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आज की पॉजिटिव खबर:राजस्थान और बिहार के दो दोस्तों ने एक साल पहले बच्चों के लिए ऑनलाइन स्टार्टअप शुरू किया; अब तक एक हजार स्कूल जुड़े, 30 करोड़ का बिजनेस

नई दिल्ली2 वर्ष पहलेलेखक: इंद्रभूषण मिश्र
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राजस्थान के सीकर के रहने वाले कपीश सराफ और बिहार के रहने वाले अमृतांशु कुमार, दोनों लंबे समय से दोस्त हैं। दोनों ने एक साथ इंजीनियरिंग और MBA की पढ़ाई की। इसके बाद दोनों ने अलग-अलग मल्टीनेशनल कंपनियों में 10 साल तक नौकरी की। पिछले साल दोनों ने अपनी नौकरी छोड़कर एक नया स्टार्टअप शुरू किया। जहां वे बच्चों को ऑनलाइन एक्स्ट्रा करिकुलम एक्टिविटी उपलब्ध कराते हैं। देशभर से 50 हजार से ज्यादा बच्चे उनके साथ जुड़े हैं। साल भर में उनके स्टार्टअप ने करीब 30 करोड़ रुपए का बिजनेस किया है।

36 साल के कपीश सराफ की शुरुआती पढ़ाई गुवाहाटी में हुई। इसके बाद वे IIT खड़गपुर चले गए। यहां उनकी दोस्ती अमृतांशु से हुई। इसके बाद दोनों ने 2010 में IIM कोलकाता से MBA की डिग्री हासिल की। फिर दोनों नौकरी करने लगे। कपीश ने कुछ साल अमेरिका और अफ्रीका में भी काम किया। इस दौरान उन्होंने वहां के बच्चों की पढ़ाई और उनके डेवलपमेंट प्रोग्राम को करीब से समझा।

हर बच्चे के अंदर कोई न कोई टैलेंट जरूर होता है

कपीश कहते हैं कि हमारे यहां बच्चा बड़ा हुआ नहीं कि उस पर पढ़ाई और करियर का बोझ डाल दिया जाता है। 12वीं की पढ़ाई पूरी हुई तो ज्यादार बच्चे या तो इंजीनियरिंग करते हैं या मेडिकल या कोई प्रोफेशनल कोर्स। फिर पासआउट होते ही नौकरी की चिंता। ऐसे में बच्चा समझ ही नहीं पाता कि उसके अंदर इससे हटकर क्या बेहतर स्किल और टैलेंट है। जबकि दूसरे देशों में पढ़ाई से ज्यादा बच्चों के स्किल्स और उनके अंदर छुपे टैलेंट को निखारने पर फोकस किया जाता है। हर बच्चे के अंदर कोई न कोई टैलेंट जरूर होता है। सिर्फ किताबी पढ़ाई ही सब कुछ नहीं होती है।

पहले रिसर्च और पायलट प्रोजेक्ट किए, फिर शुरुआत की

बाएं से कपीश सराफ और उनके दोस्त अमृतांशु। दोनों लंबे समय से एक दूसरे के दोस्त हैं।
बाएं से कपीश सराफ और उनके दोस्त अमृतांशु। दोनों लंबे समय से एक दूसरे के दोस्त हैं।

वे बताते हैं कि काफी समय से मेरे मन में भारत के बच्चों के लिए इस तरह के कुछ प्रोग्राम शुरू करने की बात चल रही थी। 2019 के अंत में मैंने इसको लेकर अमृतांशु से बात की। उनकी भी इसमें दिलचस्पी थी। फिर हम दोनों ने अपनी नौकरी छोड़ दी। तीन-चार महीने देश के अलग-अलग शहरों में रिसर्च और सर्वे करना शुरू किया ताकि हम यह समझ सकें कि बच्चे और उनके पेरेंट्स इसको लेकर क्या सोचते हैं? इस तरह के प्रोग्राम में किन-किन एक्टिविटीज को शामिल किया जा सकता है? उनका मॉडल क्या होगा?

