाउस मुठभेड़ में मारे जा चुके हैं। कोर्ट ने एक अन्य आरोपी शहबाज हुसैन को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था। शहबाज पर धमाकों के अगले दिन मेल के जरिए धमाकों की जिम्मेदारी लेने का आरोप था।
1880: पहली बार चली एडिसन की इलेक्ट्रिक ट्रेन
थॉमस अल्वा एडिसन का नाम आपने सुना ही होगा। उन्हें पूरी दुनिया इलेक्ट्रिक बल्ब के आविष्कार के लिए जानती है, लेकिन आज आप जिस ट्रेन में बैठकर सफर करते हैं उसकी सफलता के पीछे भी एडिसन का हाथ है। दरअसल आज ही के दिन 1880 में वैज्ञानिक थॉमस अल्वा एडिसन ने इलेक्ट्रिक ट्रेन का पहला ट्रायल किया था। 2 डिब्बों की इस ट्रेन को लगभग आधा किलोमीटर के ट्रैक पर चलाया गया था। ट्रेन का इंजन भी एक डिब्बे जैसा ही था जिसे "पुलमैन" कहा गया।
एडिसन ने जिस ट्रैक पर ये ट्रायल किया था, 1882 में उसकी लंबाई को बढ़ाकर लगभग 3 मील कर दिया गया और 2 नए इंजन बनाए गए। एक इंजन पैसेंजर डिब्बे के लिए और दूसरा सामान वाले डिब्बे को खींचने के लिए। ट्रैक को मजबूती देने के लिए 3 छोटे पुल जैसे स्ट्रक्चर बनाए गए। इसी साल इस ट्रैक पर 90 यात्रियों को बैठाकर इलेक्ट्रिक इंजन से पैसेंजर ट्रेन चलाई गई।
1940: प्रधानमंत्री बनने के बाद चर्चिल का चर्चित भाषण
बात 1940 की है। दूसरा विश्वयुद्ध चल रहा था। जर्मनी सभी देशों पर हमले किए जा रहा था। जर्मनी के पोलैंड पर हमले के बाद ब्रिटेन में अफरातफरी का माहौल बन गया। नेविल चैम्बरलेन को इस्तीफा देना पड़ा और उनकी जगह विंस्टन चर्चिल प्रधानमंत्री बने। आज ही के दिन उन्होंने अपनी कैबिनेट को पहली बार संबोधित किया। कहा जाता है कि ये भाषण चर्चिल के करियर का सबसे महत्वपूर्ण भाषण था।
भाषण शुरू करते हुए चर्चिल ने कहा कि अगर आप पूछेंगे कि हमारी आगे की नीति क्या है? तो मेरा जवाब होगा कि हमें अपनी पूरी ताकत के साथ जमीन, समुद्र और हवा में दुश्मन से लड़ना है। मेरे पास आप लोगों को देने के लिए खून, आंसू, पसीने और मेहनत के सिवा कुछ नहीं है। आप पूछेंगे हमारा लक्ष्य क्या है? मैं कहूंगा, जीत, हर कीमत पर जीत। 2003 में टाइम मैगजीन ने इस दिन को दुनिया बदलने वाले 80 दिनों की सूची में शामिल किया।
इतिहास में 13 मई को और किन-किन वजहों से याद किया जाता है-
2004: भारत के आम चुनाव में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार की हार हुई।
2001: मालगुडी डेज के लेखक आरके नारायण का निधन हुआ। 1964 में भारत सरकार ने उन्हें पद्मभूषण से नवाजा। वे राज्यसभा के मनोनीत सदस्य भी रहे।
2000: मिस इंडिया लारा दत्ता ने साइप्रस में मिस यूनिवर्स का खिताब जीता।
1998: भारत ने पोखरण में 2 परमाणु परीक्षण किए। इससे 2 दिन पहले 11 मई को भी भारत ने इसी जगह 3 परमाणु परीक्षण किए थे। इसके बाद अमेरिका और अन्य देशों ने भारत पर कई प्रतिबंध लगा दिए।
1967: जाकिर हुसैन भारत के तीसरे राष्ट्रपति चुने गए।
1956: आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन की स्थापना करने वाले आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर का जन्म हुआ।
1952: स्वतंत्रता के बाद भारत के उच्च सदन राज्यसभा की पहली बैठक हुई।
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