कई जगहों पर पायलट प्रोजेक्ट करने के बाद मार्च 2020 में कपीश और अमृतांशु ने Kidex नाम से अपना ऑनलाइन प्लेटफॉर्म लॉन्च किया। पहले वे इसे ऑफलाइन मोड में लॉन्च करना चाहते थे। कुछ दिन ऑफलाइन काम भी किया, लेकिन तभी देशभर में कोरोना के चलते लॉकडाउन लग गया और उन्हें अपना प्लान बदलना पड़ा।

कपीश कहते हैं कि लॉकडाउन लगने के बाद हमने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर फोकस करना शुरू कर दिया। हमने खुद की वेबसाइट तैयार की, ऑनलाइन ऐप लॉन्च किया। सोशल मीडिया पर कैंपेन किया। कुछ कार्यक्रम आयोजित किए। इसका बेहतर रिस्पॉन्स भी मिला और जल्द ही हमसे स्टूडेंट्स और स्कूल जुड़ते गए। अब तक 1000 से ज्यादा स्कूल हमारे साथ जुड़ चुके हैं। कई स्टूडेंट्स हमसे अलग से भी जुड़े हैं।

किन चीजों पर करते हैं फोकस? क्या-क्या सिखाते हैं?

कपीश बताते हैं कि हम लोग 6 साल से लेकर 12 साल तक के बच्चों पर फोकस करते हैं। इसमें हम उनकी एक्स्ट्रा करिकुलम की हर वो एक्टिविटीज शामिल करते हैं, जो उनके लिए जरूरी है या जिनमें उनकी दिलचस्पी है। अगर किसी बच्चे को म्यूजिक में इंटरेस्ट है या वह कोई इंस्ट्रूमेंट बजाना सीखना चाहता है तो उसे ऑनलाइन ट्रेनिंग देते हैं। इसी तरह क्विज, डिबेट, चेस, वैदिक मैथ्स, लैंग्वेज स्किल्स, एक्टिंग, पेंटिंग जैसी एक्टिविटी को लेकर भी हम क्लास कंडक्ट कराते हैं।

कपीश और उनकी टीम की वेबसाइट। जिसके जरिए बच्चे ऑनलाइन एक्स्ट्रा करिकुलम एक्टिविटी में भाग लेते हैं।
कपीश और उनकी टीम की वेबसाइट। जिसके जरिए बच्चे ऑनलाइन एक्स्ट्रा करिकुलम एक्टिविटी में भाग लेते हैं।

कपीश की टीम में 250 से ज्यादा टीचर्स और अलग-अलग फील्ड के एक्सपर्ट्स जुड़े हैं। इनमें से 100 लोग रेगुलर और बाकी फ्रीलांस के रूप में जुड़े हैं। सभी अपने-अपने घर से ही बच्चों की क्लास ले रहे हैं। वे बताते हैं कि हमने कोर्स और क्लास के हिसाब से फीस तय कर रखी है। जैसे एक बच्चा एक हजार रुपए महीने की फीस जमा कर इससे जुड़ सकता है। उसमें उसे एक्स्ट्रा करिकुलम एक्टिविटी की हर सुविधा मिलेगी।

कैसे सिखाते हैं बच्चों को, क्या है पढ़ाई का तरीका?

कपीश बताते हैं कि हमारी टीम ने हर स्टूडेंट का डेटा बेस तैयार करके रखा है। इसमें सभी बच्चों को उनके इंटरेस्ट के हिसाब से अलग-अलग कैटेगरी और ग्रुप में बांटा गया है। हर ग्रुप में 15 बच्चे हैं। हर बच्चे को ईमेल और वॉट्सऐप के जरिए क्लास की जानकारी और टाइमिंग पहले से दे दी जाती है। वे जूम और ऐप के जरिए क्लास जॉइन करते हैं।

जैसे मान लीजिए किसी बच्चे ने चेस की क्लास जॉइन कर रखी है तो उसे ग्राफिक्स के जरिए उसकी प्रॉपर ट्रेनिंग दी जाएगी। कोई डिबेट में दिलचस्पी रखता है तो उसे टॉपिक दिया जाता है। उस पर वो वीडियो बनाकर अपनी आईडी से ऐप पर अपलोड कर देता है। इसी तरह सिंगिंग और बाकी एक्टिविटी के लिए करना होता है।

हमारी टीम और एक्सपर्ट्स उन बच्चों के वीडियो को देखते हैं। उनका एनालिसिस करते हैं कि किस जगह बच्चा बेहतर कर रहा है, कहां कमजोर है और उसे कहां और बेहतर करने की जरूरत है? इसके लिए उसे क्या करना चाहिए, कैसे उसे इम्प्रूव किया जा सकता है? हमारी टीम उन बच्चों को गाइड करती है। इसी तरह क्विज और दूसरी एक्टिविटी को लेकर भी हमारी टीम काम कर रही है। इसके साथ ही हम लोग स्कूल लेवल और नेशनल लेवल पर भी प्रोग्राम कंडक्ट कराते हैं। जिसमें बच्चे अलग-अलग कॉम्पिटिशन में भाग लेते हैं।

बच्चों का मनोबल भी बढ़ेगा और एक्सपोजर भी मिल सकेगा

NITI आयोग के CEO अमिताभ कांत के साथ कपीश सराफ और अमृतांशु कुमार।
NITI आयोग के CEO अमिताभ कांत के साथ कपीश सराफ और अमृतांशु कुमार।

कपीश कहते हैं कि कई ऐसे बच्चे होते हैं, जिन्हें किसी कारण शुरुआत में उस तरह का एक्सपोजर नहीं मिल पाता है, जो दूसरे बच्चों को मिलता है। खास करके छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों से आने वाले बच्चों को। कई बार बच्चे खुद को बड़े शहरों के बच्चों के मुकाबले कमतर आंकने लगते हैं। उन्हें लगता है कि बड़े शहरों के बच्चे पढ़ाई में ज्यादा मजबूत होंगे और इसको लेकर वे मेंटली परेशान भी रहते हैं। हम लोग खुद जब 12वीं के बाद दूसरे जगहों पर गए तो इस तरह की चीजें देखने को मिलीं।

ऐसे में वे बच्चे अब इस प्लेटफॉर्म से जुड़ने के बाद अभी से ही बड़े शहरों के बच्चों के साथ कंपीट कर सकेंगे। उन्हें पता चल सकेगा कि मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु जैसे शहरों के बच्चों का क्या स्टैंडर्ड है, वे कैसे पढ़ाई करते हैं। इससे बच्चों का मनोबल भी बढ़ेगा और वे खुद को पहले से उस लेवल के लिए तैयार भी कर सकेंगे। साथ ही 10वीं तक आते-आते बच्चों को करियर को लेकर अगर-मगर की स्थिति नहीं होगी। वे खुद ही अपने टैलेंट और स्किल के मुताबिक अपने करियर गोल की तरफ बढ़ जाएंगे।

NITI आयोग के साथ मिलकर कर चुके हैं कार्यक्रम

कपीश का स्टार्टअप NITI आयोग के साथ मिलकर नई एजुकेशन पॉलिसी को लेकर काम कर रहा है। इसमें नेशनल लेवल पर ऑल राउंडर चैंपियनशिप प्रोग्राम आयोजित किए जाते हैं। जिसमें देशभर के हजारों बच्चे भाग लेते हैं। साल में दो बार आयोजित होने वाले इस प्रोग्राम में पिछली बार करीब 25 हजार बच्चों ने भाग लिया था। इसमें 3 साल से लेकर 17 साल की उम्र के बच्चों ने भाग लिया था। करीब तीन महीने तक यह कार्यक्रम चलता है। बच्चों को इसके लिए कोई फीस नहीं देनी होती है। इसमें डिबेट, सिंगिंग कॉम्पिटिशन, योग, साइकिलिंग, मॉडलिंग, कुकिंग जैसी एक्टिविटीज शामिल होती हैं। इस साल 20 लाख बच्चों को इससे जोड़ने का टारगेट रखा गया है।

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